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परशुराम कौन थे, जानिए उनकी अचरज भरी कहानी
भगवान विष्णु के छठे आवेश अवतार परशुराम की जयंती वैशाख शुक्ल तृतीया को आती है। इस बार यह जयंती 26 अप्रैल 2020 को मनाई जाएगी। आओ जानते हैं भगवान परशुराम कौन थे और क्या है उनकी कहानी।
जन्म समय : माथुर चतुर्वेदी ब्राह्मणों के इतिहास-लेखक, श्रीबाल मुकुंद चतुर्वेदी के अनुसार विष्णु के छठे ‘आवेश अवतार’ भगवान परशुराम का जन्म सतयुग और त्रेता के संधिकाल में 5142 वि.पू. वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-रात्रि के प्रथम प्रहर प्रदोष काल में हुआ था। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में रात्रि के प्रथम प्रहर में 6 उच्च के ग्रहों से युक्त मिथुन राशि पर राहु के स्थित रहते माता रेणुका के गर्भ से भृगु ऋषि के कुल में परशुराम का प्रादुर्भाव हुआ था।
ऋचीक-सत्यवती के पुत्र जमदग्नि, जमदग्नि-रेणुका के पुत्र परशुराम थे। ऋचीक की पत्नी सत्यवती राजा गाधि (प्रसेनजित) की पुत्री और विश्वमित्र (ऋषि विश्वामित्र) की बहिन थी। परशुराम सहित जमदग्नि के 5 पुत्र थे।
जन्म स्थान : भृगुक्षेत्र के शोधकर्ता साहित्यकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय के अनुसार परशुराम का जन्म वर्तमान बलिया के खैराडीह में हुआ था। उन्होंने अपने शोध और खोज में अभिलेखिय और पुरातात्विक साक्ष्यों प्रस्तुत किए हैं। श्रीकौशिकेय अनुसार उत्तर प्रदेश के शासकीय बलिया गजेटियर में इसका चित्र सहित संपूर्ण विवरण मिल जाएगा। एक अन्य किंवदंती के अनुसार मध्यप्रदेश के इंदौर के पास स्थित महू से कुछ ही दूरी पर स्थित है जानापाव की पहाड़ी पर भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। एक तीसरी मान्यता अनुसार छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में घने जंगलों के बीच स्थित कलचा गांव में उनका जन्म हुआ था। एक अन्य चौथी मान्यता अनुसार उत्तर प्रदेश में शाहजहांपुर के जलालाबाद में जमदग्नि आश्रम से करीब दो किलोमीटर पूर्व दिशा में हजारों साल पुराने मन्दिर के अवशेष मिलते हैं जिसे भगवान परशुराम की जन्मस्थली कहा जाता है।
परशुराम के गुरु : परशुराम को शास्त्रों की शिक्षा दादा ऋचीक, पिता जमदग्नि तथा शस्त्र चलाने की शिक्षा अपने पिता के मामा राजर्षि विश्वमित्र और भगवान शंकर से प्राप्त हुई। च्यवन ने राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या से विवाह किया। परशुराम योग, वेद और नीति में पारंगत थे। ब्रह्मास्त्र समेत विभिन्न दिव्यास्त्रों के संचालन में भी वे पारंगत थे। उन्होंने महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की।
परशुराम के शिष्य : त्रैतायुग से द्वापर युग तक परशुराम के लाखों शिष्य थे। महाभारतकाल के वीर योद्धाओं भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण को अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा देने वाले गुरु, शस्त्र एवं शास्त्र के धनी ॠषि परशुराम का जीवन संघर्ष और विवादों से भरा रहा है।
