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*नगर के सिद्धेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि के पर्व पर भक्तों की रही भीड़ ,जल चढ़ाने पहुँचे जिले के कलेक्टर और ए.एस.पी.*  

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हेमंत बघेल संवाददाता पलारी। नगर में स्थित सिध्देश्वर मंदिर में आज शुक्रवार को महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भव्य मेला का आयोजन नगरवासी द्वारा किया गया था। जहां महाशिवरात्रि के पर्व को नगरवासियों ने बड़ी ही धूमधाम से मनाया।

नगर स्थित सिद्धेश्वर शिव मंदिर की सुंदरता को निहारने शिवरात्रि पर भक्त बड़ी संख्या में पहुॅचे। वहीं इस मंदिर में देर शाम तक भक्तों की लम्बी-लम्बी कतार लगी रही, शिवरात्रि के अवसर पर नगर का मेला देखने लायक था। शिवरात्रि पर शिव भक्त उपवास रहते है और भगवान शिव के ऊपर जल चढ़ाने के बाद उपवास तोड़ते है, वही महाशिवरात्रि के पर्व पर बच्चों से लेकर उम्रदराज लोग आज के दिन मनोकामना को पूरा करने के लिये उपवास रखकर भगवान की पूजा अर्चना की गई। मंदिर में आज विशेष पूजन अर्चना की गई आज श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना में लीन रहे है तो वहीं शिव मंदिरों को दुल्हन की तरह सजाया गया है।

बता दे कि महाशिवरात्रि के अवसर पर पलारी के सिध्देश्वर मंदिर में जिले के कलेक्टर कार्तिकीया गोयल और (ASP) निवेदिका पाल भी शंकर भगवान का आशीर्वाद और जल चढ़ाने पहुँचे ।

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30 मार्च को मनाई जाएगी देवताओं की होली, द्वापर युग में ऐसे हुई थी रंग पंचमी की शुरूआत

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रंग पंचमी का त्योहार साल 2024 में 30 मार्च को है। पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को देवताओं की होली मनाई जाती है और यही वजह है कि इसे रंग पंचमी का नाम दिया गया है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी देवता धरती पर होली खेलने आते हैं। देवताओं की होली से जुड़ी कथा क्या है, और कैसे रंग पंचमी के त्योहार की शुरूआत हुई थी इसके बारे में आइए विस्तार से जानते हैं।

रंग पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा 

द्वापर युग में भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार लिया था। माना जाता है कि, भगवान कृष्ण ने ही रंग पंचमी की शुरुआत की थी। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान कृष्ण ने राधा जी के साथ होली खेली थी। भगवान कृष्ण और राधा जी को होली के रंगों में रंगा देखकर गोपियां भी शामिल हो गईं। राधा-कृष्ण की होली से धरती पर एक अद्भुत छटा बिखने लगी, जिसे देखकर देवी-देवता भी मंत्रमुग्ध हो गए। देवी-देवता भी राधा-कृष्ण के साथ होली खेलना चाहते थे और इसीलिए वो भी गोपी और ग्वालों का रूप धारण करके राधा-कृष्ण की टोली में शामिल हो गए। यानि धरती पर सारे देवी-देवताओं ने राधा-कृष्ण के साथ होली मनाई। यही वजह है कि रंग पंचमी को देवताओं की होली कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, आज भी रंग-पंचमी के दिन देवी-देवता धरती पर राधा-कृष्ण के साथ होली मनाने पहुंचते हैं।

रंग पंचमी पर ये कार्य करना शुभ

रंग पंचमी को लेकर कहा जाता है कि इस दिन हवा में गुलाल उड़ाने से वातावरण की नकारात्मकता दूर होती है। साथ ही समाज में सौहार्द बना रहता है। इस दिन देवी-देवताओं खासकर भगवान कृष्ण की पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त हो सकते हैं। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी अतिउत्तम कहा गया है, साधकों को इस दिन अपने इष्ट की साधन अवश्य करनी चाहिए। इस दिन किये गये ध्यान से आपको मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है। जो लोग आध्यात्मिक क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं उनको कुछ ऐसे अनुभव इस दिन हो सकते हैं जिससे उनकी आध्यात्मिक यात्रा आसान हो सकती है। मान्यताओं के अनुसार, क्योंकि इस दिन देवी-देवता धरती पर आते हैं इसलिए उनकी आराधना करके भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति शीघ्र हो सकती है।

 

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होली के दिन अपनी राशि अनुसार लगाएं गुलाल-अबीर, जिंदगी में बने रहेंगे खुशियों के रंग

