आस्था
संकट मोचन हैं बजंरग बली,जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन का महत्व

हिंदू धर्म( hindu dharm) में हनुमान जी( hanuman jayanti) की पूजा और आराधना का बहुत महत्व है. मान्यता है कि बजरंगबली की पूजा करने से भक्तों के जीवन के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं. इस दिन चैत्र पूर्णिमा है. हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी का जन्म हुआ था. वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि इनका अवतरण छोटी दीपावली को हुआ था।
हनुमान जयंती पूजन मुहूर्त (Hanuman Jayanti 2023 Pujan Muhurat)
शुभ का मुहूर्त (उत्तम) – सुबह 06.06 – 07.40 मिनट तक
चर का मुहूर्त (सामान्य) – सुबह 10.49 – दोपहर 12.24
अभिजित मुहूर्त – सुबह 11.59 – दोपहर 12.49
लाभ का मुहूर्त (उन्नति) – दोपहर 12.24 – दोपहर 01.58
शाम का मुहूर्त (शुभ) – शाम 05.07 – शाम 06.41
रात्रि मुहूर्त (अमृत) – शाम 06.42 – रात 08.07
हनुमान जयंती की आवश्यक सामग्री
सिंदूर, लाल फुल, लाल फुल की माला, जनेऊ, कलश, चमेली का तेल, लाल कपड़ा या लाल लंगोट, गंगाजल, कंकु, जल कलश, इत्र, सरसों तेल, घी, धुप-अगरबती, दीप, कपूर, तुलसी पत्र, पंचामृत, नारियल, पिला फूल, चन्दन, लाल चन्दन, फल, केला, बेसन का लड्डू, लाल पेड़ा, मोतीचूर का लड्डू, चना और गुड़, पान, पूजा की चौकी, अक्षत
हनुमान जयंती पूजन विधि (Hanuman Jayanti Pujan Vidhi)
व्रत से पहले एक रात को जमीन पर सोने से पहले भगवान राम और माता सीता के साथ-साथ हनुमान जी का स्मरण करें. अगले दिन प्रात: जल्दी उठकर दोबारा राम-सीता एवं हनुमान जी को याद करें. हनुमान जयंती प्रात: स्नान ध्यान करने के बाद हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें. इसके बाद, पूर्व की ओर भगवान हनुमानजी की प्रतिमा को स्थापित करें. विनम्र भाव से बजरंगबली की प्रार्थना करें. इसके बाद षोडशोपाचार की विधि विधान से श्री हनुमानजी की आराधना करें।
आस्था
इस अद्भुत मंदिर में शादी करने से खुशियों से भर जाएगी जिंदगी, शिव-पार्वती ने यहीं लिए थे सात फेरे

शिव पुरान कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने कठोर तपस्या के बाद शिव जी को पुन: पति के रूप में पाया था। ऐसी मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से अच्छा और मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। यूं तो महादेव और मां पार्वती के मिलन को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। लेकिन शायद ही आप जानते होंगे कि उन्होंने किस जगह सात फेरे लिए थे। ऐसे में इस लेख के जरिए आज हम आपको विस्तार से बताएंगे उस मंदिर के बारे में जिसे शिव-पार्वती के विवाह स्थल के रूप में जाना जाता है।
त्रियुगीनारायण मंदिर में शिव-पार्वती ने लिए सात फेरे
पवित्र त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड के रुदप्रयाग जिले में स्थित है। कहा जाता है कि ये वही स्थान है जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। मंदिर के बाहर एक हॉल में हवनकुंड में अग्नि लगातार जलती रहती है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार ये वहीं अग्नि है जिसके फेरे लेकर शिव-पार्वती विवाह संपन्न हुआ था।
सदियों से जल रही है अग्नि
पुजारियों के अनुसार कई युगों से इस अग्नि को जलाकर रखा जाता रहा है। यही कारण है कि इस स्थान को अतयंत पवित्र माना जाता है। कई जोडे दूर-दूर से इस मंदिर में विवाह बंधन में बंधने के लिए खासतौर पर आते हैं।
विष्णु जी ने निभाई मां पार्वती के भाई की भूमिका
कहा जाता है कि इस विवाह में भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भाई की भूमिका निभाई थी। विष्णु जी ने उन सभी रीतियों को निभाया जो एक भाई अपनी बहन के विवाह में करता है। कहते हैं यहां मौजूद कुंड में स्नान करके भगवान विष्णु ने विवाह संस्कार में भाग लिया था।
यहां शादी करने से संवर जाती है जिंदगी
इस अद्भुत मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां शादी करने वाले जोड़े की जिंदगी संवर जाती है। उनके वैवाहिक जीवन कभी भी तनाव नहीं आती। इसके साथ ही सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान भी प्राप्त होता है। आज भी इस मंदिर में शिव-पार्वती की शादी की निशानियां मौजूद हैं।
आस्था
पीपल का पेड़ घर में क्यों नहीं लगाना चाहिए? जानिए इसके पीछे क्या है मान्यता

