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01 जुलाई से लागू होंगे भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता और साक्ष्य अधिनियम, कलेक्ट्रेट में हुई कार्यशाला

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राजस्व अधिकारियों को दिए गए नवीन क़ानूनों के तहत कार्यवाही के निर्देश


 अनिता गर्ग अमनपथ ब्यूरो, रायगढ़  : कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल के निर्देशानुसार 01 जुलाई 2024 से लागू हो रही भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के संबंध में राजस्व अधिकारियों और मास्टर ट्रेनर्स के प्रशिक्षण हेतु ऑनलाईन कार्यशाला आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में आयोजित की गई।

कार्यशाला में अपर कलेक्टर श्री राजीव कुमार पाण्डेय ने बताया कि भारतीय दण्ड संहिता 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को अधिसूचित किया गया है। इन सभी कानूनों के प्रावधान 01 जुलाई 2024 को या उसके बाद घटित होने वाले अपराधों पर ही लागू होंगे। भारतीय न्याय संहिता में बड़े बदलाव किए गए हैं। भारत में अपराधों का भारत से बाहर दुष्प्रेरण, प्रवंचनापूर्ण साधनों का प्रयोग कर संबंध, अपराध के लिए बालक को भाड़े पर लेना, मॉब-लिंचिंग, संगठित अपराध, आतंकवादी कृत्य, भारत की संप्रभुता के विरुद्ध कार्य, विधि विरुद्ध शक्ति का प्रयोग या इससे रोकने के लिए आत्महत्या की धमकी या प्रयत्न, स्नैचिंग, पूजा स्थल की मूर्ति या प्रतीक की चोरी करना, शासकीय संपत्ति की चोरी करना, यातायात साधन में चोरी, कूटरचित मुद्रा या उपकरण को जानबूझकर उपयोग करना और असहाय व्यक्ति की देखरेख संबंधी संविदा तोड़ने जैसे 20 अपराधों को दंडनीय बनाया गया है, वहीं आत्महत्या के प्रयत्न, राजद्रोह, समलैंगिकता, जारकर्म इत्यादि कई धाराएँ हटा दी गई हैं। 41 अपराधों में सजा बढ़ा दी गई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है। कुल 33 अपराधों में कारावास की सजा बढ़ा दी गई है और कुल 6 अपराधों जैसे लोक स्थान में नशा कर अवचार, 5000 रुपये तक की चोरी, लोक सेवक को आत्महत्या की धमकी या प्रयत्न या मानहानि के अपराध में सामुदायिक सेवा को दंड के रूप पहली बार जोड़ा गया है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 में नागरिक केन्द्रित, अभियुक्त केन्द्रित, पीडि़त केन्द्रित कानून एवं कल्याणकारी अवधारणा, अभियोजन को मजबूती प्रदान करना, न्याय को नागरिक अनुकूल बनाना, उचित नियंत्रण और संतुलन के साथ पुलिस का सामंजस्यपूर्ण बनाना, प्रक्रियाओं की सरलता एवं संक्षिप्त ट्रायल को सरल बनाना, अनुसंधान में वैज्ञानिक तकनीक (फोरेंसिक), डिजिटल एवं इलेक्ट्रानिक साक्ष्य के प्रावधान के साथ समयबद्ध प्रक्रिया को वरीयता दी गई है। नए कानूनों में पुराने प्रचलित संहिताओं की धारा संख्या में परिवर्तन के साथ कई स्थानों में परिभाषाओं और प्रक्रियाओं में समयानुकूल परिवर्तन किए गए हैं। जिससे कानूनी प्रक्रिया सरल हो।
अपर कलेक्टर श्री पाण्डेय ने बताया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) का स्थान लेगी। बीएनएसएस सात साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच को अनिवार्य करता है। फोरेंसिक विशेषज्ञ फोरेंसिक सबूत इकट्ठा करने और प्रक्रिया को रिकॉर्ड करने के लिए अपराध स्थलों का दौरा करेंगे। सभी ट्रायल, पूछताछ और कार्यवाही इलेक्ट्रॉनिक मोड में संचालित की जा सकती है। इलेक्ट्रॉनिक संचार उपकरणों, जिनमें डिजिटल सबूत की संभावना है, को जांच, पूछताछ या ट्रायल के दौरान प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाएगी। अगर कोई घोषित अपराधी मुकदमे से बचने के लिए भाग गया है और उसकी गिरफ्तारी की तत्काल कोई संभावना नहीं है, तो उसे विधिवत फ़रार अपराधी घोषित कर उसकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जा सकता है और फैसला सुनाया जा सकता है। जांच या कार्यवाही के लिए नमूना हस्ताक्षर या लिखावट के साथ-साथ उंगलियों के निशान और आवाज के नमूने भी एकत्र किए जा सकते हैं। ऐसे व्यक्ति से भी नमूने इकट्ठे किए सकते हैं जिसे गिरफ्तार नहीं किया गया है।