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25 मार्च 2024, सोमवार को रंगों का पर्व होली मनाया जाएगा। इस दिन सभी लोग एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाते हैं। इसके साथ ही हर घर में तरह-तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं। होली के दिन अपनी राशि अनुसार रंगों से होली खेलने से शुभ फलों को प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं कि आपको अपनी राशि के मुताबिक कौनसे रंग का गुलाब-अबीर चुनना चाहिए।

मेष राशि-  

आज आप लाल गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद लाल रंग के कपड़े पहनकर अपने कुल देवता को हाथ जोड़कर नमस्कार करें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए पिस्ते से बनी मिठाई का दान करें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए दो चुटकी होली की राख और दो लोहे की कील लेकर लाल रंग के कपड़े में बांधकर, अपनी दुकान या ऑफिस के मुख्य द्वार पर लटका दें।

वृष राशि- 

आज आप अबीर में थोड़ा-सा गुलाल मिलाकर उससे होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद सिल्वर या व्हाइट रंग के कपड़े पहनकर अपने आस-पड़ोस में रहने वाले अपनों से बड़ों को सिर झुककर प्रणाम करें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए बूंदी के लड्डू का भगवान को भोग लगाकर बच्चों में बांट दें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए सात चुटकी होली की राख और सात काजल की डिब्बी लेकर सफेद रंग के कपड़े में बांधकर अपनी दुकान के गल्ले में या अपने ऑफिस की तिजोरी में रख लें।

मिथुन राशि-  

आज आप हरे गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद हरे रंग के कपड़े पहनकर अपने दोस्तों को गले लगाएं। साथ ही अपनी अच्छी सेहत के लिए गुंजिया की मिठाई दान करें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए एक मुट्ठी होली की राख और एक चांदी का सिक्का लेकर हरे रंग के कपड़े में बांधकर एक लकड़ी के बक्से में रख दें।

कर्क राशि-  

आज आप हल्के हरे गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद अपने पिता का पैर छूकर आशीर्वाद लें। साथ ही अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए सूझी का हलवा बनाकर, माता दुर्गा को भोग लगाकर मंदिर के बाहर बैठे लोगों में बांट दें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए होली की राख को चांदी के ताबीज में भरवा लें और उस ताबीज को पिस्ता ग्रीन, यानि हल्के हरे रंग के कपड़े में बांधकर अपनी दुकान या ऑफिस के मेन गेट पर लटका दें।

सिंह राशि-  

आज आप ऑरेन्ज गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद ऑरेन्ज रंग के कपड़े पहनकर घर में अपने से छोटों को कुछ न कुछ गिफ्ट करें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए अपनी मनपसंद मिठाई का दान करें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए 5 चुटकी होली की राख और 5 तांबे के सिक्के ऑरेन्ज रंग के कपड़े में बांधकर अपने घर के मुख्य द्वार पर लटका दें।

कन्या राशि-  

आज आप गुलाबी रंग के गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद गुलाबी रंग के कपड़े पहनकर अपनी माता या अपने से बड़ी महिला के चरण स्पर्श करें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए हरे मूंग का दान करें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए 5 चुटकी होली की राख और 2 हल्दी की गांठ गुलाबी रंग के कपड़े में बांधकर अपनी दुकान या ऑफिस की तिजोरी में रख लें।

तुला राशि-  

आज नीले रंग के गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद नीले रंग के कपड़े पहनकर अपने पास एक साफ-सुथरे रूमाल में थोड़ा-सा इत्र लगाकर रख लें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए मंदिर में चन्दन की सुगंध वाली धूप जलाएं। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए 21 चुटकी होली की राख और 5 लोहे की कील नीले रंग के कपड़े में बांधकर अपनी दुकान या ऑफिस के मुख्य द्वार पर लटका दें।

वृश्चिक राशि-  

आज लाल गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद लाल रंग के कपड़े पहनकर घर के मंदिर में माथा टेककर प्रणाम करें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए दूध, चावल से बनी खीर का भगवान को भोग लगाकर गरीब बच्चों में बांट दें। वहीं अपने और अपने परिवार के बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए अपने परिवार के पुरुष अपने मस्तक पर और घर की महिलाएं अपने गले पर होली की राख से टीका लगाएं।

धनु राशि-

आज बैंगनी रंग के गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद बैंगनी रंग के कपड़े पहनकर घर में अगर बड़ा भाई है तो उनसे, नहीं तो अपने बड़े भाई समान लोगों से गले मिलें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए खोए की मीठाई का भगवान को भाग लगाएं। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अपने मस्तक पर होली की राख से तिलक लगाएं ।

