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अदरक या मेथी का पानी, पेट की चर्बी को कम करने के लिए दोनों में से कौन है अधिक फायदेमंद

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वजन घटाने के लिए लोग तरह-तरह के वेट लॉस डाइट फॉलो करते हैं. कुछ लोगों का पेट मटके की तरह गोल बाहर निकल आता है. इससे पूरी पर्सनैलिटी खराब दिखती है. पेट की चर्बी को गलाने के लिए आप भी कई तरह की डाइट फॉलो करते होंगे. अपने खानपान से तेल, घी, मक्खन को पूरी तरह से हटा देते होंगे. एक्सरसाइज करनी शुरू कर देते होंगे, लेकिन फिर भी फर्क नहीं दिखता है. कुछ लोगों का पेट फिर भी मटके की तरह ही निकला नजर आता है. इस जिद्दी बेली फैट को पिघलाने के लिए आप कुछ दिनों के लिए मेथी और अदरक वाला पानी पीकर देखें. इनमें कुछ ऐसे कम्पाउंड्स होते हैं, जो पेट की जिद्दी चर्बी को गला कर आपको दे सकते हैं परफेक्ट बॉडी शेप. पर ये भी जानना जरूरी है कि इन दोनों में तेजी से और फायदेमंद कौन है बेली फैट कम करने के लिए.

अदरक या मेथी का पानी क्या है अधिक फायदेमंद?

अदरक वाला पानी हो या मेथी का पानी, ये मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं. पाचन में सुधार करते हैं. इनमें फाइबर भी अधिक होता है, जो पेट को देर तक भरा रखता है. अदरक का पानी और मेथी का पानी एंटीऑक्सीडेंट और कम्पाउंड से भरपूर होते हैं जो बेली फैट को कम करने में मदद करते हैं.

बेली फैट घटाने में अदरक के पानी के फायदे

1.यदि आपका पेट गोल होकर बाहर की तरफ निकल गया है, कमर चौड़ी हो गई है तो आप अदरक का पानी पीना शुरू कर दें. खासकर, इसका सेवन सुबह के समय करें. इससे कैलोरी बर्न होती है. बार-बार भूख नहीं लगेगी. साथ ही इस पानी को पीने से शुगर लेवल भी कंट्रोल में रहता है. मूत्रवर्धक होने के कारण यह शरीर से पानी बाहर निकालता है. इससे ब्लोटिंग भी कम होती है.

2. यदि आप लगातार अदरक वाला पानी पीते हैं तो तेजी से कैलोरी बर्न करता है. इससे पेट भी भरा महसूस होता है. आप जल्दी-जल्दी खाने से बचे रहते हैं. इससे शरीर में एक्स्ट्रा कैलोरी नहीं जाती है. अदरक में मौजूद थर्मोजेनिक प्रॉपर्टीज में कुछ ऐसे एक्टिव कम्पाउंड होते हैं, जो फैट को बर्न करने में मदद करते हैं.

बेली फैट घटाने में मेथी के पानी के फायदे
1.मेथी के दाने को रात भर पानी में भिगोकर छोड़ दीजिए. सुबह खाली पेट इस पानी को पिएं और मेथी को चबाकर खा जाएं. यह वजन घटाने के लिए एक बेहतरीन और सस्ता तरीका है. मेथी में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो भूख कम करते हैं और मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करते हैं. मेथी दाने पाचन में भी मदद करते हैं और बेली फैट को घटाने में बेहद कारगर साबित हो सकते हैं. यदि आपको पाचन संबंधित समस्याएं जैसे अपच, गैस, ब्लोटिंग, कब्ज बनी रहती है तो इसमें भी मेथी का पानी पी सकते हैं. इसमें घुलनशील फाइबर लाभ पहुंचाता है. सुबह उठकर खाली पेट इसका सेवन करने से शरीर से नुकसानदायक टॉक्सिन पदार्थ को निकालने में मदद मिलती है. बाउल मूवमेंट सही बना रहता है.

2.मेथी का पानी मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है. यह भूख कम करता है. पेट भरा रखता है. ऐसे में इसका सेवन करने से वजन तो कम होगा ही, बेली फैट घटाने में भी काफी लाभदायक साबित हो सकता है. ये कमाल इसमें मौजूद उच्च मात्रा में फाइबर होने का कारण होता है.

