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राज्य सरकार स्वच्छ छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्ध: भूपेश बघेल

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रायपुर, 24 जून 2020/ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज रायपुर नगर निगम द्वारा निर्मित छत्तीसगढ़ के वृहद ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र का अपने रायपुर निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ई-लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने बटन दबाकर ग्राम सकरी में लगभग 127 करोड़ रूपए की लागत से निर्मित संयंत्र जनता को समर्पित किया। छत्तीसगढ़ के इस सबसे बड़े ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र में रोज 500 टन कचरे का वैज्ञानिक पद्धति से निपटान किया जाएगा। इस पूरी परियोजना की लागत 197 करोड़ रूपए है। यह संयंत्र पीपी माडल पर कार्य करेगा। इस संयंत्र में कचरे से खाद बनेगी तथा सीमेंट कारखानों के लिए सहायर्क इंधन भी मिलेगा। इस संयंत्र में 6 मेगावाट बिजली उत्पादन भी प्रस्तावित है। 15 साल की इस परियोजना पर नगर निगम रायपुर और नई दिल्ली की एम एस डब्ल्यू साल्यूशन लिमिटेड मिलकर काम कर रहे हैं। परियोजना में हर घर और दुकान से डोर-टू-डोर कचरे का संग्रहण, परिवहन, प्रोसेसिंग और डिस्पोजल की व्यवस्था की गई है।
शुभारंभ कार्यक्रम को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने रानी दुर्गावती को उनके बलिदान दिवस पर नमन करते हुए कहा कि रायपुर नगर निगम क्षेत्र में आज छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र जनता को समर्पित किया जा रहा है। इस संयंत्र में 500 टन कचरे का प्रतिदिन निपटान होगा। इस संयंत्र के लोकर्पण के बाद छत्तीसगढ़ भारत का ऐसा पहला राज्य बन जाएगा, जहां किसी शहर में उत्सर्जित कचरे का शत प्रतिशत निपटान वैज्ञानिक तरीके से किया जाएगा। श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के रायपुर और बिलासपुर शहरों में एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली से एवं शेष नगरीय निकायों में मिशन क्लीन सिटी तथा स्वच्छता दीदीयों के माध्यम से प्रतिदिन 1600 टन कचरे का निपटान किया जाता है। राज्य सरकार स्वच्छ छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को पूर्ण करते हुए सभी शहरों में कचरे के वैज्ञानिक निपटान के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के दौरान गांव के साथ शहरों में नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और कर्मचारियों ने अपने कर्तव्य का बखूबी निर्वहन किया, लेकिन खतरा अभी टला नही है सावधानी अभी जरूरी है। बारिश के मौसम के साथ नाले एवं नालियों की साफ-सफाई आदि कार्य आवश्यक है। इस कार्य के लिए राज्य सरकार शहरी क्षेत्रों में प्राथमिकता से कार्य कर रही है। राज्य सरकार पौनी पसारी योजना, शहरी गरीबों को पट्टा देने, पुराने पट्टों का नियमितिकरण और मालिकाना हक देने का कार्य कर रही है। छत्तीसगढ़ के नगरीय क्षेत्र में साफ-सफाई के लिए एक महत्वपूर्ण कदम आप सब ने उठाया है। जितने भी कर्मचारी इस कार्य में लगे हैं उनको बधाई और शुभकामनाएं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री निवास पर कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ.शिवकुमार डहरिया, राज्यसभा सांसद श्रीमती छाया वर्मा, मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी और नगरीय प्रशासन विभाग की सचिव श्रीमती अलरमेल मंगई डी. सहित वरिष्ठ अधिकारी और सकरी स्थित संयंत्र स्थल पर लोक सभा सांसद  सुनील सोनी, विधायक सर्वश्री सत्यनारायण शर्मा, विकास उपाध्याय, नगर निगम रायपुर के महापौर  एजाज ढेबर, सभापति प्रमोद दुबे, एमआईसी सदस्य खाद्य  नागभूषण राव सहित नगर निगम के अनेक पार्षद, नगर निगम रायपुर के आयुक्त  सौरभ कुमार सहित अनेक अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।
