देश-विदेश
अप्रैल महीने में 2.7 करोड़ युवा लोगों ने खोए नौकरी
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल महीने में देश के 2.7 करोड़ युवाओं की नौकरी चली गई, ये युवा 20 से 30 वर्ष के आयु के बीच के हैं। अन्य देशों के मुकाबले भारत में युवाओं की संख्या भी अधिक है।
प्रवासी मजदूरों के पलायन के बीच एक और चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है कि देश में 2.70 करोड़ युवा जिनकी उम्र 20 से 30 साल के बीच हैं, वे अप्रैल महीने में बेरोजगार हो गए हैं। बड़े शहरों में लॉकडाउन के कारण कई कंपनियों के दफ्तर बंद हो गए या फिर वहां वर्क फ्रॉम होम का नियम अपनाया जा रहा है। हो सकता है कि इसी दफ्तर में काम करने वाला युवा हो जिसकी नई-नई नौकरी चली गई हो या फिर किसी मॉल के रेस्तरां में सफाई का काम करने वाला गांव से आया युवक रेस्तरां बंद होने से बेरोजगार हो गया हो।
दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता जैसे महानगरों में कई ऐसे सेक्टर में नौकरी पाने के लिए डिप्लोमा कोर्स कराने वाली संस्थाएं मौजूद हैं, जो 1 से लेकर 2 साल तक का कोर्स कराकर नौकरी देने का ऑफर करती हैं। देश की बजट एयरलाइंस में नौकरी पाने के बाद ट्रेनिंग पूरा कर घर पर बैठे एक 21 साल के युवक ने बताया कि कंपनी ने उन्हें नौकरी से तो नहीं निकाला है लेकिन लीव विदआउट पे (बगैर वेतन छुट्टी) पर भेज दिया है।
इस युवक ने दिल्ली के एक निजी संस्था से डिप्लोमा इन एविएशन, हॉस्पिटैलिटी एंड ट्रैवल मैनेजमेंट का कोर्स इसी साल पूरा किया है। युवक के कई साथी कर्मचारी भी इस तरह से घर पर बैठे हैं। उनके मुताबिक कंपनी ने कहा है कि हालात सामान्य होने के बाद ही उन्हें नौकरी पर आने के बारे में सूचित किया जाएगा।
लॉकडाउन के कारण कारखाने बंद हो गए, दफ्तरों का काम घर से होने लगा और व्यावसायिक केंद्र भी बंद हो गए। इतनी कम उम्र में नौकरी जाना न केवल युवाओं के लिए चिंता की बात है बल्कि नई नौकरी तलाशना भी चुनौतीभरा काम है। इस उम्र में ही लोग अपना करियर स्थापित करते हैं।
25 मार्च से लागू लॉकडाउन के कारण कई सेक्टर प्रभावित हुए हैं। इनमें दुकानें, फैक्टरियां, बाजार, रेस्तरां, होटल और पर्यटन शामिल हैं। कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण लाखों लोग अपने गृह राज्य की तरफ लौट रहे हैं। सिंपली एचआर सॉल्यूशंस के मैनेजिंग पार्टनर रजनीश सिंह के मुताबिक अन्य सेक्टरों के मुकाबले ऐसे सेक्टरों पर ज्यादा प्रभाव पड़ा है, जो युवाओं को नौकरी पर रखते हैं, जैसे कि पर्यटन, रिटेल, हॉस्पिटैलिटी, एविएशन इत्यादि।
लंबा वक्त लगेगा पटरी पर आने में
इन व्यवसायों को पूरी तरह से बहाल होने में लंबा वक्त लगेगा। इस अनिश्चितता के बीच नौकरियां भी अनिश्चित हैं। इस स्थिति में सरकार और कॉर्पोरेट की भूमिका अहम हो गई है। रजनीश सिंह कहते हैं कि हम उम्मीद कर सकते हैं कि इन सेक्टरों में भी एहतियात के साथ दोबारा काम शुरू हो ताकि जो श्रमशक्ति अभी खाली बैठी है, उसका इस्तेमाल हो सके।
