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खुशखबरी

वन मंत्री कश्यप जगदलपुर में आयोजित वन विभाग के वाहन चालक कर्मचारी संघ के प्रथम प्रांतीय सम्मेलन में हुए शामिल

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 वन विभाग

रायपुर, 30 जून 2024  : वन विभाग का अमला विषम परिस्थिति में काम करते हुए वनों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में निरंतर योगदान देता है। भविष्य में वनों की महत्ता को मद्देनजर रखकर हम सभी को मिलकर वनों के विकास में लगातार वृद्धि करने के लिए सहभागिता निभाना जरूरी है। यह बात वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप ने स्थानीय वन विद्यालय के सभागार में आयोजित वन विभाग के वाहन चालक कर्मचारी संघ के प्रथम प्रांतीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कही।

इस अवसर पर वन मंत्री श्री कश्यप ने वन विभाग के वाहन चालक कर्मचारी संघ के मांगों पर सहानुभूति विचार करने आश्वस्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार कर्मचारियों के हितों के प्रति कटिबद्ध है। उन्होंने वन क्षेत्र में वृद्धि के साथ ही वन विभाग के अमले को ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए बेहतर कार्य करने कहा। साथ ही इस दिशा में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित किये जाने पर जोर दिया। इस मौके पर विधायक जगदलपुर श्री किरण देव ने भी सम्बोधित कर वन कर्मचारियों को धरातल पर वनों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु ग्रामीणों की व्यापक सहभागिता सुनिश्चित कर उन्हें वन आधारित एवं वनोपज प्रसंस्करण सम्बन्धी आयमूलक गतिविधियों से जोड़ने पर बल दिया। कार्यक्रम के आरंभ में वन विभाग के वाहन चालक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री रफीक खान ने संघ के प्रथम प्रांतीय सम्मेलन आयोजन के प्रतिवेदन तथा संघ के मांगों के बारे में अवगत कराया। इस अवसर पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों सहित मुख्य वन संरक्षक बस्तर वन वृत्त श्री आरसी दुग्गा, मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी श्री आरके पाण्डे, डीएफओ श्री उत्तम गुप्ता और अन्य अधिकारी तथा वन विभाग के वाहन चालक कर्मचारी संघ के पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद रहे।

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खुशखबरी

सबके राम ..मंगल भवन, अमंगल हारी से गूंजा बैकुण्ठपुर..राम कीर्तन की गूंज और दीया की रोशनी से कोरिया हुआ राममय

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कोरिया  :  बैकुंठपुर के प्राचीन मंदिर देवराहा बाबा में सुबह से भक्तों की भीड़ उमड़ पड़े थे। मन्दिर की साफ- सफाई लगातार की जा रही थी। मानो 22 जनवरी दीपावली हो! घर, परिसर को साफ-सफाई के साथ चारो ओर मंगल भवन, अमंगल हारी, द्रबहु सुदसरथ, अजिर बिहारी राम सिया राम, जय जय राम की धुन सुनाई पड़ रही थी।

पीले चावल से आमन्त्रण

राम भक्तों द्वारा इस उत्सव में शामिल होने के लिए घर-घर जाकर शगुन के तौर पर पीले चावल देकर आमन्त्रण किए थे। बैकुंठपुर वासियों ने सुबह से प्रभात फेरी निकालकर पूरे शहर को आस्था, विश्वास व राममय से सराबोर किए थे। बच्चे, महिलाएं व बुजुर्गों में भी जबरदस्त उत्साह देखने को मिली। जगह-जगह भंडारा का आयोजन भी किया गया था।

बैकुंठपुर के प्रेमाबाग, खरवत, सोनहत में आयोजित रामोत्सव के अवसर पर जिलेवासी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिए। प्रेमाबाग के खुले मैदान और चारो तरफ आम के वृक्षों के बीच बड़ी एलईडी स्क्रीन के माध्यम से अयोध्या में भगवान श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा का सीधे प्रसारण का आयोजन किया गया था, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में  लोग पहुंचे थे! जैसे ही प्राण प्रतिष्ठा का रस्म पूरा हुआ तो फटाखे फोड़े गए और जय सियाराम के जयघोष गूंजने लगी।

राम का सकल पसारा

कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे एक बुजुर्ग ने कबीर के राम के बारे में बताते हुए जानकारी दी कि एक राम दशरथ का बेटा,.एक राम घट-घट में लेटा; एक राम का सकल पसारा, एक राम सभी से न्यारा इनमें कौन-सा राम तुम्हारा! कबीर साहब के गुरु ने उन्हें बताया कि जिसकी आँख पर जैसा चश्मा चढ़ा होता है, उसको भगवान का वैसा ही रूप दिखाई देता है।

