देश-विदेश
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत, जानें उनका निजी और राजनीतिक जीवन का सफर
वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप का जादू चल गया है। उन्होंने इस चुनाव में जीत हासिल की है और कमला हैरिस को हरा दिया है। फॉक्स न्यूज के हवाले से ये जानकारी सामने आई है। ऐसे में ये साफ है कि अब अमेरिका की कमान डोनाल्ड ट्रंप के हाथों में होगी।
कब हुआ जन्म, कैसा था शुरुआती जीवन?
डोनाल्ड ट्रंप का जन्म न्यूयॉर्क में 14 जून 1946 को हुआ था। उनका परिवार पहले से काफी अमीर था, इसलिए कहा जाता था कि ट्रंप चांदी की चम्मच के साथ पैदा हुए। ट्रंप जब छोटे थे, तभी उनकी मां बीमार रहने लगीं और उन्हें बचपन में मां का प्यार कम मिल पाया। इसलिए ट्रंप पर पिता का असर ज्यादा रहा।
स्कूली जीवन में बच्चों को करते थे बुली, यहां तक की पढ़ाई
ट्रंप स्कूल टाइम में भी काफी आक्रामक थे और उनके पिता के पास अक्सर ट्रंप की शिकायतें आती रहती थीं। ट्रंप अपने स्कूल के दिनों में बच्चों को बुली भी किया करते थे। इसी वजह से ट्रंप के पिता ने उनका एडमिशन मिलिट्री स्कूल में करा दिया था। उस समय ट्रंप की उम्र 13 साल थी।
मिलिट्री स्कूल से पास होने के बाद ट्रंप ने दो साल तक फोर्डहम यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की। इसके बाद वह पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी चले गए। उन्होंने रियल स्टेट प्रोग्राम में पढ़ाई की। उन्होंने साल 1968 में इकोनॉमिक साइंस में भी डिग्री ली।
राजनीति में आने से बहुत पहले से अरबपति थे ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी करने से काफी समय पहले ही ट्रंप अमेरिका के अरबपति थे। उन्हें रियल एस्टेट मुगल कहा जाता था। वह पहले भी अमेरिकन मीडिया में काफी हाईलाइट होते रहते थे और उन्होंने अपनी बेबाक प्रचार शैली से कई अनुभवी राजनेताओं को हराया।
साल 2000 में ट्रंप को “द अप्रेंटिस” नाम के टीवी शो से बड़ी पहचान मिली। वह इस शो को होस्ट करते थे, जिससे वह काफी लोकप्रिय हुए।
राजनीति में कब हुई एंट्री?
वैसे तो उन्होंने साल 1980 में राजनीति में दिलचस्पी ली थी। लेकिन साल 2015 में उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी के तहत राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी और साल 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को हराया था। इसी को ट्रंप के राजनीतिक जीवन की असल शुरुआत माना जाता है। साल 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में, ट्रंप को जो बाइडेन के हाथों हार मिली थी।
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छठ पूजा को लेकर यूपी-बिहार सहित इन राज्यों में 7 नवंबर को बंद रहेंगे स्कूल, जानें डिटेल्स
बिहार-यूपी-झारखंड सहित कई राज्यों में सभी स्कूल सात नवंबर को बंद कर दिए गए हैं। जिला अधिकारियों द्वारा बुधवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि गौतमबुद्ध नगर में कक्षा नर्सरी से आठवीं तक के सभी सरकारी और निजी स्कूल 7 नवंबर को बंद रहेंगे। स्कूलों में छुट्टी छठ पूजा की वजह से दी गई है। बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल पवार ने बताया कि यूपी बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से सभी स्कूलों में छठ महापर्व के लिए अवकाश घोषित किया गया है। शुक्रवार को सभी स्कूल अपने निर्धारित समय पर खुलेंगे।
गौतमबुद्ध नगर के अलावा गाजियाबाद में भी स्कूल बंद रहेंगे। इसको लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक, गाजियाबाद ने पत्र जारी किया है। वहीं यूपी की राजधानी लखनऊ में भी सात नवंबर को अवकाश घोषित किया गया है।
बिहार और दिल्ली में छठ की छुट्टी
बिहार में छठ के लिए सरकार ने 4 दिन की छुट्टियों का ऐलान किया है। बिहार में 6 नवंबर से 9 नवंबर तक स्कूलों की छुट्टी का ऐलान किया गया है। इसके अलावा झारखंड में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 7 नवंबर की छुट्टी है।
