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ज़िले के 75 आधार ओरेटर्स ने तीन दिवसीय हड़ताल हेतु कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

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सारंगढ़-बिलाईगढ़ ज़िले के तीन ब्लाकों के आधार ओरेटर्स करेंगे सांकेतिक हड़ताल

सारंगढ़-बिलाईगढ़ : आधार का काम ठप है लेकिन ऐसा क्यों? ये सवाल हर गली गाँव चौक चौराहे पर है? परेशान है आधार कार्ड बनाने वाला और आधार कार्ड बनवाने वाला?

चलिए पूरा मामला विस्तार से समझाते है ये हाल सारंगढ़ बिलाईगढ़ ज़िले का है जहां सोमवार को कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया जिसमें ज़िले के तीन ब्लाकों के 75 आधार ओरेटर्स ने अपने समस्या को अवगत करवाया ज्ञापन में बिंदुवार समस्या है जो निम्न है

विगत कई दिनों से छ.ग के समस्त ऑपरेटर आपसे मिलकर ऑपरेटरो से जुड़े समस्याओ से अवगत कराने का प्रयास किया गया परन्तु आपसे ना तो मुलाकात हुई ना तो हमारे पत्राचार पर कोई सुनवाई आज दिनांक तक नहीं हुई ( ज्ञापन दिनांक क्रमशः है 05.10.2023, 20.12.2023, 24.01.2024, 25.07.2024, 23.08.2024, 23.10.2024) है इसी तारतम्य में हमारे द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी छ.ग (ज्ञापन दिनांक है 29.10.2024), माननीय उप मुख्यमंत्री जी छ.ग (ज्ञापन दिनांक है 05.10.2024), माननीय विधान सभा अध्यक्ष जी छ.ग (ज्ञापन दिनांक है 05.11.2024) से भी मुलाकात की गई जिसमे भी हमें आश्वाशन के अलावा आज दिनांक तक कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ इस जद्दोजहत से लगभग छग के समस्त आधार ऑपरेटरो में निराशा और आक्रोश का माहौल है, इसी विषय को देखते हुए छ.ग के समस्त जिलो के आधार ऑपरेटर 3 दिवसीय 18,19 तथा 20 नवम्बर 2024 को सांकेतिक हड़ताल में जाने का निर्णय किया गया है, यदि इन दिवसों में जनहित योजनाओ से सम्बंधित कार्य प्रभावित होते है उसकी सम्पूर्ण जवाबदारी आपकी होगी तथा इन दिवस में भी हमारी परेशानी दूर नहीं होती है उस स्थिति में हम माना तुता धरना स्थल रायपुर पर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर हो जायेंगे।

निवेदन है कि, निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यानाकर्षित करना चाहते हैं :-

1.पुरे छत्तीसगढ़ में लगभग 2000 से अधिक आधार ऑपरेटर CHiPS एजेंसी के अंतर्गत विगत 7 से अधिक वर्षों से लगातार आधार पंजीयन एवं अपडेशन के कार्य में सेवा दे रहे है साथ ही समय-समय पर शासन एवं UIDAI के दिये गये गाईडलाईन एवं निर्देशों का पालन कर रहे है। वर्तमान UIDAI ने आधार केन्द्र को लेकर नये गाईडलाईन जारी किये हैं, जिसके अनुसार पुरे राज्य के आधार केन्द्रों को शासकीय परिसर में संचालित करते हुए In-House मॉडल में शिफ्ट किया जा रहा है। जिसमें गाईडलाईन के अनुसार आधार केन्द्रों में आधार किट (लैपटॉप फिंगर स्लैप + आईरिस + फोकस लाईट कैमरा + जीपीएस इत्यादि) एजेंसी CHiPS के द्वारा आधार केन्द्रों को मुहैया कराई जायेगी। परंतु वर्तमान में CHiPS एजेंसी के पास ऐसी कोई किट हमारी जानकारी में नहीं है, ऐसी स्थति में जो चिप्स एजेंसी के अन्दर कार्य कर रहे है उनका कार्य बंद होने की स्थिति बन रही है, जिससे आधार ऑपरेटर बेरोजगारी की कगार में है। इसी के भरासे उनके परिवारों का भरण-पोषण चलता है। कुछ दिन पहले एजेंसी के द्वारा आधार केन्द्रों को In- House मॉडल में शिफ्ट करने हेतु जिला स्तर पर एग्रीमेंट कराया गया है। जिसमें आधार संचालकों ने अपना स्वयं का आधार किट जो उन्होंने खुद ही क्रय किया है। उसे निःशुल्क एजेंसी को सौंप कर कार्य करनें हेतु अपनी सहमति प्रदान की है। परंतु इस पर एजेंसी CHiPS एवं UIDAI के द्वारा किसी प्रकार कि प्रतिक्रिया नही दी जा रही है। UIDAI का कहना यह है कि मशीनें एजेंसी की होगी तभी आप कार्य कर पायेंगे अन्यथा नही कर पायेंगे। राज्य के सभी आधार ऑपरेटरों का कार्य संकट की स्थिति में पहुंच गई है।

