हेल्दी लाइफ
*हाथों पर बार-बार सैनिटाइजर के इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर पड़ता है बुरा प्रभाव*
इन दिनों हाथों को धोने के लिए साबुन की जगह हैंड सैनिटाइजर का उपयोग अधिक किया जा रहा है। हैंड सैनिटाइजर कीटाणुओं और बैक्टीरिया को हमारे हाथों से निकाल देता है, साथ ही इसके इस्तेमाल के बाद हाथों से भीनी सी महक भी आती है, लेकिन कुछ लोगों को बार-बार हाथ धोने की आदत सी होती है। ऐसे लोगों को हर छोटे-बड़े काम में हाथ डालने के बाद लगता है कि उनके हाथ सिर्फ पानी से साफ नहीं हो पाएंगे, इसलिए वे बार-बार हाथ साफ करने के लिए हैंड सैनिटाइजर का प्रयोग करते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि हैंड सैनिटाइजर का ज्यादा प्रयोग आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। आइए, आपको बताते हैं बार-बार हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने से आपकी सेहत को क्या नुकसान पहुंच सकता है :
1. हैंड सैनिटाइजर में ट्राइक्लोसान नाम एक केमिकल होता है, जिसे हाथ की स्किन सोख लेती है। इसके ज्यादा इस्तेमाल से यह केमिकल आपकी त्वचा से हुते हुए आपके स्क्त में मिल जाता हैं। रक्त में मिलने के बाद यह आपकी मांसपेशियों के ऑर्डिनेशन को नुकसान पहुंचाता है।
2. हैंड सैनिटाइजर में विषैले तत्व और बेंजाल्कोनियम क्लोराइड होता है, जो कीटाणुओं और बैक्टीरिया को हाथों से बाहार निकाल देता है, लेकिन यह हमारी त्वचा के लिए अच्छा नहीं होता है। इससे त्वचा में जलन और खुजली जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
3. सैनिटाइजर में खुशबू के लिए फैथलेट्स नामक रसायन का इस्तेमाल किया जाता है, इसकी मात्रा जिन सैनिटाइजर में ज़्यादा होती है, वे हमारे लिए हानिकारक होते हैं। इस तरह के अत्यधिक खुशबू वाले सैनिटाइजर लीवर, किडनी, फेफड़े तथा प्रजनन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं।
4. सैनिटाइजर में अल्कोहल की मात्रा होने की वजह से ये बच्चों की सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं, खासकर यदि बच्चे इसे नादानी में निगल लें।
5. इसके ज्यदा इस्तेमाल से त्वचा ड्राई हो जाती है।
6. कई रिसर्च के अनुसार इसका ज्यादा प्रयोग बच्चों की इम्यूनिटी को भी घटाता है।
सेहत
आयुष्मान योजना के तहत बुजुर्गों में होने वाली प्रमुख बीमारियों को मिलेगी बड़ी राहत…
केंद्र सरकार ने बुजुर्गों को बड़ी राहत देते हुए 70 साल से अधिक उम्र वालों को भारत की सबसे बड़ी सरकारी हेल्थ योजना का लाभ देने का फैसला लिया है. इस फैसले के तहत आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य स्कीम में बड़ा बदलाव किया गया है. जहां ये योजना पहले सिर्फ गरीबों के लिए थी वहीं अब 70 साल से ऊपर के अमीर बुजुर्ग भी इसका लाभ उठा पाएंगें. 12 सितंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला लिया गया है.
बुजुर्गों को हेल्थ इंश्योरेंस कवर
अक्सर बुजुर्गों में बढ़ती उम्र के साथ कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है ऐसे में कोई आमदनी न होने की वजह से बुजुर्गों का ठीक से इलाज नहीं हो पाता. ऐसे में इस कवर के तहत बुजुर्ग ठीक से अपना इलाज कराने की स्थिति में होंगे. ये 5 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस कवर हर सरकारी और कुछ चुनिंदा प्राइवेट अस्पतालों में मिलेगा जहां इस योजना का लाभ कवर हो. ऐसे में किसी भी बड़ी बीमारी से बचाव की गुंजाइश पहले के मुकाबले बढ़ जाएगी.
