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रोजाना 40 मिनट योग घटा सकता है डायबिटीज का खतरा..

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ये तो हम सब जानते हैं कि हिंदुस्तान को डायबिटीज कैपिटल कहा जाता है. हिंदुस्तान में डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अनुमान है कि देश में 101 मिलियन लोग मधुमेह से पीड़ित हैं, अन्य 136 मिलियन लोग प्री-डायबिटीक यानी की डायबिटीज की तरफ बढ़ रहे हैं. इन लोगों में से अधिकांश की जीवनशैली में पर्याप्त बदलाव के बिना डायबिटीज को कम करना असंभव है.

डायबिटीज के प्रकार

इसके दो प्रकार होते हैं टाइप-1 और टाइप-2. टाइप-1 पैदाइश से ही बच्चे को होती है. ये आनुवंशिक हो सकती है और जन्म के साथ से ही माता-पिता से बच्चे में होती है. जिसका इलाज संभव नहीं बस इसे हेल्दी डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल से कंट्रोल किया जा सकता है. टाइप-2 डायबिटीज हमारे अनहेल्दी लाइफस्टाइल की देन है. ये किसी भी उम्र में हो सकती है और इसके होने की वजह हमारी अनहेल्दी जीवन शैली है. इसे भी हेल्दी लाइफस्टाइल के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है.

डायबिटीज बेहद खतरनाक

डायबिटीज टाइप-1 हो या टाइप-2 दोनों ही तरीके से खतरनाक है. ये धीरे-धीरे हमारे शरीर के अन्य ऑर्गन पर असर डालती है. इसलिए अगर एक बार ये हो जाए तो सिर्फ और सिर्फ इसे कंट्रोल किया जा सकता है और इसके लिए सबसे असरकारक दवा है जीवनशैली में बदलाव. ताजा अध्ययन के मुताबिक 40 मिनट की योग करने से इस बीमारी के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

योगगुरू सरिता ठाकुर कहती हैं कि जीवनशैली का हमारे स्वास्थ्य से सीधा संबंध है और अगर हम अपनी दवाइयां कम करना चाहते हैं तो हमें आज नहीं तो कल अपनी जीवनशैली में बदलाव करना बेहद जरूरी है. योग एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय है जिससे डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी के खतरे को भी कम किया जा सकता है. रोजाना 40 मिनट के योग अभ्यास से ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद मिलती है. विभिन्न योग आसन जैसे सूर्य नमस्कार, अनुलोम-विलोम प्राणायाम और ध्यान न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है. योगा से इंसुलिन पर्याप्त रूप से बनता है और ऊर्जा का स्तर भी बेहतर होता है. योगा से न सिर्फ डायबिटीज बल्कि कई अन्य मानसिक और शारीरिक बीमारियों को कम करने में मदद मिलती है. हिंदुस्तान में की गई एक स्टडी के मुताबिक रोजाना 40 मिनट योग का अभ्यास करने से डायबिटीज के खतरे को 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है. अध्ययन में ये देखा गया है कि योग की मदद से टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

क्या कहती है स्टडी

अध्ययन के लेखक और दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में एंडोक्रिनोलॉजी विभाग में प्रोफेसर डॉ. एसवी मधु कहते हैं कि हम इस अध्ययन से ये कहने कि स्थिति में है कि जीवनशैली में बदलाव की तुलना में टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को कम करने में योग कहीं अधिक प्रभावी है. योगा लंबे समय से चले आ रहे मानसिक तनाव को भी कम करता है जिसके परिणामस्वरूप डायबिटीज का खतराभी कम होता है.

ऐसे टलेगा डायबिटीज का खतरा

डॉ. मधु कहते हैं कि जिन लोगों को डायबिटीज होने का अधिक खतरा है – जैसे कि पारिवारिक इतिहास वाले लोग और मोटापे से ग्रसित लोग, उन्हें रोजाना 40 मिनट योग का अभ्यास करना चाहिए ताकि इस खतरे को टाला जा सके.

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सेहत

गरमा-गरम खाने और पीने से सेहत के लिए हो सकता है भारी नुकसान..