छठ पूजा के मौके पर उत्तर प्रदेश में भी छुट्टी का ऐलान किया जा सकता है। दिल्ली सरकार ने पिछले हफ्ते ही छठ पूजा की छुट्टी का ऐलान कर दिया था। मुख्यमंत्री आतिशी ने 7 नवंबर को पब्लिक हॉलिडे का ऐलान किया। सीएम ने कहा था कि सात तारीख को दिल्ली में सार्वजनिक अवकाश रहेगा, ताकि छठ पूजा मनाने वाले लोग उत्साह के साथ इसे सेलिब्रेट कर सकें।
छठ पर्व पर कई राज्यों में 7 नवंबर को स्कूल-कॉलेजों को बंद रखने का ऐलान किया गया है। 15 नवंबर को गुरु नानक जयंती के मौके पर स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे। कार्तिक पूर्णिमा और गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस 24 नवंबर को मनाया जाएगा, जिसकी वजह से स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे।
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नीट-यूजी 2024 परीक्षा नए सिरे से नहीं होगी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की अपने आदेश की समीक्षा की मांग वाली याचिका
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2 अगस्त के फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने नए सिरे से NEET-UG 2024 परीक्षा की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने मामले पर खुली अदालत में सुनवाई के अनुरोध को भी ठुकरा दिया। यह याचिका काजल कुमारी ने दायर की थी। कोर्ट के आदेश से स्पष्ट हो गया है कि इसकी परीक्षा दोबारा नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने बताई खारिज करने की वजह
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि उसके फैसले में कोई त्रुटि नहीं है। रिकॉर्ड को देखते हुए कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट रूल्स 2013 के आदेश XLVII नियम 1 के तहत समीक्षा के लिए कोई मामला स्थापित नहीं हुआ है। इसलिए, समीक्षा याचिका खारिज की जाती है।
पहले कोर्ट ने दिया था ये आदेश
शीर्ष अदालत ने केंद्र द्वारा नियुक्त पैनल -पूर्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (स्नातक) (NEET-UG) आयोजित करने वाली राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के कामकाज की समीक्षा करने और परीक्षा सुधारों की सिफारिश करने के लिए गठित किया था। चूंकि पैनल के अधिकार क्षेत्र का विस्तार किया गया था, इसलिए शीर्ष अदालत ने कहा कि समिति परीक्षा प्रणाली में कमियों को दूर करने के लिए विभिन्न उपायों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
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बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने दी ट्रंप को जीत की बधाई, जानें इस संदेश के मायने
ढाकाः बांग्लादेश आवामी लीग पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप को बधाई भेजी है। शेख हसीना ने लिखा है कि ट्रंप को अमेरिका का 47वां राष्ट्रपति चुने जाने की बधाई। अमेरिका चुनाव में जोरदार वापसी और जीत उनकी अद्भुद लीडरशिप और लोगों के उस भरोसे का प्रतीक है, जो उन्होंने अमेरिकियों से हासिल किया है।
शेख हसीना ने ट्रंप को बधाई देते हुए उनके साथ अपनी कई बैठकों और वार्ता को याद किया। जब डोनाल्ड पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे और उनके साथ मेलानिया ट्रंप भी मिली थी। उन्होंने उम्मीद जताई की अब दोबारा ट्रंप के चुने जाने से एक बार फिर अमेरिका और बांग्लादेश के बीच मित्रवत संबंध स्थापित हो सकेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में वह अमेरिका के साथ मिलकर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय हितों के अनुरूप काम करेंगी।
हसीना को ट्रंप से बड़ी उम्मीद
शेख हसीना ने ट्रंप और उनके परिवार के लोगों के लिए अच्छे स्वास्थ्य की भी शुभ कामना दी है। साथ ही अमेरिकी लोगों के शांति, विकास और समृद्धि की कामना की है। शेख हसीना के इस तरह के संदेश से साफ है कि जिस तरह से बांग्लादेश आंदोलन में बाइडेन की बेरुखी और कथित भितरघात के चलते उन्हें सत्ता से विमुख होना पड़ा, उसके विपरीत ट्रंप से हसीना को मदद हासिल होने की उम्मीद है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या फिर हसीना को बांग्लादेश की सत्ता में वापसी का रास्ता खुल सकता है?
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