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डेंगू के बाद चिकनगुनिया का भी बढ़ रहा खतरा, दो सप्ताह से लगातार बढ़ रहे केस, क्या हैं इस बुखार के लक्षण..

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डेंगू के साथ अब देशभर में चिकनगुनिया के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. दिल्ली, एनसीआर समेत देश के कुछ राज्यों से चिकनगुनिया के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं. पुणे में सितंबर महीने में ही चिकनगुनिया के 90 से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं. पुणे के अलावा मुंबई और अन्य शहरों में भी मच्छरों से फैलने वाले बुखार का असर देखा जा रहा है. दिल्ली में भी मच्छर जनित बीमारियों के केस बढ़ रहे हैं. दिल्ली में डेंगू से एक मरीज की मौत हो चुकी है. जबकि दो सप्ताह से चिकनगुनिया के मामलों में भी इजाफा देखा गया है. इसी तरह दिल्ली के आसपास के इलाकों में भी इस बुखार के केस आ रहे हैं.

इस बार डेंगू के साथ-साथ चिकनगुनिया के मामले भी बढ़े हैं, लोग बुखार और जोड़ों के दर्द की शिकायत के साथ अस्पताल आ रहे हैं. हालांकि समय से इलाज मिलने पर बुखार ठीक भी हो रहा है लेकिन लोगों को पूरी एहतियात बरतने की जरूरत है साथ ही मच्छरों से बचने की जरूरत है. अपने घर के आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और मच्छर न पनपने दें. मच्छरों के काटने से होने वाला ये बुखार डेंगू जैसा ही है इसलिए लोग इसमें और डेंगू में काफी कम भेद कर पाते हैं. लेकिन ब्लड टेस्ट की मदद से इन दोनों बुखारों का पता लगाया जा सकता है. साथ ही बारिशों के समय होने वाले किसी भी तरह के बुखार को हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि लक्षण बढ़ने पर मरीज की जान बचाना तक मुश्किल हो जाता है.

डेंगू और चिकनगुनिया में अंतर

1.चिकनगुनिया के मरीजों को जहां जोड़ों का दर्द ज्यादा होता है वहीं डेंगू के सीरियस मामलों में रक्तस्राव और सांस लेने में परेशानी होती है,

2.चिकनगुनिया के मरीजों के चेहरे, हथेलियों, पैरों समेत पूरे शरीर पर दाने आने शुरू हो जाते हैं जबकि डेंगू में दानें सिर्फ चेहरे और अंगों पर ही होते हैं.

3.डेंगू में मरीज का प्लेटलेट्स काउंट कम होने से मरीज को कमजोरी अधिक महसूस होती है जबकि चिकनगुनिया में प्लेटलेट्स काउंट कम नहीं होता.

4. डेंगू का मामला गंभीर होने से व्यक्ति की जान तक जा सकती है लेकिन चिकनगुनिया में इसका प्रतिशत कम होता है.

चिकनगुनिया को कैसे पहचानें

1. चिकनगुनिया भी डेंगू की तरह मच्छर के काटने से होता है. जिसमें सबसे पहले व्यक्ति को बुखार की शिकायत होती है

2.इसमें सबसे पहले जोड़ों और मांसपेशियों में तेज दर्द महसूस होता है.

3.इसके अलावा सिरदर्द, थकान, शरीर पर चकत्ते, मतली और लाल आंखें जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

4.चिकनगुनिया के लिए आईजीएम चिकनगुनिया टेस्ट किया जाता है.

बचाव के लिए क्या करें

चिकनगुनिया का बुखार भी खतरनाक साबित हो सकता है और काफी लंबे समय तक असर दिखा सकता है इसलिए इससे बचाव के लिए

1.अपने आस-पास पानी न इकट्ठा होने दें.

2.मच्छर को मारने के लिए मिट्टी का तेल और दवा का इस्तेमाल करें.

3.आस-पास साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें.

4. पूरी बांह और ढके हुए कपड़े पहनें.

5.बच्चों को शाम को बाहर खेलने न भेजें.

6. बाहर जाना हो तो मच्छर भगाने वाली क्रीम लगाकर ही बाहर भेजें.

7.बुखार चढ़ने पर ब्लड टेस्ट जरूर करवाएं.

8.कोई भी लक्षण दिखने पर पूरा इलाज करवाएं, कोई लापरवाही न बरतें.

9. शरीर में पानी की कमी न होने दें. रोजाना 2-3 लीटर पानी पीते रहें.