माता का सिर काट दिया : परशुराम के 4 बड़े भाई थे। एक दिन जब सभी पुत्र फल लेने के लिए वन चले गए, तब परशुराम की माता रेणुका स्नान करने गईं। जिस समय वे स्नान करके आश्रम को लौट रही थीं, उन्होंने गन्धर्वराज चित्रकेतु (चित्ररथ) को जलविहार करते देखा। यह देखकर उनके मन में विकार उत्पन्न हो गया और वे खुद को रोक नहीं पाईं। महर्षि जमदग्नि ने यह बात जान ली। इतने में ही वहां परशुराम के बड़े भाई रुक्मवान, सुषेणु, वसु और विश्वावसु भी आ गए। महर्षि जमदग्नि ने उन सभी से बारी-बारी अपनी मां का वध करने को कहा, लेकिन मोहवश किसी ने ऐसा नहीं किया। तब मुनि ने उन्हें श्राप दे दिया और उनकी विचार शक्ति नष्ट हो गई।
फिर वहां परशुराम आए और तब जमनग्नि ने उनसे यह कार्य करने के लिए कहा। उन्होंने पिता के आदेश पाकर तुरंत अपनी मां का वध कर दिया। यह देखकर महर्षि जमदग्नि बहुत प्रसन्न हुए और परशुराम को वर मांगने के लिए कहा। तब परशुराम ने अपने पिता से माता रेणुका को पुनर्जीवित करने और चारों भाइयों को ठीक करने का वरदान मांगा। साथ ही उन्होंने कहा कि इस घटना की किसी को स्मृति न रहे और अजेय होने का वरदान भी मांगा। महर्षि जमदग्नि ने उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर दीं। माता रेणुका कोंकण नरेश की पुत्री थीं।
हैहयवंशी राजाओं से युद्ध : समाज में आम धारणा यह है कि परशुराम ने 21 बार धरती को क्षत्रियविहीन कर दिया था। यह धारणा गलत है। भृगुक्षेत्र के शोधकर्ता साहित्यकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय के अनुसार जिन राजाओं से इनका युद्ध हुआ उनमें से हैहयवंशी राजा सहस्त्रार्जुन इनके सगे मौसा थे। जिनके साथ इनके पिता जमदग्नि ॠषि कई बातों को लेकर विवाद था जिसमें दो बड़े कारण थे। पहला कामधेनु और दूसरा रेणुका।
परशुराम राम के समय में हैहयवंशीय क्षत्रिय राजाओं का अत्याचार था। भार्गव और हैहयवंशियों की पुरानी दुश्मनी चली आ रही थी। हैहयवंशियों का राजा सहस्रबाहु अर्जुन भार्गव आश्रमों के ऋषियों को सताया करता था। एक समय सहस्रबाहु के पुत्रों ने जमदग्नि के आश्रम की कामधेनु गाय को लेने तथा परशुराम से बदला लेने की भावना से परशुराम के पिता का वध कर दिया। परशुराम की मां रेणुका पति की हत्या से विचलित होकर उनकी चिताग्नि में प्रविष्ट हो सती हो गई।
इस घोर घटना ने परशुराम को क्रोधित कर दिया और उन्होंने संकल्प लिया- मैं हैहय वंश के सभी क्षत्रियों का नाश कर दूंगा। इसी कसम के तहत उन्होंने इस वंश के लोगों से 36 बार युद्ध कर उनका समूल नाश कर दिया था। तभी से यह भ्रम फैल गया कि परशुराम ने धरती पर से 36 बार क्षत्रियों का नाश कर दिया था।