राजधानी रायपुर को साफ सुथरा रखने के लिए एक केंद्रीकृत तंत्र की आवश्यकता को देखते हुए तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 और एनजीटी के निर्देशों के तहत नगर पालिक निगम रायपुर और दिल्ली की एम एस डब्ल्यू साल्यूशन लिमिटेड के बीच शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एकीकृत ठोस अपशिष्ट योजना के क्रियान्वयन हेतु 22 फरवरी 2018 को अनुबंध किया गया। जिसमें संस्था द्वारा प्रत्येक आवासीय एवं वाणिज्यिक संस्थानों से डोर टू डोर कचरा संग्रहण परिवहन और कचरे की प्रोसेसिंग और डिस्पोजल तक का कार्य किया जाएगा। यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा प्लांट है, जिसमें प्रतिदिन 500 टन कचरे का निष्पादन किया जाएगा। प्लांट परिसर में पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम हेतु किए गए वृहद वृक्षारोपण से वातावरण को स्वच्छ एवं सुंदर बनाया जा रहा है। यह प्लांट शहर को कचरे की समस्या से निजात दिलाएगा। प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित होने से स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत स्वच्छता सर्वेक्षण में रायपुर नगर के स्वच्छता रैंकिंग में सुधार होगा। कचरे के वैज्ञानिक पद्धति से प्रसंस्करण से प्रदूषण पर नियंत्रण होगा। डोर-टू-डोर कलेक्शन में लगी गाड़ियों के माध्यम से घरों एवं दुकानों से कचरा कलेक्शन के साथ ही वाहन पर लगे स्पीकर से स्वच्छता संदेश स्लोगन तथा मुनादी संदेश जैसे पीलिया, डेंगू, मलेरिया आदि बीमारियों के रोकथाम के उपाय और अन्य सूचना का प्रचार-प्रसार भी किया जाता है। इस परियोजना की अवधि 15 वर्ष की होगी और पीपीपी मोड पर कार्य होगा।
सम्पूर्ण परियोजना पर शासन द्वारा चरणबद्ध तरीके से 20 करोड़ रूपए अनुदान के रूप में उपलब्ध कराया जा रहा है। संस्था द्वारा नगर में 14 अप्रैल 2018 से कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। वर्तमान स्थिति में संस्था द्वारा सभी 70 वार्डो से डोर टू डोर कचरा संग्रहण परिवहन का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य में कंपनी की 220 टाटा एस गाड़ियां, 29 पोर्टेबल कम्पेक्टर एवं 6 हुक लिफ्टर, 4 रिफ्यूज कम्पेक्टर, 6 टिप्पर, 2 जेसीबी को लगाया गया है। सभी डोर टू डोर गाड़ियां 9 ट्रांसफर स्टेशन में आती है और वहां स्थित पोर्टेबल कम्पेक्टर में गाड़ी खाली करती है। जिन्हें बाद में बड़े हुक लिफ्टर की मदद से प्रोसेसिंग प्लांट सकरी में ले जाया जाता है। इसके साथ ही कंपनी को 67 एकड़ की जमीन भी 15 साल की लैंड लीज समझौते के तहत दी गई है। संस्था द्वारा विधिवत परियोजना के अनुरूप प्रोसेसिंग प्लांट और साइंटिफिक लैंडफिल का कार्य किया गया। इस प्रोसेसिंग प्लांट में 75 एमएम 2 ट्रामेल, 25 एमएम के दो ट्रामेल और 4 एमएम के 2 ट्रामेल, वृहद आकर के निर्मित शेड के नीचे लगाया गया है। जो कि है ट्रिपिंग फ्लोर है। संग्रहण किए गए कूड़े को लिफ्ट मशीन की मदद से ट्रामेल में डाल कर पृथक किया जाएगा, 75 एमएम से अधिक के सूखा कचरा से आरडीएफ बनाकर उसे सीमेंट फैक्ट्री को भेजा जाएगा।
ट्रामेल में पृथक हुआ गीला कचरा विडरोेज में रखा जाएगा। जहां पर ढेर बनाकर कर उसे 28 दिनों तक काम्पोस्टिंग के लिए रखा जाएगा। जिसमें नमी और तापमान सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे इसके कंपोस्ट बनने की प्रक्रिया में तेजी आएगी। इसके बाद पुनः उस गीले कचरे को 25 एमएम और 4 एमएम की ट्रामेल में प्रोसेस किया जाएगा और अंततः खाद के रूप में अंतिम उत्पाद मिलेगा। राम की शक्ति के नाम से संस्था द्वारा खाद उत्पाद तैयार कर विभिन्न फर्टिलाइजर कंपनियों को विक्रय किया जाएगा। इस उत्पाद खाद को आसपास के किसानों को भी बागवानी एवं खेती के लिए इस खाद का विक्रय किया जा सकता है।
इस प्रोसेसिंग प्लांट की निकलने वाले आरडीएफ लगभग 300 मीट्रिक टन प्रतिदिन होगा। जिसका उपयोग संस्था द्वारा अनुबंधित सीमेंट कारखाना या अन्य औद्योगिक संस्थानों में सहायक ईंधन के रूप में किया जाएगा। इस प्रोसेसिंग कार्य के उपरांत कुड़े से बचे हुए करीब 15 से 20 प्रतिशत रिजेक्ट कूड़ा को जिसका कोई उपयोग नहीं होता, उसे साइंटिफिक लैंडफिक में एकत्र किया जाएगा और वैज्ञानिक पद्धति अनुरूप इसका निष्पादन किया जाएगा। कूड़े से निकलने वाले लीचेट को लीचेट ट्रीटमेंट प्लांट में प्रोसेस कर ट्रिटेड वाटर का उपयोग प्लांट परिसर के भीतर बागवानी एवम ग्रीन बेल्ट मशीनरी तथा फ्लोर धोने के लिए उपयोग किया जाएगा। इस योजना में ठोस अपशिष्ट में विद्युत उत्पादन करने हेतु 6 मेगावाट के विद्युत उत्पादन संयत्र का प्रावधान भी किया गया है। यह छत्तीसगढ़ का प्रथम ठोस अपशिष्ट से विद्युत उत्पादन का संयंत्र होगा।

