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Hero MotoCorp ने BS6 इंजन के साथ लांच की सबसे सस्ती बाइक

हीरो मोटोकॉर्प (Hero MotoCorp) की HF Deluxe की अपने सैगमेंट में खासी लोकप्रियता है। इसी को देखते हुए कंपनी ने सस्ती सस्ती एंट्री लेवल बाइक लॉन्च की है। हालांकि BS6 एमिशन नॉर्म्स के अनुरूप अपग्रेड होने के बाद बाइक्स की कीमतों में इजाफा हुआ है।
100cc और 110cc सेगमेंट की अधिकतर बाइक की कीमत 50 हजार रुपए से अधिक है। इसे देखते हुए हीरो मोटोकॉर्प ने हीरो एचएफ डीलक्स (Hero HF Deluxe) के 2 सस्ते वैरिएंट लॉन्च किए हैं। खबरों के अनुसार कंपनी ने Hero HF Deluxe की शुरुआती कीमत 46,800 रुपए रखी है।
कंपनी ने बीएस6 हीरो एचएफ डीलक्स को पहले तीन वैरिएंट में लॉन्च किया था। कंपनी ने इन मॉडल्ड की कीमत 56,675 रुपए से 58,000 रुपए के बीच तय की थी। कंपनी ने इस बाइक को दो वैरिएंट में लॉन्च किया है। ये दोनों वैरिएंट किक स्टार्ट ड्रम ब्रेक स्पोक वील और किक स्टार्ट ड्रम ब्रेक अलॉय व्हील के साथ लांच किए गए हैं।
दोनों वैरिएंट का दाम क्रमश: 46,800 और 47,800 रुपए रखी गई है। अब HF Deluxe के पांच वैरिएंट 50 हजार से कम कीमत में मिल रहे हैं। कंपनी ने इस मोटरसाइकल में और कोई अन्य बड़ा बदलाव नहीं किया है। कंपनी के मुताबिक बाइक का माइलेज 73 किलोमीटर प्रति लीटर का है।
इन दोनों वैरिएंट में इलेक्ट्रिक स्टार्ट नहीं मिलेगा। बाइक में 97.2cc इंजन लगा हुआ है, जो 7.94hp का पावर देता है। इसके अलावा 8.05Nm टॉर्क उत्पन्न होता है।
बाइक का इंजन 4-स्पीड गियर बॉक्स से लैस है। कं कंपनी ने इस बाइक में 9.6-लीटर का फ्यूल टैंक दिया हुआ है। इस सैगमेंट में हीरो की इस बाइक से Bajaj CT100 को कड़ा मुकाबला मिलेगा।
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अगर चंद्रयान-3 का रोवर और लैंडर दोबारा नहीं जागे तो क्या होगा?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस महीने की शुरुआत में चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में भेजने के बाद से उन्हें दोबारा से जगाने की कोशिश कर रहा है। इसरो ने शुक्रवार को कहा कि उसने अपने मून मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के साथ सम्पर्क करने के प्रयास किए हैं, ताकि उनके सक्रिय होने की स्थिति का पता लगाया जा सके लेकिन अभी तक उनसे कोई सिग्नल नहीं मिला है। इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि लैंडर और रोवर से संपर्क करने का प्रयास जारी रहेगा। हम आपको बताएंगे कि अगर चंद्रयान-3 का रोवर और लैंडर दोबारा नहीं जागे तो क्या होगा?
लैंडर और रोवर को इसरो ने स्लीप मोड में डाला था
दरअसल, चंद्रमा पर सूर्योदय होने के साथ ही इसरो ने लैंडर और रोवर के साथ फिर से कनेक्शन स्थापित करके, उन्हें फिर से सक्रिय करने का प्रयास किया है ताकि वे आगे भी वैज्ञानिक प्रयोग जारी रख सकें। पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा पर रात की शुरुआत होने से पहले, लैंडर और रोवर दोनों को इस महीने की शुरुआत में 4 और 2 सितंबर को निष्क्रय अवस्था (स्लीप मोड) में डाल दिया गया था। हालांकि, उनके रिसीवर चालू रखे गए थे। इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने कहा, ‘‘हमने लैंडर और रोवर दोनों को ‘स्लीप मोड’ पर डाल दिया था क्योंकि चांद पर तापमान शून्य से 120-200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। बीस सितंबर से चंद्रमा पर सूर्योदय होगा और हमें उम्मीद है कि 22 सितंबर तक सौर पैनल और अन्य उपकरण पूरी तरह से चार्ज हो जाएंगे, इसलिए हम लैंडर और रोवर दोनों को सक्रिय करने की कोशिश करेंगे।’’
ISRO कर रहा चालू करने की कोशिश
लैंडर और रोवर दोनों चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में हैं और वहां पर सूर्योदय होने के साथ ही यह मानते हुए कि उनके सौर पैनल ऑप्टिमल रूप से चार्ज हो गए होंगे, इसरो उनकी स्थिति और कामकाज फिर से शुरू करने की क्षमता की जांच करने के लिए उनके साथ फिर से संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर रहा है, ताकि उन्हें फिर से सक्रिय करने का प्रयास किया जा सके।
अगर नहीं चालू हुए लैंडर और रोवर तो?