हैहयवंशियों के राज्य की राजधानी महिष्मती नगरी थी जिसे आज महेश्वर कहते हैं जबकि परशुराम और उनके वंशज गुजरात के भड़ौच आदि क्षेत्र में रहते थे। परशुराम ने अपने पिता के वध के बाद भार्गवों को संगठित किया और सरस्वती नदी के तट पर भूतेश्वर शिव तथा महर्षि अगस्त्य मुनि की तपस्या कर अजेय 41 आयुध दिव्य रथ प्राप्त किए और शिव द्वारा प्राप्त परशु को अभिमंत्रित किया।
इस जबरदस्त तैयारी के बाद परशुराम ने भड़ौच से भार्गव सैन्य लेकर हैहयों की नर्मदा तट की बसी महिष्मती नगरी को घेर लिया तथा उसे जीतकर व जलाकर ध्वस्त कर उन्होंने नगर के सभी हैहयवंशियों का भी वध कर दिया। अपने इस प्रथम आक्रमण में उन्होंने राजा सहस्रबाहु का महिष्मती में ही वध कर ऋषियों को भयमुक्त किया।
इसके बाद उन्होंने देशभर में घूमकर अपने 21 अभियानों में हैहयवंशी 64 राजवंशों का नाश किया। इनमें 14 राजवंश तो पूर्ण अवैदिक नास्तिक थे। इस तरह उन्होंने क्षत्रियों के हैहयवंशी राजाओं का समूल नाश कर दिया जिसे समाज ने क्षत्रियों का नाश माना जबकि ऐसा नहीं है। अपने इस 21 अभियानों के बाद भी बहुत से हैहयवंशी छुपकर बच गए होंगे।
चारों युग में परशुराम : सतयुग में जब एक बार गणेशजी ने परशुराम को शिव दर्शन से रोक लिया तो, रुष्ट परशुराम ने उन पर परशु प्रहार कर दिया, जिससे गणेश का एक दांत नष्ट हो गया और वे एकदंत कहलाए। त्रेतायुग में जनक, दशरथ आदि राजाओं का उन्होंने समुचित सम्मान किया। सीता स्वयंवर में श्रीराम का अभिनंदन किया।
द्वापर में उन्होंने कौरव-सभा में कृष्ण का समर्थन किया और इससे पहले उन्होंने श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र उपलब्ध करवाया था। द्वापर में उन्होंने ही असत्य वाचन करने के दंड स्वरूप कर्ण को सारी विद्या विस्मृत हो जाने का श्राप दिया था। उन्होंने भीष्म, द्रोण व कर्ण को शस्त्र विद्या प्रदान की थी। इस तरह परशुराम के अनेक किस्से हैं।
चिरंजीवी हैं परशुराम : कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने उन्हें कल्प के अंत तक तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया। भगवान परशुराम किसी समाज विशेष के आदर्श नहीं है। वे संपूर्ण हिन्दू समाज के हैं और वे चिरंजीवी हैं। उन्हें राम के काल में भी देखा गया और कृष्ण के काल में भी। उन्होंने ही भगवान श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र उपलब्ध कराया था। कहते हैं कि वे कलिकाल के अंत में उपस्थित होंगे। ऐसा माना जाता है कि वे कल्प के अंत तक धरती पर ही तपस्यारत रहेंगे। पौराणिक कथा में वर्णित है कि महेंद्रगिरि पर्वत भगवान परशुराम की तप की जगह थी और अंतत: वह उसी पर्वत पर कल्पांत तक के लिए तपस्यारत होने के लिए चले गए थे।
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जानिए कैसा रहेगा आपके लिए 27 जुलाई 2024 का दिन और किन उपायों से आप ये दिन बेहतर बना सकते हैं