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G-20 शिखर सम्मेलन के मद्देनजर मेट्रो के समय में बदलाव किया गया है,सभी स्कूल 3 दिनों के लिए बंद कर दिए गए..

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G-20 शिखर सम्मलेन के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली बिल्कुल तैयार है. उसे दुल्हन की तरह सजाया गया है. प्रगति मैदान का भारत मंडपम रोशनी में नहाया हुआ है. इस बीच सुरक्षा के भी कड़ें इंतजाम किए गए हैं. साथ ही साथ दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त (यातायात) एसएस यादव ने बुधवार को लोगों से अपील की है कि वे जी-20 शिखर सम्मेलन के मद्देनजर पैदल चलने, साइकिल चलाने और पिकनिक जैसी गतिविधियों के लिए इंडिया गेट और कर्तव्य पथ पर न आएं. उनका कहना है कि इंडिया गेट और कर्तव्य पथ को “नियंत्रित क्षेत्र में नामित” किया गया है.

उन्होंने कहा कि हमने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) से लोगों को असुविधा से बचाने के लिए सुबह 4 बजे से ट्रेनें संचालित करने का भी अनुरोध किया है. इसके बाद डीएमआरसी की ओर से कहा गया कि दिल्ली मेट्रो ट्रेन सेवाएं तीन दिनों के लिए यानी 8 से 10 सितंबर तक सभी लाइनों के टर्मिनल स्टेशनों से सुबह 4 बजे से शुरू होंगी. ट्रेनें सुबह 6 बजे तक सभी लाइनों पर 30 मिनट की फ्रीक्वेंसी के साथ चलेंगी. सुबह 6 बजे के बाद सभी लाइनों पर मेट्रो ट्रेनें पूरे दिन टाइम टेबल के मुताबिक चलाई जाएंगी.