इसी के साथ हमें इस बात के लिए भी तैयार रहना होगा कि कंपनियां 100 फीसदी लोगों को काम पर नहीं लगाने जा रही हैं। सोशल डिस्टेंसिंग नियम का पालन करने का मतलब है कि कर्मचारियों की संख्या कम होगी। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अगले 2-3 महीने स्थिति विकट हो सकती है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में मासिक बेरोजगारी दर 24 प्रतिशत दर्ज की गई जबकि यह मार्च में 8.74 प्रतिशत थी। 3 मई को समाप्त हुए सप्ताह में बेरोजगारी दर 27 फीसदी थी। आंकड़े बताते हैं कि देश में फिलहाल 11 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हैं।
सीएमआईई के उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वे के डाटा के मुताबिक नौकरियां गंवाने वाले लोगों में 20 से 24 साल की उम्र के युवाओं की संख्या 11 फीसदी है। सीएमआईई के मुताबिक 2019-20 में देश में कुल 3.42 करोड़ युवा काम कर रहे थे, जो अप्रैल में 2.9 करोड़ रह गए। इसी तरह से 25 से 29 साल की उम्र वाले 1.4 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई। 2019-20 में इस वर्ग के पास कुल रोजगार का 11.1 फीसदी हिस्सा था लेकिन नौकरी जाने का प्रतिशत 11.5 फीसदी रहा। अप्रैल में 3.3 करोड़ पुरुष और महिलाओं की नौकरी चली गई। इसमें से 86 फीसदी नौकरियां पुरुषों की गईं।
उद्योग के जरूरी और गैरजरूरी सेक्टर
रजनीश सिंह कहते हैं कि लॉकडाउन के नियमों ने जरूरी और गैरजरूरी चीजों को बहुत अच्छे तरीके से परिभाषित कर दिया। जो जरूरी सेक्टर के तहत आते हैं, वे तो प्रभावित नहीं हुए हैं लेकिन उनको बहुत चुनौती का सामना करना पड़ा है, जो गैरजरूरी सेक्टर में आते हैं। ऐसे युवाओं के लिए यह खराब समय साबित हो रहा है, जो अपना भविष्य बनाने के लिए निकले थे। कुछ लोगों को दिए गए नौकरी के ऑफर भी वापस लिए जा चुके हैं।
ऐसे में छात्रों और नौकरी की तलाश में जुटे लोगों के लिए बस यही कहा जा सकता है कि वे सब्र से काम लें। दूसरी ओर कोरोना और लॉकडाउन के कारण औद्योगिक उत्पादन दर भी 16.7 फीसदी तक सिकुड़ गया है। 12 मई को ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने और किसानों, श्रमिकों, मध्यम वर्ग समेत समाज के सभी प्रभावित वर्गों और क्षेत्रों को राहत देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा है।
2008 की मंदी के बाद कोविड-19 की वजह से पहली बार बाजार में इतना ज्यादा निराशाजनक माहौल है। लोग वायरस को लेकर तनाव में तो हैं ही, साथ ही उन्हें नौकरी जाने के खतरे के बारे में भी सोचना पड़ रहा है। जानकारों का कहना है कि नौकरी जाने से वंचित तबके ज्यादा प्रभावित होंगे, क्योंकि उन्हें घर चलाने के लिए कर्ज के चक्र में फंसना होगा।
रजनीश कहते हैं कि यह अभूतपूर्व संकट है और इसमें हमें संयम के साथ काम लेना होगा। उनके मुताबिक इस वक्त का सही इस्तेमाल करते हुए हम नए कौशल सीख सकते हैं, कुछ ऐसे भी सेक्टर हैं जिनमें संभावनाएं अधिक होने वाली हैं, जैसे कि हेल्थकेयर। हमें अपने करियर का ट्रैक बदलने और बाजार में प्रासंगिकता रखने वाली चीजों के लिए तैयार रहना होगा। भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणब सेन के मुताबिक कोरोना संकट के खत्म होने के बाद भी आर्थिक संकट से छुटकारा पाना मुश्किल है। उनके मुताबिक इस स्थिति से उबरने में कई साल लग जाएंगे।
खेल
न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज के लिए टीम इंडिया का ऐलान, इस खिलाड़ी को बनाया गया कप्तान
