आस्था
इस अद्भुत मंदिर में शादी करने से खुशियों से भर जाएगी जिंदगी, शिव-पार्वती ने यहीं लिए थे सात फेरे
शिव पुरान कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने कठोर तपस्या के बाद शिव जी को पुन: पति के रूप में पाया था। ऐसी मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से अच्छा और मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। यूं तो महादेव और मां पार्वती के मिलन को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। लेकिन शायद ही आप जानते होंगे कि उन्होंने किस जगह सात फेरे लिए थे। ऐसे में इस लेख के जरिए आज हम आपको विस्तार से बताएंगे उस मंदिर के बारे में जिसे शिव-पार्वती के विवाह स्थल के रूप में जाना जाता है।
त्रियुगीनारायण मंदिर में शिव-पार्वती ने लिए सात फेरे
पवित्र त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड के रुदप्रयाग जिले में स्थित है। कहा जाता है कि ये वही स्थान है जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। मंदिर के बाहर एक हॉल में हवनकुंड में अग्नि लगातार जलती रहती है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार ये वहीं अग्नि है जिसके फेरे लेकर शिव-पार्वती विवाह संपन्न हुआ था।
सदियों से जल रही है अग्नि
पुजारियों के अनुसार कई युगों से इस अग्नि को जलाकर रखा जाता रहा है। यही कारण है कि इस स्थान को अतयंत पवित्र माना जाता है। कई जोडे दूर-दूर से इस मंदिर में विवाह बंधन में बंधने के लिए खासतौर पर आते हैं।
विष्णु जी ने निभाई मां पार्वती के भाई की भूमिका
कहा जाता है कि इस विवाह में भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भाई की भूमिका निभाई थी। विष्णु जी ने उन सभी रीतियों को निभाया जो एक भाई अपनी बहन के विवाह में करता है। कहते हैं यहां मौजूद कुंड में स्नान करके भगवान विष्णु ने विवाह संस्कार में भाग लिया था।
यहां शादी करने से संवर जाती है जिंदगी
इस अद्भुत मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां शादी करने वाले जोड़े की जिंदगी संवर जाती है। उनके वैवाहिक जीवन कभी भी तनाव नहीं आती। इसके साथ ही सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान भी प्राप्त होता है। आज भी इस मंदिर में शिव-पार्वती की शादी की निशानियां मौजूद हैं।
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होली के दिन अपनी राशि अनुसार लगाएं गुलाल-अबीर, जिंदगी में बने रहेंगे खुशियों के रंग
25 मार्च 2024, सोमवार को रंगों का पर्व होली मनाया जाएगा। इस दिन सभी लोग एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाते हैं। इसके साथ ही हर घर में तरह-तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं। होली के दिन अपनी राशि अनुसार रंगों से होली खेलने से शुभ फलों को प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं कि आपको अपनी राशि के मुताबिक कौनसे रंग का गुलाब-अबीर चुनना चाहिए।
मेष राशि-
आज आप लाल गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद लाल रंग के कपड़े पहनकर अपने कुल देवता को हाथ जोड़कर नमस्कार करें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए पिस्ते से बनी मिठाई का दान करें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए दो चुटकी होली की राख और दो लोहे की कील लेकर लाल रंग के कपड़े में बांधकर, अपनी दुकान या ऑफिस के मुख्य द्वार पर लटका दें।
वृष राशि-
आज आप अबीर में थोड़ा-सा गुलाल मिलाकर उससे होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद सिल्वर या व्हाइट रंग के कपड़े पहनकर अपने आस-पड़ोस में रहने वाले अपनों से बड़ों को सिर झुककर प्रणाम करें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए बूंदी के लड्डू का भगवान को भोग लगाकर बच्चों में बांट दें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए सात चुटकी होली की राख और सात काजल की डिब्बी लेकर सफेद रंग के कपड़े में बांधकर अपनी दुकान के गल्ले में या अपने ऑफिस की तिजोरी में रख लें।
मिथुन राशि-
आज आप हरे गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद हरे रंग के कपड़े पहनकर अपने दोस्तों को गले लगाएं। साथ ही अपनी अच्छी सेहत के लिए गुंजिया की मिठाई दान करें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए एक मुट्ठी होली की राख और एक चांदी का सिक्का लेकर हरे रंग के कपड़े में बांधकर एक लकड़ी के बक्से में रख दें।
कर्क राशि-
आज आप हल्के हरे गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद अपने पिता का पैर छूकर आशीर्वाद लें। साथ ही अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए सूझी का हलवा बनाकर, माता दुर्गा को भोग लगाकर मंदिर के बाहर बैठे लोगों में बांट दें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए होली की राख को चांदी के ताबीज में भरवा लें और उस ताबीज को पिस्ता ग्रीन, यानि हल्के हरे रंग के कपड़े में बांधकर अपनी दुकान या ऑफिस के मेन गेट पर लटका दें।