प्रभु मूरत देखी तिन तैसी

कोई परमात्मा को ‘ब्रह्म’ कहता है; कोई ‘परमात्मा’ कहता है; कोई ‘ईश्वर’ कहता है; कोई ‘भगवान’ कहता है। लेकिन अलग-अलग नाम लेने से परमात्मा अलग-अलग नहीं हो जाते। इसलिए जो राम दशरथ जी का बेटा है, वही राम घट घट में भी लेटा है; उसी राम का सकल पसारा है; और वही राम सबसे न्यारा भी है। इन चारों में कोई भेद नहीं है। यह चारों एक ही है।” कबीर जी को उस दोहे का अर्थ अच्छे से गुरू जी ने समझा दिया।

मानस मंडली ने किया भावविभोर

जिला प्रशासन द्वारा आयोजित मानस मंडलियों द्वारा मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के विभिन्न लीलाओं के बारे में बताया गया। प्रभु श्रीराम के बाल लीलाओं व 14 बरस वनवास काल व राज्याभिषेक के सारगर्भित जानकारी दी तो माता जानकी की त्याग, भाई भरत के प्रेम को रामायण मंडलियों ने सुनाया तो श्रोताओं के आखंे भीगने लगे।

विभिन्न वर्गों में भी खुशियां

रामलला प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर विभिन्न वर्गों ने विचार साझा करते हुए कहा 42 वर्षीय बैकुंठपुर निवासी मोहम्मद आसिफ का कहना है यह गंगा-जमुनी पर बसे हुये एक ऐसे देश है जहाँ हर मजहब के लोग एक दूसरे के पर्व में शामिल होते है। अयोध्या में श्रीराम मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा होना भी हम सबके लिए गौरव की बात है।

कोरियावासी 65 वर्षीय श्रीमती काजबन निशा कहती है, अल्लाह हो या ईश्वर नाम अनेक हो सकते हैं, लेकिन वे तो सिर्फ मोहब्बत कराना सिखाया है, एक-दूसरे का मदद करने की बात बताया है। इस उम्र में यह देखने का अवसर मिल रहा है कि अयोध्या में भगवान राम का प्राणप्रतिष्ठा हो रहा है। इससे  हम बहुत खुश है। हम तो बचपन से ईद-दीपावली एक साथ मनाते आए हैं। हमारे देश के लोग एक दूसरे को गले लगाकर, मोहब्बत के साथ आगे बढ़े यही चाहती हूँ।

44 वर्षीय श्री सतपाल सिंह सलूजा मनेन्द्रगढ़ निवासी का कहना है, इस देश के कण-कण में राम बसे है! यह सद्भाव का देश है, ऐसे में अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा हो रहे है वे किसी धर्म के लिए नहीं बल्कि राष्ट्रीय धरोहर है। हमे गर्व है कि इस देश की संस्कृति और आस्था इससे और मजबूत होगी।

11 हजार आकर्षक दीपों ने मन को मोहा

प्रेमाबाग के प्राचीन मंदिर में करीब 11 हजार दीयों से अयोध्या मंदिर की तर्ज पर सजाया गया था। जो मन को मोह लिया साथ ही रंगोली से प्रभु राम और माता सीता की खुबसूरत तस्वीर भी तैयार की थी।

प्राण प्रतिष्ठा एवं रामोत्सव के अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष, कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह, पुलिस अधीक्षक श्री त्रिलोक बंसल, नगरपालिका अध्यक्ष,जनपद अध्यक्ष सहित जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं बड़ी संख्या में कोरियावासी उपस्थित थे।

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आस्था

मकर संक्रांति पर इन पांच रंगों के कपड़े पहनना माना जाता है शुभ…

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भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति को मनाने की अपनी परंपरा और रीति-रिवाज है. इस त्योहार को पंजाब में लोहड़ी, तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण और उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर खिचड़ी पर्व जैसे नामों से जाना जाता है. इस महापर्व के भले ही कई नाम हों, लेकिन इसको मनाने के पीछे का उद्देश्य एक-दूसरे में खुशियां बांटना ही है. हिंदू धर्म में धर्म-कर्म एवं पूजा-पाठ में रंगों का विशेष ध्यान रखा जाता है. शास्त्रों द्वारा कुछ रंगों को त्योहार के दिन पहनना बेहद शुभ माना गया है. मकर संक्रांति के दिन इन रंगों के कपड़े पहनने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और शनिदेव की कृपा भी बनी रहती है.

लाल रंग

लाल रंग को हिंदू धर्म में शुभता का प्रतीक माना जाता है. लाल रंग पहनने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. महिलाओं को इस दिन लाल रंग की साड़ी या सूट जरूर पहनना चाहिए. इससे सुख-समृद्धि का घर में आगमन होगा और मां लक्ष्मी का आशीष परिवार पर बना रहेगा.

