चंडीगढ़ः किसानों का जत्था शंभू बॉर्डर से दिल्ली की तरफ कूच शुरू कर दिया है। 101 किसान संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले दिल्ली की तरफ पैदल रवाना हो रहे हैं। हरियाणा बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा किसान अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। पंधेर ने कहा कि 101 किसानों का समूह शनिवार को शांतिपूर्ण तरीके से पैदल मार्च करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के आंदोलन को तेज करने से पहले सरकार को बातचीत करनी चाहिए।
अंबाला के कई गांवों में इंटरनेट बंद
किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए अंबाला के कई गांवों में इंटरनेट सेवा को अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार, डंगदेहरी, लोहगढ़, मानकपुर, डडियाना, बड़ी घेल, छोटी घेल, लहारसा, कालू माजरा, देवी नगर (हीरा नगर, नरेश विहार), सद्दोपुर, सुल्तानपुर और काकरू में इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस दौरान लोग फोन पर बात कर सकेंगे। इन जगहों पर इंटरनेट 17 दिसंबर तक सस्पेंड रहेगा।
पहले भी कर चुके हैं दिल्ली कूच की कोशिश
गौरतलब है कि रविवार को प्रदर्शनकारी किसानों को शंभू सीमा से दिल्ली तक अपना पैदल मार्च स्थगित करना पड़ा था, क्योंकि उनमें से कुछ हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों द्वारा आंसू गैस के गोले दागे जाने से घायल हो गए थे, जिन्होंने एक बार फिर प्रदर्शनकारियों द्वारा पंजाब-हरियाणा सीमा से आगे जाने के प्रयास को विफल कर दिया था। किसान यूनियनों के अनुसार, किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की बिगड़ती सेहत के कारण उन्हें अपना विरोध प्रदर्शन स्थगित करना पड़ा, जो 26 नवंबर से आमरण अनशन पर हैं।
पंजाब के किसान नेताओं से मिले राकेश टिकैत
वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने भी शुक्रवार को पंजाब के किसान नेताओं से मुलाकात की और संयुक्त लड़ाई के लिए किसान समूहों की एकजुटता का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि डल्लेवाल हमारे बड़े नेता हैं और हम उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं, पूरे देश के किसान चिंतित हैं। सरकार को संज्ञान लेना चाहिए। ऐसा नहीं लगता कि डल्लेवाल तब तक अपना आमरण अनशन वापस लेंगे, जब तक सरकार बातचीत नहीं करती और उनकी मांगें पूरी नहीं करती।
टिकैत ने दी सरकार को चेतावनी
टिकैत ने यह भी चेतावनी दी कि केंद्र को किसानों की ताकत दिखानी होगी और इसके लिए दिल्ली को अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले आंदोलन की तरह सीमाओं पर नहीं घेरना होगा, बल्कि केएमपी (कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे) से राष्ट्रीय राजधानी को घेरना होगा। उन्होंने कहा कि एक बार फिर 4 लाख ट्रैक्टरों की जरूरत है।