एक तरफ भारतीय पुरुष टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेलने में व्यस्त है। वहीं, दूसरी तरफ भारतीय महिला टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ 24 अक्टूबर से वनडे सीरीज का आगाज करेगी। इस वनडे सीरीज के लिए भारतीय महिला टीम का ऐलान कर दिया गया है। वूमेन्स T20 वर्ल्ड कप 2024 में पहले राउंड से ही बाहर होने के बाद टीम इंडिया की ये पहली द्विपक्षीय सीरीज होगी। इस सीरीज के लिए 4 नए चेहरों को मौका दिया गया है। तेजल हसब्निस, प्रिया मिश्रा, साइमा ठाकुर और सयाली सतगारे को पहली बार भारतीय टीम में शामिल किया गया है।
T20 वर्ल्ड कप में खेलने वाली ऋचा घोष, पूजा वस्त्राकर और आशा शोभना को इस सीरीज के लिए टीम में जगह नहीं मिली है। ऋचा घोष अपनी 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के कारण चयन के लिए उपलब्ध नहीं थीं। वहीं, आशा शोभना वर्तमान में चोट से जूझ रही हैं और चयन के लिए उपलब्ध नहीं थीं। पूजा वस्त्रकार को सीरीज से आराम दिया गया है।
न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन वनडे मैचों की सीरीज के लिए भारत की टीम: हरमनप्रीत कौर (कप्तान), स्मृति मंधाना (उपकप्तान), शैफाली वर्मा, दयालन हेमलता, दीप्ति शर्मा, जेमिमा रोड्रिग्स, यास्तिका भाटिया (विकेटकीपर), उमा छेत्री (विकेटकीपर), सयाली सतगारे, अरुंधति रेड्डी, रेणुका सिंह ठाकुर, तेजल हसब्निस, साइमा ठाकुर, प्रिया मिश्रा, राधा यादव, श्रेयंका पाटिल।
देश-विदेश
तमन्ना भाटिया पर ED का शिकंजा, IPL सट्टेबाजी स्कैंडल में हो रही पूछताछ
बॉलीवुड अभिनेत्री तमन्ना भाटिया महादेव सट्टेबाजी एप्लीकेशन पर अवैध आईपीएल मैच स्ट्रीमिंग के कथित प्रचार के संबंध में फंसी हैं। एक्ट्रेस, गुरुवार को गुवाहाटी में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कार्यालय में पूछताछ के लिए पेश हुईं। सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसी द्वारा बुलाए जाने के बाद तमन्ना भाटिया अपनी मां के साथ गुवाहाटी पहुंचीं। इससे पहले भी तमन्ना भाटिया से इस मामले में पूछताछ हो चुकी है। यह दूसरी बार है जब अभिनेत्री को महादेव सट्टेबाजी ऐप से जुड़े होने के कारण जांच का सामना करना पड़ा है। बताया जा रहा है कि एक्ट्रेस से ईडी अधिकारी अभी भी पूछताछ कर रहे हैं। उनकी मां ईडी दफ्तर के बाहर ही उनका इंतजार कर रही हैं।
पहले भी हुई थी पूछताछ
अप्रैल में उन्हें महादेव सट्टेबाजी एप्लीकेशन की सहायक कंपनी फेयरप्ले ऐप पर आईपीएल मैचों को बढ़ावा देने के आरोप में महाराष्ट्र साइबर सेल द्वारा बुलाया गया था। महादेव सट्टेबाजी ऐप कांड ने काफी ध्यान आकर्षित किया है। अधिकारियों ने लगभग 15,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच की है। ऐप ने कथित तौर पर क्रिकेट टूर्नामेंट के आधिकारिक प्रसारक वायकॉम 18 की अनुमति के बिना अवैध रूप से आईपीएल मैचों को स्ट्रीम किया, जिससे काफी वित्तीय नुकसान हुआ है। ऐसे में अब इस मामले में तेजी कार्रवाई हो रही है।
38 लोगों का सामने आया है नाम
तमन्ना भाटिया कथित तौर पर फेयरप्ले ऐप से जुड़ी हुई थीं, जिसे लेकर कहा जा रहा है कि इसने वायकॉम को 1 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। महादेव की सहायक कंपनी के ऐप का समर्थन करने के कारण उन पर जांच की गई। महादेव सट्टेबाजी ऐप कांड में 38 से अधिक लोगों के शामिल होने की बात सामने आई है। ये मामला यह एक बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़ा है। ये ऐप एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है, खेल और मनोरंजन सट्टेबाजी के कई विकल्प प्रदान करता है