इस दौरान उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि बीएनएसएस 15 दिनों तक की पुलिस हिरासत की अनुमति देता है, जिसे न्यायिक हिरासत की 60- या 90- दिनों की अवधि के शुरुआती 40 या 60 दिनों के दौरान भागों में रखा जा सकता है। अगर पुलिस ने 15 दिन की हिरासत अवधि समाप्त नहीं की है तो इस प्रावधान से हिरासत अवधि के लिए जमानत से इनकार किया जा सकता है। अपराध की आय से अर्जित संपत्ति को कुर्क करने की शक्तियों में वैसे सुरक्षा उपाय नहीं हैं, जैसे मनी लॉन्ड्रिंग निवारण कानून में दिए गए हैं। अगर कोई आरोपी किसी अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम कारावास की आधी अवधि या प्रथम बार के अपराध की दशा में एक तिहाई अवधि हिरासत में काट चुका हो तो बीएनएसएस उसके लिए जमानत का प्रावधान करती है। बीएनएसएस कई एफ़ आई आर का सामना करने वाले किसी भी अभियुक्त को जमानत से इंकार का प्रावधान करती है। सेवानिवृत्त या स्थानांतरित जांच अधिकारियों द्वारा एकत्र सबूतों को उनके परवर्ती (सक्सेसर) अधिकारी द्वारा प्रस्तुत करने की अनुमति देती है। जीरो एफ़् आई आर और ई-एफ़आईआर के प्रावधान भी किए गये हैं।

इस दौरान उप संचालक अभियोजन श्री वेद प्रकाश पटेल ने भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने भारतीय साक्ष्य अधिनियम के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि न्याय निर्णयन में साक्ष्य विधि का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि हमारे न्याय पालिका में विचारण का मुख्य आधार साक्ष्य ही है। साक्ष्य विधि का उद्देश्य सुसंगत तथ्यों के माध्यम से सत्य की खोज करना है। जिसमें किस प्रकार के तथ्यों को साबित किया जा सकता है, उन तथ्यों के अस्तित्व को स्थापित करने के लिए जो मूल विधि द्वारा परिभाषित हैं। साथ ही किस प्रकार का सबूत उन तथ्यों को दिया जाना है, किसे उसे देना है एवं कैसे उसे दिया जाना है के संबंध में जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि उक्त अधिनियम 11 अगस्त 2023 को एक विधेयक के रूप में लोक सभा में पुन: स्थापित किया गया तथा 10 नवंबर 2023 को समिति द्वारा अपना रिपोर्ट पेश की गई। जिसका उद्देश्य साक्ष्य के अंतर्गत इलेक्ट्रानिक रूप से दी गई सूचना को मान्य करते हुए साक्षियों, अभियुक्तों, विशेषज्ञों एवं पीडि़त को न्यायालय में इलेक्ट्रानिक माध्यम से उपस्थिति को स्वीकार किया गया। इलेक्ट्रानिक एवं डिजिटल अभिलेख की साक्ष्य में ग्राह्यता को मूल दस्तावेज के रूप में मान्य किया गया। इलेक्ट्रानिक या डिजिटल अभिलेख के तहत साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत इलेक्ट्रानिक या डिजिटल अभिलेख को अन्य अभिलेखों के समरूप माना है।कार्यशाला में सभी संयुक्त कलेक्टर , डिप्टी कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार, ज़िला अभियोजन अधिकारी श्री सिद्धार्थ ठाकुर सहित सभी ज़िला स्तरीय अधिकारी और मास्टर ट्रेनर उपस्थित रहे।

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लोक अदालतों में राजीनामा योग्य प्रकरणों का हो अधिक से अधिक निराकरण : मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा

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लोक अदालत की तैयारियों के संबंध में आयोजित की गई बैठक

रायपुर, 02 जुलाई 2024  : छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक न्यायमूर्ति श्री रमेश सिन्हा की अध्यक्षता में आगामी 13 जुलाई को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत की तैयारियों  के संबंध में आज छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में बैठक आयोजित की गई। बैठक में न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण न्यायमूर्ति श्री गौतम भादुड़ी तथा न्यायाधीश, छत्तीसगढ उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति न्यायमूर्ति श्री संजय के. अग्रवाल विशेष रूप से उपस्थित थे। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष, सचिव, फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश, न्यायाधीश, स्थायी लोक अदालत के चेयरमेन, सीजेएम, लेबर जज बैठक में शामिल हुए।

बैठक में मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति श्री रमेश सिन्हा ने सभी न्यायाधीशों से आगामी नेशनल लोक अदालत में सिविल, आपराधिक एवं अन्य राजीनामा योग्य प्रकरणों को अधिक से अधिक संख्या में चिन्हांकित कर निराकृत किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने न्यायालयों में 5 वर्ष एवं 10 वर्ष से अधिक समय से लंबित राजीनामा योग्यप्रकरणों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई। बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं, विद्युत वितरण कंपनियों, बीएसएनएल, बीमा कंपनियों एवं अन्य के द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले प्री-लिटिगेशन आवेदनों के पक्षकारों की प्री-सिटिंग करा अधिक-से-अधिक प्री-लिटिगेशन मामलों के निराकरण की आवश्यकता बताई ताकि ऐसे मामले न्यायालय में संस्थित होने से पहले ही निराकृत हो जाये। उन्होंने कहा कि पक्षकारों की सहमति से एवं विधि अनुसार अधिक-से-अधिक राजीनामा योग्य मामलों का निराकरण करने के लिए लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सभी का यथोचित प्रयास अपेक्षित है।

मुख्य न्यायाधिपति ने उच्चतम न्यायालय में 29 जुलाई 2024 से 03 अगस्त 2024 तक विशेष लोक अदालत के आयोजन की महत्वपूर्ण पहल पर उच्चतम न्यायालय द्वारा छत्तीसगढ राज्य से संबंधित चिन्हांकित प्रकरणों में राजीनामा की संभावनाओं पर राज्य के समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा की जा रही कार्यवाहियों की समीक्षा की और समस्त प्रधान जिला न्यायाधीशों को निर्देशित किया कि विशेष रूचि लेकर पक्षकारों को नोटिस तामीली करा उनकी प्री-काउसिंलिंग इत्यादि हेतु समुचित कार्यवाही करें और सतत् निगरानी करें।

इस वर्चुअल बैठक में न्यायमूर्ति श्री गौतम भादुड़ी, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने वीडियो कान्फ्रेंस में शामिल जिलों के समस्त न्यायाधीशों को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें लोक अदालतों में पूर्ण उत्साह और पूर्ण क्षमता से योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने न्यायिक अधिकारियों से टीम वर्क के साथ कार्य करने को कहा साथ ही पिछली लोक अदालत में निराकरण हुए प्रकरणों की संख्या को बढ़ाने कहा।

बैठक में न्यायमूर्ति श्री संजय के. अग्रवाल, न्यायाधीश, छत्तीसगढ उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति ने भी ज्यादा से ज्यादा संख्या में मामलों को चिन्हांकित कर उन्हें विधि अनुसार निराकृत करने पर जोर दिया। ज्ञातव्य है कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा), नई दिल्ली के निर्देशानुसार वर्ष 2024 हेतु निर्धारित कैलेण्डर अनुसार आगामी नेशनल लोक अदालत का आयोजन 13 जुलाई 2024 को किया जा रहा है। यहां यह उल्लेखनीय होगा कि लोक अदालत उच्च न्यायालय से लेकर तहसील न्यायालयों के साथ साथ राजस्व न्यायालयों में भी आयोजित किये जाते हैं।

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छत्तीसगढ़ में महिलाओं की सुरक्षा के लिए खुलेंगे महिला पिंक थाने : उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा

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  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्याें को जल्द पूर्ण कराएं
  • राजमिस्त्रियों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था कराएं
  • स्व सहायता समूहों के उत्पादों की बिक्री के लिए
  • उपलब्ध होगा ऑनलाईन प्लेटफार्म