लैंडर और रोवर को स्लीप मोड में डालते समय इसरो ने कहा था कि अगर ये दोनों नहीं जागे तो ये ”भारत के चंद्र राजदूत के रूप में हमेशा के लिए वहीं रहेंगे।” 22 सितंबर को जब चांद पर सूर्योदय होना था तो इसरो ने रोवर और लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। हालांकि चीन के मून लैंडर चांग’ई-4 और रोवर युतु-2 का उदाहरण देते हुए विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि रोवर और लैंडर चांद पर सुबह होते ही जाग सकते हैं। चीन के लैंडर और रोवर ने 2019 में अपनी पहली चांद की रात झेलने के बाद फिर से काम करना शुरू कर दिया था।
लेकिन, इसरो के पूर्व अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने बीबीसी को बताया था कि यह जरूरी नहीं है कि चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर दोबारा जाग जाएं क्योंकि चंद्रमा पर रात के दौरान तापमान -200 से -250 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है और हमारी बैटरी को ऐसे अत्यधिक तापमान पर रहने या काम करने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है।
इतना ही नहीं इसरो के पूर्व वैज्ञानिक तपन मिश्रा ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को मूल रूप से केवल 14 दिनों तक काम करने के लिए ही डिज़ाइन किया गया था। उन्होंने कहा कि अगर वे (लैंडर और रोवर) पहली चंद्र रात में बचे रहे तो वे चांद पर और रातें गुजारने में सक्षम होंगे। मिश्रा ने कहा, “अगर यह एक चंद्र रात तक जीवित रहता है, तो मुझे यकीन है कि यह कई और चंद्र रातों तक जीवित रहेगा और यह संभवतः 6 महीने से एक साल तक काम कर सकता है, जो यह बहुत अच्छी बात होगी।”
चंद्रयान-3 ने 14 दिन चांद पर क्या किया?
बीते 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने के बाद, लैंडर और रोवर और पेलोड ने एक के बाद एक प्रयोग किए ताकि उन्हें 14 पृथ्वी दिन (एक चंद्र दिवस) के भीतर पूरा किया जा सके। चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है। लैंडर और रोवर का कुल वजन 1,752 किलोग्राम है और इन्हें वहां के परिवेश का अध्ययन करने के लिए एक चंद्र दिन की अवधि (लगभग 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालित करने के लिए तैयार किया गया था। इसरो को उम्मीद है कि ऐसे में जब चंद्रमा पर फिर से सूर्योदय हो गया है तो उन्हें फिर सक्रिय किया जा सकेगा ताकि वे वहां प्रयोग तथा अध्ययन जारी रख सकें।
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क्या है हिन्दू मैरिज एक्ट और कब हुआ था लागू, स्पेशल मैरिज एक्ट से कैसे है ये अलग

इन दिनों AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी का बयान देश भर में चर्चा को विषय बना हुआ है। अपने हाल के बयान में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह समझने की जरूरत है कि आर्टिकल-29 एक मौलिक अधिकार है, मुझे लगता है प्रधानमंत्री को यह समझ नहीं आया। संविधान में धर्मनिरपेक्षता की बात कही गई है।
क्या होता है हिन्दू मैरिज एक्ट
