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वर्ष 2025 के लिए अवकाशों की घोषणा

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रायपुर, 08 नवंबर 2024  : राज्य शासन द्वारा वर्ष 2025 के लिए सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में सामान्य एवं ऐच्छिक अवकाश के तिथियों की घोषणा कर दी गई है। ऐच्छिक अवकाशों की सूची में से शासकीय कर्मी को स्वेच्छानुसार केवल 3 ऐच्छिक अवकाश की पात्रता होगी। बैंकोें की वार्षिक लेखाबंदी 01 अप्रैल सोमवार का अवकाश के केवल बैंकों एवं कोषालयों के लिए घोषित किया गया है।सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना अनुसार मॉ शाकंभरी जयंती एवं छेरछेरा 13 जनवरी सोमवार, महाशिवरात्रि 26 फरवरी बुधवार, होली 14 मार्च शुकवार, भक्त माता कर्मा जयंती 25 मार्च मंगलवार, ईद-उल-फितर 31 मार्च सोमवार, महावीर जयंती 10 अप्रैल गुरूवार, डॉ. अंबेडकर जयंती 14 अप्रैल सोमवार, गुड फ्राइडे 18 अप्रैल शुकवार, बुद्ध पूर्णिमा 12 मई सोमवार, ईद-उल-जुहा (बकरीद) 07 जून शनिवार, कबीर जयंती 11 जून बुधवार, हरेली 24 जुलाई गुरूवार, विश्व आदिवासी दिवस 09 अगस्त शनिवार, रक्षाबंधन 09 अगस्त शनिवार, स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त शुकवार, कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त शनिवार, हरितालिका (तीज पर्व) 26 अगस्त मंगलवार, ईद-ए-मिलाद (मिलाद-उन-नबी) 06 सितंबर शनिवार, दशहरा (विजयादशमी) 02 अक्टूबर गुरूवार, महात्मा गांधी का जन्म दिवस 02 अक्टूबर गुरूवार, दीवाली (दीपावली) 20 अक्टूबर सोमवार, छठ पूजा 27 अक्टूबर सोमवार, गुरूनानक जन्म दिवस 05 नवम्बर बुधवार, गुरूघासी दास जयंती 18 दिसंबर गुरूवार, क्रिसमस दिवस 25 दिसंबर गुरूवार को अवकाश घोषित किया गया है। गणतंत्र दिवस 26 जनवरी, रामनवमी 06 अप्रैल और मोहर्रम 06 जुलाई को रविवार होने के कारण अलग से अवकाश घोषित नही किए गए है।