बढ़ती उम्र के साथ बीमारियां
बुजुर्गों में बढ़ती उम्र के साथ कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है जिसका इलाज अपेक्षाकृत महंगा हो जाता है. इसमें सबसे ऊपर है हार्ट संबंधी बीमारियां. बुजुर्गों में अक्सर हाई ब्लड प्रेशर और डायबीटिज के चलते बढ़ती उम्र में हार्ट की गंभीर समस्याएं देखने को मिलती है जिसमें सर्जरी और इलाज में लाखों रूपये का खर्च होता है. इसके बाद दूसरी गंभीर बीमारी है कैंसर जिसमें पुरुषों को इस उम्र में अमूमन प्रोस्टेट कैंसर और महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है. कैंसर का इलाज भी काफी महंगा होता है ऐसे में ये योजना इन लोगों के लिए काफी हितकारी साबित होगी. हार्ट डिजीज और कैंसर के अलावा इस उम्र में अक्सर बुजुर्गों में आर्थराइटिस और गठिया की समस्या देखने को मिलती है. हालांकि इसका इलाज इतना महंगा नहीं है लेकिन ये समस्या बुजुर्गों को काफी लंबे समय तक परेशान करती है जिसके लिए समय पर दवाई लेना आवश्यक हो जाता है.
मोतियाबिंद और डिमेंशिया
आंखों की समस्या भी बढ़ती उम्र के साथ बेहद आम है, इसमें ज्यादातर मामलों में बुजुर्गों को मोतियाबिंद की शिकायत हो जाती है जिसका इलाज सर्जरी के द्वारा किया जाता है. इसकी सर्जरी में भी काफी पैसा खर्च होता है. इन समस्याओं के अलावा डेमेंशिया की बीमारी भी बुजुर्गों में काफी अधिक देखी जाती है. जिसमें न्यूरोलॉजिक्ल समस्याओं के कारण बुजुर्गों की याद्दाश्त कमजोर हो जाती है जिससे उन्हें कोई बात याद रखना बेहद मुश्किल हो जाता है. ये सभी समस्याएं बढ़ती उम्र में काफी सामान्य हैं इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज की समस्याएं बेहद आम है. इन उपरोक्त समस्याओं को देखते हुए सरकार का ये फैसला बुजुर्गों के पक्ष में काफी हितकारी साबित होगा. जिसकी मदद से बुजुर्ग अपना बेहतर इलाज कराने की स्थिति में होंगे.
योजना के तहत इन बीमारियों का कवरेज
इस योजना के तहत बुजुर्गों में होने वाली कई बड़ी और अहम बीमारियों का फ्री में इलाज कराया जा सकेगा. इसमें कैंसर जैसी बड़ी बीमारी के साथ हार्ट डीजिज, किडनी डिजीज, लंग डिजीज और मोतियाबिंद जैसी बीमारियां भी कवर होंगी.
सेहत
पाइल्स और माइग्रेन को जड़ से खत्म कर सकती है यह घास,कई बीमारियों के लिए रामबाण है यह पौधा
हैदराबाद: आज के समय में बड़ी संख्या में लोग बवासीर (Piles) की समस्या से जूझ रहे हैं. बवासीर या पाइल्स एक ऐसा रोग है जिसके बारे में आमतौर पर लोग बात करना पसंद नहीं करते हैं. यहां तक की इसके इलाज के लिए ज्यादातर लोग तब तक डॉक्टर के पास भी नहीं जाते हैं जब तक समस्या काफी ज्यादा नहीं बढ़ जाती है. डॉक्टरों कि मानें तो पिछले कुछ सालों में बवासीर के मरीजों की संख्या में काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है. लेकिन चिंता की बात यह है कि युवाओं में यहां तक कि स्कूल जाने वाले बच्चों में भी इसके मामलों की संख्या बढ़ रही है. डॉक्टर तथा जानकार इसके लिए काफी हद तक खराब और तनावपूर्ण लाइफस्टाइल तथा खराब भोजन संबंधी आदतों को जिम्मेदार मानते हैं.
