देश-विदेश
पीएम मोदी में जरा भी ईमानदारी है तो अपने परम मित्र के महाघोटालों पर रेड करें’, ED की कार्रवाई से भड़के मल्लिकार्जुन खड़गे
नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नेताओं के ठिकानों पर हुई ED की छापेमारी चर्चा का विषय बनी हुई है। इस छापेमारी को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा, ‘पिछले 9 सालों में ED ने जो रेड की हैं, उसमें 95% विपक्षी नेता हैं, और सबसे ज्यादा कांग्रेस नेताओं के खिलाफ हैं। रायपुर में कांग्रेस महाधिवेशन के पहले मोदी सरकार द्वारा ED का दुरुपयोग कर छत्तीसगढ़ के हमारे कांग्रेस नेताओं पर छापा मारना, भाजपा की कायरता को दर्शाता है।’
खड़गे ने ये भी कहा, ‘हम इन कायराना धमकियों से डरने वाले नहीं हैं। भारत जोड़ो यात्रा की अपार सफलता से भाजपा की बेचैनी दिखने लगी है। पीएम मोदी में जरा भी ईमानदारी है तो अपने परम मित्र के महाघोटालों पर रेड करें। लोकतंत्र को कुचलने के इस प्रयास का हम डटकर सामना करेंगे।
‘क्या है पूरा मामला
ईडी ने आज सुबह कांग्रेसी नेताओं पर शिकंजा कसा है। सोमवार तड़के मिली जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस के आधा दर्जन नेताओ के यहां ईडी का छापा पड़ा है। जिन नेताओं के खिलाफ ये छापेमारी हुई है, उसमें रामगोपाल अग्रवाल, गिरीश देवांगन, आर पी सिंह, विनोद तिवारी, सन्नी अग्रवाल समेत कई का नाम है। गौरतलब है कि 24 फरवरी से रायपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन है। ऐसे समय में कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ ईडी की छापेमारी से सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया है।
कब हुई ये छापेमारी?
ईडी ने कई कांग्रेसी नेताओं के ऊपर शिकंजा कसा है और ईडी ने कल रात से रेकी करने के बाद सुबह दबिश दी। जिन नेताओं के खिलाफ ये कार्रवाई हुई है, वह श्रीराम नगर, डीडी नगर, गीतांजलि नगर, मोवा, भिलाई में रहते हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए बड़े नेता छत्तीसगढ़ में जुट रहे हैं। 24 फरवरी से अधिवेशन की शुरुआत होगी और इससे पहले सोमवार को तड़के ईडी की टीमों द्वारा करीब आधा दर्जन नेताओं के घरों पर छापेमारी की खबर आ रही है।
जिन नेताओं के यहां छापे की खबर है, उनमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, श्रम कल्याण मंडल अध्यक्ष सुशील सन्नी अग्रवाल, विधायक देवेंद्र यादव, प्रवक्ता आरपी सिंह, विनोद तिवारी आदि शामिल हैं।
फिलहाल इस मामले में ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है। कांग्रेस मीडिया विभाग की ओर से भी छापे की जानकारी नहीं होने की बात कही गई है।
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इस राज्य का मामला..CM साहब का समोसा खा गया स्टाफ, 5 पुलिसकर्मियों को नोटिस
भारत में समोसे का क्रेज अलग ही लेवल पर है। होटल से लेकर सड़क किनारे लोग आपको समोसे खाते दिखा दे जाएंग। पर क्या आपने सोचा है कि समोसा पूरे पुलिस प्रशासन की नींद भी उड़ा सकता है? ऐसा ही कुछ हुआ है कांग्रेस शासित राज्य हिमाचल प्रदेश में। इन दिनों हिमाचल की राजनीति में समोसा छाया हुआ है। समोसे की वजह से पांच पुलिसकर्मियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इतना ही नहीं उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है। राज्य की CID इसकी जांच कर रही है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बीते 21 अक्टूबर को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू CID हेडक्वार्टर में साइबर विंग स्टेशन का उद्घाटन करने के लिए गए थे। यहां पर सीएम के लिए लाए गए केस और समोसे उनके स्टाफ को बांट दिए गए। इसकी जांच सीआईडी ने की। जांच में पता चला कि सिर्फ एसआई को ही पता था कि ये डिब्बे खास तौर पर सीएम सुक्खू के लिए थे।
समन्वय की कमी से हुई गलती