इसी तरह वर्ष 2025 के लिए ऐच्छिक अवकाश भी घोषित किए गए है। जिसके अनुसार नववर्ष दिवस 01 जनवरी 2025 बुधवार, माता सावित्री बाई फुले जयंती 03 जनवरी शुकवार, लुई ब्रेल का जन्म दिवस 04 जनवरी शनिवार, गुरू गोविन्द सिंह का जन्म दिवस 06 जनवरी सोमवार, राजिम भक्तिन माता जयंती 07 जनवरी मंगलवार, विश्व हिन्दी दिवस 10 जनवरी शुक्रवार, छेरछेरा एवं माता शाकांभरी जयंती 13 जनवरी सोमवार, मकर संक्रांति/पोंगल 14 जनवरी मंगलवार, हजरत अली का जन्म दिवस 14 जनवरी मंगलवार, शहीद गैंदसिंह का शहादत दिवस 20 जनवरी सोमवार, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जयंती 23 जनवरी गुरूवार, बसंत पंचमी/माँ परमेश्वरी जयंती 03 फरवरी सोमवार, राजिम मेला माघ पूर्णिमा एवं संत रविदास जन्म दिवस 12 फरवरी बुधवार, शब-ए-बारात 14 फरवरी शुकवार, छत्रपति शिवाजी जयंती 19 फरवरी बुधवार, होली (होलिका दहन) 13 मार्च गुरूवार, रंग पंचमी 19 मार्च बुधवार, वीरांगना अवंतिबाई का बलिदान दिवस 20 मार्च गुरुवार, जमात-उल-विदा 28 मार्च शुकवार, गुहा निषादराज जयंती 02 अप्रैल बुधवार, हाटकेश्वर जयंती 11 अप्रैल शुकवार, धरती पूजा (खद्दी पर्व) 12 अप्रैल शनिवार, श्रीमद् वल्लभाचार्य जयंती 24 अप्रैल गुरुवार, सेन जयंती 25 अप्रैल शुक्रवार, परशुराम जयंती 30 अप्रैल बुधवार, शंकराचार्य जयंती 02 मई शुक्रवार, छत्रसाल जयंती/महाराणा प्रताप जयंती 29 मई गुरूवार, महेश नवमीं (ज्येष्ठ शुक्ल) 04 जून बुधवार, वीरांगना दुर्गावती का बलिदान दिवस 24 जून मंगलवार, रथयात्रा 27 जून शुकवार, डॉ. खूबचंद बघेल का जन्म दिवस 19 जुलाई शनिवार, नाग पंचमी 29 जुलाई मंगलवार, हरछठ 14 अगस्त गुरुवार, पारसी नववर्ष 15 अगस्त शुकवार, पोला 23 अगस्त शनिवार, गणेश चतुर्थी 27 अगस्त बुधवार, नवाखाई 30 अगस्त शनिवार, ढोल ग्यारस 03 सितंबर बुधवार, ओणम 05 सितंबर शुकवार, अनंत चतुर्दशी 06 सितंबर शनिवार, विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर बुधवार, प्राणनाथ जयंती 20 सितंबर शनिवार, अग्रसेन जयंती 22 सितंबर सोमवार, दशहरा (महाअष्टमी) 30 सितंबर मंगलवार, दशहरा (महानवमीं)  01 अक्टूबर बुधवार, डॉ. सैयदना साहब का जन्म दिवस 04 अक्टूबर शनिवार, महर्षि वाल्मिकी जयंती/महाराजा अजमोढ़ देव जयंती/टेकचन्द जी महाराज का समाधि उत्सव/कुवॉर पूर्णिमा ’’करम परब’’ (त्यौहार) 07 अक्टूबर मंगलवार, करवाचौथ व्रत 10 अक्टूबर शुक्रवार, दीपावली का दूसरा दिन (गोवर्धन पूजा) 21 अक्टूबर मंगलवार, भाई दूज (दीपावली) 23 अक्टूबर गुरुवार, भगवान सहस्त्रबाहु जयंती 28 अक्टूबर मंगलवार, नामदेव जयंती 01 नवम्बर शनिवार, गुरु तेगबहादुर का शहीदी दिवस 25 नवंबर मंगलवार, दत्तात्रैय जयंती 04 दिसंबर गुरुवार, शहीद वीरनारायण सिंह बलिदान दिवस 10 दिसंबर बुधवार को ऐच्छिक अवकाश घोषित किया गया है।महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती 23 फरवरी, भाई-दूज (होली) 16 मार्च, गुडी पड़वा/चौतीचांद 30 मार्च, बैशाखी 13 अप्रैल, सर्व पितृमोक्ष अमावस्या 21 सितंबर, दीपावली (दक्षिण भारतीय) 19 अक्टूबर को रविवार होने के कारण इन्हें पृथक से ऐच्छिक अवकाश की सूची में शामिल नहीं किया गया है।

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फरसाबहार में अवैध रूप से परिवहित लगभग 45 बोरी अवैध धान किया गया जप्त

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जशपुरनगर 21 नवंबर 2024  : कलेक्टर रोहित व्यास के निर्देश पर अन्य राज्यों से अवैध रूप से परिवहित और संग्रहित धान के खिलाफ जिला प्रशासन की सख्त कार्यवाही जारी है। इसी कड़ी में उड़ीसा से अवैध रूप से धान परिवहित की जा रही एक पिकअप वाहन को फरसाबहार की संयुक्त टीम के द्वारा जप्त कर कार्यवाही की गई है।जानकारी के मुताबिक ग्रामीणों के द्वारा दी गई सूचना के आधार पर नायब तहसीलदार फरसाबहार, फूड इंस्पेक्टर की संयुक्त टीम के द्वारा भंडारी सांकरा उड़ीसा से आ रही पिकअप वाहन से लगभग 45 बोरी अवैध धान जप्त कर तुमला थाना में सुपुर्द करने की कार्यवाही की गई है।