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गरमा-गरम खाने और पीने से सेहत के लिए हो सकता है भारी नुकसान..

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आपने देखा होगा कि बहुत लोग गरमा-गरम चाय पीना पसंद करते हैं. गरमा-गरम खाना खाना पसंद करते हैं. कई बार तो लोग बरसात में भीगने के बाद गर्म चाय, सूप, खिचड़ी खाते हैं, इससे ये लोग मानते हैं कि मूड अच्छा हो जाता है. थकान तुरंत दूर हो जाती है. बेहतर महसूस करते हैं. मगर, क्या आप जानते हैं कि गर्म खाना आपकी हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है. कैसे? जानने के लिए आप इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें.

आंतों को पहुंचता है नुकसान

उमस या गर्मी वाले मौसम में अगर आप गर्म खाना खाते हैं तो इससे आपकी आंतों को भी नुकसान पहुंच सकता है. आंतों में जलन और गर्मी बढ़ सकती है.

जल सकती है जीभ

बहुत गर्म खाना खाने वाले लोगों की कई बार जीभ जल जाती है. इससे जीभ पर छाले पड़ सकते हैं जिसकी वजह से आपको लंबे समय तक दर्द और तकलीफ हो सकती है.

दांतों को नुकसान

गर्म खाना आपके दांतों को नुकसान पहुंच सकता है. दांतों की ऊपरी परत (इनेमल) डैमेज हो सकती है. दांतों का रंग खराब हो सकता है और टूथ सेंसिटिविटी बढ़ सकती है. अगर, आप गर्म खाने के शौकीन है तो आपने यह कई बार महसूस किया होगा. इसके साथ ही बहुत गर्म खाना खाने वाले लोगों गले में सूजन ​की शिकायत रहती है. इससे फूड पाइप से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं.

बढ़ सकती हैं पेट की बीमारी

गर्म खाना खाने से पेट संबंधी बीमारियां पनप सकती हैं. पेट की स्किन जल सकती है. पेट में छाले पड़ जाते हैं. जिसके चलते एसिडिटी, उल्टी और पेट में जलन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं.

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गर्भनिरोधक दवाईयों से महिलाओं में बढ़ता है ब्लड क्लोटिंग का खतरा? जाने एक्सपर्ट से

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महिलाएं अक्सर अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं. इन गोलियों को अगर डॉक्टर की सलाहनुसार और एक सीमित मात्रा में ली जाए तो ठीक हैं वर्ना ये एक बड़ी परेशानी का सबब बन सकती हैं क्योंकि इनके अनियमित इस्तेमाल से कई परेशानियों का खतरा बढ़ता है जिनमें से एक है ब्लड क्लोटिंग का. माना जाता है कि गर्भनिरोधक के ज्यादा इस्तेमाल से ब्लड क्लोटिंग की समस्या पैदा हो जाती है.

कई महिलाएं जो कि सेक्सुअली एक्टिव है और निकट भविष्य में बच्चा भी नहीं चाहती ऐसे में अक्सर गर्भ निरोधक तरीकों का इस्तेमाल करती हैं. जिनमें गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल भी शामिल है. लेकिन अगर ये दवाईयां काफी अधिक मात्रा में और बिना डॉक्टर के परामर्श के ली जाएं तो कई नुकसान हो सकते हैं. अक्सर देखा गया है कि इस दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल से सिरदर्द, सूजन, पेट में दर्द और वजन बढ़ना जैसे लक्षण शामिल हैं.

ब्लड क्लोटिंग का खतरा 3 गुना अधिक

सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर वरूण बंसल कहते हैं कि कुछ बर्थ कंट्रोल दवाइयों से ब्लड क्लोटिंग का खतरा बढ़ सकता है, हालांकि इसके चांस बहुत कम हैं, परंतु जो महिलाएं ओबेसिटी या डायबिटीज की शिकार हैं या जिनका ब्लड प्रेशर ज्यादा रहता है, उनमें यह खतरा ज्यादा देखा गया है. दरअसल, इन दवाओं को लेने से हार्मोंस में तेजी से बदलाव होता है यही कारण है गर्भधारण नहीं हो पाता, ऐसे ही अन्य हार्मोन बेस्ड दवाईयां लेने से भी ब्लड क्लोटिंग का रिस्क 3 गुना तक बढ़ जाता है, साथ ही इस अध्ययन से ये बात भी सामने आई है कि अगर इन दवाईयों के उपयोग को बंद कर दिया जाए तो दो से चार सप्ताह के भीतर ये रिस्क काफी हद तक कम और खत्म हो जाता है.

