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नक्सलवाद के आए बुरे दिन, सुरक्षाबलों की सतर्कता से महिलाओं-बच्चों की नहीं कर पा रहे भर्ती

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छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा सहित विभिन्न नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सली, महिलाओं और बच्चों को अपने कैडर के तौर पर भर्ती करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही है। अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा बल और खुफिया एजेंसियों के बेहतर समन्वय और ग्रामीण इलाकों में आदिवासी समुदाय तक बेहतर पहुंच की वजह से नक्सल गुटों का अभियान धरा रह गया है।

सुकमा और बीजापुर को छोड़कर सुरक्षा बल ज्यादातर कोर इलाकों में अपना प्रभुत्व जमाने में सफल हुए हैं। सुरक्षा बल से जुड़े कर्मियों की ऑपरेशन के दौरान सबसे ज्यादा मौत सुकमा व बीजापुर के इलाकों में ही हुई है। अन्य इलाकों में सुरक्षाबल अपेक्षाकृत मज़बूत स्थिति में हैं।

अधिकारियों के मुताबिक कुछ वर्षों में कई वरिष्ठ नक्सली नेताओं की सुरक्षाबलों के हाथों मौत और गिरफ्तारी की वजह से नक्सली नेतृत्व के संकट से भी जूझ रहे हैं। हताशा में वे कुछ बड़ी घटनाओं और निर्दोष लोगों की हत्या कर अपना प्रभुत्व जमाने की मुहिम में जुटे हैं। इसके चलते सुरक्षाबलों को हर वक्त सतर्क रहने को कहा गया है।

पकड़ में आए ज्यादातर नक्सली छत्तीसगढ़ से
झारखंड में हाल ही में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) समूह की केंद्रीय समिति के सदस्य प्रशांत बोस उर्फ ​​किशन दा और उनकी पत्नी शीला मरांडी की गिरफ्तारी हुई। दोनों को खुफिया एजेंसियों और स्थानीय पुलिस की वर्षों की कड़ी मेहनत के कारण गिरफ्तार करना संभव हुआ। हाल के दिनों में पकड़ में आए ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना में सक्रिय ज्यादातर नक्सली छत्तीसगढ़ से थे।

मिलिंद बाबूराव तेलतुम्बडे सहित 26 नक्सली मारे गए
अधिकारियों के मुताबिक हाल में महाराष्ट्र पुलिस ने जिन 26 माओवादी कैडर को मार गिराया, उनमें शीर्ष भगोड़ा मिलिंद बाबूराव तेलतुम्बडे भी शामिल था। अपने उपनाम ‘जीवा’ और ‘दीपक’ के नाम से जाने जाने वाले तेलतुंबडे भाकपा (माओवादी) के केंद्रीय समिति के सदस्य और नवगठित महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ संगम (एमएमसी) का प्रभारी भी था। मिलिंद तेलतुंबडे ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर, गोंदिया, गढ़चिरौली, नागपुर और यवतमाल जिलों में एक शक्तिशाली नेटवर्क बनाया था। वह जंगल से शहरी क्षेत्रों की ओर बढ़ रहा था। नक्सली यहां से झारखंड तक एक गलियारा बनाना चाहते थे लेकिन उस योजना में सुरक्षाबलों ने सेंध लगा दी।

कई बड़े नक्सली नेता सुरक्षाबलों के रडार पर
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर के जंगलों में केंद्रीय समिति के एक अन्य सदस्य अक्कीराजू हरगोपाल उर्फ ​​रामकृष्ण उर्फ ​​आरके की 14 अक्तूबर को मौत हो गई। इसी तरह कई अन्य बड़े नक्सली नेता सुरक्षाबलों के हत्थे चढ़े और कुछ अन्य रडार पर हैं।

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Gautam Adani के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट और प्रत्यर्पण की हो सकती है कोशिश, जानिए क्या कह रहे US अटॉर्नी

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गौतम अडानी और सात अन्य के खिलाफ करोड़ों डॉलर के रिश्वतखोरी मामले में अमेरिका द्वारा दीवानी व आपराधिक आरोप दायर किए गये हैं। न्यूयॉर्क के एक प्रमुख वकील का कहना है कि मामला काफी आगे बढ़ सकता है और इसके बाद गिरफ्तारी वारंट और यहां तक ​​कि प्रत्यर्पण के प्रयास भी हो सकते हैं। अमेरिकी न्याय विभाग ने गौतम अडानी तथा उनके भतीजे सागर अडानी सहित सात अन्य पर महंगी सौर ऊर्जा खरीदने के लिए आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, इसमें अधिकारियों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है।

प्रत्यर्पण की हो सकती है कोशिश

इन परियोजनाओं से समूह को 20 साल में दो अरब डॉलर से अधिक लाभ होने का अनुमान है। हालांकि, अडानी समूह ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोप ‘निराधार’ हैं और समूह ‘सभी कानूनों का अनुपालन करता है।’ भारतीय-अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने पीटीआई से कहा, “अमेरिकी अटॉर्नी ब्रायन पीस को अडानी और सात अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने और उन देशों में मामला आगे बढ़ाने का अधिकार है, जहां वे रहते हैं।” उन्होंने कहा, “अगर उस देश के पास, जैसा कि भारत के पास है, प्रत्यर्पण संधि है, तो संप्रभु राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय अनुबंध के अनुसार, निवासी राष्ट्र को अमेरिका द्वारा प्रत्यर्पित व्यक्ति को सौंपना चाहिए। एक प्रक्रिया है जिसका निवासी राष्ट्र को अपने कानूनों के अनुरूप पालन करना चाहिए।”

