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कोरोना वायरस

बड़ी खबर, कोविशील्ड की 2 खुराकों के बीच घट सकता है अंतर

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नई दिल्ली। सरकार के राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) के कोविड-19 संबंधी कार्यसमूह के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा है कि आंशिक टीकाकरण तथा पूर्ण टीकाकरण की प्रभावशीलता के बारे में सामने आ रहे साक्ष्यों पर विचार किया जा रहा है और यह मंथन भी चल रहा है कि क्या भारत को कोविड-19 रोधी टीके कोविशील्ड की दोनों खुराकों के बीच अंतराल को घटाकर फिर से 4 से 8 हफ्ते कर देना चाहिए।

अरोड़ा ने कहा कि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतराल को 4-6 हफ्ते से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते करने का फैसला वैज्ञानिक आधार पर लिया गया था और इस बारे में एनटीएजीआई के सदस्यों के बीच कोई मतभेद नहीं थे।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 और टीकाकरण परिवर्तनशील हैं। कल को यदि टीका निर्माण तकनीक (वैक्सीन प्लेटफॉर्म) में कहा जाता है कि टीके की खुराकों के बीच अंतराल कम करना लोगों के लिए फायदेमंद है चाहे इससे महज 5 या 10 फीसदी ही अधिक लाभ मिल रहा हो तो समिति गुण-दोष के आधार तथा ज्ञान के बूते पर इस बारे में फैसला लेगी। वहीं दूसरी ओर, यदि ऐसा पता चलता है कि वर्तमान फैसला सही है तो हम इसे जारी रखेंगे।

स्वास्थ्य मंत्रालय के वक्तव्य के मुताबिक अरोड़ा ने डीडी न्यूज को बताया कि टीके की खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने का आधार एडेनोवेक्टर टीकों से जुड़े बुनियादी वैज्ञानिक कारण थे।

अप्रैल माह के अंतिम हफ्ते में ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग की एजेंसी ‘पब्लिक हैल्थ इंग्लैंड’ ने आंकड़े जारी कर बताया था कि टीके की खुराक के बीच 12 हफ्ते का अंतराल होने पर इसकी प्रभावशीलता 65 से 88 फीसदी के बीच रहती है।

अरोड़ा ने कहा, ‘‘इसी वजह से वे अल्फा स्वरूप के प्रकोप से बाहर आ सके। वहां टीके की खुराकों के बीच अंतर 12 हफ्ते रखा गया था। हमारा सोचना था कि यह एक अच्छा विचार है और इस बात के बुनियादी वैज्ञानिक कारण भी मौजूद हैं कि अंतराल बढ़ाने पर एडेनोवेक्टर टीके बेहतर परिणाम देते हैं। इसलिए टीके की खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते करने का 13 मई को फैसला लिया गया।

उन्होंने कहा कि कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच अंतराल को बढ़ाने का निर्णय वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर पारदर्शी तरीके से लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में समूह के सदस्यों के बीच कोई मतभेद नहीं था।

सरकार ने 13 मई को कहा था कि उसने कोविड-19 कार्यकारी समूह की अनुशंसाओं को स्वीकार करते हुए कोविशील्ड टीके की दो खुराकों के बीच के अंतराल को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया है।

बयान के मुताबिक अरोड़ा ने कहा कि कनाडा, श्रीलंका और कुछ अन्य देशों के उदाहरण भी हैं जहां एस्ट्राजेनेका टीके के लिए 12 से 16 हफ्ते का अंतराल रखा गया है।

उन्होंने बताया कि खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने का जब हमने फैसला लिया उसके दो से तीन दिन बाद ब्रिटेन से खबरें आईं कि एस्ट्राजेनेका टीके की एक खुराक से महज 33 फीसदी बचाव ही होता है जबकि दो खुराकों से 60 फीसदी तक बचाव होता है। मई माह के मध्य से ही यह विचार विमर्श चल रहा है कि क्या भारत को खुराकों के बीच अंतराल फिर से चार से आठ हफ्ते कर देना चाहिए।

उन्होंने पीजीआई चंडीगढ़ में हुए एक अध्ययन का जिक्र किया जिसमें आंशिक टीकाकरण की पूर्ण टीकाकरण से तुलना की गई। इस अध्ययन में स्पष्ट रूप से बताया गया कि आंशिक टीकाकरण और पूर्ण टीकाकरण दोनों की प्रभावशीलता 75 फीसदी है। यह अध्ययन अल्फा स्वरूप के संबंध में किया गया था जो पंजाब, उत्तर भारत और दिल्ली में पाया गया था।

अरोड़ा ने बताया कि सीएमसी वेल्लोर में हुए अध्ययन के परिणाम भी इसके समान ही हैं जिसमें बताया गया कि कोविशील्ड के आंशिक टीकाकरण से 61 फीसदी तक बचाव हो सकता है और दो खुराकों से 65 फीसदी तक बचाव होता है।

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कोरोना वायरस

छत्तीसगढ़ में पिछले 24 घंटे में मिले 17 नए कोरोना मरीज..

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रायपुर :  कोरोना के 17 मरीज फिर छत्तीसगढ़ में मिले है. स्वास्थ्य विभाग ने बुलेटिन जारी कर यह जानकारी दी और बताया कि 17 जनवरी को 17 नए कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पहचान की गई है. 4 हजार सैंपलों की जांच की गई. फ़िलहाल प्रदेश के 15 जिलों में संक्रमित मरीज सक्रिय है.