आयुर्वेद के अनुसार, बवासीर या इस जैसी किसी भी समस्या से बचाव के लिए बहुत जरूरी है कि खानपान पर खास ध्यान रखा जाए, विशेषतौर पर फाइबर तथा अन्य पोषक तत्वों से भरपूर ऐसे आहार का सेवन किया जाए, जिसे पचाना आसान हो और कब्ज जैसी समस्या के होने की आशंका भी कम हो. इसके अलावा डाइट में लिक्विड की मात्रा बढ़ाने से भी काफी लाभ मिलता है. वैसे भी हर दिन भरपूर मात्रा में पानी पीने से सिर्फ कब्ज ही नहीं बल्कि और भी कई तरह की समस्याओं से राहत मिलती है. आयुर्वेद में कहा गया है कि एक्टिव जीवनशैली होना भी बेहद जरूरी है. क्योंकि आलसी या असक्रिय जीवनशैली जीने वाले लोगों को भी यह समस्या होने की सबसे ज्यादा आशंका रहती है.
आयुर्वेद में वैसे तो बहुत से उपाय है इस समस्या से राहत पाने के लिए लेकिन, आयुर्वेद का मानना है कि बवासीर के मरीजों के लिए चांगेरी घास या तिनपतिया घास का सेवन बहुत फायदेमंद होता है. इसमें मौजूद गुण बवासीर को जड़ से समाप्त करने के लिए बहुत फायदेमंद माने जाते हैं. बता दें, चांगेरी घास घरों के आसपास, गार्डन में, पानी वाली जगहों पर आसानी से देखने को मिल सकती है. इसकी पत्तियों का उपयोग बवासीर और पेट से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है. तो चलिए जानते हैं बवासीर में चांगेरी घास के फायदे और इस्तेमाल का तरीका..
कैसा होता है चांगेरी घास का पौधा:- चांगेरी एक तरह की घास या पौधा है, जिसे आयुर्वेद में बहुत फायदेमंद माना जाता है. चांगेरी के पत्तों का स्वाद खट्टा होता है और इसका लैटिन नाम ऑक्सालिस कॉर्निकुलेटा है. चांगेरी के पत्तों में पोटैशियम, कैल्शियम और कैरोटीन भी पाया जाता है. इसके अलावा इसमें ऑक्सालेट और विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में होता है. आइए आपको बताते हैं चांगेरी घास के 5 जबरदस्त फायदे…
बवासीर के मरीजों के लिए रामबाण:- अगर कोई व्यक्ति बवासीर से परेशान है तो उसके लिए चांगेरी घास के पत्ते बहुत फायदेमंद हो सकते हैं. आमतौर पर बवासीर की समस्या उन लोगों को होती है जो ज्यादा मिर्च-मसालेदार खाना या मीठा खाना खाते हैं. चांगेरी के पत्तों का इस्तेमाल करके आप बवासीर में राहत पा सकते हैं. इसके लिए चांगेरी के पत्तों को घी या तेल में भूनकर दही में मिलाकर सेवन करें.
सिरदर्द और माइग्रेन:- चंगेरी के पत्ते सिरदर्द और माइग्रेन के दर्द के लिए बहुत ही अच्छा घरेलू उपाय है. अगर आप भी लंबे समय से सिरदर्द से परेशान हैं, तो चंगेरी का पौधा आपको राहत दे सकता है. इसके लिए चंगेरी के पत्तों को पीसकर उसका रस निकालें और उसमें बराबर मात्रा में प्याज का रस मिलाकर सिर पर लगाएं. यह नुस्खा कुछ ही दिनों में आपके पुराने सिरदर्द को दूर कर देगा.