हिन्दू मैरिज एक्ट वर्ष 1955 में लागू हुआ था। इस एक्ट के तहत दो हिन्दू जाति के युवक-युवती शादी कर सकते है, बस उन दोनों के आपस में खून का रिश्ते नहीं होने चाहिए। साथ ही ये एक्ट कहता है कि अगर कोई युवक या युवती दूसरी शादी करना चाहते है तो बिना तलाक के दूसरा विवाह मान्य नहीं होगा या फिर किसी भी पक्ष की जीवनसाथी जीवित न हो। ये एक्ट हिन्दुओं के अलावा बौद्ध और जैन धर्म पर भी लागू होता है। इस एक्ट में आयु दुल्हे की आयु 21 वर्ष व दुल्हन की आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। बता दें कि ये एक्ट किसी भी रूप में धर्म के आधार पर हिंदुओं और बौद्ध, जैन या सिख पर लागू होती है और ये देश में रहने वाले ऐसे सभी व्यक्तियों पर भी लागू होती है जो मुस्लिम, ईसाई, पारसी या यहूदी नहीं हैं।
हिन्दू मैरिज एक्ट के लिए जरूरी शर्तें
सेक्शन 5. किन्हीं दो हिंदुओं के बीच विवाह संपन्न हो सकता है, यदि ये शर्तें पूरी होती हैं
1. विवाह के समय किसी भी पक्ष का जीवनसाथी जीवित नहीं है।
2. विवाह के समय कोई भी पक्ष-
a. मानसिक अस्वस्थता के परिणामस्वरूप इसके लिए वैध सहमति देने में असमर्थ है;
b. हालांकि वैध सहमति देने में सक्षम है, इस तरह के या इस हद तक मानसिक विकार से पीड़ित है कि वह शादी और बच्चे पैदा करने के लिए अयोग्य है।
3. विवाह के समय दूल्हे ने 21 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो।
4. पक्ष तब तक निषिद्ध संबंध की डिग्री के भीतर नहीं हैं जब तक कि उनमें से प्रत्येक को नियंत्रित करने वाली प्रथा या प्रथा दोनों के बीच विवाह की अनुमति नहीं देती।
5. पक्ष एक-दूसरे के सपिण्ड नहीं हैं, जब तक कि उनमें से प्रत्येक को नियंत्रित करने वाली प्रथा या प्रथा दोनों के बीच विवाह की अनुमति नहीं देती है।
क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट
विशेष विवाह अधिनियम या कहें स्पेशल मैरिज एक्ट साल 1954 में लागू हुआ था। स्पेशल मैरिज एक्ट एक ऐसा कानून है जिसके तहत भारत का संविधान दो अलग-अलग जाति या धर्मों के लोगों को विवाह करने की अनुमति देता है। ये सभी भारती नागरिकों के लिए मान्य है और उनके लिए भी है जो भारतीय तो, पर भारत के बाहर रह रहे हैं। इस एक्ट के तहत किसी भी धर्म के लोग विवाह के बंधन में बंध सकते हैं, बस शर्त ये है कि वो भारतीय होने चाहिए। इस एक्ट की नींव 19वीं सदी में रखी गई थी, जब सिविल मैरिज एक्ट को लेकर पहल हुई थी। इसके बाद, साल 1954 में ये एक्ट रिवाइज किया गया। नए एक्ट में 3 महत्वपूर्ण नियम बनाए गए थे-
1. एक खास तरह की शादियों के लिए रजिस्ट्रेशन सुविधा।
2.अलग-अलग धर्मों के लोगों की शादी के लिए सुविधा।
3. शादी के बाद तलाक की सुविधा।
इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट है वहीं, हिंदुओं में जन्म-जन्म का साथ है। क्या आप सबको मिला देंगे? भारत की विविधता को वे एक समस्या समझते हैं।’ इसके बाद से ही हिन्दू मैरिज एक्ट को लेकर लोग तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं। इसलिए हम आपको हिन्दू मैरिज एक्ट को लेकर विस्तारपूर्वक जानकारी देने जा रहे हैं
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Special News
ये है गजब का कैलकुलेटर, बताता है कि सालभर में कितनी देर चलाया फोन

नई दिल्ली. आजकल हर किसी के हाथ में मोबाइल है. लोग इंटरनेट और सोशल मीडिया पर जमकर एक्टिव रहते हैं. आलम ये है कि कई लोग बिना फोन के रह नहीं सकते. मोबाइल फोन लोगों की एक बड़ी जरूरत बन चुका है. ऐसे में एक ऑनलाइन कैलकुलेटर बनाया गया है. ये कोई आम कैलकुलेटर नहीं है बल्कि ये खास तरह का सॉफ्टवेयर है, जो ये बताता है कि आपने साल 2021 में कितना समय मोबाइल पर बिताया है.