पीला रंग

पीला रंग देवगुरु बृहस्पति और भगवान विष्णु से संबंधित है. ज्योतिष के अनुसार, गुरु ग्रह अध्यात्म और धर्म का कारक ग्रह है इसलिए मकर संक्रांति के दिन पीले रंग के कपड़े अवश्य पहनें. इससे आपका मन धर्म-कर्म और पूजा-पाठ में लगेगा. मान्यता है कि पीले रंग के कपड़े पहनने से सकारात्मक भाव मन में आते हैं और श्रीहरि की कृपा से भाग्योदय होता है.

केसरिया या ऑरेंज

हिंदू धर्म में केसरिया या ऑरेंज रंग बेहद शुभ माना जाता है. इन रंगों को पहनने से सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है इसलिए मकर संक्रांति के दिन आप ये रंग भी पहन सकते हैं. केसरिया रंग अग्नि का प्रतीक है इसलिए इसका हिंदू धर्म में खास महत्व है.

गुलाबी रंग

गुलाबी रंग मां लक्ष्मी को अतिप्रिय और अच्छे भाग्य का सूचक माना जाता है. इस रंग को सकारात्मकता और प्रेम का सूचक भी माना गया है. मकर संक्रांति के दिन गुलाबी रंग पहनने से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी प्रसन्न होती हैं. कहा जाता है कि इस रंग को पहनने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है.

हरा रंग

हरा रंग गणपति भगवान को अतिप्रिय है और हरे रंग को पहनकर पूजा करने से शिवजी भी प्रसन्न होते हैं. ऐसे में अगर आप मकर संक्रांति के दिन हरा रंग पहनते हैं तो ऐसी मान्यता है कि आपको प्रथम पूज्य भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होगा और रिद्धि-सिद्धि का आगमन आपके घर में होगा. मकर संक्रांति दान-पुण्य और नदियों में स्नान करने का दिन होता है. मान्यता है कि इस दिन तीर्थ स्नान करने से हजार गुना शुभ फलों की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में किसी भी त्योहार या शुभ अवसर पर काले रंग के कपड़े पहनना अशुभ माना जाता है लेकिन एकमात्र महाराष्ट्र में इस दिन काले रंग के कपड़े पहनने का रिवाज है.

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खुशखबरी

बिरनपुर में अब मीडिया कर्मियों का प्रवेश वर्जित, तहसीलदार ने कहा – आदेश मिला है ऊपर से

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बेमेतरा। जिले के बिरनपुर गांव में हिंसा का शिकार बने भुनेश्वर साहू का आज दशगात्र है। दशगात्र के दिन पुलिस इस कदर सतर्कता बरत रही है कि मीडिया कर्मियों को भी बिरनपुर गांव जाने से रोक दिया गया है। जहां मीडिया को रोका जा रहा है वहां तहसीलदार मौजूद हैं, जिनका कहना है कि ऊपर से आदेश है, मीडियो को गांव में नहीं जाने देने का। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि, आखिर ऐसा क्या हो गया बिरनपुर में, जिसे जिला प्रशासन मीडिया से छुपाना चाहती है.

22 साल के भुनेश्वर साहू की हत्या कर दी गई थी। गांव में तनाव का महौल बना हुआ था। हालांकि अब सब सामान्य बताया जा रहा है। आज मृतक भुनेश्वर साहू का दशगात्र है। यह दशगात्र बेमेतरा जिले के बिरनपुर में नदी के किनारे किया जा रहा है। गांव में हालात फिर से बेकाबू न हो इसके लिए पुलिस-प्रशासन हाई अलर्ट में है। यहां पर करीब 1200 जवान तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही घटना के बाद से धारा 144 लागू है। बाहर से आने वाले लोगों को एंट्री नहीं दी जाएगी। दशगात्र में सिर्फ मृतक के परिजन शामिल होंगे।

दरअसल, मृतक भुनेश्वर साहू के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। जिसकी वजह से कलेक्टर पीएस एल्मा के निर्देश पर जिला प्रशासन की टीम उसके घर वालों से मुलाकात करने पहुंची थी। 13 अप्रैल को अधिकारी पीड़ित परिवार से मिले थे और दशगात्र की तैयारी को लेकर बातचीत की थी। उस वक्त कलेक्टर पीएस एल्मा ने कहा था कि बिरनपुर गांव में शांति रखने के लिए पुलिस बल को तैनात किया गया है। और हम गांव वालों से भी अपील करते है कि दोनों समुदाय शांति बनाए रखें। इतना ही नहीं उसी दौरान सीएम भूपेश ने मृतक युवक के परिवार वालों को 10 लाख रुपए का मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी।

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