आज श्रावण कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि और शनिवार का दिन है। सप्तमी तिथि आज रात 9 बजकर 20 मिनट तक रहेगी। आज रात 10 बजकर 44 मिनट तक धृति योग रहेगा। साथ ही आज दोपहर 1 बजे तक रेवती नक्षत्र रहेगा। इसके अलावा आज शीतला सप्तमी है। जानिए कैसा रहेगा आपके लिए 27 जुलाई 2024 का दिन और किन उपायों से आप ये दिन बेहतर बना सकते हैं। साथ ही जानते हैं कि आपके लिए लकी नंबर और लकी रंग कौन सा होगा।
मेष राशि-
आज आपका आर्थिक पक्ष मजबूत रहेगा। घर पर किसी दोस्त की पार्टी का इनविटेशन आ सकता है। ऑफिस में आपके काम को लेकर बॉस आपकी तारीफ करेंगे। आर्ट्स स्टूडेंट्स के लिए दिन शानदार रहने वाला है। आज आपकी बातों से लोग काफी इम्प्रेस होंगे। आपको कोई बड़ा फायदा होने के संकेत हैं। दांपत्य जीवन में खुशियां आयेंगी। जीवनसाथी आज आपसे पहले किये वादे को पूरा करेंगे।
- शुभ रंग- बैंगनी
- शुभ अंक- 2
वृष राशि-
आज नये कार्यों में आपकी रुचि बढ़ेगी, जिससे आपको कुछ नया सीखने को मिलेगा। आपका आर्थिक पक्ष पहले की अपेक्षा और भी अधिक मजबूत होगा। बच्चों के साथ आप कहीं घूमने की प्लानिंग करेंगे। आज आपको धन लाभ के बड़े अवसर मिलेंगे। किस्मत के सहयोग से आपका कोई खास काम पूरा होगा। आज का दिन व्यावसायिक प्रगति के लिए अनुकूल है। किसी दोस्त से मिलने का मौका मिलेगा। बातचीत के दौरान कुछ पुरानी यादें ताजा होंगी।
- शुभ रंग- गुलाबी
- शुभ अंक- 6
मिथुन राशि-
आज आपकी कम्पनी को किसी बड़ी कंपनी से डील करने का ऑफर मिलेगा। संगीत से जुड़े लोग किसी कॉन्सर्ट में हिस्सा लेंगे। घर पर अचानक किसी मेहमान के आने की संभावना है। आज आप अपने रिश्तों को मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे। मित्रों के साथ बैठकर अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए बातचीत करेंगे। आज आपका कोई जरूरी काम पूरा हो जायेगा। कार्यों में माता-पिता का सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों को बड़ी सफलता मिलने वाली है।
- शुभ रंग- ग्रे
- शुभ अंक- 1
कर्क राशि-
आज ऑफिस में एक्सट्रा वर्क करने से रुका हुआ काम पूरा हो जायेगा। आज किसी तरह के तर्क-वितर्क में पड़ने से आपको बचना चाहिए। आज आप किसी तरह के विचारों में खोये रहेंगे, बेहतर होगा बेवजह ना सोचे। आय के स्रोतों में स्थिरता बनी रहेगी। आज आप अपने घर के बड़े-बुजुर्गों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। ऑनलाइन व्यापार कर रहे लोगों को आज कोई बड़ा ऑर्डर मिलने का योग बना हुआ है।
- शुभ रंग- नारंगी
- शुभ अंक- 6
सिंह राशि-
आज कोई खास खबर मिलने के योग हैं। लॉ स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई-लिखाई में थोड़ा बदलाव करने की सोच सकते हैं, जो कि उनके भविष्य के लिए फायदेमंद साबित होगा। आज आपको अपने खान-पान में थोड़ी सावधानी रखने की जरूरत है। जंक-फूड खाने से आपको बचना चाहिए। आर्थिक लाभ पाने के लिए आपको मेहनत करनी पड़ेगी। छोटे बच्चों को पिता से कोई अच्छा-सा उपहार मिलने की संभावना है। ड्राईफ्रूट का व्यापार कर रहे लोगों को आज उम्मीद से अधिक मुनाफा होने वाला है।
- शुभ रंग- पीला
- शुभ अंक- 5