हिन्दू धर्म में कई वृक्षों को पवित्र माना जाता है, जिसमें पीपल के वृक्ष का नाम भी शामिल है। पीपल के पेड़ का वर्णन भगवान कृष्ण की गीता में भी मिलता है। मान्यता है कि इस पीपल के पेड़ पर सभी देवी-देवताओं का वास होता है। पीपल के वृक्ष को भले ही पवित्र माना जाता है और इससे 24 घंटे ऑक्सीजन मिलती है लेकिन फिर भी इसे लोग अपने घर और आंगन में नहीं लगाते हैं। इस वृक्ष को लेकर अंधविश्वास है कि पीपल के पेड़ पर भूत रहते हैं। यहां हम आपको बताने वाले हैं कुछ महत्व जिनके कारण पीपल के पेड़ को घर में नहीं लगाया जाता है।
पीपल का पेड़ क्यों नहीं लगाना चाहिए
पीपल का पौधा कुछ ही सालों में एक विशालकाय पेड़ बन जाता है और इसकी जड़ें बहुत दूरी तक फैल जाती हैं। पीपल का पेड़ अगर घर में लगाया जाएगा तो इसकी जड़ें घर की नींव को कमजोर कर सकती हैं। जिससे घर की बुनियाद हिल सकती है। यही कारण है कि इस पेड़ को घर में नहीं लगाया जाता है। हालांकि, आजकल के समय में पीपल के पेड़ का बोनसाई लोग अपने घर में लगाने लगे हैं।
पीपल का पेड़ 24 घंटे ऑक्सीजन देता है, ऐसे में कहा जाता है कि जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन शरीर को मिलती है तो भी नुकसान दायक साबित होता है।
मान्यता है कि पीपल के पेड़ को बढ़ते रहने देना चाहिए। ऐसे में अगर इसे घर में लगाएंगे तो इसकी शाखाएं हर तरफ फैल जाएंगी।
वास्तु के अनुसार, अगर पीपल के पेड़ की छाया अगर घर पर एक निश्चित दिशा की तरफ से पड़ रही है तो इससे छायाभेद उत्पन्न हो सकता है। जो परिवार की उन्नति में बाधा पैदा कर सकता है।
ऐसी मान्यता है कि अगर सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक पीपल के पेड़ की छाया मकान पर पड़ती है तो यह नुकसान दायक होती है। इससे उन्नति रुक सकती है।
आस्था
यीशु के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है ‘गुड फ्राइडे’, जानें इस दिन सूली पर क्यों चढ़ाए गए थे यीशु

गुड फ्राइडे का ईसाई धर्म में काफी महत्व होता है। इस दिन को ईसाई धर्म के अनुयायी शोक दिवस के रूप में मनाते हैं। गिरजाघर में जाकर प्रभु यीशु को याद करते हैं और उनके दिखाएं गए मार्गपथ पर चलने का संकल्प लेते हैं। आइए जानते हैं गुड फ्राइडे क्यों मनाया जाता है? और क्या है इतिहास –
क्या है इतिहास
ऐसा माना जाता है कि यरूशलम प्रांत में ईसा मसीह लोगों के मानव जीवन के कल्याण के लिए उपदेश दे रहे थे। जिसे सुनन के बाद लोग उन्हें ईश्वर मानने लगे थे। लेकिन कुछ धर्मगुरु उनसे चिढ़ते थे और जलते थे। लेकिन ईसा मसीह ने लोगों के दिलों में अलग की जगह बना ली थी। अन्य धर्मगुरुओं द्वारा रोम के शास पिलातुस से शिकायत कर दी। कहां- यह अपने आप को ईश्वर पुत्र बता रहे हैं। शिकायत के बाद उन पर राजद्रोह का आरोप लगा दिया गया। उन्हें क्रूज पर मृत्युदंड देने का फरमान जारी किया। कीलों की मदद से उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया। इतिहास के मुताबिक उन्हें गोलागोथा नामक सूली पर चढ़ाया गया था और इसके बाद उनकी मृत्यु हो गई थी।
गुड फ्राइडे क्यो मनाया जाता है?
यह दिन इसलिए मनाया जाता है क्योंकि जिस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया उस दिन गुड फ्राइडे था। उनकी याद में गुड फ्राइडे मनाया जाता है। गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं।
-
खबरे छत्तीसगढ़2 days ago
जल पुरुष रमन मैग्सेसे विजेता तथा वाटर स्टॉकहो नोबेल प्राइज विजेता, राजेंद्र सिंह ने छत्तीसगढ़ में जलसंरक्षण पर की खास बातचीत
-
खबरे छत्तीसगढ़4 days ago
ग्राम कोदोपाली में समाज प्रमुखों के साथ बैठक हुई सम्पन्न
-
खबरे छत्तीसगढ़3 days ago
शासकीय भूमि पर कब्जा करने एवं भ्रष्टाचार के मामले को लेकर कुर्रा सरपंच गोवर्धन तारक बर्खास्त अनुविभागीय अधिकारी ने जारी किए आदेश
-
खबरे छत्तीसगढ़6 days ago
सेजस छुरा के बच्चों ने प्रयास स्कूल चयन परीक्षा में लहराया परचम
-
खबरे छत्तीसगढ़7 days ago
अव्यवस्था और भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण बन गए दंतेवाड़ा जिला सहित पूरे प्रदेश के गौठान- भाजपा
-
खबरे छत्तीसगढ़7 days ago
क्या नार्को टेस्ट से पुरी होगी झीरमघाटी की घटना की जांच?
-
खबरे छत्तीसगढ़7 days ago
मनरेगा मजदूर पर गिरी आकाशीय बिजली, मौके पर ही मौत
-
खबरे छत्तीसगढ़5 days ago
छग शासन स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेम सिंह टेकाम पहुंचे पत्थलगांव,कार्यकर्ताओं से की मुलाकात,किलकिलेश्वर धाम में बने महालक्ष्मी नारायण मंदिर के पंचम वर्षगांठ कार्यक्रम में होंगे शामिल