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कोरोना वायरस

ओमिक्रॉन का फैल रहा खतरनाक वेरिएंट, अब तक इतनों की हुई मौत…

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12 जनवरी 2024:-  छत्तीसगढ़ में जेएन-1 वायरस से ही कोरोना फैल रहा है। एम्स में हुई जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच में इसकी पुष्टि हुई है। गुरुवार को आई रिपोर्ट में 48 सैंपलों में 25 जेएन-1 वेरिएंट का मिला। बाकी ओमिक्रॉन का है। हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार जेएन-1 वेरिएंट ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट है। इससे ज्यादा खतरा नहीं है। हालांकि यह तेजी से फैलता है पर मृत्यु दर कम है। प्रदेश में तीन लोगों की जो मौत हुई है, उनके वायरस भी जेएन-1 के हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि भी की है। प्रदेश में प्रदेश में पिछले 22 दिनों में 269 मरीज मिल चुके हैं। रोजाना मरीज मिलने का औसत 12 से कुछ ज्यादा है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी पॉजिटिव केस की जीनोम सीक्वेंसिंग जांच कराने को कहा था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने एम्स में कुल 48 सैंपल भेजे थे। प्रदेश में जिन तीन लोगों की मौत हुई है, वे पहले ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। इस सीजन में केवल कोरोना से एक भी मौत नहीं हुई है। आंबेडकर अस्पताल में चेस्ट विभाग के एचओडी डॉ. आर.के. पंडा व मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा के अनुसार जेएन-1 वायरस ज्यादा खतरनाक नहीं है, लेकिन लापरवाही भारी पड़ सकती है।

रायपुर में नए मरीज नहीं, प्रदेश में 18

राजधानी में गुरुवार को कोरोना को कोई नया मरीज नहीं मिला। वहीं प्रदेश में 18 नए केस मिले हैं। इनमें सुकमा व रायगढ़ में 4-4, बालोद व बस्तर में 3-3, दुर्ग, बेमेतरा, बलौदाबाजार व कांकेर में एक-एक मरीज मिला हैं। कुल 4714 सैंपलों की जांच की गई। संक्रमण दर 0.38 फीसदी रही। होम आइसोलेशन में 17 लोग स्वस्थ हुए।एम्स से गुरुवार को जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट आई। इसमें 48 में 25 सैंपलों में जेएन-1 वेरिएंट की पुष्टि हुई है। बाकी ओमिक्रॉन वेरिएंट वाले वायरस है। कोरोना से खतरा तो है, लेकिन डरने के बजाय अलर्ट रहने की जरूरत है। -डॉ. डीके तुर्रे, मीडिया प्रभारी स्वास्थ्य विभाग

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न्यू ईयर-क्रिसमस के जश्न पर भारी पड़ा कोरोना, 2023 के आखिरी महीने में 10,000 मौतें…

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कोरोना वायरस के केस फिर से आने लगे हैं. इस बार एक और नए वैरिएंट के साथ ये वायरस लोगों की अपनी चपेट में ले रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को एक रिपोर्ट जारी कर बताया है कि कोरोना से पिछले महीने यानी दिसंबर में 10,000 मौतें हुईं हैं. इस रिपोर्ट पर एजेंसी के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने बढ़ते कोरोना वायरस की वजह छुट्टियों में सोशल गैदरिंग को बताया है. टेड्रोस ने कहा कि दिसंबर में लगभग 10,000 मौतें हुईं, जबकि नए साल के दौरान 50 देशों में अस्पताल में 42% मरीजों की बढ़ोतरी देखी गई है. ज्यादातर मामले यूरोप और अमेरिका से आए हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल ने जिनेवा में संवाददाताओं से कहा कि 10,000 मौतें महामारी के चरम से काफी कम हैं, लेकिन रोकी जा सकने वाली मौतों का यह आकड़ा स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने कहा कि यह तय है कि और जगहों पर भी मामले बढ़ रहे हैं जहां रिपोर्ट नहीं की जा रही हैं, उन्होंने सरकारों से निगरानी बनाए रखने और इलाज व टीकाकरण की मांग की है.टेड्रोस ने बताया कि JN.1 वैरिएंट अब दुनिया में सबसे तेजी से फैल रहा है. यह एक ओमिक्रॉन वैरिएंट है, इसलिए मौजूदा टीकों से भी इससे बचा जा सकता है. वहीं डब्ल्यूएचओ की टेक्निकल लीड मारिया वान केरखोव ने कोरोनो वायरस के साथ-साथ फ्लू, राइनोवायरस और निमोनिया के कारण दुनिया भर में सांस से संबंधी बीमारियों में इजाफा बताया है.

भारत में अब तक कितनी मौत?

भारत में अब तक, जनवरी 2020 में शुरुआती प्रकोप के बाद से कोरोनोवायरस मामलों की कुल संख्या 4,50,19, 819 तक पहुंच गई है, जबकि कुल मृत्यु का आंकड़ा 5,33,406 हो गया है. वहीं भारत में पिछले 24 घंटों में 605 नए कोविड मामले दर्ज किए गए है और चार लोगों की मौतें हुईं है.

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