Connect with us

आस्था

हर मनोकामना पूरी करेंगे भोलेनाथ,सोमवार के दिन जरूर करें ये उपाय, जीवन भर रहेगी सुख समृद्धि

Published

on

SHARE THIS

सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. आज के दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. कहा जाता है कि भोलेनाथ बहुत भोले हैं और भक्तों से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं. आज के दिन भगवान शिव की पूजा और उनसे जुड़े कुछ खास उपाय बेहद कारगर माने जाते हैं.

सोमवार के दिन शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराना बहुत शुभ माना जाता है.इसके बाद इस पर चंदन और भभूत लगाएं फिर शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और शमीपत्र चढ़ाए. ऐसा करने से शिव प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करना भी बेहद उत्तम रहता है. अलग-अलग कामना के लिए शिव का अलग-अलग चीजों से रुद्राभिषेक किया जाता है. मान्यता है कि शिवलिंग पर घी से अभिषेक करने से संतान सुख मिलता है. वहीं गंगाजल से अभिषेक करने पर दुखों और पापों से मुक्ति मिलती है.

सोमवार के दिन शिव मंदिर में दीपदान करने से भी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन कच्चे चावल में काला तिल मिलाकर दान करने से पितृ दोष दूर होता हैं

SHARE THIS

आस्था

इस अद्भुत मंदिर में शादी करने से खुशियों से भर जाएगी जिंदगी, शिव-पार्वती ने यहीं लिए थे सात फेरे

Published

on

SHARE THIS

 शिव पुरान कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने कठोर तपस्या के बाद शिव जी को पुन: पति के रूप में पाया था। ऐसी मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से अच्छा और मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। यूं तो महादेव और मां पार्वती के मिलन को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। लेकिन शायद ही आप जानते होंगे कि उन्होंने किस जगह सात फेरे लिए थे। ऐसे में इस लेख के जरिए आज हम आपको विस्तार से बताएंगे उस मंदिर के बारे में जिसे श‌िव-पार्वती के व‌िवाह स्थल के रूप में जाना जाता है।

त्रियुगीनारायण मंदिर में शिव-पार्वती ने लिए सात फेरे

पवित्र त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड के रुदप्रयाग जिले में स्थित है। कहा जाता है कि ये वही स्थान है जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। मंदिर के बाहर एक हॉल में हवनकुंड में अग्नि लगातार जलती रहती है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार ये वहीं अग्नि है जिसके फेरे लेकर शिव-पार्वती विवाह संपन्न हुआ था।

सदियों से जल रही है अग्नि

पुजारियों के अनुसार कई युगों से इस अग्नि को जलाकर रखा जाता रहा है। यही कारण है कि इस स्थान को अतयंत पवित्र माना जाता है। कई जोडे दूर-दूर से इस मंदिर में विवाह बंधन में बंधने के लिए खासतौर पर आते हैं।

विष्णु जी ने निभाई मां पार्वती के भाई की भूमिका

कहा जाता है कि इस विवाह में भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भाई की भूमिका निभाई थी। विष्णु जी ने उन सभी रीत‌ियों को न‌िभाया जो एक भाई अपनी बहन के व‌िवाह में करता है। कहते हैं यहां मौजूद कुंड में स्नान करके भगवान व‌िष्‍णु ने व‌िवाह संस्कार में भाग ल‌िया था।

यहां शादी करने से संवर जाती है जिंदगी 

इस अद्भुत मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां शादी करने वाले जोड़े की जिंदगी संवर जाती है। उनके वैवाहिक जीवन कभी भी तनाव नहीं आती। इसके साथ ही  सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान भी प्राप्त होता है। आज भी इस मंदिर में शिव-पार्वती की शादी की निशानियां मौजूद हैं।