1. आधार में कार्य कर रहे राज्य के समस्त आधार संचालक जिनका नये एवं अनिवार्य अपडेट का कमीशन भुगतान पूर्व में दिसम्बर 2022 तक का भुगतान किया गया था परन्तु उसके बाद का भुगतान आज दिनांक तक नहीं किया गया है, चिप्स सीईओ तथा आधार प्रोजेक्ट इंचार्ज को कई बार चिप्स कार्यालय आकर निवेदन समिति द्वारा किया जा चुका है लेकिन हमें केवल आश्वाशन ही प्राप्त होता है ।

2.वर्तमान में सभी आधार सेंटर UIDAI की गाईडलाईन के अनुसार सरकारी परिसर में संचालित है, परन्तु हमें अपना चॉइस सेंटर को छोड़ कर जिसमे सरकार की विभन्न योजनाओं का कार्य करते है ऐसी जगह के स्थान पर किसी अन्य परिसर में कार्य करने को मजबूर है जिससे हमारी चॉइस सेंटर के कार्य प्रभावित हो रहे है आपसे निवेदन है की समस्त चॉइस सेण्टरो को छ ग शासन की अधिसूचना क्र. House मॉडल में सम्मिलित किया जाये ।

806/PS/SIT/2003/CHOICE के तहत शासकीय परिसर घोषित कर In-

3.आधार ऑपरेटर को शासन द्वारा समय समय पर शिविरों में भेजा जाता है जहा आते जाते यदि किसी ऑपरेटर की दुर्घटना हो जाती है तो उसे किसी भी प्रकार का मुवावजा शासन द्वारा नहीं मिलता तथा कई बार आधार सेंटरो में ऑपरेटरो से मारपीट तथा दुर्व्यवहार हुआ है जिसमे आधार मशीनों की क्षति हुई है ऐसी स्थिति को देखते हुए आपसे निवेदन है की 50 लाख तक का बीमा ऑपरेटर तथा उनकी मशीनों का भी शासन द्वारा दिया जाए ।

4.वर्तमान में आधार ऑपरेटर को किसी भी टेक्नीकल समस्याओ के निराकरण के लिए बहुत समस्याए आती है जिससे नागरिको का काम बाधित होता है चिप्स एजेंसी में कई बार इस विषय में बात की गई लेकिन आज दिनांक तक किसी भी प्रकार का टेक सपोर्ट का प्रावधान नहीं किया गया आपसे निवेदन है की टेक सपोर्ट की उचित व्यवस्था कराई जाए ।

5.प्रदेश और जिला स्तर पर आधार निगरानी समिति बनाई गई है जिसमे प्रत्येक 1-2 माह में बैठक होती है जिसमे आधार ऑपरेटर तथा आम नागरिको के मैदानी स्तर की समस्याओ, आवश्यक सुझाव तथा मार्गदर्शन नहीं हो पाता आपसे निवेदन है उक्त बैठक में हमारी समिति के 2 ऑपरेटरो को शामिल किया जाए ।

6.लोक सेवा केन्द्र आधार संचालको को उनके सेंटर में ही आधार संचालन की अनुमति :- जनहित की भावना से सरकार ने सन् 2014 में लोक सेवा केन्द्र की स्थापना की गई जिससे आम जनता की सरकारी योजनाओं के आवेदन एवं लाभ लेने में सुविधा हो। हम लोक सेवक, लोक सेवा केन्द्र में सरकारी योजनाओं एवं आधार पंजीयन व अपडेट का कार्य करते हैं परन्तु कुछ जिले में आधार ऑपरेटरों को जिला समन्वयक द्वारा परेशान किया जा रहा हैं। यदि किसी कारण से आधार ऑपरेटर का कुछ समय के लिए निलंबन के बाद रिजॉइनिंग के समय उन्हे किसी दुसरे स्थान पर आधार संचालन करने कहा जाता है। लोक सेवक को पूर्व स्थान पर बैठने की अनुमति नहीं दी जाती है एवं दुसरे स्थान पर नहीं जाने से आधार चालू नहीं किया जाता है अगर आधार चालु रहने की स्थिति में बंद करने की धमकी दी जाती है मानसिक एवं आर्थिक रुप से प्रताड़ित किया जाता है!

