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हरतालिका तीज पर बन रहे 3 दुर्लभ योग, कौन सा मुहूर्त है सबसे शुभ..
हरतालिका तीज का त्योहार हिंदू धर्म में काफी अहम माना जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए व्रत रखती हैं और पूजा-पाठ करती हैं. भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. इस बार 6 सितंबर को ये तिथि पड़ रही है. इस दिन सुहागिनें निर्जला व्रत रखती हैं और शिव-पार्वती की आराधना करती हैं. इससे उन्हें मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है. ये व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली बढ़ती है. अगर शुभ मुहूर्त में इस दिन शिव-पार्वती की पूजा की जाए तो इसके शुभ परिणाम भी देखने को मिलते हैं. आइये जानते हैं कि 2024 में हरतालिका तीज पर कौन सा वो शुभ मुहूर्त है जिसमें लाभ मिलेगा. साथ ही इस दिन 3 दुर्लभ योग भी बन रहे हैं. ये योग भी काफी लाभदायक हैं और इंसान की मन मांगी मुराद पूरी करते हैं.
बन रहे हैं 3 दुर्लभ योग
इस बार कृष्ण जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी की तरह ही हरतालिका तीज के मौके पर भी कई दुर्लभ लाभकारी योग बन रहे हैं. इस बार हरतालिका तीज पर 3 बड़े दुर्लभ योग बन रहे हैं. ये योग बहुत फलदायक हैं. आइये जानते हैं इन 3 योग के बारे में जो आपको कई गुना ज्यादा लाभ दिलाएंगे.
1- शुक्ल योग
ये एक बहुत शुभ योग माना जाता है और इस योग को चंद्रमा की तरह एकदम पाक माना गया है. ऐसा माना जाता है कि अगर आप इस योग में पूजा कर रहे हैं तो फल प्राप्ति की संभावना सबसे ज्यादा होती है. ये दुर्लभ योग ज्योतिषियों द्वारा फल प्राप्ति की गारंटी माना जाता है.
2- ब्रह्मा योग
ब्रह्मा योग को ज्ञान का श्रोत माना जाता है और ये भी एक दुर्लभ योग है. इस शक्तिशाली योग में अगर आप सच्चे मन से पूजा करते हैं तो इससे स्वास्थ्य, बुद्धि, धन और बल की प्राप्ति होती है और इंसान के जीवन में मजबूती आती है. इस योग में पूजा करने से इंसान की उम्र भी बढ़ती है.
3- रवि योग
रवि योग भी अतयंत लाभकारी योग है और इस योग में पूजा करने से इंसान को बहुत फायदा मिलता है. ये मान-सम्मान का योग माना जाता है. जो लोग ये चाहते हैं कि समाज में उनकी प्रतिष्ठता बढ़े तो उन्हें रवि योग में जरूर पूजा करनी चाहिए.
शुभ मुहूर्त क्या है?
भाद्रपद माहीने के शुक्ल पक्ष की तृतिय तिथि 5 सितंबर 2024 को 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो जाती है जो 6 सितंबर को 3 बजकर 1 मिनट तक रहेगी. इसलिए महिलाओं के लिए निर्जला व्रत रखने का सही दिन 6 सितंबर 2024 है. शुभ मुबूर्त की बात करें तो इस बार सुबह 6 बजकर 2 मिनट से पूजा के शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो रही है. 6 बजकर 2 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक हरतालिका तीज में शुभ मुहूर्त है. इस समय आप शिव-पार्वती की पूजा करेंगे तो उत्तम फल की प्राप्ति होगी.
क्या हैं हरतालिका तीज के नियम?
हरतालिका तीज के मौके पर निर्जला व्रत रखना चाहिए. इस दिन महिलाएं श्रृंगार करती हैं और गीत गाती हैं. इस दिन कथा पाठ करने से खूब फायदा होता है. वहीं इस दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन नकारात्मकता को अपने जीवन से हटाने की कोशिश करें. क्रोध से बचें और किसी का भी बुरा न सोचें. नहीं तो फलस्वरूप परिणाम नहीं मिलते.
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इस बार नवरात्रि में माता दुर्गा की क्या है सवारी? जानें इसका प्रभाव शुभ होगा या अशुभ?
नवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दौरान 9 दिनों तक भक्त माता के नौ रूपों की पूजा करते हैं। साल 2024 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्तूबर से होने जा रही है। हर बार माता अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं, और माता के वाहन के अनुसार कुछ न कुछ प्रभाव भी देश-दुनिया पर देखने को मिलता है। ऐसे में आज हम आपको बताने वाले हैं कि 3 अक्तूबर 2024 से शुरू होने वाले नवरात्रि पर्व के दौरान माता किस वाहन पर सवार होकर आएंगी, और इसका क्या प्रभाव देखने को मिल सकता है।
शारदीय नवरात्रि 2024
इस साल शारदीय नवरात्रि 3 अक्तूबर से शुरू होंगी। पहले दिन घट स्थापना के साथ ही माता शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। नवरात्रि का समापन 11 अक्तूबर के दिन होगा। 12 अक्तूबर को दुर्गा विसर्जन और विजयदशमी मनाई जाएगी।
क्या है माता की सवारी?
नवरात्रि के दौरान माता की सवारी वार के अनुसार तय होती है। अगर नवरात्रि की शरुआत रविवार और सोमवार से होती है तो माता की सवारी हाथी होती है। मंगल और शनि के दिन नवरात्रि की शुरुआत हो रही हो तो माता की सवारी घोड़ा होता है। वहीं गुरु और शुक्रवार को अगर नवरात्रि की शुरुआत हो तो माता की सवारी डोली या पालकी होती है। साल 2024 में नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार के दिन हो रही है, इसलिए माता की सवारी डोली होगी। आइए अब जान लेते हैं कि जब माता डोली पर सवार होकर आती हैं, तो इसका देश-दुनिया पर क्या प्रभाव देखने को मिलता है।
डोली पर सवार होकर आएंगी माता, ऐसा होगा प्रभाव
धर्म के जानकार मानते हैं कि, माता दुर्गा नवरात्रि के दौरान जब भी डोली या पालकी पर सवार होकर आती हैं तो इसे अच्छा संकेत नहीं माना जाता। माता का डोली पर सवार होकर आना देश-दुनिया में कई मुश्किल स्थितियों को पैदा कर सकता है। इसकी वजह से देश-दुनिया में आंदोलन हो सकता है। लोगों की सेहत में भी गिरावट देखने को मिलती है, और किसी तरह की महामारी फैलने का भी खतरा रहता है। माता जब डोली पर सवार आकर आती हैं तो, अराजकता की स्थिति बन सकती है और किसी वजह से हिंसा भी हो सकती है।
साथ ही मतभेदों के कारण लोगों को पारिवारिक जीवन में भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए डोली पर सवार होकर आयी माता का नवरात्रि के दौरान पूरे विधि-विधान से भक्तों को पूजन करना चाहिए। इससे कई मुश्किल स्थितियों से आप बचकर निकल सकते हैं।
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किसी कार्य की शुरुआत से पहले क्यों की जाती है भगवान गणेश की पूजा?
भगवान गणेश को हिंदू धर्म में प्रथम देव माना जाता है. उनकी पूजा-अर्चना से सारे कष्ट दूर होते हैं. भगवान गणेश हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवों में से एक हैं. गणेश चतुर्थी के मौके पर देशभर में भगवान गणेश की पूजा होती है और खासतौर पर उनके जन्म के रूप में इस त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन भगवान गणेश हिंदू धर्म के ऐसे भगवान हैं जिनकी पूजा सबसे ज्यादा होती है. किसी भी काम को शुरू करने से पहले लोग भगवान गणेश का नाम लेते हैं और उनकी पूजा करते हैं. उन्हें हिंदू धर्म में भाग्य का देवता भी कहा जाता है. बता रहे हैं कि आखिर वो कौन सी कथा है जिस आधार पर भगवान गणेश हिंदू धर्म के प्रथम देव हैं.
क्यों सबसे पहले पूजे जाते हैं भगवान गणेश?
पौराणिक मान्यताओं की मानें तो सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. एक बार की बात है. सभी देवी-देवता ही आपस में भिड़ गए कि आखिर सबसे पहले किसकी पूजा की जानी चाहिए. आपस में देवताओं को इस तरह भिड़ता देख वहां पर नारद जी प्रकट हुए. उन्होंने सभी देवताओं को सलाह दी कि इस सवाल के समाधान के लिए वे शिव जी के पास जाएं. सभी देवता इसके बाद शिव जी के पास गए और उनके सामने ये सवाल रखा. बहुत सोचने के बाद शिव जी ने भी सभी के सामने एक प्रतियोगिता रखी. इस प्रतियोगिता का आधार यही था कि जो भी इसे जीतेगा वही सबसे पहले पूजे जाने का अधिकारी होगा.
क्या थी प्रतियोगिता और कौन जीता?