मकर राशि

आज ब्राउन रंग से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद भूरे रंग के कपड़े पहनकर कपूर से पूरे घर में धुआं करें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए शाम के समय मंदिर में 5 कपूर के दीपक जलाएं। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए 7 चुटकी होली की राख और 7 गोमती चक्र बांधकर अपनी तिजोरी में रख लें।

कुंभ राशि- 

आज केसरीया रंग के गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद पीले या केसरीया रंग के कपड़े पहनकर तुलसी के पौधे को स्पर्श करें। साथ ही अपनी अच्छी सेहत के लिए आटे को भूनकर पंजीरी बनाएं और उसमें तुलसी की पत्ती डालकर, भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद सबमें बांट दें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए 11 चुटकी होली का राख, थोड़ी-सी राई और थोड़ा-सा सफेद नमक लेकर पीले रंग के कपड़े में बांध लें और अपने व्यावसायिक स्थल के मेन गेट पर टांग दें।

मीन राशि- 

आज गोल्डन येलो गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद कुछ मीठा खाएं और दूसरों को भी खिलाएं। साथ ही अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए दही से बनी किसी चीज का दान करें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए 11 चुटकी होली की राख और 2 पीली धारियों वाली कौड़ियां गोल्डन येलो रंग के कपड़े में बांधकर अपने पैसों वाले स्थान पर रख लें।आज ऐसा करने से आपका आर्थिक पक्ष निश्चित ही मजबूत होगा।

 

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होलिका दहन पर इतने बजे से मंडराने लगेगा भद्रा का साया, जान लीजिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होली का त्यौहार मनाया जाता है। होली के ठीक एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है फिर उसके रंगोत्सव अगले दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। होलिका दहन पर इस साल चंद्र ग्रहण के साथ साथ भद्रकाल का साया भी रहेगा। इस साल करीब 100 साल बाद होली पर चंद्रग्रहण लगने जा रहा है।

फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 55 मिनट से हो जाएगी और इसका समापन 25 मार्च 2024 को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर होगा। शास्त्रों के मुताबिक, होलिका दहन पूर्णिमा तिथि और भद्रा रहित काल में करना शुभ माना जाता है। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा वहीं रंगोत्सव 25 मार्च को मनाया जाएगा।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषियों के अनुसार भद्रा के बाद होलिका दहन करना सर्वोत्तम होता है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त होली से एक दिन पहले यानी 24 मार्च को रात 11:13 बजे से 12:27 बजे तक है। यानी आपको होलिका दहन के लिए पूरे 1 घंटा 14 मिनट का समय मिलेगा। इस शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करने से कोई दोष नहीं लगेगा और आपका जीवन सुखमय रहेगा।

होलिका दहन पर भद्रा का साया

इस वर्ष होलिका दहन 24 मार्च, सोमवार को किया जाएगा,लेकिन होलिका दहन के दिन भद्रा साया रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्राकाल को शुभ नहीं माना जाता है और इस दौरान किसी भी तरह का पूजा-पाठ व शुभ काम करना वर्जित होता है। पंचांग के मुताबिक 24 मार्च को सुबह से भद्राकाल लग जाएगी। इस दिन भद्रा का प्रारंभ सुबह 09 बजकर 54 मिनट से हो रही है, जो रात 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। इस तरह से भद्राकाल की समाप्ति के बाद ही होलिका दहन किया जा सकता है।

24 मार्च को भद्रा कब से कब तक 

  • भद्रा पूंछ- शाम 06 बजकर 33 मिनट से रात्रि 07 बजकर 53 मिनट तक
  • भद्रा मुख- रात्रि 07 बजकर 53 मिनट से रात्रि 10 बजकर 06 मिनट तक

होलिका दहन की विधि

  • होलिका दहन के लिए लकड़ी एकत्रित कर लें. इसके बाद उन्हें कच्चे सूत से तीन या सात बार लपेटें।
  • इसके बाद सभी लकड़ियों पर थोड़ा सा गंगा जल डालकर उन्हें पवित्र कर लें। इसके बाद उन पर जल, फूल और कुमकुम छिड़ककर उनकी पूजा करें।
  • पूजा में रोली माला, अक्षत, साबुत हल्दी, गुलाल, नारियल, बताशे-गुड़ का प्रयोग करें।
  • इसके बाद होलिका की पूजा करें और फिर होलिका की कम से कम 5 या 7 परिक्रमा करें।
  • इस बात का विशेष ध्यान रखें कि होलिका की पूजा करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।

100 साल बाद होली और चंद्र ग्रहण एक साथ

इस वर्ष होली पर चंद्र ग्रहण का भी साया रहेगा। चंद्र ग्रहण 25 मार्च को सुबह 10:23 बजे शुरू होगा और दोपहर 3:02 बजे तक रहेगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

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