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*Holi 2020 and Astrology : त्रिपुष्कर एवं गजकेसरी योग बन रहे हैं होली पर, भारत के लिए सौभाग्यदायक है समय*

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इस बार होलिका दहन अत्यंत शुभ योग में है। अक्सर होलिका वाले दिन दहन के समय भद्रा होने से बड़ी मुहूर्त में परेशानी रहती थी। परंतु इस बार ऐसा नहीं है बल्कि इस बार भद्रा रहित, ध्वज एवं गज केसरी योग बन रहा है।

त्रिपुष्कर योग 10 मार्च को रहेगा। इस योग में भवन, वाहन, सोना-चांदी के आभूषण या कोई कीमती वस्तु का सुख प्राप्त हो सकता है।

ज्योतिष के अनुसार इस योग में किया गया कार्य तीन बार होता है और वस्तु का लाभ भी तिगुना मिलता है। इसके अलावा इस बार होली पर गज केसरी योग भी बन रहा है।

गज यानि हाथी, केसरी यानि शेर, हाथी और शेर का संबंध यानि राजसी सुख। गज को गणेश जी का रूप माना जाता है। इस योग का फलभाव, राशि, नक्षत्र और गुरु की पोजीशन के आधार पर मिलता है। जब गुरु व चंद्र बलवती होकर गजकेसरी योग का बनाते हैं। इस बार होली पर त्रिपुष्कर और गजकेसरी योग मिलकर जातक की बहुत सी मनोकामना को पूरा करेंगे।

होलिका भद्रा रहित होने और दो शुभ योग(त्रिपुष्कर, गजकेसरी) बनने से इसका प्रभाव भारत के राजनैतिक, आर्थिक स्थिति पर भी पड़ेगा।

यह होली देश के लिए सौभाग्यदायक रहेगी। भारत के व्यापार जगत में लाभ होगा और गजकेसरी योग व्यापार जगत में मंदी को दूर करेगा। भारत की प्रभाव राशि मकर है। भारत सरकार के लिए आगे अच्छी योजना बनेगी, शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा। रोजगार की नई योजना बनेगी।

भ्रष्टाचार पर रोकथाम लगेगी, महंगाई पर भी नियंत्रण लगेगा। परंतु पेट्रोल और डीजल की मूल्य वृ्द्धि होगी, खाद्य पदार्थों के दामों में तेजी आएगी। साथ ही सीमा क्षेत्र पर आतंकी घटनाएं घटेंगी, लेकिन सरकार द्वारा किए गए प्रयास से इन घटनाओं पर लगाम लगेगी। बड़े किसी मामले का भंडाफोड़ होगा लोकप्रिय लोगों के नाम इसमें आ सकते हैं।

किसी बड़े राज्य में तख्तापलट होगा। साथ ही सभी राज्यों के शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासन विभागों में तरक्की होगी। इस वर्ष होलिका दहन संपूर्ण भारत के लिए शुभ है। विश्वस्तर में भारत तरक्की करेगा और जीडीपी में भी वृद्धि के आसार हैं।

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कीचड़ में स्टंट कर रहा था लड़का, मिट्टी में धंसी गर्दन, लगा छटपटाने…

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लोग मजाक-मजाक में कई बार ऐसी खतरनाक हरकतें करने लग जाते हैं, जिससे उनकी जान पर बन आती है. ऐसा ही एक खौफनाक वीडियो इंस्टाग्राम पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में देखा जा सकता है कि नदी किनारे एक लड़का गुलाटी मारने की कोशिश कर रहा है. वह दौड़ता हुआ कीचड़ में आता है. हाथों को नीचे रखकर सिर को मिट्टी के अंदर डालकर पलटने की कोशिश करता है, लेकिन तभी उसकी गर्दन मिट्टी के अंदर धंस जाती है. वह तड़पने लगता है. दूसरी ओर उसका दोस्त वीडियो बनाने में मशगूल रहता है.बता दें कि नदी किनारे कई बार दल-दली मिट्टी जमा हो जाती है, जिसमें लोग इस तरह के स्टंट को परफॉर्म करते हैं. इस वीडियो में भी ये लड़का कुछ ऐसा ही करने की कोशिश करता है. लेकिन स्टंट के दौरान उसकी गर्दन मिट्टी में पूरी तरह धंस जाती है और हाथ से बाहर निकालने में सपोर्ट भी नहीं मिल पाता. ऐसे में लड़का तड़पने लगता है. वीडियो देखकर साफ कहा जा सकता है कि एक पल की देरी का मतलब सीधे इस शख्स की जान चली जाती. लेकिन वीडियो बनाने वाले ने कैमरा बंद करना उचित नहीं समझा.

हालांकि, थोड़ी देर में ही लड़के का दूसरा दोस्त उसे बचाने के लिए पहुंच जाता है, लेकिन तब तक अपने लड़के का सिर बाहर निकल जाता है. लड़का पूरी तरह कीचड़ में सना रहता है. इस वीडियो को इंस्टाग्राम पर @dontlough8001 नाम के अकाउंट से शेयर किया गया है. अब तक इसे 30 हजार से ज्यादा लोगों ने लाइक किया है, वहीं सैकड़ों कमेंट्स आए हैं. एक यूजर ने लिखा है कि वीडियो बनाने की जगह कैमरामैन को उस लड़के की मदद करनी चाहिए थी. वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा है कि रील के चक्कर में जान गंवा देता. वहीं, एक दूसरे यूजर ने अपने कमेंट में लिखा है कि इसे कहते हैं मौत को छू कर टक से वापस आना.

