Home देश-विदेश कुंभ मेले की जगह पर अंग्रेजों ने कराई थी बमबारी, जानिए इस...

कुंभ मेले की जगह पर अंग्रेजों ने कराई थी बमबारी, जानिए इस ‘कुख्यात कांड’ की कहानी..

13
0

कुंभ मेला सनातन हिंदू धर्म के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है. कुंभ का इतिहास 800 साल से भी पुराना है और इसे आदि गुरू शंकराचार्य ने शुरू किया था. कुंभ का आयोजन कभी बंद नहीं हुआ. भारत पर खिलजी, तुगलक, मुगल और अंग्रेज शासन के दौरान भी यह धार्मिक आयोजन पूरे विधि-विधान से संपन्न होता रहा. लेकिन, इतिहास में एक तारीख ऐसी भी दर्ज है जब कुंभ मेला क्षेत्र पर बमबारी करा के इसे नष्ट कर दिया गया.

अंग्रेज कर्नल नील ने कुंभ मेला स्थल को निशाना बनाया

यह उस समय की बात है जब भारत में ब्रिटिश हुकुमत थी और आजादी का आंदोलन परवान चढ़ रहा था. 1857 की क्रांति के दौरान कुंभ मेले से जुड़े प्रयागवाल समुदाय उन लोगों में शामिल थे अंग्रेज शासन को उखाड़ फेंकने के लिए विद्रोहियों के साथ थे. औपनिवेशिक सरकार ने प्रयागवालों पर इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में अशांति फैलाने और आंशिक रूप से 1857 के विद्रोह को भड़काने का आरोप लगाया. विद्रोह के दौरान, कर्नल नील ने कुंभ मेला स्थल को निशाना बनाया और उस क्षेत्र पर बमबारी की जहां प्रयागवाल रहते थे, इसे नष्ट कर दिया. 1857 के बाद भी प्रयागवाल समुदाय और कुंभ मेले के तीर्थयात्रियों की भीड़ अंग्रेज शासन के खिलाफ विरोध दर्ज कराना जारी रखा. कुंभ मेले की 1947 तक देश की आजादी के आंदोलन में प्रमुख भूमिका थी.

क्या है कुंभ का इतिहास

पौराणिक कथाओं के मुताबिक समुद्र मंथन से निकले अमृत की चार बूंदें देवताओं और असुरों के बीच झड़प के दौरान धरती पर गिरी थीं. धरती पर जिन जगहों पर अमृत की बूंदें गिरीं वहां हर 6 साल पर अर्धकुंभ और 12 साल पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. कुंभ प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में आयोजित होता है.

2025 में प्रयागराज आयोजित होगा महाकुंभ मेला

महाकुंभ मेला 2025 प्रयागराज में 13 जनवरी, 2025 से 26 फरवरी, 2025 तक आयोजित होने जा रहा है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here