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हेल्दी लाइफ

14 जून को विश्व रक्तदान दिवस : जानिए Blood Donation के बारे में 13 रोचक तथ्य

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प्रतिवर्ष 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है। कई लोग स्वस्थ होते हुए भी रक्तदान करने से डरते हैं, क्योंकि उनके मन में इससे जुड़ीं कई भ्रांतियां होती हैं।

आइए, आज हम आपको बता रहे हैं रक्तदान यानी ब्लड डोनेशन से जुड़े 13 रोचक तथ्य-

1. रक्तदान करते हुए डोनर के शरीर से केवल 1 यूनिट रक्त ही लिया जाता है।

2. एक औसत व्यक्ति के शरीर में 10 यूनिट यानी (5-6 लीटर) रक्त होता है।

3. कई बार केवल एक कार एक्सीडेंट (दुर्घटना) में ही, चोटील व्यक्ति को 100 यूनिट तक के रक्त की जरूरत पड़ जाती है।

4. एक बार रक्तदान से आप 3 लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं।

5. भारत में सिर्फ 7 प्रतिशत लोगों का ब्लड ग्रुप ‘O नेगेटिव’ है।

6. ‘O नेगेटिव’ ब्लड ग्रुप यूनिवर्सल डोनर कहलाता है, इसे किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को दिया जा सकता है।

7. इमरजेंसी के समय जैसे जब किसी नवजात बालक या अन्य को खून की आवश्यकता हो और उसका ब्लड ग्रुप ना पता हो, तब उसे ‘O नेगेटिव’ ब्लड दिया जा सकता है।

8. ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया काफी सरल होती है और रक्त दाता को आमतौर पर इसमें कोई तकलीफ नहीं होती हैं।

9. कोई व्यक्ति 18 से 60 वर्ष की आयु तक रक्तदान कर सकता हैं।

10. रक्त दाता का वजन, पल्स रेट, ब्लड प्रेशर, बॉडी टेम्परेचर आदि चीजों के सामान्य पाए जाने पर ही डॉक्टर्स या ब्लड डोनेशन टीम के सदस्य आपका ब्लड लेते हैं।

11. अगर कभी रक्तदान के बाद आपको चक्कर आना, पसीना आना, वजन कम होना या किसी भी अन्य प्रकार की समस्या लंबे समय तक बनी हुई हो तो आप रक्तदान ना करें।

12. हर कोई रक्तदान नहीं कर सकता। यदि आप स्वस्थ हैं, आपको किसी प्रकार का बुखार या बीमारी नहीं हैं, तो ही आप रक्तदान कर सकते हैं।

13. पुरुष 3 महीने और महिलाएं 4 महीने के अंतराल में नियमित रक्तदान कर सकती हैं।

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सेहत

हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को न करें नजरअंदाज,बन सकती हैं हार्ट की बीमारियों का कारण..

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हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी भी अब डायबिटीज की तरह तेजी से बढ़ रही है. आईसीएमआर के मुताबिक, देश में हाई बीपी के मरीजों की संख्या 20 करोड़ से अधिक है. यह आंकड़ा हर साल बढ़ रहा है. अब युवाओं को भी यह समस्या हो रही है.ब्लड प्रेशर का बढ़ना शरीर के लिए खतरनाक माना जाता है. अगर ये कंट्रोल नहीं होता तो इससे हार्ट अटैक आने का रिस्क होता हैं, हालांकि फिर भी कई लोग हाई बीपी की समस्या को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है की अगर बीपी हाई रहने की समस्या रहती है तो इसको नजरअंदाज न करें. बीपी को कंट्रोल में रखें और नियमित रूप से अपना बॉडी चेकअप भी कराते रहें. नारायणा अस्पताल, गुरुग्राम में सीनियर कंसल्टेंट, कार्डियक सर्जन डॉ.रचित सक्सेना बताते हैं कि युवा पीढ़ी में भी अब हाई ब्लड प्रेशर जैसी स्वास्थ्य समस्याएं देखी जा रही हैं. हाई बीपी हार्ट अटैक का एक बड़ा कारण है. ऐसे में जरूरी है कि अगर हाई बीपी की समस्या है और किसी भी प्रकार की बेचैनी या छाती में दर्द महसूस करते हैं, तो सबसे पहले ईसीजी कराना चाहिए. ईसीजी से हार्ट बीट का पता चल जाता है जो दिल की बीमारियों की पहचान का एक तरीका है. आज के दौर मेंआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिए भी दिल की बीमारियों की समय पर पहचान हो सकती है.

कौन से टेस्ट कराएं

डॉ. अविनाश बंसल, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल, क्लिनिकल और क्रिटिकल कार्डियोलॉजी और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट बताते हैं कि देश की एक बड़ी आबादी में हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी हो रही है. हाई ब्लडप्रेशर की वजह से हार्ट अटैक आ जाता है, लेकिन फिर भी लोग इस समस्या को नजअंदाज कर देते हैं. नियमित जांच से ही इस बीमारी की पहचान हो सकती है. सभी लोगों को सलाह है कि साल में कम से कम एक बार हार्ट की जांच करा लें. इसके लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट और चेस्ट का सीटी स्कैन करा सकते हैं. अगर हाई बीपी के मरीज हैं तो हर दो दिन में अपना ब्लड प्रेशर नापते रहें. आपका बीपी हमेशा 120/80 mmHg से कम होना चाहिए. अगर ये ज्यादा बढ़ रहा है तो डॉक्टर से सलाह लें. इस मामले में लापरवाही न करें

कैसे करें बचाव

इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर में कार्डियोलॉजी विभाग में डायरेक्टर डॉ.असीम ढल्ल बताते हैं कि हार्ट की बीमारियों को गंभीरता से लेने की जरूरत है. इसके लिए समय पर जांच कराएं और अपनी हेल्थ का ध्यान रखें. नियमित एक्सरासाइज, संतुलित आहार से आप अपनी हार्ट हेल्थ को अच्छा रख सकते हैं.

