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छत्तीसगढ़ी लोककला एवं संस्कृति को सहेजने प्रदेश सरकार का अहम फैसला , छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के बैनर तले फलेगी-फूलेगी प्रदेश की कला-संस्कृति :मुख्यमंत्री भूपेश बघेल… कैबिनेट ने छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन को दी मंजूरी
एस एच अजहर दंतेवाड़ा
दंतेवाड़ा, 16 जुलाई 2020।। छत्तीसगढ़ की लोककलाओं और संस्कृति को सहेजने, संवारने और उसे आगे बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राज्य निर्माण के 20 साल बाद छत्तीसगढ़ की कला, संगीत, भाषाई विकास के लिए एक ही छत के नीचे अब एकीकृत प्रयास हो पाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन की विधिवत दे दी गई है। इस परिषद के अंतर्गत संस्कृति विभाग की समस्त इकाइयों को एकरूप किया जाएगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन होने के पहले छत्तीसगढ़ में सभी सांस्कृतिक गतिविधियां भोपाल से संचालित होती थीं। राज्य गठन के बाद छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिला। अनेक संस्थाएं भी स्थापित की गईं, लेकिन उनमें आपसी तालमेल का अभाव रहा। इन सब का परिणाम यह रहा कि सांस्कृतिक विकास की दिशा में जितनी ताकत के साथ प्रयास होने चाहिए थे, वे अब तक हो नहीं पाए। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर गर्व की अनुभूति जगाने की दिशा में शुरु से ही काम किया। छत्तीसगढ़ की महिलाओं के पर्व तीजा, किसानों के पर्व हरेली और गोवर्धन पूजा जैसे त्योहारों पर अवकाश की न सिर्फ घोषणा की, बल्कि इन त्योहारों को अपने निवास कार्यालय से मनाने की परंपरा की शुरुआत की। गोंड़ी, हल्बी भाषा में पाठ्य पुस्तकें तैयार कर स्कूलों में पढ़ाई शुरू करने का निर्णय लिया। खान-पान की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए सभी जिलों में गढ़कलेवा की स्थापना का निर्णय लिया गया। लेकिन इन सबके बावजूद इन तमाम गतिविधियों को संगठित रूप में संचालित करने की आवश्यकता है, ताकि एक ही दिशा में संगठित रूप से काम हो सके, इसलिए एक समग्र मंच के रूप में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन का निर्णय लिया गया है।मुख्यमंत्री ने कहा है कि छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद का मुख्य काम राज्य में साहित्य, संगीत, नृत्य, रंगमंच, चित्र एवं मूर्तिकला, सिनेमा और आदिवासी एवं लोककलाओं को प्रोत्साहन एवं उन्हें संरक्षण देना होगा। इसके लिए परिषद सांस्कृतिक विरासतों की पहचान, उनका संरक्षण एवं संवर्धन करेगा। सृजनशील संस्कृति के लिए मंचों, कला-संग्रहालयों, वीथिकाओं का विकास, प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर के मंचों की स्थापना के साथ ही विभिन्न तरह के आयोजन करेगा। सांस्कृतिक संस्थाओं को सहयोग एवं प्रोत्साहन, सृजनकर्मियों को सम्मान तथा प्रोत्साहन, उत्कृष्ट सिनेमा निर्माण एवं प्रचार संबंधी कार्य करेगा।
प्रदेश में छत्तीसगढ़ी संस्कृति परिषद के जरिये जो एक और महत्वपूर्ण कार्य होगा, वह राष्ट्रीय स्तर के लब्ध प्रतिष्ठित कला, संस्कृति और शिक्षण से जुड़ी संस्थाओं से छत्तीसगढ़ का जीवंत संवाद स्थापित करना होगा। प्रदेश की संस्कृति नीति के अनुरूप स्कूली, उच्च शिक्षा सहित अन्य शासकीय विभागों से सामंजस्य स्थापित कर संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा। साहित्यिक-सामाजिक विषयों पर शोध और सृजन में प्रोत्साहन और सहयोग दिया जाएगा। संस्कृतिकर्मियों व संस्थाओं को विभिन्न विधाओं के लिए दिए जाने वाले फैलोशिप, पुरस्कारों का
संयोजन परिषद द्वारा किया जाएगा। छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के अंतर्गत साहित्य अकादमी, कला अकादमी, आदिवासी लोक कला अकादमी, छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम, छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग काम करेंगे।
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छत्तीसगढ़ में विधायकों का यात्रा भत्ता सरकार ने बढ़ाया
