व्यापार
शेयर बाजार में कोहराम, 6 घंटे में निवेशकों के डूबे 8 लाख करोड़ रुपए
19 जुलाई को भारतीय शेयर बाजार में चौतरफा बिकवाली देखी गई, जिसके कारण निफ्टी 50 और सेंसेक्स में लगभग 1 प्रतिशत की गिरावट आई. अगले सप्ताह केंद्रीय बजट से पहले निवेशकों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में मुनाफावसूली किए जाने के कारण मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट में और भी अधिक गिरावट देखी गई. कमजोर वैश्विक संकेतों ने भी घरेलू बाजार में गिरावट में योगदान दिया. निफ्टी 50 270 अंक या 1.09 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,530.90 पर बंद हुआ, जबकि सेंसेक्स 739 अंक या 0.91 प्रतिशत की गिरावट के साथ 80,604.65 पर बंद हुआ.
निवेशकों के डूबे 8 लाख करोड़ रुपए
बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में 2 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई. बीएसई में सूचीबद्ध फर्मों का कुल मार्केट कैप पिछले सेशन के लगभग 454.3 लाख करोड़ रुपए से घटकर लगभग 446.3 लाख करोड़ रुपए रह गया, जिससे निवेशकों को एक ही सत्र में लगभग 8 लाख करोड़ रुपए की चपत लग गई. अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ के नतीजों को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के बीच शुक्रवार को दुनिया भर के बाजारों में मायूसी देखी गई. इसके अलावा दिन में माइक्रोसॉफ्ट क्लाउड आउटेज के बाद लंदन स्टॉक एक्सचेंज से लेकर भारतीय एयरलाइंस तक व्यापक असर देखने को मिला है. लंदन में स्टॉक मार्केट ने कारोबार बंद कर दिया.
बजट को लेकर निवेशकों ने निकाले पैसे
घरेलू स्तर पर कमजोर वैश्विक संकेतों के अलावा मंगलवार को पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट से पहले सतर्कता ने भी निवेशकों को जोखिम भरे शेयरों से दूर रखा. उम्मीद है कि सरकार विकास को बढ़ावा देने वाला बजट पेश करेगी, जिसमें राजकोषीय समेकन और आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. फिर भी, विशेषज्ञों को कुछ लोकलुभावनवाद के संकेत भी मिल सकते हैं. मेहता इक्विटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा कि शुरुआती कारोबार में बढ़त बनाए रखने वाले आईटी शेयरों ने भी अपनी बढ़त गंवा दी, जबकि अन्य क्षेत्रीय और व्यापक सूचकांकों में भारी नुकसान हुआ, क्योंकि कमजोर वैश्विक संकेतों और भारत सहित कई देशों में ऑनलाइन कारोबार के साइबर संकट से प्रभावित होने की खबरों के कारण धारणा बेहद मंदी की ओर चली गई.
देश-विदेश
सोना की कीमत 79,000 के पार, अबतक के टॉप लेवल पर पहुंचा, जानें चांदी का हाल
सोना है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा। सोने की कीमत लगातार आसमान छू रही है। सोना हर रोज नए कीर्तिमान रच रहा है। राष्ट्रीय राजधानी में सोने की कीमत गुरुवार को 450 रुपये बढ़कर 79,350 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। पीटीआई की खबर के मुताबिक, 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाली कीमती धातु बुधवार को पिछले सत्र में 78,900 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, आभूषण विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों की सतत खरीदारी के कारण कीमतें तेज हो गईं। हालांकि, चांदी 93,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर रही।
क्यों नहीं थम रहा सोना
अखिल भारतीय सर्राफा संघ के मुताबिक, लगातार दूसरे दिन तेजी के साथ 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 450 रुपये चढ़कर 78,950 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। व्यापारियों ने कहा कि त्योहारी मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय आभूषण विक्रेताओं की बढ़ी हुई खरीदारी और वैश्विक बाजारों में कीमती धातुओं की कीमतों में तेजी के कारण सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं हैं।
वायदा बाजार में सोना आज
खबर के मुताबिक, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर वायदा कारोबार में दिसंबर डिलीवरी के लिए सोने के अनुबंध 77,019 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए। हालांकि, दिसंबर डिलीवरी के लिए चांदी के अनुबंध 181 रुपये या 0.2 प्रतिशत की गिरावट के साथ 92,002 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गए। एशियाई बाजार के घंटों में, कॉमेक्स सोना वायदा 0.43 प्रतिशत बढ़कर 2,703 डॉलर प्रति औंस हो गया।
क्या कहते हैं जानकार