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फरसाबहार में अवैध रूप से परिवहित लगभग 45 बोरी अवैध धान किया गया जप्त

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जशपुरनगर 21 नवंबर 2024  : कलेक्टर रोहित व्यास के निर्देश पर अन्य राज्यों से अवैध रूप से परिवहित और संग्रहित धान के खिलाफ जिला प्रशासन की सख्त कार्यवाही जारी है। इसी कड़ी में उड़ीसा से अवैध रूप से धान परिवहित की जा रही एक पिकअप वाहन को फरसाबहार की संयुक्त टीम के द्वारा जप्त कर कार्यवाही की गई है।जानकारी के मुताबिक ग्रामीणों के द्वारा दी गई सूचना के आधार पर नायब तहसीलदार फरसाबहार, फूड इंस्पेक्टर की संयुक्त टीम के द्वारा भंडारी सांकरा उड़ीसा से आ रही पिकअप वाहन से लगभग 45 बोरी अवैध धान जप्त कर तुमला थाना में सुपुर्द करने की कार्यवाही की गई है।

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जिला कोरिया में अवैध खनिज परिवहन पर कार्रवाई, पांच वाहन जप्त

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कोरिया 21 नवम्बर 2024  : कलेक्टर के निर्देश पर खनिज विभाग द्वारा खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। इसी कड़ी में विगत दिनों निरीक्षण के दौरान पांच वाहनों को अवैध खनिज परिवहन करते हुए पकड़ा गया।

खनि अधिकारी भूषण कुमार पटेल और उनकी टीम द्वारा वाहन क्रमांक CG16 CH 9649 (मिनी हाईवा) को अवैध रूप से रेत परिवहन करते हुए
चालक श्री छोटेलाल को पाया गया, जिसके मालिक श्री अर्जुन साहू, इसके अलावा सोल्ड ट्रेक्टर सोनालिका वाहन चालक ओमप्रकाश व वाहन मालिक, सुनील सोनी, CG15 AC 5642 के वाहन चालक जोत लाल, मालिक रोशन राजवाड़े, CG15 AE 4795 के वाहन चालक बसन्त व वाहन मालिक पुष्पराज हैं, जो अवैध रेती परिवहन कर रहे थे वहीं, वाहन क्रमांक CG16 CR 2244 को अवैध कोयला परिवहन करते हुए पकड़ा गया, जिसके मालिक श्री राजेश कश्यप और चालक श्री अतुल कश्यप हैं।

पांचों वाहनों को मौके पर जप्त कर समीपस्थ थाना चरचा एवं पटना थाना में अभिरक्षा में रखा गया। खनि विभाग ने छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम 2015 के नियम 71 और खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 के तहत प्रकरण दर्ज किया। दोषियों से कुल ₹47,646/- (सैंतालीस हजार छह सौ छियालीस रुपए) जुर्माना वसूल कर राशि खनिज मद में जमा कराई गई।

जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अवैध खनिज उत्खनन, परिवहन और भंडारण के खिलाफ कार्रवाई निरंतर जारी रहेगी। प्रशासन ने क्षेत्रवासियों से अपील की है कि वे अवैध खनन की सूचना तत्काल संबंधित विभाग को दें। जिला प्रशासन प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और कानून के पालन के लिए प्रतिबद्ध है। इस प्रकार की कार्रवाई से अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाया जाएगा।

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विश्व मत्स्य दिवस पर विशेष संम्पादकीयःछत्तीसगढ़ में मछली पालन को नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में विष्णुदेव साय सरकार

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एमसीबी :  छत्तीसगढ़ जो भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 4.14 प्रतिशत हिस्सा है, जलवायु और जल संसाधनों के कारण मछली पालन के लिए उपयुक्त है। राज्य में 43 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित है। राज्य को तीन हिस्सों में बांटा गया है: उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र, मध्य मैदानी क्षेत्र और बस्तर पठार। महानदी, इंद्रावती और सहायक नदियां मछली पालन के लिए आधार बनाती हैं। छत्तीसगढ़ में 2.10 लाख लोग मछली पालन से जुड़े हैं। 1,27,269 ग्रामीण तालाब और 1,770 सिंचाई जलाशयों में से 92 प्रतिशत जलक्षेत्र मत्स्य पालन में उपयोग हो रहा है। 2023-24 तक 418.07 करोड़ मत्स्य बीज का उत्पादन हुआ, जबकि 2024-25 का लक्ष्य 546 करोड़ है। जिसमें विशेष उपलब्धि 2007-08 में 1.39 लाख टन मत्स्य उत्पादन 2022-23 में 7.30 लाख टन हो गया। 2.20 लाख लोग मछली पालन में लगे हैं। आधुनिक तकनीक, जैसे केज कल्चर और बड़े फिंगरलिंग का उपयोग कर के उत्पादन को बढ़ा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में मछली पालन का क्षेत्र जो कभी केवल पारंपरिक व्यवसाय के रूप में देखा जाता था, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की दूरदृष्टि के कारण अब राज्य की आर्थिक और सामाजिक समृद्धि का केंद्र बन रहा है। विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने मछुआरों और मछली किसानों के योगदान को सराहा और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह दिन छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मछली पालन के महत्व को रेखांकित करता है और इस क्षेत्र के विकास की संभावनाओं को प्रदर्शित करता हैं। छत्तीसगढ़ की नदियां, तालाब और जलाशय मछली पालन के लिए अत्यधिक उपयुक्त हैं। राज्य का मछुआरा समुदाय और मछली किसान इस क्षेत्र की रीढ़ हैं। उनकी आजीविका इस व्यवसाय पर निर्भर है, और वे राज्य के खाद्य और पोषण सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल और मछुआरों के लिए विशेष योजनाएं