रायपुर : छत्तीगसढ़ के विधायकों का यात्रा भत्ता बढ़ा कर सीधे दोगुना कर दिया है। इस संबंध में राज्य सरकार के संसदीय कार्य विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। छत्तीगसढ़ के सांसदों को अब यात्रा भत्त 10 रुपये प्रति किलोमीटर के स्थान पर सीधे 20 रुपये प्रति किलोमीटर मिलेगा। छत्तीसगढ़ विधान मंडल यात्रा भत्ता नियम, 1957 के मुताबिक किसी सदस्य का निवास स्थान रायपुर से 8 किलोमीटर से ज्यादा दूर है, तो सत्र या सम्मेलन में भाग लेने के लिए निजी वाहन से यात्रा करने पर उसे भत्ता दिया जाता है। अभी तक यह 10 रुपये प्रति किलोमीटर था अब उसे बढ़ाकर 20 रुपये कर दिया गया है।
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कृषि मंत्री रामविचार नेताम की पहल पर बलरामपुर जिले में पांच महतारी सदन के लिए 1.23 करोड़ रूपए मंजूर
रायपुर, 11 अक्टूबर 2024 : किसान कल्याण एवं आदिम जाति विकास मंत्री श्री राम विचार नेताम की विशेष पहल पर वित्तीय वर्ष 2024-25 में बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के पांच विकासखण्डों में स्वीकृति मिली है। इन पांचों महतारी सदन के लिए एक करोड़ 23 लाख 50 हजार रूपए की मंजूरी दी गई है। जिले के जिन विकासखण्डों में महतारी सदन निर्माण की मंजूरी मिली है इनमें बलरामपुर विकासखण्ड के ग्राम महराजगंज, रणहत, पस्ता-पाढ़ी और डौरा तथा विकासखण्ड रामचन्द्रपुर के ग्राम त्रिकुण्डा शामिल है। इसमें प्रत्येक महतारी सदन निर्माण की लागत 24 लाख 70 हजार रूपए है। महतारी सदन निर्माण की स्वीकृति पर क्षेत्रवासियों ने खुशी जाहिर करते हुए मंत्री श्री रामविचार नेताम और राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है।
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दीपावली त्यौहार में पटाखा दुकानों के संचालन को लेकर जारी की गई एडवाइजरी
सूरजपुर/11 अक्टूबर 2024 : जिले में संचालित समस्त स्थायी व अस्थायी पटाखा दुकानों में आग से बचाव एवं सावधानी के लिये नगर सेना अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवाएं तथा एसडीआरएफ मुख्यालय नवा रायपुर द्वारा एडवाइजरी जारी किया गया है। जांच के दौरान इन तय किए गए नियमों का पालन नहीं करने पर छ.ग. अग्निशमन आपातकालीन सेवा अधिनियम 2018 व छत्तीसगढ़ एवं आपातकालीन नियमावली 2021 के तहत कार्यवाही किया जायेगा।
नगर सेना अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवाएं तथा एसडीआरएफ मुख्यालय नवा रायपुर द्वारा जारी एडवाइजरी इस प्रकार हैं कि पटाखा दुकान किसी भी ज्वलनशील पदार्थ जैसे, कपडा, बांस, रस्सी, टेंट इत्यादि का न होकर अज्वलनशील सामग्री से बने टिन (शेड) द्वारा निर्मित होना चाहिए। पटाखा दुकान एक दूसरे से कम से कम तीन मीटर की दूरी (साईड) पर एवं एक दुसरे के सामने न बनाई जाएं। पटाखा दुकानों में प्रकाश व्यवस्था हेतु किसी भी प्रकार के तेल का लैंप, गैस लैंप एवं खुली बिजली बत्ती का प्रयोग प्रतिबंधित होना चाहिये। किसी भी पटाखा दुकान से 50 मीटर के अंदर आतिशबाजी प्रदर्शन प्रतिबंधित होना चाहिए। विद्युत तारों में ज्वाइंट खुला नहीं होना चाहिए एवं प्रत्येक मास्टर स्विच में फ्यूज या सर्किट ब्रेकर लगा होना चाहिए, जिससे शार्ट सर्किट की स्थिति में विद्युत प्रवाह स्वतः बन्द हो जाए।
दुकानो ट्रांसफार्मर के पास न हो और उनके ऊपर से हाई टेंशन पावर लाईन न गुजरती हो। प्रत्येक पटाखा दुकान में 05 किग्रा. क्षमता का डीसीपी अग्निशामक यंत्र होना चाहिए। इसकी मारक क्षमता 6 फिट की होती है। दुकानों के सामने कुछ अंतराल में 200 लीटर क्षमता के पानी के ड्रम की व्यवस्था बाल्टियों के साथ होनी चाहिए। पटाखा सुपर हीरो के सामने बाइक व कार की पार्किंग पर प्रतिबंध होना चाहिए। अग्निशमन विभाग एवं एम्बुलेंस का फोन नम्बर, दुकान परिसर के कुछ स्थानों में लगाया जाए। अग्निशमन वाहन के मूवमेंट के लिए पर्याप्त स्थान होना चाहिए।
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