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज में कमोडिटी रिसर्च के वरिष्ठ विश्लेषक मानव मोदी ने कहा कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में कमजोरी और प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में कटौती की उम्मीद के साथ-साथ चल रहे भू-राजनीतिक संघर्षों से गैर-उपज वाले बुलियन में बढ़त के कारण सोना रिकॉर्ड ऊंचाई की ओर बढ़ गया। यूरोपीय सेंट्रल बैंक गुरुवार को बाद में एक और दर कटौती करने के लिए तैयार है, जबकि मुद्रास्फीति में गिरावट ने बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा अगले महीने दर कटौती का संकेत दिया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक – कमोडिटीज, सौमिल गांधी कहते हैं कि सोना गुरुवार को नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। सुरक्षित निवेश की मांग और लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) के सकारात्मक दृष्टिकोण ने बुलियन कीमतों में हाल की तेजी को समर्थन दिया।
देश-विदेश
रेल यात्रियों के लिए बड़ी खबर! ट्रेन में एडवांस टिकट बुकिंग की लिमिट 120 दिनों से घटाकर 60 दिन करने का ऐलान
भारतीय रेल ने यात्री ट्रेनों में एडवांस टिकट बुकिंग का समय 120 दिनों से घटाकर 60 दिन करने का फैसला किया है। रेलवे ने बताया कि टिकट बुकिंग के लिए नए समय का नियम 1 नवंबर, 2024 से लागू होगा। रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर (पैसेंजर मार्केटिंग) संजय मनोचा ने बताया कि 1 नवंबर, 2024 से ट्रेनों में एडवांस रिजर्वेशन की मौजूदा लिमिट 120 दिनों से घटाकर 60 दिन (यात्रा की तारीख को छोड़कर) कर दी जाएगी और बुकिंग भी इस नए नियम के अनुसार ही की जाएगी।
पहले से बुक की गई टिकटों का क्या होगा
संजय मनोचा ने कहा, ”हालांकि, 120 दिनों के एआरपी (एडवांस रिजर्वेशन पीरियड) के तहत 31 अक्टूबर, 2024 तक की गई सभी बुकिंग बरकरार रहेंगी। लेकिन 60 दिनों के एआरपी से परे की गई बुकिंग को कैंसिल करने की अनुमति होगी। ताज एक्सप्रेस, गोमती एक्सप्रेस आदि जैसी कुछ दिन के समय की एक्सप्रेस ट्रेनों के मामले में कोई बदलाव नहीं होगा, जहां पहले से ही एडवांस रिजर्वेशन के लिए कम लिमिट लागू है। विदेशी पर्यटकों के लिए 365 दिनों की लिमिट के मामले में भी कोई बदलाव नहीं होगा।”
नए और पुराने नियम को उदाहरण से समझिए
बताते चलें कि लंबी दूरी या किसी खास काम जैसे- शादी, त्योहार, परीक्षा आदि के लिए ट्रेनों में सफर करने वाले लोग कन्फर्म सीट पाने के लिए 4 महीने पहले ही ट्रेनों में सीट बुक कर देते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। नए नियम के बाद रेल यात्री ज्यादा से ज्यादा 2 महीने की लिमिट में ही ट्रेनों में सीट बुक कर सकेंगे।
उदाहरण के लिए, पुराने नियम के अनुसार अगर आपको 1 मई, 2025 को चलने वाली ट्रेन में टिकट बुक करनी है तो आप 120 दिन पहले यानी 1 जनवरी, 2025 को टिकट बुक कर सकते थे। लेकिन अब नया नियम लागू होने के बाद अगर आपको 1 मई, 2025 को चलने वाली ट्रेन में टिकट बुक करनी है तो आप अब अधिकतम 60 दिन पहले यानी 2 मार्च को ही टिकट बुक कर पाएंगे।
देश-विदेश
दिवाली पर किसानों को गिफ्ट, मोदी सरकार ने गेहूं चना समेत 6 रबी फसलों पर MSP बढ़ाई
किसानों के लिए अच्छी खबर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने मार्केटिंग ईयर 2025-26 के लिए सभी जरूरी रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस फैसले की घोषणा की। ANI की खबर के मुताबिक, सरकार ने उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की है। इससे देशभर के लाखों किसानों को फायदा मिलेगा। वह अपनी फसल को वाजिब दाम पर बेच सकेंगे।
सबसे अधिक वृद्धि रेपसीड और सरसों के लिए
खबर के मुताबिक, एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि रेपसीड और सरसों के लिए 300 रुपये प्रति क्विंटल और मसूर के लिए 275 रुपये प्रति क्विंटल की घोषणा की गई है। चना, गेहूं, कुसुम और जौ के लिए क्रमशः 210 रुपये प्रति क्विंटल, 150 रुपये प्रति क्विंटल, 140 रुपये प्रति क्विंटल और 130 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। मार्केटिंग ईयर 2025-26 के लिए जरूरी रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के मुताबिक है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय करने की घोषणा की गई है।
अपेक्षित मार्जिन गेहूं के लिए 105 प्रतिशत
अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर अपेक्षित मार्जिन गेहूं के लिए 105 प्रतिशत है, इसके बाद रेपसीड और सरसों के लिए 98 प्रतिशत; मसूर के लिए 89 प्रतिशत; चना के लिए 60 प्रतिशत; जौ के लिए 60 प्रतिशत; और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है। रबी फसलों के इस बढ़े हुए एमएसपी से किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित होगा और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा।
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