जांच में पता लगा है कि जब इन डिब्बों को महिला इंस्पेक्टर को सौंपा गया तो उन्होंने किसी वरिष्ठ अधिकारी से पुष्टि नहीं की और इन्हें नाश्ते के लिए जिम्मेदार मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट (एमटी) सेक्शन को भेज दिया। इस गलती के कारण से ये बक्से को उनके उचित व्यक्ति तक पहुंचने से पहले ही इधर से उधर हो गए।रिपोर्ट में कहा गया है कि समन्वय की कमी इस गलती का एक महत्वपूर्ण कारण थी।
10/12 व्यक्तियों को चाय के साथ परोसा गया
जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि उपरोक्त तीनों बॉक्स में रखे सामान को IG के कार्यालय में बैठे 10/12 व्यक्तियों चाय के साथ परोस दिया गया था। तथाकथित तीन बाक्स जो होटल से लाए गए थे इनमें मौजूद खाने की वस्तुएं मुख्यमंत्री के लिये हैं, इस बात की जानकारी केवल SI को ही थी। इसके बावजूद उपरोक्त तीनों बॉक्स को इंस्पेक्टर द्वारा किसी भी उच्च अधिकारी को पूछे बगैर यह सामान MT Section को सौंपा गया। बॉक्स खोले गये व इसमे मौजूद सामान बांटा गया।
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर आया सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जा की बहाली की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से साल 1967 का अजीज बाशा फैसला पलट दिया है। कोर्ट ने कहा है कि AMU अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं, 3 जजों की बेंच ये तय करेगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि AMU को अल्पसंख्यकों ने स्थापित किया था, इस बात को साबित करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
मामले पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि संदर्भ के लिए प्रश्न था- किसी शैक्षणिक संस्थान को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान मानने के संकेत क्या हैं? क्या किसी संस्थान को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान इसलिए माना जाएगा क्योंकि इसकी स्थापना धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यक वर्ग के किसी व्यक्ति (व्यक्तियों) द्वारा की गई थी या इसका संचालन किसी धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यक वर्ग के व्यक्ति(व्यक्तियों) द्वारा किया जा रहा है?
अनुच्छेद 30 में मिले अधिकार संपूर्ण नहीं- CJI
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि धार्मिक समुदाय संस्थान बना सकते हैं लेकिन चला नहीं सकते। अनुच्छेद 30 में मिले अधिकार संपूर्ण नहीं है। धार्मिक समुदाय को संस्थान चलाने का असीमित अधिकार नहीं है। अनुच्छेद 30 (1) को कमजोर नहीं कर सकते। अल्पसंख्यक संस्थाओं को भी रेगुलेट कर सकते हैं।
4:3 का फैसला
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मैंने बहुमत के साथ फैसला लिखा है। तीन असहमतियाँ हैं। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस शर्मा ने अपनी-अपनी असहमतियाँ लिखी हैं। इसलिए यह 4:3 का फैसला है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि धार्मिक समुदाय संस्थान बना सकते हैं लेकिन चला नहीं सकते। अनुच्छेद 30 में मिले अधिकार संपूर्ण नहीं है।
किन जजों ने सुनया फैसला?
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की संविधानिक बेंच ने ये फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आगे चलकर यह तय होगा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान के रूप मे दर्जा दिया जाए या नहीं।
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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में फिर भिड़े BJP और NC के विधायक, अनुच्छेद 370 पर हो रहा बवाल
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों के बीच अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर फिर भिड़ंत हो गई। बता दें कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में पूर्ववर्ती राज्य का विशेष दर्जा बहाल किए जाने से संबंधित प्रस्ताव को लेकर गुरुवार को भी भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों के विरोध और हंगामे के कारण विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दिन भर के स्थगित कर दी थी।
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