SHARE THIS
Continue Reading

आस्था

पीपल का पेड़ घर में क्यों नहीं लगाना चाहिए? जानिए इसके पीछे क्या है मान्यता

Published

on

SHARE THIS

हिन्दू धर्म में कई वृक्षों को पवित्र माना जाता है, जिसमें पीपल के वृक्ष का नाम भी शामिल है। पीपल के पेड़ का वर्णन भगवान कृष्ण की गीता में भी मिलता है। मान्यता है कि इस पीपल के पेड़ पर सभी देवी-देवताओं का वास होता है। पीपल के वृक्ष को भले ही पवित्र माना जाता है और इससे 24 घंटे ऑक्सीजन मिलती है लेकिन फिर भी इसे लोग अपने घर और आंगन में नहीं लगाते हैं। इस वृक्ष को लेकर अंधविश्वास है कि पीपल के पेड़ पर भूत रहते हैं। यहां हम आपको बताने वाले हैं कुछ महत्व जिनके कारण पीपल के पेड़ को घर में नहीं लगाया जाता है।

पीपल का पेड़ क्यों नहीं लगाना चाहिए

पीपल का पौधा कुछ ही सालों में एक विशालकाय पेड़ बन जाता है और इसकी जड़ें बहुत दूरी तक फैल जाती हैं। पीपल का पेड़ अगर घर में लगाया जाएगा तो इसकी जड़ें घर की नींव को कमजोर कर सकती हैं। जिससे घर की बुनियाद हिल सकती है। यही कारण है कि इस पेड़ को घर में नहीं लगाया जाता है। हालांकि, आजकल के समय में पीपल के पेड़ का बोनसाई लोग अपने घर में लगाने लगे हैं।

पीपल का पेड़ 24 घंटे ऑक्सीजन देता है, ऐसे में कहा जाता है कि जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन शरीर को मिलती है तो भी नुकसान दायक साबित होता है।

मान्यता है कि पीपल के पेड़ को बढ़ते रहने देना चाहिए। ऐसे में अगर इसे घर में लगाएंगे तो इसकी शाखाएं हर तरफ फैल जाएंगी।

वास्तु के अनुसार, अगर पीपल के पेड़ की छाया अगर घर पर एक निश्‍चित दिशा की तरफ से पड़ रही है तो इससे छायाभेद उत्पन्न हो सकता है। जो परिवार की उन्नति में बाधा पैदा कर सकता है।

ऐसी मान्यता है कि अगर सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक पीपल के पेड़ की छाया मकान पर पड़ती है तो यह नुकसान दायक होती है। इससे उन्नति रुक सकती है।

SHARE THIS
Continue Reading

आस्था

यीशु के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है ‘गुड फ्राइडे’, जानें इस दिन सूली पर क्यों चढ़ाए गए थे यीशु

Published

on

SHARE THIS

गुड फ्राइडे का ईसाई धर्म में काफी महत्व होता है। इस दिन को ईसाई धर्म के अनुयायी शोक दिवस के रूप में मनाते हैं। गिरजाघर में जाकर प्रभु यीशु को याद करते हैं और उनके दिखाएं गए मार्गपथ पर चलने का संकल्प लेते हैं। आइए जानते हैं गुड फ्राइडे क्यों मनाया जाता है? और क्या है इतिहास –

क्या है इतिहास

ऐसा माना जाता है कि यरूशलम प्रांत में ईसा मसीह लोगों के मानव जीवन के कल्याण के लिए उपदेश दे रहे थे। जिसे सुनन के बाद लोग उन्हें ईश्वर मानने लगे थे। लेकिन कुछ धर्मगुरु उनसे चिढ़ते थे और जलते थे। लेकिन ईसा मसीह ने लोगों के दिलों में अलग की जगह बना ली थी। अन्य धर्मगुरुओं द्वारा रोम के शास पिलातुस से शिकायत कर दी। कहां- यह अपने आप को ईश्वर पुत्र बता रहे हैं। शिकायत के बाद उन पर राजद्रोह का आरोप लगा दिया गया। उन्हें क्रूज पर मृत्युदंड देने का फरमान जारी किया। कीलों की मदद से उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया। इतिहास के मुताबिक उन्हें गोलागोथा नामक सूली पर चढ़ाया गया था और इसके बाद उनकी मृत्यु हो गई थी।

गुड फ्राइडे क्यो मनाया जाता है?

यह दिन इसलिए मनाया जाता है क्योंकि जिस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया उस दिन गुड फ्राइडे था। उनकी याद में गुड फ्राइडे मनाया जाता है। गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं।

SHARE THIS
Continue Reading

Trending