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आपने देखा होगा कि बहुत लोग गरमा-गरम चाय पीना पसंद करते हैं. गरमा-गरम खाना खाना पसंद करते हैं. कई बार तो लोग बरसात में भीगने के बाद गर्म चाय, सूप, खिचड़ी खाते हैं, इससे ये लोग मानते हैं कि मूड अच्छा हो जाता है. थकान तुरंत दूर हो जाती है. बेहतर महसूस करते हैं. मगर, क्या आप जानते हैं कि गर्म खाना आपकी हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है. कैसे? जानने के लिए आप इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें.

आंतों को पहुंचता है नुकसान

उमस या गर्मी वाले मौसम में अगर आप गर्म खाना खाते हैं तो इससे आपकी आंतों को भी नुकसान पहुंच सकता है. आंतों में जलन और गर्मी बढ़ सकती है.

जल सकती है जीभ

बहुत गर्म खाना खाने वाले लोगों की कई बार जीभ जल जाती है. इससे जीभ पर छाले पड़ सकते हैं जिसकी वजह से आपको लंबे समय तक दर्द और तकलीफ हो सकती है.

दांतों को नुकसान

गर्म खाना आपके दांतों को नुकसान पहुंच सकता है. दांतों की ऊपरी परत (इनेमल) डैमेज हो सकती है. दांतों का रंग खराब हो सकता है और टूथ सेंसिटिविटी बढ़ सकती है. अगर, आप गर्म खाने के शौकीन है तो आपने यह कई बार महसूस किया होगा. इसके साथ ही बहुत गर्म खाना खाने वाले लोगों गले में सूजन ​की शिकायत रहती है. इससे फूड पाइप से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं.

बढ़ सकती हैं पेट की बीमारी

गर्म खाना खाने से पेट संबंधी बीमारियां पनप सकती हैं. पेट की स्किन जल सकती है. पेट में छाले पड़ जाते हैं. जिसके चलते एसिडिटी, उल्टी और पेट में जलन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं.

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गर्भनिरोधक दवाईयों से महिलाओं में बढ़ता है ब्लड क्लोटिंग का खतरा? जाने एक्सपर्ट से

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महिलाएं अक्सर अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं. इन गोलियों को अगर डॉक्टर की सलाहनुसार और एक सीमित मात्रा में ली जाए तो ठीक हैं वर्ना ये एक बड़ी परेशानी का सबब बन सकती हैं क्योंकि इनके अनियमित इस्तेमाल से कई परेशानियों का खतरा बढ़ता है जिनमें से एक है ब्लड क्लोटिंग का. माना जाता है कि गर्भनिरोधक के ज्यादा इस्तेमाल से ब्लड क्लोटिंग की समस्या पैदा हो जाती है.

कई महिलाएं जो कि सेक्सुअली एक्टिव है और निकट भविष्य में बच्चा भी नहीं चाहती ऐसे में अक्सर गर्भ निरोधक तरीकों का इस्तेमाल करती हैं. जिनमें गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल भी शामिल है. लेकिन अगर ये दवाईयां काफी अधिक मात्रा में और बिना डॉक्टर के परामर्श के ली जाएं तो कई नुकसान हो सकते हैं. अक्सर देखा गया है कि इस दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल से सिरदर्द, सूजन, पेट में दर्द और वजन बढ़ना जैसे लक्षण शामिल हैं.

ब्लड क्लोटिंग का खतरा 3 गुना अधिक

सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर वरूण बंसल कहते हैं कि कुछ बर्थ कंट्रोल दवाइयों से ब्लड क्लोटिंग का खतरा बढ़ सकता है, हालांकि इसके चांस बहुत कम हैं, परंतु जो महिलाएं ओबेसिटी या डायबिटीज की शिकार हैं या जिनका ब्लड प्रेशर ज्यादा रहता है, उनमें यह खतरा ज्यादा देखा गया है. दरअसल, इन दवाओं को लेने से हार्मोंस में तेजी से बदलाव होता है यही कारण है गर्भधारण नहीं हो पाता, ऐसे ही अन्य हार्मोन बेस्ड दवाईयां लेने से भी ब्लड क्लोटिंग का रिस्क 3 गुना तक बढ़ जाता है, साथ ही इस अध्ययन से ये बात भी सामने आई है कि अगर इन दवाईयों के उपयोग को बंद कर दिया जाए तो दो से चार सप्ताह के भीतर ये रिस्क काफी हद तक कम और खत्म हो जाता है.