सिंह राशि-
आज आप ऑरेन्ज गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद ऑरेन्ज रंग के कपड़े पहनकर घर में अपने से छोटों को कुछ न कुछ गिफ्ट करें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए अपनी मनपसंद मिठाई का दान करें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए 5 चुटकी होली की राख और 5 तांबे के सिक्के ऑरेन्ज रंग के कपड़े में बांधकर अपने घर के मुख्य द्वार पर लटका दें।
कन्या राशि-
आज आप गुलाबी रंग के गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद गुलाबी रंग के कपड़े पहनकर अपनी माता या अपने से बड़ी महिला के चरण स्पर्श करें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए हरे मूंग का दान करें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए 5 चुटकी होली की राख और 2 हल्दी की गांठ गुलाबी रंग के कपड़े में बांधकर अपनी दुकान या ऑफिस की तिजोरी में रख लें।
तुला राशि-
आज नीले रंग के गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद नीले रंग के कपड़े पहनकर अपने पास एक साफ-सुथरे रूमाल में थोड़ा-सा इत्र लगाकर रख लें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए मंदिर में चन्दन की सुगंध वाली धूप जलाएं। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए 21 चुटकी होली की राख और 5 लोहे की कील नीले रंग के कपड़े में बांधकर अपनी दुकान या ऑफिस के मुख्य द्वार पर लटका दें।
वृश्चिक राशि-
आज लाल गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद लाल रंग के कपड़े पहनकर घर के मंदिर में माथा टेककर प्रणाम करें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए दूध, चावल से बनी खीर का भगवान को भोग लगाकर गरीब बच्चों में बांट दें। वहीं अपने और अपने परिवार के बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए अपने परिवार के पुरुष अपने मस्तक पर और घर की महिलाएं अपने गले पर होली की राख से टीका लगाएं।
धनु राशि-
आज बैंगनी रंग के गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद बैंगनी रंग के कपड़े पहनकर घर में अगर बड़ा भाई है तो उनसे, नहीं तो अपने बड़े भाई समान लोगों से गले मिलें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए खोए की मीठाई का भगवान को भाग लगाएं। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अपने मस्तक पर होली की राख से तिलक लगाएं ।
मकर राशि
आज ब्राउन रंग से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद भूरे रंग के कपड़े पहनकर कपूर से पूरे घर में धुआं करें। साथ ही अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए शाम के समय मंदिर में 5 कपूर के दीपक जलाएं। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए 7 चुटकी होली की राख और 7 गोमती चक्र बांधकर अपनी तिजोरी में रख लें।
कुंभ राशि-
आज केसरीया रंग के गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद पीले या केसरीया रंग के कपड़े पहनकर तुलसी के पौधे को स्पर्श करें। साथ ही अपनी अच्छी सेहत के लिए आटे को भूनकर पंजीरी बनाएं और उसमें तुलसी की पत्ती डालकर, भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद सबमें बांट दें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए 11 चुटकी होली का राख, थोड़ी-सी राई और थोड़ा-सा सफेद नमक लेकर पीले रंग के कपड़े में बांध लें और अपने व्यावसायिक स्थल के मेन गेट पर टांग दें।
मीन राशि-
आज गोल्डन येलो गुलाल से होली खेलें और होली खेलकर नहाने के बाद कुछ मीठा खाएं और दूसरों को भी खिलाएं। साथ ही अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए दही से बनी किसी चीज का दान करें। वहीं अपने बिजनेस की तरक्की और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए 11 चुटकी होली की राख और 2 पीली धारियों वाली कौड़ियां गोल्डन येलो रंग के कपड़े में बांधकर अपने पैसों वाले स्थान पर रख लें।आज ऐसा करने से आपका आर्थिक पक्ष निश्चित ही मजबूत होगा।
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होलिका दहन पर इतने बजे से मंडराने लगेगा भद्रा का साया, जान लीजिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होली का त्यौहार मनाया जाता है। होली के ठीक एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है फिर उसके रंगोत्सव अगले दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। होलिका दहन पर इस साल चंद्र ग्रहण के साथ साथ भद्रकाल का साया भी रहेगा। इस साल करीब 100 साल बाद होली पर चंद्रग्रहण लगने जा रहा है।