शिव जी ने कहा कि सभी देवी-देवताओं को अपने-अपने वाहन से पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाना होगा. जो भी सबसे पहले पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर वापिस आ जाएगा उसे सबसे पहले पूजा जाएगा. सभी देवी-देवता इसके बाद अपना-अपना वाहन लेकर ब्रह्मांड यात्रा पर निकल गए. लेकिन इस दौरान वहां पर मौजूद गणेश जी दुविधा में पड़ गए और सोच-विचार करने लग गए. दरअसल भगवान गणेश की सवारी चूहा है और चूहा बहुत छोटा होता है. साथ ही वो धीमे भी चलता है. ऐसे में भगवान गणेश को लगा कि इस सवारी के साथ वे ब्रह्मांड की यात्रा सबसे पहले कैसे कर पाएंगे. ये लगभग असंभव सा था.
कौन है हिंदू धर्म के प्रथम देवता?
इसके बाद भगवान गणेश ने एक तरकीब निकाली. उन्होंने पास खड़े अपने माता-पिता, शिव-पार्वती जी का 7 बार परिक्रमा किया और उनके सामने आकर खड़े हो गए. जब बाद में सभी देवी-देवता ब्रह्मांड की परिक्रमा कर के वापिस लौटे तो वहां पर पहले से ही गणेश जी मौजूद थे. गणेश जी को वहां पर देखकर सभी हैरान रह गए. सभी को लगा कि भगवान गणेश चूहे की सवारी से कैसे ब्रह्मांड की यात्रा इतनी जल्दी कर पाए. तब शिव जी ने गणेश भगवान को विजयी घोषित करते हुए बताया कि इस संसार में माता-पिता को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. उनसे ऊपर किसी का दर्जा नहीं है. ऐसे में माता-पिता की परिक्रमा करना साक्षात ब्रह्मांड की परिक्रमा के समान है. तभी से किसी भी भगवान से पहले गणेज जी का नाम आता है और वे हिंदू धर्म के प्रथम देव हैं.
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राधा अष्टमी पर बन रहे ये 2 शुभ योग, पूजा की थाली में जरूर रखें ये वस्तुएं
राधा अष्टमी हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन राधा रानी का जन्म हुआ था। इसीलिए राधा अष्टमी के मौके पर भक्त पूजा आराधना करते हैं और राधा मां से सुख समृद्धि की कामना करते हैं। साल 2024 राधा अष्टमी 11 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन दो शुभ योग भी हैं, इन शुभ योगों में राधा रानी की पूजा करने से, कुछ विशेष वस्तुओं का उन्हें भोग लगाने से, और पूजा की थाली में उनकी प्रिय वस्तुओं को रखने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
राधा अष्टमी 2024
पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 सितंबर को लगभग 11 बजकर 10 मिनट पर हो जाएगी। अष्टमी तिथि 11 सितंबर को 11 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि की मान्यता के अनुसार राधा अष्टमी का व्रत 11 सितंबर को रखा जाना ही शुभ माना जाएगा। आइए अब जानते हैं इस दिन के शुभ योगों के बारे में।
राधा अष्टमी पर रहेंगे ये शुभ योग
राधा अष्टमी के दिन प्रीति योग सुबह 11 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। इसके साथ ही इस दिन रवि योग सुबह 9 बजकर 22 मिनट से शुरू होगा और अगले दिन तक रहेगा। इस दिन सुबह के समय मूल नक्षत्र होगा और उसके बाद मूल नक्षत्र लग जाएगा।
पूजा की थाली में जरूर रखें ये वस्तुएं
राधा रानी की पूजा के दौरान पूजा की थाली में कुछ विशेष वस्तुओं को अवश्य रखना चाहिए। माना जाता है कि, इन चीजों को पूजा में थाली में अगर आप रखते हैं तो राधा रानी आपकी सभी मनोकामनाओं को पूरी कर सकती हैं। खासकर राधा अष्टमी के दिन विधिवत रूप से राधा जी की पूजा करने वालों को तो थाली में इन चीजों को अवश्य शामिल करना चाहिए, इनके बिना राधा जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। ये चीजें हैं- फूल, इत्र, चंदन, नए वस्त्र, फल, मिष्ठान, सुगंधित फूलों से बनी माला, आभूषण, सिंदूर, धूप-दीप, अक्षत और पूजन सामग्री। इसके साथ ही राधा रानी को भोग लगाने के लिए आपको मालपुए, रबड़ी आदि भी थाली में रखनी चाहिए।
मान्यताओं के अनुसार अगर आप इन चीजों को राधा रानी की पूजा की थाली में शामिल करती हैं, तो वो अति प्रसन्न होती है। इन वस्तुएं के साथ राधा जी की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। साथ ही आपके जीवन में जो परेशानियां चली आ रही थीं उनका भी अंत हो जाता है। राधा जी की विधिवत पूजा करने से भगवान कृष्ण भी बेहद प्रसन्न होते हैं, और उनका आशीर्वाद भी आपको प्राप्त होता है।
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