पेट दर्द:- चंगेरी के पत्तों में एनाल्जेसिक गुण होते हैं. इसलिए पेट दर्द और अन्य शारीरिक दर्द की समस्या में चंगेरी के पत्ते तुरंत लाभ पहुंचाते हैं. इसके लिए आप चंगेरी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं. इसका काढ़ा बनाने के लिए चंगेरी के पत्तों को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। 40 मिलीग्राम काढ़े में 1 ग्राम भुनी हुई हींग मिलाएं और शाम को पिएं. इस काढ़े को पीने से कब्ज, अपच, गैस और पेट दर्द से राहत मिलती है.
सेहत
डार्क चॉकलेट खाने से हाई कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद मिलती है? जानें फायदे
चॉकलेट खाने का ट्रेंड पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है. खुशियों के मौके पर भी लोग मिठाइयों की जगह चॉकलेट गिफ्ट करना पसंद कर रहे हैं. चॉकलेट कई तरह की होती हैं और इसके कई फ्लेवर होते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो डार्क चॉकलेट को सेहत के लिए फायदेमंद माना जा सकता है. डार्क चॉकलेट में अन्य चॉकलेट्स की तुलना में शुगर कम होती है और इसमें फ्लावोनोइड्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. डार्क चॉकलेट में कई फायदेमंद यौगिक होते हैं, इसलिए यह एक बेहतर विकल्प हो सकता है.
डार्क चॉकलेट एक प्रकार की चॉकलेट है, जिसमें कोको (cocoa) की मात्रा मात्रा और शुगर कम होती है. डार्क चॉकलेट अन्य चॉकलेट्स से थोड़ी अलग होती है और इसका ज्यादा हल्का कड़वा होता है. इस चॉकलेट को हाई क्वालिटी के कोको बीन्स से बनाया जाता है और इसमें फ्लावोनोइड्स, एंटीऑक्सीडेंट्स और मिनरल्स की अच्छी मात्रा होती है. अगर आप हाई कोको कंटेंट वाली डार्क चॉकलेट खाते हैं, तो इसमें काफी पोषक तत्व होते हैं. इसमें घुलनशील फाइबर की अच्छी मात्रा होती है. हालांकि डार्क चॉकलेट को बहुत ज्यादा मात्रा में खाने से बचना चाहिए.
1. डार्क चॉकलेट में फ्लावोनोइड्स होते हैं, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल कर सकते हैं. डार्क चॉकलेट खाने से ब्लड फ्लो बेहतर बनाने में मदद मिलती है. यह कोलेस्ट्रॉल कम करने में भी मददगार है. इससे हार्ट डिजीज का खतरा कम हो सकता है.
2. इस चॉकलेट में थियोब्रोमाइन और कैफीन जैसे तत्व होते हैं, जिन्हें मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है. डार्क चॉकलेट खाने से मेंटल अलर्टनेस बढ़ सकती है, जिससे ब्रेन पावर बेहतर हो सकती है.
3. तमाम पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर डार्क चॉकलेट शरीर को खतरनाक फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं. इससे उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी होती है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.
4. मूड को बेहतर बनाने के लिए डार्क चॉकलेट बेहद फायदेमंद है. इसमें सेरोटोनिन और एंडोर्फिन बढ़ाने वाले कंपाउंड होते हैं, जो मूड इंप्रूव कर सकते हैं. डार्क चॉकलेट से तनाव कम होता है और लोग खुश महसूस करते हैं.
5. डार्क चॉकलेट में फ्लावोनोइड्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो त्वचा की सुरक्षा और हाइड्रेशन में मदद करते हैं. इसमें पाए जाने वाले कई तत्व अल्ट्रावॉयलेट किरणों के खतरनाक असर से बचाते हैं.
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