Connect with us

आस्था

इस वर्ष जगन्नाथ रथयात्रा निकलेगी या नहीं, फैसला 3 मई के बाद

Published

on

SHARE THIS

भुवनेश्वर। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के इस वर्ष आयोजन के संबंध में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ चर्चा की। कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से सदियों पुराने इस धार्मिक आयोजन को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।

मुख्यमंत्री कार्यालय के एक सूत्र ने बताया कि मुख्यमंत्री ने शुक्रवार सुबह प्रधानमंत्री से फोन पर बातचीत की और भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथयात्रा के आयोजन के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस बात पर चर्चा की कि जब इतनी बड़ी संख्या में लोग उत्सव में जुटेंगे तो सामाजिक दूरी को कैसे बरकरार रखा जाएगा?

पटनायक और मोदी के बीच फोन पर वार्ता के बाद समिति ने एक आपात बैठक में रथयात्रा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। गजपति महाराज ने एक वीडियो संदेश में कहा कि समिति के सदस्यों ने एक सुर में कहा कि 12वीं शताब्दी का मंदिर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी बंद के दिशा-निर्देशों का पालन करेगा। इसलिए मंदिर के बाहर होने वाली सभी गतिविधियों 3 मई से पहले नहीं होंगी।

‘जगन्नाथ संस्कृति’ के शोधकर्ता भास्कर मिश्रा ने बताया कि यह वार्षिक रथयात्रा 1736 से लगातार होती आ रही है। ओडिशा के विपक्षी दलों (कांग्रेस और भाजपा) ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वह रथयात्रा के संबंध में जल्द से जल्द निर्णय ले। तय कार्यक्रम के अनुसार रथों के निर्माण का काम 26 अप्रैल से शुरू होना चाहिए जबकि प्रसिद्ध स्नान यात्रा जून की शुरुआत में होगी।

पुरी में 12वीं सदी का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए 22 मार्च से बंद है, हालांकि पुजारी हमेशा की तरह मंदिर में अनुष्ठान कर रहे हैं। पटनायक ने ओडिशा में कोविड 19 की स्थिति से प्रधानमंत्री को अवगत कराया। राज्य में अब तक कोरोना वायरस के 90 मामले सामने आए हैं जबकि 33 मरीज ठीक हो चुके हैं, वहीं 1 मरीज की मौत हो गई है।

SHARE THIS

आस्था

इस अद्भुत मंदिर में शादी करने से खुशियों से भर जाएगी जिंदगी, शिव-पार्वती ने यहीं लिए थे सात फेरे

Published

on

SHARE THIS

 शिव पुरान कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने कठोर तपस्या के बाद शिव जी को पुन: पति के रूप में पाया था। ऐसी मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से अच्छा और मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। यूं तो महादेव और मां पार्वती के मिलन को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। लेकिन शायद ही आप जानते होंगे कि उन्होंने किस जगह सात फेरे लिए थे। ऐसे में इस लेख के जरिए आज हम आपको विस्तार से बताएंगे उस मंदिर के बारे में जिसे श‌िव-पार्वती के व‌िवाह स्थल के रूप में जाना जाता है।

त्रियुगीनारायण मंदिर में शिव-पार्वती ने लिए सात फेरे

पवित्र त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड के रुदप्रयाग जिले में स्थित है। कहा जाता है कि ये वही स्थान है जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। मंदिर के बाहर एक हॉल में हवनकुंड में अग्नि लगातार जलती रहती है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार ये वहीं अग्नि है जिसके फेरे लेकर शिव-पार्वती विवाह संपन्न हुआ था।

सदियों से जल रही है अग्नि

पुजारियों के अनुसार कई युगों से इस अग्नि को जलाकर रखा जाता रहा है। यही कारण है कि इस स्थान को अतयंत पवित्र माना जाता है। कई जोडे दूर-दूर से इस मंदिर में विवाह बंधन में बंधने के लिए खासतौर पर आते हैं।

विष्णु जी ने निभाई मां पार्वती के भाई की भूमिका

कहा जाता है कि इस विवाह में भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भाई की भूमिका निभाई थी। विष्णु जी ने उन सभी रीत‌ियों को न‌िभाया जो एक भाई अपनी बहन के व‌िवाह में करता है। कहते हैं यहां मौजूद कुंड में स्नान करके भगवान व‌िष्‍णु ने व‌िवाह संस्कार में भाग ल‌िया था।

यहां शादी करने से संवर जाती है जिंदगी 

इस अद्भुत मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां शादी करने वाले जोड़े की जिंदगी संवर जाती है। उनके वैवाहिक जीवन कभी भी तनाव नहीं आती। इसके साथ ही  सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान भी प्राप्त होता है। आज भी इस मंदिर में शिव-पार्वती की शादी की निशानियां मौजूद हैं।