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पेट की कई परेशानियों की छुट्टी कर देता है स्वाद से भरपूर अमरूद, बस जान लें सेवन का सही तरीका

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अमरूद का सीज़न शुरू हो गया है। बाजर में यह फल अब खूब बिकने लगा है। इसका खट्टा मीठा स्वाद लोगों को बेहद पसंद आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं यह फल पेट के लिए काफी फायदेमंद है। अमरूद विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट, पोटैशियम और अन्य पोषक तत्वों का भंडार है। दरअसल, अमरूद एक ट्रॉपिकल फल है जिसमें कैलोरी कम और फाइबर, पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन सी, बी6, कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम अधिक मात्रा में होता है। अगर आप पेट से जुड़ी समस्याओ से परेशान हैं तो यह फल आपके लिए संजीवनी बूटी समान है। चलिए बताते हैं अमरूद का सेवन किस तरह से किया जा सकता है।

पेट की इन परेशानियों में अमरूद है फायदेमंद :

  • पाचन तंत्र होगा मजबूत: अमरूद ही नहीं बल्कि उसकी पत्तियां भी पाचन को बेहतर करती हैं। इसमें मौजूद एस्ट्रिंजेंट पेट और आंत को साफ करने में मदद करता है और संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया को रोकता है। इस फल में मौजूद विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट अशुद्धियों को बाहर निकालने में भी मदद करते हैं, जिससे पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलती है।
  • अपच में लाभकारी: अगर आपको अपच की समस्या रहती है तो अमरूद का सेवन आपके लिए लाभकारी हो सकता है। अपच की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए भुना हुआ अमरूद का सेवन करें।
  • कब्ज में फायदेमंद: अमरूद में फाइबर की मात्रा ज़्यादा होती है, जो पाचन में मदद कर सकता है और कब्ज़ से राहत दिला सकता है। फाइबर मल को ठोस और मुलायम बनाकर पाचन में मदद करता है। यह दस्त और कब्ज दोनों के लक्षणों को कम कर सकता है। अमरूद के पत्तों का अर्क दस्त की तीव्रता और अवधि को कम करने में मदद कर सकता है।

कब और कैसे खाएं?

अमरूद का सेवन फायदेमंद है लेकिन इसका सेवन शाम या रात नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह ठीक से पच नहीं सकता है। इसका सेवन आप दोपहर में 12 बजे के आसपास करें। साथ ही आप लंच के बाद भी खा सकते हैं। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो अमरूद खाने में सावधानी बरतें, क्योंकि इससे रक्त शर्करा कम हो सकता है।

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बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करेंगे ये 7 फल, ऐसे करें डाइट में शामिल..

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कोलेस्ट्रॉल एक ऐसी समस्या है जिससे दुनियाभर के लाखों लोग परेशान हैं। शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं- गुड कोलेस्ट्रॉल और बैड कोलेस्ट्रॉल। बैड कोलेस्ट्रॉल को LDL भी कहते हैं। बैड कोलेस्ट्रॉल ऐसा पदार्थ है जो शरीर में जमा होने लगता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन में परेशानी होती है। गंदे कोलेस्ट्रॉल से हार्ट के रोगों का खतरा तेज हो जाता है। इसके अलावा, बैड कोलेस्ट्रॉल से पेट में दर्द जैसी कई समस्याएं भी हो सकती हैं। बैड कोलेस्ट्रॉल से ओबेसिटी (मोटापा) भी हो सकती है। कोलेस्ट्रॉल की समस्या से राहत पाने के लिए सिर्फ दवाओं का सहारा लेना सही नहीं है। ऐसे कई फल हैं जिन्हें खा कर आप गंदे कोलेस्ट्रॉल को शरीर से बाहर निकाल सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही सेहतमंद फलों के बारे में जो शरीर से बैड कोलेस्ट्रॉल को साफ करने में मदद कर सकते हैं।

संतरा- विटामिन-सी से भरपूर यह फल शरीर में जम रहे प्लाक (plaque) को कम करता है। संतरा खाने से एंटीऑक्सीडेंट्स की कमी पूरी होती है। संतरा खाने से हृदय रोगों की भी रोकथाम होती है।

बैरीज- बैरीज में भी एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। बैरीज में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण भी होते हैं जो शरीर से बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। बैरीज खाने से शरीर में एनर्जी भरपूर रहती है।