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चीन में नए वायरस की दस्तक, ब्रेन पर करता है अटैक, ये हैं लक्षण

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चीन में एक बार फिर से नए वायरस के मिलने से डर फैल गया है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो चीन में ये नया वायरस जिसे वेटलैंड वायरस यानी की डब्ल्यूईएलवी का नाम दिया गया है, कि खोज की गई है जो कि टिक के काटने से इंसानों में फैल सकता है. लेकिन अन्य वायरस की तुलना में ये ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है क्योंकि ये सीधे दिमाग पर हमला करता है जिससे कि मरीज कोमा में चला जाता है. हालांकि इस वायरस की पहचान सबसे पहले जून 2019 में चीन के जिनझोउ शहर के 61 वर्षीय मरीज में की गई थी. जो कि इनर मंगोलिया के वेटलैंड्स में टिकों द्वारा काटे जाने के पांच दिन बाद बीमार पड़ गया था. इस बुखार में मरीज में सबसे पहले बुखार, सिरदर्द, चक्कर आना और उल्टी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. इस वायरस की ज्यादा जानकारी हालांकि अभी सामने नहीं आई है लेकिन बताया जा रहा है कि इस बुखार का असर सबसे ज्यादा दिमाग पर देखने को मिलता है क्योंकि इस वायरस से संक्रमित एक मरीज कोमा में भी जा चुका है।

भारत पर असर

महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर जुगल किशोर बताते हैं कि इस तरह के वायरस चीन में पहले भी आते रहे हैं. ये वायरस कीड़ों से इंसानों में फैल जाते हैं. इस तरह के वायरस ब्रेन पर अटैक करते हैं, हालांंकि चीन में पाए गए वेटलैंड वायरस से भारत में पैनिक होने की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है.

इस तरह फैलता है वायरस

प्रारंभिक जांच के लिए शोधकर्ताओं ने उत्तरी चीन में गहन जांच शुरू कर दी है, जहां उन्होंने विभिन्न स्थानों से लगभग 14,600 टिक एकत्र किए हैं. इनमें से लगभग 2 प्रतिशत का परीक्षण WELV आनुवांशिक सामग्री के लिए सकारात्मक पाया गया है, जो कि मुख्य रूप से हेमाफिसैलिस कॉन्सिना प्रजाति से है. ये वायरस टिक के अलावा भेड़, घोड़ों और सूअरों में भी पाया गया है. ऐसे में शोधकर्ताओं ने इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के ब्लड सैंप्लस का भी विश्लेषण किया है जिसमें 640 में से 12 व्यक्ति WELV के प्रति एंटीबॉडी बना चुके हैं. जबकि अन्य 20 इस वायरस से पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें बुखार, चक्कर आना, सिरदर्द, दस्त और मतली जैसे लक्षण पाए गए हैं. मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के तरल पदार्थ में श्वेत रक्त कोशिकाओं की उच्च संख्या के कारण एक मरीज कोमा में भी चला गया है. बाकि अन्य मरीज उपचार के बाद ठीक हो गए हैं.

दिमाग पर डालता है असर

चूहों पर प्रयोगशाला प्रयोगों से पता चला है कि WELV घातक संक्रमण पैदा कर सकता है और संभावित रूप से नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकता है. ये किसी मामले में हल्का तो किसी में काफी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है और खासतौर पर ये दिमाग से जुड़ी परेशानी पैदा कर सकता है. इसके अलावा शोधकर्ताओं ने अलग अलग फार्मों से जानवरों में पाए जाने वाले करीब 125 वायरस की पहचान की हैं जिनमें से 36 वायरस नए बताए जा रहे हैं जिनसे वैज्ञानिक अबतक अनजान हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि इनमें से 39 वायरस ऐसे हैं जो जानवर से जानवर और फिर इंसान में फैलकर गंभीर बीमारी फैला सकते हैं. हालांकि ये कितना संक्रमण फैलाते है इसके बारे में कहना जल्दबाजी हो सकता है लेकिन चीन इन नए वायरस पर नजर बनाए हुए है ताकि कोरोना की तरह ये ज्यादा घातक साबित न हों.

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