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्याें को जल्द पूर्ण कराएं

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्याें को जल्द पूर्ण कराएं

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्याें को जल्द पूर्ण कराएं

रायपुर, 02 जुलाई 2024  : छत्तीसगढ़ में महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी जिला मुख्यालयो में महिला पिंक थाने खुलेंगे। इस संबंध में विभागीय तैयारी की जा रही है। इसके लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है। उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने आज यहां मंत्रालय महानदी भवन में विभागीय बैठक में महिला पिंक थाने शुरू करने की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि यह थाने महिलाओं के लिए सुरक्षित और सहयोगात्मक वातावरण सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किए जाएंगे।

उप मुख्यमंत्री श्री शर्मा ने बैठक में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 258 सड़कों की प्रगति की मीक्षा की। ये सड़कें पिछले 5-6 वर्षों से माओवादी गतिविधियों और सुरक्षा के अभाव में अपूर्ण थीं। उन्होंने इन सड़कों को जल्द से जल्द पूर्ण करने के लिए जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए।

उप मुख्यमंत्री श्री शर्मा ने स्व सहायता समूहों के उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म पर अपलोड करने और स्वयं का भी एप्लिकेशन बनाने कहा। उन्होंने रीपा में मुख्य सचिव के नेतृत्व में गठित समिति की जांच के बारे में जानकारी ली और स्व सहायता समूहों के भुगतान की स्थिति की भी समीक्षा की। बैठक में अधिकारियों को सीजीआईटी के अगले शिक्षण सत्र से प्रारंभ के लिए आवश्यक तैयारी शीघ्र पूरी करने और नोडल अधिकारी की नियुक्ति के निर्देश दिए।

उपमुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना के आवासों को तेजी पूर्ण कराने के लिए राजमिस्त्रियों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि इस ट्रेड को प्रशिक्षण में शामिल किया जाए। ऐसे आईटीआई जहां मेशन ट्रेनिंग के लिए पद नहीं है, ववहां मेहमान प्रवक्ता से प्रशिक्षण का कार्य करवाया जाए। उन्होंने शासकीय आदर्श आईटीआई कोनी बिलासपुर की मरम्मत पर भी आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने बैठक में जनमन योजना के तहत बन रहे प्रधानमंत्री आवास, मानव दिवस सृजन, प्रत्येक ग्राम पंचायत में अमृत सरोवर, महतारी सदन, और तीन हजार से अधिक जनसंख्या वाले ग्राम पंचायतों में मास्टर प्लान बनाने, हमर छत्तीसगढ़ योजना को पुनः शुरू करने सहित विभिन्न कार्याें की समीक्षा की। उन्होंने मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा ऋण अनुदान योजना को पुनः शुरू करने और विभाग में लंबित अनुकंपा नियुक्ति और पेंशन मामलों का तत्काल निराकरण करने के निर्देश दिए।

उप मुख्यमंत्री श्री शर्मा ने छत्तीसगढ़ रोजगार ऐप के प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए, जिससे कभी भी, कहीं से भी रोजगार सहायता हेतु पंजीयन, नवीनीकरण और अपडेशन का कार्य ऑनलाइन किया जा सके। इस ऐप के माध्यम से आवेदकों को भौतिक सत्यापन के लिए जिला रोजगार एवं रोजगार मार्गदर्शन केंद्र आने की आवश्यकता नहीं होगी। आवेदक अपनी पंजीयन पत्र को ऑनलाइन डाउनलोड कर सकेंगे और विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ इस ऐप के माध्यम से प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही, रोजगार मेला और प्लेसमेंट कैंप की जानकारी भी इस ऐप के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी।

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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हाथरस हादसे पर गहरा दुःख प्रकट किया

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रायपुर, 02 जुलाई 2024  : मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय ने उत्तर प्रदेश के हाथरस हादसे पर गहरा दुःख प्रकट किया है। उन्होंने कहा है कि हाथरस में हुई दुर्घटना हृदय विदारक है। इस हादसे में दिवंगत हुए लोगों को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि, दिवंगतों के परिजनों को प्रभु इस दुःख को सहने की शक्ति दें। मुख्यमंत्री ने हादसे में घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है।

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