3 मेट्रो स्टेशन की पार्किंग रहेगी बंद..

इस अवधि के दौरान सुप्रीम कोर्ट मेट्रो स्टेशन को छोड़कर सभी मेट्रो स्टेशन आम जनता के लिए खुले रहेंगे. सुप्रीम कोर्ट मेट्रो स्टेशन पर सुरक्षा कारणों के चलते 9 और 10 सितंबर को यात्रियों को चढ़ने व उतरने की अनुमति नहीं होगी. हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों की ओर से निर्देश दिए जाने के बाद वीवीआईपी प्रतिनिधिमंडलों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली जिले में कुछ स्टेशनों पर एंट्री और एग्जिट गेट पर थोड़े समय के लिए प्रतिबंध लगाया जा सकता है. इसके अलावा पार्किंग की बात की जाए तो नई दिल्ली जिले में पड़ने वाले तीन मेट्रो स्टेशनों को छोड़कर सभी मेट्रो स्टेशनों पर पार्किंग भी सामान्य रूप से उपलब्ध रहेगी. इन तीन स्टेशनों में सुप्रीम कोर्ट, पटेल चौक और राम कृष्ण आश्रम मार्ग शामिल हैं.

जी-20 की बैठक को देखते हुए दिल्ली सरकार ने स्कूलों की छुट्टियों का ऐलान कर दिया है. मंत्री आतिशी ने कहा है कि 8, 9, 10 सितंबर को दिल्ली के सभी ऑफिस बंद रहेंगे. इसके अलावा सभी स्कूल, कॉलेज बंद रहेंगे. वहीं मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया है कि G-20 के लिए दिल्ली सरकार ने 5 अस्पताल डेडिकेट किए हैं. इधर, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 70 और CCTV कैमरे लगाए गए हैं. कुली, ऑटो, टैक्सी चालकों को भी हर तरह की परिस्थितियों के लिए जागरूक किया गया है.

G-20 के कुछ मेहमान जा सकते हैं आगरा..

G-20 को लेकर नोएडा में भी तैयारी की गई है. नोएडा को सजाया गया है. होटल्स में राजदूत और कुछ डेलीगेट रुकेंगे. कुछ विदेशी मेहमान ताजमहल भी जा सकते हैं. उसको लेकर भी नोएडा पुलिस इंतजाम करेगी. नोएडा पुलिस ने ताजमहल जाने के रूट प्लान और फोर्स डेप्लॉयमेंट को फाइनल कर लिया है. साथ ही सड़कों के रूट में परिवर्तन किया जाएगा. बड़ी संख्या में फोर्स को डेप्लॉय किया जा रहा है. नोएडा के दीवारों, अंडरपास और डिवाइडर पर पड़ने वाले पेड़ों को लाइटों और चित्रकारी से सजाया गया.

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अब आसानी से नहीं मिलेगा सिम कार्ड, 1 अक्टूबर से लागू होंगे सख्त नियम..

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टेलीकॉम डिपार्टमेंट भारत में सिम कार्ड को लेकर कई नए नियम लेकर आया है जो लोगों के सिम कार्ड खरीदने और एक्टिव करने के तरीके को और सख्त करने जा रहा है. टेलीकॉम डिपार्टमेंट द्वारा भारत में सिम कार्ड की बिक्री और इस्तेमाल करने के लिए नए नियम जोड़े हैं और और पुराने नियमों में थोड़ा और बदलाव किया गया है. सिम कार्ड को फर्जी तरीके से बेचे जाने पर रोक लगाने के लिए बनाए गए नए नियम 1 अक्टूबर से लागू होंगे. टेलीकॉम कंपनियों को 30 सितंबर के पहले अपने सभी सेल्स सेंटर (POS) का रजिस्ट्रेशन कराना है. नए नियम लागू होने के बाद सिम कार्ड बेचने वाली दुकानों को सावधान रहना होगा. अगर दुकान की तरफ से कोई गड़बड़ होती है तो उस पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा. यहां नए नियों की पूरी डिटेल्स देखें और जानें कि इसके अलावा कोई और क्या बदला गया है.