मुख्यमंत्री साय की सरकार ने मछली पालन के क्षेत्र में सुधार और विकास के लिए व्यापक रणनीति अपनाई है। छोटे और सीमांत मछली किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए विशेष ऋण योजनाएं शुरू की गई हैं। इसके साथ ही उन्नत प्रौद्योगिकी और आधुनिक उपकरणों का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। महिलाओं और युवाओं को मछली पालन में भागीदारी के लिए प्रेरित करते हुए सामुदायिक तालाबों के माध्यम से उनके लिए नए अवसर उत्पन्न किए गए हैं।

केंद्र सरकार की योजनाओं का राज्य के विकास में योगदान

केंद्र सरकार की योजनाओं ने छत्तीसगढ़ में मछली पालन के क्षेत्र को नई ऊर्जा प्रदान की है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत राज्य में जल संसाधनों के बेहतर उपयोग, मछली उत्पादन में वृद्धि और मछुआरा समुदाय की आय में सुधार के लिए कई परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं। नीली क्रांति योजना के अंतर्गत टिकाऊ मछली पालन और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए मछुआरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और नीली क्रांति का प्रभाव

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का उद्देश्य मछली पालन को प्रोत्साहित करते हुए किसानों और मछुआरों की आजीविका को सुदृढ़ बनाना है। छत्तीसगढ़ में इस योजना के तहत आधुनिक कोल्ड स्टोरेज, मछली बाजार और परिवहन सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। नीली क्रांति योजना ने मछली पालन में नवाचार और प्रौद्योगिकी आधारित दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया है। इसका प्रभाव न केवल उत्पादन में वृद्धि के रूप में देखा गया है, बल्कि राज्य के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी छत्तीसगढ़ की उपस्थिति को मजबूत किया है।

मछुआरा समुदाय के लिए कौशल विकास और प्रशिक्षण का महत्व

मछली किसानों और मछुआरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण और कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्नत तकनीकों, जैसे बायोफ्लॉक मछली पालन और रीसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयासों से मछली किसानों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचने में मदद मिल रही है, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।

छत्तीसगढ़ में मछली उत्पादन का बढ़ता दायरा

छत्तीसगढ़ मछली उत्पादन में न केवल राज्य की जरूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपने उत्पादों की पहचान बना रहा है। राज्य सरकार का लक्ष्य छत्तीसगढ़ को भारत का मछली पालन केंद्र बनाना है, और इसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य की मछली पालन क्षमता का उपयोग करते हुए किसानों और मछुआरों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी अवसर पैदा किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में राज्य सरकार टिकाऊ मछली पालन की दिशा में भी काम कर रही है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और जल संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने के लिए विशेष योजनाएं तैयार की गई हैं। जैव विविधता को संरक्षित करते हुए पर्यावरण-अनुकूल मछली पालन प्रथाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने मछुआरा समुदाय की मेहनत और योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि मछली पालन राज्य की आर्थिक रीढ़ है, और इसे सशक्त बनाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने मछुआरों को आश्वासन दिया कि केंद्र और राज्य सरकार उनके साथ हैं और उनकी आजीविका को बेहतर बनाने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और केंद्र सरकार की योजनाओं का समन्वय छत्तीसगढ़ को मछली पालन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, नीली क्रांति और अन्य योजनाओं के माध्यम से राज्य में मछली पालन का एक सुनियोजित और संगठित विकास हो रहा है। मुख्यमंत्री साय की दूरदृष्टि और केंद्र सरकार के सहयोग से छत्तीसगढ़ मछली पालन का राष्ट्रीय केंद्र बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।

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