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चीन में नए वायरस की दस्तक, ब्रेन पर करता है अटैक, ये हैं लक्षण

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चीन में एक बार फिर से नए वायरस के मिलने से डर फैल गया है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो चीन में ये नया वायरस जिसे वेटलैंड वायरस यानी की डब्ल्यूईएलवी का नाम दिया गया है, कि खोज की गई है जो कि टिक के काटने से इंसानों में फैल सकता है. लेकिन अन्य वायरस की तुलना में ये ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है क्योंकि ये सीधे दिमाग पर हमला करता है जिससे कि मरीज कोमा में चला जाता है. हालांकि इस वायरस की पहचान सबसे पहले जून 2019 में चीन के जिनझोउ शहर के 61 वर्षीय मरीज में की गई थी. जो कि इनर मंगोलिया के वेटलैंड्स में टिकों द्वारा काटे जाने के पांच दिन बाद बीमार पड़ गया था. इस बुखार में मरीज में सबसे पहले बुखार, सिरदर्द, चक्कर आना और उल्टी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. इस वायरस की ज्यादा जानकारी हालांकि अभी सामने नहीं आई है लेकिन बताया जा रहा है कि इस बुखार का असर सबसे ज्यादा दिमाग पर देखने को मिलता है क्योंकि इस वायरस से संक्रमित एक मरीज कोमा में भी जा चुका है।

भारत पर असर

महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर जुगल किशोर बताते हैं कि इस तरह के वायरस चीन में पहले भी आते रहे हैं. ये वायरस कीड़ों से इंसानों में फैल जाते हैं. इस तरह के वायरस ब्रेन पर अटैक करते हैं, हालांंकि चीन में पाए गए वेटलैंड वायरस से भारत में पैनिक होने की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है.

इस तरह फैलता है वायरस

प्रारंभिक जांच के लिए शोधकर्ताओं ने उत्तरी चीन में गहन जांच शुरू कर दी है, जहां उन्होंने विभिन्न स्थानों से लगभग 14,600 टिक एकत्र किए हैं. इनमें से लगभग 2 प्रतिशत का परीक्षण WELV आनुवांशिक सामग्री के लिए सकारात्मक पाया गया है, जो कि मुख्य रूप से हेमाफिसैलिस कॉन्सिना प्रजाति से है. ये वायरस टिक के अलावा भेड़, घोड़ों और सूअरों में भी पाया गया है. ऐसे में शोधकर्ताओं ने इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के ब्लड सैंप्लस का भी विश्लेषण किया है जिसमें 640 में से 12 व्यक्ति WELV के प्रति एंटीबॉडी बना चुके हैं. जबकि अन्य 20 इस वायरस से पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें बुखार, चक्कर आना, सिरदर्द, दस्त और मतली जैसे लक्षण पाए गए हैं. मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के तरल पदार्थ में श्वेत रक्त कोशिकाओं की उच्च संख्या के कारण एक मरीज कोमा में भी चला गया है. बाकि अन्य मरीज उपचार के बाद ठीक हो गए हैं.

दिमाग पर डालता है असर

चूहों पर प्रयोगशाला प्रयोगों से पता चला है कि WELV घातक संक्रमण पैदा कर सकता है और संभावित रूप से नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकता है. ये किसी मामले में हल्का तो किसी में काफी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है और खासतौर पर ये दिमाग से जुड़ी परेशानी पैदा कर सकता है. इसके अलावा शोधकर्ताओं ने अलग अलग फार्मों से जानवरों में पाए जाने वाले करीब 125 वायरस की पहचान की हैं जिनमें से 36 वायरस नए बताए जा रहे हैं जिनसे वैज्ञानिक अबतक अनजान हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि इनमें से 39 वायरस ऐसे हैं जो जानवर से जानवर और फिर इंसान में फैलकर गंभीर बीमारी फैला सकते हैं. हालांकि ये कितना संक्रमण फैलाते है इसके बारे में कहना जल्दबाजी हो सकता है लेकिन चीन इन नए वायरस पर नजर बनाए हुए है ताकि कोरोना की तरह ये ज्यादा घातक साबित न हों.

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