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जिला कोरिया में अवैध खनिज परिवहन पर कार्रवाई, पांच वाहन जप्त

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कोरिया 21 नवम्बर 2024  : कलेक्टर के निर्देश पर खनिज विभाग द्वारा खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। इसी कड़ी में विगत दिनों निरीक्षण के दौरान पांच वाहनों को अवैध खनिज परिवहन करते हुए पकड़ा गया।

खनि अधिकारी भूषण कुमार पटेल और उनकी टीम द्वारा वाहन क्रमांक CG16 CH 9649 (मिनी हाईवा) को अवैध रूप से रेत परिवहन करते हुए
चालक श्री छोटेलाल को पाया गया, जिसके मालिक श्री अर्जुन साहू, इसके अलावा सोल्ड ट्रेक्टर सोनालिका वाहन चालक ओमप्रकाश व वाहन मालिक, सुनील सोनी, CG15 AC 5642 के वाहन चालक जोत लाल, मालिक रोशन राजवाड़े, CG15 AE 4795 के वाहन चालक बसन्त व वाहन मालिक पुष्पराज हैं, जो अवैध रेती परिवहन कर रहे थे वहीं, वाहन क्रमांक CG16 CR 2244 को अवैध कोयला परिवहन करते हुए पकड़ा गया, जिसके मालिक श्री राजेश कश्यप और चालक श्री अतुल कश्यप हैं।

पांचों वाहनों को मौके पर जप्त कर समीपस्थ थाना चरचा एवं पटना थाना में अभिरक्षा में रखा गया। खनि विभाग ने छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम 2015 के नियम 71 और खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 के तहत प्रकरण दर्ज किया। दोषियों से कुल ₹47,646/- (सैंतालीस हजार छह सौ छियालीस रुपए) जुर्माना वसूल कर राशि खनिज मद में जमा कराई गई।

जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अवैध खनिज उत्खनन, परिवहन और भंडारण के खिलाफ कार्रवाई निरंतर जारी रहेगी। प्रशासन ने क्षेत्रवासियों से अपील की है कि वे अवैध खनन की सूचना तत्काल संबंधित विभाग को दें। जिला प्रशासन प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और कानून के पालन के लिए प्रतिबद्ध है। इस प्रकार की कार्रवाई से अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाया जाएगा।

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विश्व मत्स्य दिवस पर विशेष संम्पादकीयःछत्तीसगढ़ में मछली पालन को नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में विष्णुदेव साय सरकार

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एमसीबी :  छत्तीसगढ़ जो भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 4.14 प्रतिशत हिस्सा है, जलवायु और जल संसाधनों के कारण मछली पालन के लिए उपयुक्त है। राज्य में 43 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित है। राज्य को तीन हिस्सों में बांटा गया है: उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र, मध्य मैदानी क्षेत्र और बस्तर पठार। महानदी, इंद्रावती और सहायक नदियां मछली पालन के लिए आधार बनाती हैं। छत्तीसगढ़ में 2.10 लाख लोग मछली पालन से जुड़े हैं। 1,27,269 ग्रामीण तालाब और 1,770 सिंचाई जलाशयों में से 92 प्रतिशत जलक्षेत्र मत्स्य पालन में उपयोग हो रहा है। 2023-24 तक 418.07 करोड़ मत्स्य बीज का उत्पादन हुआ, जबकि 2024-25 का लक्ष्य 546 करोड़ है। जिसमें विशेष उपलब्धि 2007-08 में 1.39 लाख टन मत्स्य उत्पादन 2022-23 में 7.30 लाख टन हो गया। 2.20 लाख लोग मछली पालन में लगे हैं। आधुनिक तकनीक, जैसे केज कल्चर और बड़े फिंगरलिंग का उपयोग कर के उत्पादन को बढ़ा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में मछली पालन का क्षेत्र जो कभी केवल पारंपरिक व्यवसाय के रूप में देखा जाता था, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की दूरदृष्टि के कारण अब राज्य की आर्थिक और सामाजिक समृद्धि का केंद्र बन रहा है। विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने मछुआरों और मछली किसानों के योगदान को सराहा और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह दिन छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मछली पालन के महत्व को रेखांकित करता है और इस क्षेत्र के विकास की संभावनाओं को प्रदर्शित करता हैं। छत्तीसगढ़ की नदियां, तालाब और जलाशय मछली पालन के लिए अत्यधिक उपयुक्त हैं। राज्य का मछुआरा समुदाय और मछली किसान इस क्षेत्र की रीढ़ हैं। उनकी आजीविका इस व्यवसाय पर निर्भर है, और वे राज्य के खाद्य और पोषण सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल और मछुआरों के लिए विशेष योजनाएं