भूलकर भी न करें ऐसा स्टंट

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8 अप्रैल को लगने जा रहा है साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानें सूतक काल लगेगा या नहीं?

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 इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल 2024 को लगने जा रहा है। यह ग्रहण भारतीय समयानुसार 8 अप्रैल को रात 9 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर देर रात 2 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस ग्रहण का कुल पर्वकाल 5 घंटे 10 मिनट का रहेगा। बता दें कि ग्रहण के दौरान लगने वाला सूतक काल का विशेष महत्व रखता है। सूतक काल के समय कई शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे या 9 घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाता है, जिसमे सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण समय से 12 घंटे पहसे शुरू हो जाता है। सूतक काल को एक प्रकार से अशुभ समय माना जाता हैं। ऐसे में सूतक काल के दौरान कोई मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। इस ग्रहण का सूतक काल 8 अप्रैल 2024 सुबह 9 बजकर 12 मिनट पर ही शुरू हो जाएगा।

सूतक काल लगेगा या नहीं? 

साल का पहला सूर्य ग्रहण रात में लगने जा रहा है, इसलिए यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। ऐसे में भारत में सूर्य ग्रहण नहीं लगने की वजह से सूतक काल भी पूरी तरह से मान्य नहीं होगा। गौरतलब है कि यह सूर्य ग्रहण अमेरिका, ग्रीनलैण्ड, आइसलैण्ड, ओजेरस, पोलेनेशि, उत्तरी अमेरिका के दक्षिण प्रशांत महासागर और उत्तर अटलांटिक महासागर आदि क्षेत्रों में दिखाई देगा।

सूर्य ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए

  • ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं अपना खास ध्यान रखें
  • ग्रहण के समय सुई में धागा नहीं डालना चाहिए, साथ ही इस दौरान न कुछ छीले, बघारे, काटे और न छौंके
  • सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्यदेव का मंत्र जाप करें
  • ग्रहण के पहले पानी के बर्तन में, दूध और दही में कुश या तुलसी की पत्ती या दूब धोकर डाल दें
  • ग्रहण समाप्त होने के बाद दूब को निकालकर फेंक देना दें
  • सूर्य ग्रहण को कभी भी डायरेक्ट आंखों से न देखें
  • ग्रहण के दौरान नाखून काटना, दांतों को साफ, बाल में कंघी करना, करना वर्जित माना गया है

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30 मार्च को मनाई जाएगी देवताओं की होली, द्वापर युग में ऐसे हुई थी रंग पंचमी की शुरूआत

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रंग पंचमी का त्योहार साल 2024 में 30 मार्च को है। पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को देवताओं की होली मनाई जाती है और यही वजह है कि इसे रंग पंचमी का नाम दिया गया है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी देवता धरती पर होली खेलने आते हैं। देवताओं की होली से जुड़ी कथा क्या है, और कैसे रंग पंचमी के त्योहार की शुरूआत हुई थी इसके बारे में आइए विस्तार से जानते हैं।

रंग पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा 

द्वापर युग में भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार लिया था। माना जाता है कि, भगवान कृष्ण ने ही रंग पंचमी की शुरुआत की थी। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान कृष्ण ने राधा जी के साथ होली खेली थी। भगवान कृष्ण और राधा जी को होली के रंगों में रंगा देखकर गोपियां भी शामिल हो गईं। राधा-कृष्ण की होली से धरती पर एक अद्भुत छटा बिखने लगी, जिसे देखकर देवी-देवता भी मंत्रमुग्ध हो गए। देवी-देवता भी राधा-कृष्ण के साथ होली खेलना चाहते थे और इसीलिए वो भी गोपी और ग्वालों का रूप धारण करके राधा-कृष्ण की टोली में शामिल हो गए। यानि धरती पर सारे देवी-देवताओं ने राधा-कृष्ण के साथ होली मनाई। यही वजह है कि रंग पंचमी को देवताओं की होली कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, आज भी रंग-पंचमी के दिन देवी-देवता धरती पर राधा-कृष्ण के साथ होली मनाने पहुंचते हैं।

रंग पंचमी पर ये कार्य करना शुभ

रंग पंचमी को लेकर कहा जाता है कि इस दिन हवा में गुलाल उड़ाने से वातावरण की नकारात्मकता दूर होती है। साथ ही समाज में सौहार्द बना रहता है। इस दिन देवी-देवताओं खासकर भगवान कृष्ण की पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त हो सकते हैं। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी अतिउत्तम कहा गया है, साधकों को इस दिन अपने इष्ट की साधन अवश्य करनी चाहिए। इस दिन किये गये ध्यान से आपको मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है। जो लोग आध्यात्मिक क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं उनको कुछ ऐसे अनुभव इस दिन हो सकते हैं जिससे उनकी आध्यात्मिक यात्रा आसान हो सकती है। मान्यताओं के अनुसार, क्योंकि इस दिन देवी-देवता धरती पर आते हैं इसलिए उनकी आराधना करके भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति शीघ्र हो सकती है।

 

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