SHARE THIS
Continue Reading

आस्था

पीपल का पेड़ घर में क्यों नहीं लगाना चाहिए? जानिए इसके पीछे क्या है मान्यता

Published

on

SHARE THIS

हिन्दू धर्म में कई वृक्षों को पवित्र माना जाता है, जिसमें पीपल के वृक्ष का नाम भी शामिल है। पीपल के पेड़ का वर्णन भगवान कृष्ण की गीता में भी मिलता है। मान्यता है कि इस पीपल के पेड़ पर सभी देवी-देवताओं का वास होता है। पीपल के वृक्ष को भले ही पवित्र माना जाता है और इससे 24 घंटे ऑक्सीजन मिलती है लेकिन फिर भी इसे लोग अपने घर और आंगन में नहीं लगाते हैं। इस वृक्ष को लेकर अंधविश्वास है कि पीपल के पेड़ पर भूत रहते हैं। यहां हम आपको बताने वाले हैं कुछ महत्व जिनके कारण पीपल के पेड़ को घर में नहीं लगाया जाता है।

पीपल का पेड़ क्यों नहीं लगाना चाहिए

पीपल का पौधा कुछ ही सालों में एक विशालकाय पेड़ बन जाता है और इसकी जड़ें बहुत दूरी तक फैल जाती हैं। पीपल का पेड़ अगर घर में लगाया जाएगा तो इसकी जड़ें घर की नींव को कमजोर कर सकती हैं। जिससे घर की बुनियाद हिल सकती है। यही कारण है कि इस पेड़ को घर में नहीं लगाया जाता है। हालांकि, आजकल के समय में पीपल के पेड़ का बोनसाई लोग अपने घर में लगाने लगे हैं।

पीपल का पेड़ 24 घंटे ऑक्सीजन देता है, ऐसे में कहा जाता है कि जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन शरीर को मिलती है तो भी नुकसान दायक साबित होता है।

मान्यता है कि पीपल के पेड़ को बढ़ते रहने देना चाहिए। ऐसे में अगर इसे घर में लगाएंगे तो इसकी शाखाएं हर तरफ फैल जाएंगी।

वास्तु के अनुसार, अगर पीपल के पेड़ की छाया अगर घर पर एक निश्‍चित दिशा की तरफ से पड़ रही है तो इससे छायाभेद उत्पन्न हो सकता है। जो परिवार की उन्नति में बाधा पैदा कर सकता है।

ऐसी मान्यता है कि अगर सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक पीपल के पेड़ की छाया मकान पर पड़ती है तो यह नुकसान दायक होती है। इससे उन्नति रुक सकती है।

SHARE THIS
Continue Reading

आस्था

यीशु के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है ‘गुड फ्राइडे’, जानें इस दिन सूली पर क्यों चढ़ाए गए थे यीशु

Published

on

SHARE THIS

गुड फ्राइडे का ईसाई धर्म में काफी महत्व होता है। इस दिन को ईसाई धर्म के अनुयायी शोक दिवस के रूप में मनाते हैं। गिरजाघर में जाकर प्रभु यीशु को याद करते हैं और उनके दिखाएं गए मार्गपथ पर चलने का संकल्प लेते हैं। आइए जानते हैं गुड फ्राइडे क्यों मनाया जाता है? और क्या है इतिहास –

क्या है इतिहास

ऐसा माना जाता है कि यरूशलम प्रांत में ईसा मसीह लोगों के मानव जीवन के कल्याण के लिए उपदेश दे रहे थे। जिसे सुनन के बाद लोग उन्हें ईश्वर मानने लगे थे। लेकिन कुछ धर्मगुरु उनसे चिढ़ते थे और जलते थे। लेकिन ईसा मसीह ने लोगों के दिलों में अलग की जगह बना ली थी। अन्य धर्मगुरुओं द्वारा रोम के शास पिलातुस से शिकायत कर दी। कहां- यह अपने आप को ईश्वर पुत्र बता रहे हैं। शिकायत के बाद उन पर राजद्रोह का आरोप लगा दिया गया। उन्हें क्रूज पर मृत्युदंड देने का फरमान जारी किया। कीलों की मदद से उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया। इतिहास के मुताबिक उन्हें गोलागोथा नामक सूली पर चढ़ाया गया था और इसके बाद उनकी मृत्यु हो गई थी।

गुड फ्राइडे क्यो मनाया जाता है?

यह दिन इसलिए मनाया जाता है क्योंकि जिस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया उस दिन गुड फ्राइडे था। उनकी याद में गुड फ्राइडे मनाया जाता है। गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं।

SHARE THIS
Continue Reading

Trending