कन्या राशि-
आज आप धार्मिक कार्यों में रुचि लेंगे। आज सोशल साइट के जरिये नए लोगों से आप जुड़ेंगे। किसी काम के लिए योजना बनाने और फैसले लेने के लिए दिन शुभ है। आज बच्चे खेलकूद में व्यस्त रहेंगे। आर्थिक रूप से आप काफी सक्षम रहेंगे। दूसरों की समस्याएं सुलझाने में आप ख़ुशी महसूस करेंगे। आज बिजनेस के किसी काम से की गई यात्रा सार्थक रहेगी। हर कोई आपकी बातों को ध्यान से सुनेगा। नौकरी में तरक्की के उचित अवसर मिलेंगे।
- शुभ रंग- नीला
- शुभ अंक- 3
तुला राशि-
आज आपका दिन परिवार वालों के साथ बीतेगा। आज आपको जरूरतमंद लोगों की मदद करने का मौका मिलेगा। कार्यों में आ रही रुकावटें आज समाप्त हो जाएगी। आज गुस्से में किसी से बात करने से आपको बचना चाहिए। आज आपकी आर्थिक स्थिति ठीक-ठाक रहेगी। आज धैर्य और सही सोच आपको आगे बढ़ने में आपकी मदद करेगी। लवमेट के लिए आज का दिन शानदार रहने वाला है। कहीं घूमने का प्लान बनायेंगे। जीवनसाथी आज खुश होने की वजह देंगे।
- शुभ रंग- गोल्डन
- शुभ अंक- 1
वृश्चिक राशि-
आज आपकी सारी इच्छाओं की पूर्ति होगी। व्यापार के सिलसिले में आज आपको दूसरे शहर की यात्रा करनी पड़ सकती है। संतान पक्ष से सुख की अनुभूति होगी, जिससे आपकी खुशियाँ बढ़ेंगी। आज ऑफिस में
आपको जिम्मेदारी वाला काम मिलेगा, जिसे पूरा करने पर आपको फायदा होगा। आपको बॉस से इंसेंटिव मिल सकता है। कॉमर्स के विद्यार्थियों के लिए आज का दिन बेहतर रहेगा। किसी सवाल में आ रही समस्या आसानी से सॉल्व हो जायेगी। आर्थिक क्षेत्र में आपको तरक्की मिलेगी।
- शुभ रंग- नीला
- शुभ अंक- 8
धनु राशि-
आज किसी प्रभावशाली व्यक्ति से आपकी मुलाकात होगी। अगर आप किसी को पसंद करते हैं और उससे अपने दिल की बात कहना चाहते हैं तो आज का दिन फेवरेबल है। आपको सफलता जरूर मिलेगी। व्यापार में आपको अचानक धन लाभ का अवसर प्राप्त होगा। ऑफिस के सहकर्मी आपके काम में सपोर्ट करेंगे। आज आपको उम्मीद से अधिक लाभ मिलेगा। पारिवारिक रिश्तों के बीच आप सामंजस्य बनाने में सफल रहेंगे। शाम को बच्चों के साथ अच्छा टाइम बीतेगा।
- शुभ रंग- सिल्वर
- शुभ अंक- 7
मकर राशि-
आज पारिवारिक जिम्मेदारियों को अच्छी तरह निभायेंगे। हर किसी से निजी समस्याओं को शेयर करने से आपको बचना चाहिए। इस राशि की महिलाओं को शाम को बाहर निकलते समय अपने पर्स का खास ध्यान रखना चाहिए। आपके द्वारा किये गए सामाजिक कार्यों के लिए आज आपको सम्मानित किया जायेगा। आज आप किसी नये बिजनेस में पैसा लगाने के बारे में विचार करेंगे। आज आप घर के जरूरतों का सामान खरीदेंगे। आज आप ज्यादा ऑयली खाने से बचें।
- शुभ रंग- सफेद
- शुभ अंक- 6
कुंभ राशि-
आज आपको परिवार वालों का पूर्ण स्नेह और सहयोग प्राप्त होगा। आपके मित्र बहुत ही मददगार साबित होंगे। आज ऑफिस में आपके ड्रेस की तारीफ होगी, जिससे आप काफी प्रसन्न होंगे। ऑफिस में काम कर रहे किसी सहयोगी से आपकी अच्छी जान पहचान होगी। आज बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। आज आपकी कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होगी। दांपत्य जीवन मधुरता से भरपूर रहेगा। अकाउंट स्टूडेंट्स के लिए दिन फायदेमंद रहने वाला है, आज आपकी मेहनत रंग लाएगी।