देश-विदेश
सोना की कीमत 79,000 के पार, अबतक के टॉप लेवल पर पहुंचा, जानें चांदी का हाल
सोना है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा। सोने की कीमत लगातार आसमान छू रही है। सोना हर रोज नए कीर्तिमान रच रहा है। राष्ट्रीय राजधानी में सोने की कीमत गुरुवार को 450 रुपये बढ़कर 79,350 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। पीटीआई की खबर के मुताबिक, 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाली कीमती धातु बुधवार को पिछले सत्र में 78,900 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, आभूषण विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों की सतत खरीदारी के कारण कीमतें तेज हो गईं। हालांकि, चांदी 93,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर रही।
क्यों नहीं थम रहा सोना
अखिल भारतीय सर्राफा संघ के मुताबिक, लगातार दूसरे दिन तेजी के साथ 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 450 रुपये चढ़कर 78,950 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। व्यापारियों ने कहा कि त्योहारी मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय आभूषण विक्रेताओं की बढ़ी हुई खरीदारी और वैश्विक बाजारों में कीमती धातुओं की कीमतों में तेजी के कारण सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं हैं।
वायदा बाजार में सोना आज
खबर के मुताबिक, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर वायदा कारोबार में दिसंबर डिलीवरी के लिए सोने के अनुबंध 77,019 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए। हालांकि, दिसंबर डिलीवरी के लिए चांदी के अनुबंध 181 रुपये या 0.2 प्रतिशत की गिरावट के साथ 92,002 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गए। एशियाई बाजार के घंटों में, कॉमेक्स सोना वायदा 0.43 प्रतिशत बढ़कर 2,703 डॉलर प्रति औंस हो गया।
क्या कहते हैं जानकार
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज में कमोडिटी रिसर्च के वरिष्ठ विश्लेषक मानव मोदी ने कहा कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में कमजोरी और प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में कटौती की उम्मीद के साथ-साथ चल रहे भू-राजनीतिक संघर्षों से गैर-उपज वाले बुलियन में बढ़त के कारण सोना रिकॉर्ड ऊंचाई की ओर बढ़ गया। यूरोपीय सेंट्रल बैंक गुरुवार को बाद में एक और दर कटौती करने के लिए तैयार है, जबकि मुद्रास्फीति में गिरावट ने बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा अगले महीने दर कटौती का संकेत दिया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक – कमोडिटीज, सौमिल गांधी कहते हैं कि सोना गुरुवार को नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। सुरक्षित निवेश की मांग और लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) के सकारात्मक दृष्टिकोण ने बुलियन कीमतों में हाल की तेजी को समर्थन दिया।
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