कैलकुलेटर बताता है सालभर कितना चलाया फोन
डेली मेल में छपी एक खबर के अनुसार, इस खास कैलकुलेटर से ये गणना की जाती है कि आप रोजाना कितनी देर मोबाइल इस्तेमाल करते हैं और उसी हिसाब से ये पूरी साल का फोन पर बिताया समय बता देता है. ये कैलकुलेटर सॉर्टलिस्ट कंपनी ने बनाया है. इसकी मदद ये आप अपने डेली फोन इस्तेमाल की लिमिट भी सेट कर सकते हैं. कैलकुलेटर ये भी बताता है कि आपने साल भर में 16-64 साल के लोगों की तुलना में कितना मोबाइल इस्तेमाल किया है.
सॉर्टलिस्ट कंपनी ने किया है तैयार
सॉर्टलिस्ट कंपनी के को-फाउंडर और CMO निकोलस फिनेट ने कहा कि ‘बिना जाने हम एक स्क्रीन के पीछे बहुत समय बिताते हैं और इस वजह से, हम कैलकुलेटर बनाना चाहते थे ताकि यूजर्स हमारे डिजिटल लाइफ को पूरी तरह से समझ सकें. हमें पता होना चाहिए कि हमारा समय कहां बीत रहा है. ये कैलकुलेटर दुनिया भर के देशों के लोगों से मोबाइल चलाने के मामले में तुलना करता है.’
दिन में 145 मिनट करते हैं फोन का इस्तेमाल
उन्होंने बताया कि रिसर्च के लिए सॉर्टलिस्ट ने हूटसुइट की ग्लोबल स्टेट ऑफ डिजिटल 2021 रिपोर्ट के डेटा को आधार मानकर इंटरनेट और सोशल मीडिया पर बिताए डेली समय का एनालिसिस किया. डेटा से पता चलता है कि औसत व्यक्ति अब अपने स्मार्टफोन पर दिन में 145 मिनट बिताता है, साल 2020 में ये समय 142 मिनट था. इस हिसाब से एक सप्ताह में 1015 मिनट, महीने में 4410 मिनट और सालभर में 52,925 मिनट ऑनलाइन खर्च करता है.
कोरोना के वक्त बढ़ा फोन का इस्तेमाल
फिनेट ने कहा कि पिछले 18 महीनों में हमने पहले से कहीं ज्यादा समय मोबाइल स्क्रीन के पीछे बिताया है. इसकी बड़ी वजह कोरोना महामारी थी. कोरोना के वक्त कई लोग घर से काम करने के लिए मजबूर हुए. इस दौरान zoom कॉल पर लोगों ने बहुत समय बिताया. इलके अलावा अपने खाली समय में लोग सोशल मीडिया को स्क्रॉल करते रहते थे.
YouTube ऐप पर बिताते हैं सबसे ज्यादा समय
डेटा का गहराई से एनालिसिस करने पर सॉर्टलिस्ट ने पाया कि YouTube वो ऐप था जिस पर हम सबसे ज्यादा समय बिताते हैं. YouTube पर हर महीने औसतन 23 घंटे 12 मिनट वक्त बिताया जाता है. इसके बाद फेसबुक पर हर महीने 19 घंटे, 30 मिनट, व्हाट्सएप पर 19 घंटे, 24 मिनट, वीके पर 113 घंटे, 54 मिनट और टिकटॉक पर 13 घंटे, 18 मिनट लोग समय बिताते हैं.
फोन चलाने के मामले में फिलीपींस के लोग हैं सबसे आगे
सॉर्टलिस्ट ने बताया कि फिलीपींस में लोगों ने सबसे ज्यादा समय स्क्रॉल करने में बिताया. वहां के लोग रोजाना 10 घंटे 56 मिनट फोन पर समय बिताते हैं. इसके बाद ब्राजील के लोग रोजना 10 घंटे 8 मिनट, कोलंबिया में 10 घंटे, 7 मिनट और दक्षिण अफ्रीका में 10 घंटे, 6 मिनट लोग मोबाइल पर समय बिताते हैं.
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