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 55 मिनट से हो जाएगी और इसका समापन 25 मार्च 2024 को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर होगा। शास्त्रों के मुताबिक, होलिका दहन पूर्णिमा तिथि और भद्रा रहित काल में करना शुभ माना जाता है। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा वहीं रंगोत्सव 25 मार्च को मनाया जाएगा।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों के अनुसार भद्रा के बाद होलिका दहन करना सर्वोत्तम होता है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त होली से एक दिन पहले यानी 24 मार्च को रात 11:13 बजे से 12:27 बजे तक है। यानी आपको होलिका दहन के लिए पूरे 1 घंटा 14 मिनट का समय मिलेगा। इस शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करने से कोई दोष नहीं लगेगा और आपका जीवन सुखमय रहेगा।
होलिका दहन पर भद्रा का साया
इस वर्ष होलिका दहन 24 मार्च, सोमवार को किया जाएगा,लेकिन होलिका दहन के दिन भद्रा साया रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्राकाल को शुभ नहीं माना जाता है और इस दौरान किसी भी तरह का पूजा-पाठ व शुभ काम करना वर्जित होता है। पंचांग के मुताबिक 24 मार्च को सुबह से भद्राकाल लग जाएगी। इस दिन भद्रा का प्रारंभ सुबह 09 बजकर 54 मिनट से हो रही है, जो रात 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। इस तरह से भद्राकाल की समाप्ति के बाद ही होलिका दहन किया जा सकता है।
24 मार्च को भद्रा कब से कब तक
- भद्रा पूंछ- शाम 06 बजकर 33 मिनट से रात्रि 07 बजकर 53 मिनट तक
- भद्रा मुख- रात्रि 07 बजकर 53 मिनट से रात्रि 10 बजकर 06 मिनट तक
होलिका दहन की विधि
- होलिका दहन के लिए लकड़ी एकत्रित कर लें. इसके बाद उन्हें कच्चे सूत से तीन या सात बार लपेटें।
- इसके बाद सभी लकड़ियों पर थोड़ा सा गंगा जल डालकर उन्हें पवित्र कर लें। इसके बाद उन पर जल, फूल और कुमकुम छिड़ककर उनकी पूजा करें।
- पूजा में रोली माला, अक्षत, साबुत हल्दी, गुलाल, नारियल, बताशे-गुड़ का प्रयोग करें।
- इसके बाद होलिका की पूजा करें और फिर होलिका की कम से कम 5 या 7 परिक्रमा करें।
- इस बात का विशेष ध्यान रखें कि होलिका की पूजा करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
100 साल बाद होली और चंद्र ग्रहण एक साथ
इस वर्ष होली पर चंद्र ग्रहण का भी साया रहेगा। चंद्र ग्रहण 25 मार्च को सुबह 10:23 बजे शुरू होगा और दोपहर 3:02 बजे तक रहेगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
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आज गोकुल में छड़ीमार होली की रहेगी धूम, जानें इस परंपरा का इतिहास और महत्व
मथुरा-वृंदावन समेत पूरे ब्रज की होली देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। ब्रज की होली देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। कान्हा की नगरी में होली खेलने का अंदाज बिल्कुल ही अलग है। यहां रंग, अबीर-गुलाल के अलावा फूल, लड्डू, लट्ठ और छड़ी से होली खेली जाती है। ब्रज ही एक जगह ऐसी है जहां लट्ठ और छड़ी से मार खाकर लोग खुद को भाग्यशाली समझते हैं। पूरे ब्रज में होली का उत्सव लड्डू मार होली के साथ शुरू हो जाता है। वहीं आज गोकुल में छड़ीमार होली खेली जाएगी। तो आइए जानते हैं छड़ीमार होली के बारे में।
छड़ीमार होली का महत्व
आज यानी 21 मार्च को गोकुल में छड़ीमार खेली जाएगी। हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को छड़ीमार होली खेली जाती है। छड़ीमार होली खेलने की शुरुआत नंदकिले के नंदभवन में ठाकुरजी के समक्ष राजभोग का भोग लगाकर की जाती है। हर साल होली खेलने वाली गोपियां 10 दिन पहले से छड़ीमार होली की तैयारियां शुरू कर देती हैं।
छड़ीमार होली क्यों खेली जाती है?
पौराणिक कथा के अुनसार, कान्हा जी बचपन में बड़े ही नटखट थे और वे गोपियों को काफी परेशान भी करते थे। गोपियां कृष्ण जी को सबक सिखाने के लिए उनके पीछे छड़ी लेकर भागा करती थी। गोपियां छड़ी का इस्तेमाल कान्हा जी सिर्फ डराने के लिए करती थी। कहते हैं कि इसी परंपरा की वजह से आज गोकुल में छड़ीमार होली खेली जाती है, जिसमें लट्ठ की जगह छड़ी का प्रयोग किया जाता है। बाल गोपाल को चोट न लग जाए इसलिए लट्ठ की जगह छड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। कहते हैं कि छड़ीमार होली कृष्ण के प्रति प्रेम और भाव का प्रतीक मानी जाती है।
ब्रज होली उत्सव लिस्ट
- 21 मार्च 2024- छड़ीमार होली, बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली (गोकुल)
- 22 मार्च 2024- गोकुल होली
- 24 मार्च 2024- होलिका दहन (द्वारकाधीश मंदिर डोला, मथुरा विश्राम घाट, बांके बिहारी वृंदावन में)
- 25 मार्च 2024- पूरे ब्रज में होली का उत्सव मनाया जाएगा
- 26 मार्च 2024- दाऊजी का हुरंगा
- 30 मार्च 2024- रंग पंचमी पर रंगनाथ जी मंदिर में होली
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