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सेहत

महिलाओं में पीसीओडी की बीमारी बन रही हार्ट अटैक का कारण…

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आमतौर पर माना जाता है कि पुरुषों में हार्ट अटैक और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है लेकिन अब पीरियड्स की अनियमितता के चलते हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा महिलाओं में भी बढ़ रहा है, जिसमें पीसीओडी, मोटापा और वायु प्रदूषण जैसे कारक जिम्मेदार हैं. यही वजह है कि पिछले कुछ समय में महिलाओं में होने वाली हार्ट अटैक से मृत्यु के मामलों में काफी उछाल देखा गया है. ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी’ के अनुसार, दिल से संबंधित बीमारियां भारतीय महिलाओं में मौत की एक बड़ी वजह हैं जिसमें 17 प्रतिशत से अधिक मौतें इसी वजह से होती हैं.

क्या है पीसीओडी

पीसीओडी एक लाइफस्टाइल डिजीज है जिसमें कई कारणों के चलते महिलाओं के पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं, इसमें अनहेल्दी लाइफस्टाइल, बाहर का जंक फूड ज्यादा खाना, कम नींद, स्ट्रेस और मोटापा मुख्य कारक हैं जिनकी वजह से पीसीओडी की समस्या होती है. यही वजहें आगे चलकर हार्ट अटैक का कारण बनती हैं. पीसीओडी आजकल महिलाओं में देखी जाने वाली सबसे कॉमन समस्या बनकर उभर रही है जिसमें वजन बढ़ना, इंसुलिन रेजिस्टेंस, प्री-डायबिटीज से लेकर डायबिटीज की स्थिति, एंड्रोजन की अधिकता जैसे लक्षण बेहद आम हैं. साथ ही एक्सपर्ट्स का मानना है कि पीसीओडी में रक्त वाहिकाओं और हृदय पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है

पीसीओडी से बचने के उपाय

1. वजन को नियंत्रित करें.

2. रोजाना एक्सरसाइज करें.

3. स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए योगा या मेडिटेशन का सहारा लें.

4. रोजाना 7 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लें.पीसीओ

5. स्मोकिंग और ड्रिंकिंग न करें.

 

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सेहत

डेंगू का बुखार होने के बाद कितने दिनों में गिरने लगती हैं प्लेटलेट्स…

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देश के कुछ राज्यों में इस समय डेंगू के मामलों में इजाफा हो रहा है. दिल्ली-एनसीआर से लेकर दक्षिण भारत के राज्यों में डेंगू के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. मच्छरों से होने वाली इस बीमारी के अधिकतर मरीज ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में ये बुखार जानलेवा साबित हो जाता है. इस साल भी अभी तक डेंगू से कुछ लोगों की मौत हो चुकी है. मौत का एक बड़ा कारण शरीर में प्लेटलेट्स का लेवल गिरना होता है. कई मामलों में लोगों को यह पता नहीं होता है कि प्लेटलेट्स कब गिरते हैं और इसके लक्षण क्या है. जानकारी न होने की वजह से लोग देरी से अस्पताल जाते हैं और समय पर इलाज न होने से डेंगू खतरनाक साबित होता है.

कितने दिनों में गिरने लगती हैं प्लेटलेट्स?

दिल्ली में लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल मे मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर डॉ. सुभाष गिरी बताते हैं कि डेंगू से संक्रमित होने के बाद आमतौर पर हल्के लक्षण होते हैं. इनमें बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है. कुछ लोगों के शरीर में प्लेटलेट्स का लेवल गिर सकता है. बुखार होने के बाद तीसरे से चौथे दिन तक प्लेटलेट्स की संख्या गिरने लगती हैं. अधिकतर मरीजों में तीन से चार दिन बाद प्लेटलेट्स रिकवर होने हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह लगातार कम होते रहते हैं. जो जानलेवा हो सकता है.

डेंगू में प्लेटलेट्स गिरने के लक्षण क्या हैं?

अगर डेंगू के बुखार के दौरान आपको लगातार थकान, कमजोरी, बीपी का बढ़ना, शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो रही है या मसूड़ों से खून आ रहा है तो ये प्लेटलेट्स के तेजी से गिरने का संकेत होता है. अगर बुखार के दौरान ऐसे लक्षण दिखते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए. इस मामले में भी बिलकुल भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए.

डेंगू में प्लेटलेट्स कैसे बढ़ाएं

डेंगू के बुखार के दौरान ये जरूरी है कि आप फलों और हरी सब्जियों का सेवन करें. इस दौरान शरीर को हाइड्रेट रखना जरूरी है और आप सात से आठ गिलास पानी पिएं और नारियल पानी का भी सेवन करें. इस दौरान प्लेटलेट्स कम होने के लक्षणों का भी ध्यान रखे. अगर लक्षण ठीक हो रहे हैं तो आप इन चीजों का पालन करते रहें, लेकिन अगर लक्षणों में कमी नहीं आ रही है तो किसी भी तरह के घरेलू नुस्खों के फेर में न फंसें और अस्पताल जाकर डॉक्टर से सलाह लें.

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