- शुभ रंग- हरा
- शुभ अंक- 9
मीन राशि-
आज व्यापार के मामले में आपके मन में नए-नए विचार आएंगे। किसी काम में बड़े भाई की सलाह फायदेमंद साबित होगी। आज परिवार में सब कुछ अच्छा बना रहेगा। आज कुछ खास लोगों से मिलना और बातें करना आपके लिए फायदेमंद साबित होगा। आज आप अपनी समझदारी से किसी भी समस्या का समाधान आसानी से निकाल लेंगे। जीवनसाथी आपकी बातों को महत्व देंगे, जिससे आपको अच्छा महसूस होगा। बड़े-बुजुर्ग आपके फैसलों में साथ रहेंगे। कुल मिलाकर आज आपका दिन अच्छा रहेगा।
- शुभ रंग- लाल
- शुभ अंक- 4
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रक्षाबंधन, जन्माष्टमी समेत अगस्त माह में मनाए जाएंगे ये प्रमुख व्रत-त्योहार..
अंग्रेजी कैलेंडर का 8 वां महीना अगस्त शुरू होने वाला है. वैदिक पंचांग के अनुसार अगस्त महीने की शुरुआत भगवान शिव को अत्यंत प्रिय मास सावन के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि से हो रही है. व्रत,पर्व और त्योहार के लिहाज से यह महीना बेहद खास है. इस महीने में कई प्रमुख व्रत और त्योहार हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अगस्त महीने में कुल 15 प्रमुख व्रत और त्योहार हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि अगस्त महीने में 19 तारीख तक सावन और फिर उसके बाद भाद्रपद महीने की शुरुआत होगी. वैदिक पंचांग के मुताबिक, इस महीने में सावन की शिवरात्रि, हरियाली तीज, नाग पंचमी, रक्षाबंधन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, एकादशी जैसे अहम पर्व पड़ रहे हैं. आइये जानते हैं अगस्त महीने के व्रत-त्योहार की पूरी लिस्ट काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय से…
अगस्त 2024 (शुक्रवार)- सावन शिवरात्रि
4 अगस्त 2024 (रविवार)- सावन अमावस्या
5 अगस्त 2024 (सोमवार)- सावन का तीसरा सोमवार व्रत
6 अगस्त 2024 (मंगलवार)-मंगला गौरी व्रत
7 अगस्त 2024 (गुरुवार) -सावन हरियाली तीज
9 अगस्त 2024 (शुक्रवार) -नाग पंचमी
11 अगस्त 2024 (रविवार)- भानु सप्तमी, गोस्वामी तुलसीदास जयंती
12 अगस्त 2024 (रविवार)-सावन का चौथा सोमवार व्रत
13 अगस्त 2024 (मंगलवार)-चौथा मंगला गौरी व्रत
16 अगस्त 2024 (शुक्रवार)- पुत्रदा एकादशी व्रत
19 अगस्त 2024 (सोमवार) -सावन पूर्णिमा, रक्षाबंधन, सावन का अंतिम सोमवार व्रत,
22 अगस्त 2024 (गुरुवार)-हरितालिका तीज व्रत
24 अगस्त 2024 (शुक्रवार)-बलराम जयंती
26 अगस्त 2024 (रविवार)-श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व
29 अगस्त 2024 (गुरुवार)-अजा एकादशी व्रत
आस्था
विश्व का पहला शिवलिंग, जहां नहीं हैं नंदी! देर रात सुनाई देती है घंटियों की आवाज..