मुख्यमंत्री साय की सरकार ने मछली पालन के क्षेत्र में सुधार और विकास के लिए व्यापक रणनीति अपनाई है। छोटे और सीमांत मछली किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए विशेष ऋण योजनाएं शुरू की गई हैं। इसके साथ ही उन्नत प्रौद्योगिकी और आधुनिक उपकरणों का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। महिलाओं और युवाओं को मछली पालन में भागीदारी के लिए प्रेरित करते हुए सामुदायिक तालाबों के माध्यम से उनके लिए नए अवसर उत्पन्न किए गए हैं।

केंद्र सरकार की योजनाओं का राज्य के विकास में योगदान

केंद्र सरकार की योजनाओं ने छत्तीसगढ़ में मछली पालन के क्षेत्र को नई ऊर्जा प्रदान की है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत राज्य में जल संसाधनों के बेहतर उपयोग, मछली उत्पादन में वृद्धि और मछुआरा समुदाय की आय में सुधार के लिए कई परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं। नीली क्रांति योजना के अंतर्गत टिकाऊ मछली पालन और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए मछुआरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और नीली क्रांति का प्रभाव

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का उद्देश्य मछली पालन को प्रोत्साहित करते हुए किसानों और मछुआरों की आजीविका को सुदृढ़ बनाना है। छत्तीसगढ़ में इस योजना के तहत आधुनिक कोल्ड स्टोरेज, मछली बाजार और परिवहन सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। नीली क्रांति योजना ने मछली पालन में नवाचार और प्रौद्योगिकी आधारित दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया है। इसका प्रभाव न केवल उत्पादन में वृद्धि के रूप में देखा गया है, बल्कि राज्य के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी छत्तीसगढ़ की उपस्थिति को मजबूत किया है।

मछुआरा समुदाय के लिए कौशल विकास और प्रशिक्षण का महत्व

मछली किसानों और मछुआरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण और कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्नत तकनीकों, जैसे बायोफ्लॉक मछली पालन और रीसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयासों से मछली किसानों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचने में मदद मिल रही है, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।

छत्तीसगढ़ में मछली उत्पादन का बढ़ता दायरा

छत्तीसगढ़ मछली उत्पादन में न केवल राज्य की जरूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपने उत्पादों की पहचान बना रहा है। राज्य सरकार का लक्ष्य छत्तीसगढ़ को भारत का मछली पालन केंद्र बनाना है, और इसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य की मछली पालन क्षमता का उपयोग करते हुए किसानों और मछुआरों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी अवसर पैदा किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में राज्य सरकार टिकाऊ मछली पालन की दिशा में भी काम कर रही है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और जल संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने के लिए विशेष योजनाएं तैयार की गई हैं। जैव विविधता को संरक्षित करते हुए पर्यावरण-अनुकूल मछली पालन प्रथाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने मछुआरा समुदाय की मेहनत और योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि मछली पालन राज्य की आर्थिक रीढ़ है, और इसे सशक्त बनाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने मछुआरों को आश्वासन दिया कि केंद्र और राज्य सरकार उनके साथ हैं और उनकी आजीविका को बेहतर बनाने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और केंद्र सरकार की योजनाओं का समन्वय छत्तीसगढ़ को मछली पालन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, नीली क्रांति और अन्य योजनाओं के माध्यम से राज्य में मछली पालन का एक सुनियोजित और संगठित विकास हो रहा है। मुख्यमंत्री साय की दूरदृष्टि और केंद्र सरकार के सहयोग से छत्तीसगढ़ मछली पालन का राष्ट्रीय केंद्र बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।

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