एक अक्टूबर से लागू होंगे ये नए नियम..

नए नियम को मुताबिक, बड़ी टेलीकॉम कंपनियों को अपने सिम कार्ड बेचने वाली दुकानों की अच्छी तरह जांच करनी होगी. उन्हें ये कंफर्म करना होगा कि दुकानें सभी नियमों को फॉलो करें. इससे चीजों सेफ और सिक्योर रहेंगी. इसके अलावा, टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने कहा है कि असम, कश्मीर और उत्तर पूर्व जैसे कुछ एरिया में टेलीकॉम ऑपरेटर को पहले सभी दुकानों का पुलिस वेरिफिकेशन शुरू करना होगा. वेरिफिकशन के बाद ही वो उन्हें नए सिम कार्ड बेचने की परमिशन दे सकते हैं.

सिम खोने पर या डैमेज होने पर..

सिम कार्ड खोने पर या डैमेज होने पर रिप्लेसमेंट लेने के लिए भी आपको पुलिस वेरिफिकेशन का सामना करना पड़ेगा. ये प्रोसेस वैसा होगा जैसा नया सिम कार्ड लेने पर होता है. नए नियम लाने के पीछे की वजह सिम कार्ड और भी ज्यादा सेफ और सिक्योर बनाना है. ये फैसला देश और देश की सुरक्षा के लिए जरूरी स्टेप है.

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सूरज की ओर बढ़ा आदित्य एल-1,जानें सूर्ययान का ताज़ा अपडेट..

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इसरो का मिशन सूर्ययान यानी आदित्य एल-1 अब सूर्य की ओर बढ़ चला है. 2 सितंबर को हुई लॉन्चिंग के बाद आदित्य एल-1 ने रफ्तार पकड़ी है, अब ISRO ने मंगलवार सुबह जानकारी दी है कि इसका दूसरा मैन्युवर कर दिया गया है और ये यान अभी पूरी तरह से नॉर्मल है. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद आदित्य एल-1 पर हर किसी की नज़रें टिकी थीं और इसरो के कंधों पर ये बड़ी जिम्मेदारी थी.इसरो ने मंगलवार सुबह इस मिशन को लेकर ताजा अपडेट दिया. ISRO ने ट्वीट किया, ‘पृथ्वी से जुड़ा दूसरा मैन्युवर बेंगलुरु स्थित ISTRAC सेंटर से पूरा कर दिया गया है. ISTRAC/ISRO ने मॉरीशस, बेंगलुरु और पोर्ट ब्लेयर में मौजूद अपने ग्राउंड स्टेशन से इसे ट्रैक किया. अब आदित्य एल-1 नए ऑर्बिट में 282 KM*40225 KM की दूरी पर है.’

सूर्ययान का मकसद सूरज के राज को दुनिया के सामने लाना है, सूर्य की कोरोना किरणों, एल-1 पॉइंट के वातावरण और अन्य बातों का अध्ययन करना है. भारत ने अभी तक सूरज को ध्यान में रखते हुए कोई मिशन नहीं लॉन्च नहीं किया था, ये भारत का पहला मिशन है. इससे इतर अगर चंद्रयान-3 की बात करें तो ये मिशन लगभग पूरा हो चुका है. चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर स्लीप मोड में चले गए हैं. अब ये 22 सितंबर का इंतजार करेंगे, जब चांद पर सूर्योदय होगा. प्रज्ञान और विक्रम सूर्य की किरणों में ही काम करते हैं, ऐसे में अगर उन्हें 22 सितंबर को सिग्नल रिसीव होते हैं तो दोनों फिर से उठ सकते हैं और ये मिशन फिर से 14 दिन के लिए काम कर सकता है.

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