अनार- अनार फायदेमंद फलों में से एक है। इसमें विटामिन-सी, ए, बी और फाइबर जैसे कई गुण मौजूद हैं। अनार खाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। अनार से कब्ज कम होती है अनार ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मदद करता है। गंदे कोलेस्ट्रॉल को फ्लश आउट करने के लिए अनार खाना फायदेमंद है।

पपीता- इस फल में पैपन नाम का एक एंजाइम होता है जो दिल के रोगों को कम कर सकता है। पपीता खून से अनहेल्दी फैट और कोलेस्ट्रॉल को साफ करने में मदद करता है। पपीता बेहतर पाचन क्रिया के लिए भी खाया जा सकता है। पपीते में फाइबर होता है जो गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाने में मदद करता है।

एवोकाडो- एवोकाडो में मोनोसैचुरेटेड फैट्स होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को बैलेंस रखते हैं। एवोकाडो विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। एवोकाडो LDL की समस्या में खाना ज्यादा फायदेमंद होता है।

सेब- सेब खाने से भी गंदे कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है। सेब सबसे ज्यादा फायदेमंद फल माना जाता है। सेब खाने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। रोजाना 1 सेब खाने से हार्ट की बीमारियों से बचा जा सकता है।

अमरूद- अमरूद और अमरूद के पत्ते, दोनों ही बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक हैं। अमरूद को बैड कोलेस्ट्रॉल का दुश्मन माना जाता है। अमरूद खाने से नसों में जमा गंदा कोलेस्ट्रॉल भी साफ हो जाता है। अमरूद खाने से ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल रहता है।

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फ्रूट जूस और कॉफी पीने हो जाएंं सावधान, जानलेवा हो सकता है यह शौक…

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5 अक्टूबर 2024:-  कई लोग कॉफी और फ्रूट जूस के दीवाने होते हैं. जब भी उन्हें मौका मिलता है, वे इन चीजों को गटक जाते हैं. लंबे समय तक इन चीजों का सेवन करने से लोगों को इसकी लत लग जाती है. अगर आप भी कॉफी या फ्रूट जूस पीने के शौकीन हैं तो सावधान होने की जरूरत है. एक नई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि कॉफी और फ्रूट जूस का ज्यादा सेवन करने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है. स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी हैं, जिसमें लोगों के शरीर का आधा हिस्सा लकवाग्रस्त हो जाता है या मौत हो जाती है. इस रिसर्च में बेहद चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं.एक हालिया स्टडी में पता चला है कि फलों के जूस और कॉफी का ज्यादा सेवन करने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है. इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने अलग-अलग ड्रिंक्स के हेल्थ पर असर को समझने की कोशिश की है. इसमें पता चला है कि जिन लोगों को स्ट्रोक का ज्यादा रिस्क है, उन्हें फ्रूट जूस और कॉफी का सेवन कम करना चाहिए, वरना यह जानलेवा हो सकता है. शोधकर्ताओं ने कई ड्रिंक्स के सेवन के साथ-साथ स्ट्रोक के मामलों का विश्लेषण किया है. इसमें हजारों लोगों के डाटा का एनालिसिस किया गया था, जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है

रिसर्च करने वाले एक्सपर्ट्स की मानें तो फलों के जूस और कॉफी के अधिक सेवन से स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है. सिर्फ ये दो ड्रिंक्स ही नहीं, बल्कि ज्यादा शुगर वाली सभी चीजों का सेवन करना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. बाजार में मिलने वाले पैक्ड फ्रूट जूसेस में एडेड शुगर होती है, जो ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ा सकती है. इससे इंसुलिन का स्तर बढ़ता है और इससे हार्ट हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है. अध्ययन में पाया गया कि ताजा फलों के जूस का अधिक सेवन करने वालों में भी स्ट्रोक के मामले अधिक पाए गए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि नेचुरल शुगर का सेवन भी लिमिट में ही करना चाहिए.

अब सवाल है कि कितने कप कॉफी पीने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है? शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिदिन 4 कप से ज्यादा कॉफी पीने से स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है, जबकि उतनी ही मात्रा में चाय पीने से जोखिम कम हो सकता है. एक विश्लेषण में शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिदिन एक कार्बोनेटेड ड्रिंक पीने से स्ट्रोक का रिस्क 22% तक बढ़ जाता है. जब प्रतिदिन इन दोनों ड्रिंक्स का सेवन किया जाता है तो यह जोखिम 3 गुना बढ़ जाता है. विशेष रूप से जो लोग पहले से हार्ट से रिलेटेड डिजीज का सामना कर रहे हैं, उनके लिए स्थिति और भी गंभीर हो सकती है

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