दुर्लभ परिस्थितियों में होता है प्रत्यर्पण

बत्रा ने कहा कि प्रत्यर्पण “अत्यंत दुर्लभ परिस्थितियों में” होता है, जैसा कि चिली के पूर्व राष्ट्रपति ऑगस्टो पिनोशे के मामले में हुआ था। ब्रिटेन ने उन्हें केवल मानवीय आधार पर प्रत्यर्पित नहीं किया। उन्होंने कहा, “अडानी और सात अन्य लोगों से जुड़े इस मामले में पिनोशे की मिसाल लागू होते देखना मुश्किल है।” भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि पर 1997 में हस्ताक्षर किए गए थे। न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी पीस ने 62 वर्षीय अडानी, उनके भतीजे अडानी ग्रीन एनर्जी के डायरेक्टर सागर अडानी तथा कंपनी के पूर्व सीईओ विनीत एस जैन के खिलाफ पांच-अनुसूचित आपराधिक अभियोग की घोषणा की है।

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झारखंड: JMM ने किया जीत का दावा, संभावित सीटों की लिस्ट भी जारी की

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झारखंड में विधानसभा चुनाव 2024 के लिए वोटिंग संपन्न हो चुकी है। भाजपा के नेतृत्व वाले NDA ने चुनाव में जीत का दावा किया है तो वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाली महागठबंधन ने भी विधानसभा चुनाव में जीत का दावा किया है। जेएमएम ने तो शुक्रवार को राज्य में उन विधानसभा सीटों की लिस्ट भी जारी कर दी है जहां उसे उम्मीद है कि महागठबंधन के प्रत्याशियों को जीत हासिल होगी।

कितनी सीटों पर जीत का दावा?

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने लिस्ट जारी करते हुए दावा किया है कि झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव महागठबंधन 81 में से 59 सीटें जीतेगा। उन्होंने कहा है कि राज्य के 24 में से 11 जिलों में एनडीए का खाता नहीं खुलेगा। बाकी बचे राज्य के 13 जिलों में भी एनडीए को एक-एक सीट पर कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा। सुप्रीयो भट्टाचार्य लिस्ट जारी करते हुए ये दावा किया है।

एनडीए की सरकार बनेगी- शिवराज

वहीं, दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री और झारखंड चुनाव में भाजपा के प्रभारी शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को दावा किया है कि भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन झारखंड में अगली सरकार बनायेगा। शिवराज ने दावा किया कि झारखंड में लोग बदलाव चाहते हैं। शिवराज ने हेमंत सोरेन की सरकार पर भ्रष्टाचार, बिगड़ती कानून-व्यवस्था और बढ़ती घुसपैठ से राज्य को बर्बाद करने का आरोप लगाया।

51+ सीटें जीतेंगे- बाबूलाल मरांडी

झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की धनवार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा है। चुनाव के बाद बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी और एनडीए आगे हैं। बाबूलाल मरांडी ने आगे ये भी दावा किया कि बीजेपी और एनडीए 51+ सीटें जीतकर सरकार बनाएगी। मरांडी ने कहा कि विपक्षी दलों को पता चल गया है कि वे बुरी तरह हारने वाले हैं।

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Ayushman Bharat: इस डॉक्यूमेंट के बिना 70+ वाले सीनियर सिटीजन नहीं कर सकते अप्लाई, जानें डिटेल

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वरिष्ठ नागरिकों के लिए बहुप्रतीक्षित आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत हो चुकी है। इस योजना के तहत वरिष्ठ नागरिक 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज के लिए पात्र होंगे। भारत सरकार की इस स्कीम से करीब 4.5 करोड़ परिवारों के 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को सहायता मिलने की उम्मीद है। अगर किसी परिवार में इस योजना के लिए पात्र एक से अधिक वरिष्ठ नागरिक हैं, तो 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा उनके बीच साझा किया जाएगा, यानी कवरेज प्रति परिवार के आधार पर होगा। इस योजना के तहत

आयुष्मान भारत PMJAY

आयुष्मान भारत योजना या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 70 वर्ष या उससे अधिक उम्र के सभी वरिष्ठ नागरिक, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, 5 लाख रुपये तक के फ्री मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए पात्र हैं। इस योजना के तहत 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी पात्र वरिष्ठ नागरिकों को एक अलग आयुष्मान कार्ड जारी किया जाएगा। यह कार्ड सार्वभौमिक है और इसमें कोई आय सीमा नहीं है, चाहे वह गरीब हो या मध्यम वर्ग या उच्च वर्ग।

इस डॉक्यूमेंट के बिना नहीं बनेगा कार्ड

आयुष्मान भारत योजना के तहत रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 70 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक के पास आधार होना जरूरी है। पात्र वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयुष्मान कार्ड के नामांकन और जारी करने के लिए आधार-बेस्ड ई-केवाईसी जरूरी है। इसके बिना वरिष्ठ नागरिक यह कार्ड नहीं बनवा पाएंगे। 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के लाभार्थी नामांकन के पहले दिन से ही इलाज कराना शुरू कर सकते हैं। किसी भी बीमारी या उपचार के लिए कोई प्रतीक्षा अवधि नहीं है, इसलिए कवरेज तुरंत शुरू हो जाता है।

क्या है एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

इस स्पेशल स्कीम के लिए पात्रता का एकमात्र मानदंड है कि व्यक्ति की आयु 70 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। उम्र आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि के मुताबिक तय किया जाता है, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। वरिष्ठ नागरिक योजना में नामांकन के लिए आधार एकमात्र जरूरी दस्तावेज है। 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी पात्र वरिष्ठ नागरिकों को एक अलग आयुष्मान कार्ड जारी किया जाएगा।

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