श्रावण के पवित्र महीने में भोलेनाथ की पूजा, आराधना का विशेष महत्व रहता है. श्रद्धालु चार धाम, 12 ज्योतिर्लिंगों सहित प्राचीन मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं. ऐसा ही एक अति प्राचीन शिव मंदिर मध्य प्रदेश के खरगोन में मौजूद है. कई रहस्यों से भरे गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के बारे में एक कथा के अनुसार, यहां मौजूद शिवलिंग स्वयं भगवान शिव और माता पार्वती द्वारा स्थापित किया गया है. किवदंती है कि, यही विश्व का पहला शिवलिंग है. दरअसल, यह मंदिर खरगोन जिला मुख्यालय से 50 km दूर नर्मदा नदी के किनारे बसी पवित्र नगरी मंडलेश्वर में मौजूद है. एक छोटी सी गुफा में यह दिव्य शिवलिंग विराजमान है. जिसे अनादि काल में ऋषियों के दिए एक श्राप से मुक्ति पाने के लिए शिव पार्वती ने स्थापित किया था. पूरे साल मां नर्मदा इस शिवलिंग का जलाभिषेक करती हैं.
इसलिए ऋषियों ने शिव को दिया श्राप
मंदिर के पुजारी परमानंद केवट बताते हैं कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, पहले यह क्षेत्र दारुकावन के नाम से जाना जाता था. तब भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्वी लोक भ्रमण करते हुए यहां पहुंचे थे. वन में ब्राह्मण ऋषि तपस्या कर रहे थे, ऋषियों की पत्नियां भी यहां मौजूद थीं. किसी बात को लेकर पार्वती भोलेनाथ से ऋषियों की तपस्या भंग करने की जिद्द कर बैठीं. शिव ने बाल रूप लिया और नग्न अवस्था में नृत्य करने लगे. शिव का नृत्य देख ऋषियों की पत्नियां प्रभावित हुई. यह देख ऋषियों को गुस्सा आया और शिव को श्राप दे दिया. शिव का लिंग शरीर से अलग होकर गिर गया. तभी ब्रह्म और विष्णु प्रकट हुए और ऋषियों को शिव के बारे में बताया. तब ऋषियों ने शिव को पुनः लिंग प्राप्त करने का मार्ग बताया.
शिवलिंग में समाहित हैं भोलेनाथ
ऋषियों के बताए उपाय अनुसार, शिव और पार्वती ने पास बह रही नर्मदा से एक पत्थर लिया और उसे अनादि लिंग के रूप में स्थापित किया. इसी शिवलिंग में भोलेनाथ समाहित हो गए. चूंकि ऋषियों ने कहा था कि शिवलिंग पर जब महिलाएं जल चढ़ाएंगी, पूजा करेंगी, तब धीरे-धीरे श्राप का असर कम होगा.
पुराणों में भी मिलता है उल्लेख
बता दें कि, एक गुफा में होने से यह शिवलिंग गुप्तेश्वर महादेव के नाम से प्रख्यात हुआ. नर्मदा पुराण, रेवाखंड, भागवत गीता में भी इस मंदिर का उल्लेख है. नर्मदा परिक्रमा के दौरान इस शिवलिंग का दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है. शिवलिंग के पास ही माता पार्वती की जगह नर्मदा की प्रतिमा है. क्षेत्र का यह इकलौता मंदिर है जहां नंदी भी नहीं हैं.
रात में सुनाई देती है घंटी की आवाज
पुजारी के अनुसार, शिव ऋषि अगस्त्य मुनि के इष्ट देव हैं. वे रात में यहां पूजा के लिए आते हैं. रात के समय घंटियों और आरती की आवाज़ सुनाई पड़ती है. सन 1984 में बंगाल के चंदनपुरी बाबा यहां आए थे. उन्होंने ही मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. बाबा का मानना था कि यही दुनिया का पहला शिवलिंग है और यहीं से शिव पूजा प्रारंभ हुई है.
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