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उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में बड़ा सड़क हादसा, खाई में गिरी कार, 12 लोगों की मौत

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उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के मुनस्यारी में भीषण सड़क हादसा सामने आया है। यहां मुनस्यारी में होकरा से पहले वाहन अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरा। इस हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई है। होकरा मंदिर से ठीक पहले खाई में बोलेरो वाहन जा गिरा। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए टीम मौके पर पहुंची हुई है। गाड़ी करीब 600 मीटर गहरे खाई में गिरी है।

जानकारी के मुताबिक, श्रद्धालु बागेश्वर के शामा से होकरा मंदिर दर्शन करने जा रहे थे। इससे पहले ही उनकी गाड़ी अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरी। हादसे के बाद मौके पर ग्रामीणों की भीड़ इकठ्ठा हो गई, जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। आशंका जताई जा रही है कि मौतों का आंकड़ा अभी बढ़ सकता है।

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जिस स्टेडियम में होना है भारत vs ऑस्ट्रेलिया T20 मैच वहां बिजली कटी, 3.25 करोड़ का बिल बकाया

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ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम पांच T20 मैचों की सीरीज के लिए इस वक्त भारत के दौरे पर है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पांच टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों की सीरीज का चौथा मुकाबला रायपुर के शहीद वीर नारायण सिंह स्टेडियम में आज खेला जाना है। टीम इंडिया के लिए यह मुकाबला काफी अहम है क्योंकि भारतीय टीम सीरीज में अभी 2-1 से आगे है। अगर वो आज यह मैच जीत जाती है तो वो सीरीज पर कब्जा कर लेगी। लेकिन हैरानी की बात ये है कि जिस स्टेडियम में आज भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच मुकाबला खेला जाना है वहां बिजली नहीं है।

5 साल पहले काट दिया था बिजली कनेक्शन

इस महत्वपूर्ण मुकाबले से कुछ ही घंटे पहले स्टेडियम के कुछ हिस्सों में बिजली गायब हो गई है और इसका कारण बिजली बिल जिसका भुगतान नहीं करना है। स्टेडियम प्रबंधन ने 2009 से एक बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है। यह बिल कुल 3.16 करोड़ रुपये का है। बिल जमा नहीं होने की वजह से 5 साल पहले स्टेडियम का बिजली कनेक्शन काट दिया गया था।

बिजली बिल बकाया राशि के भुगतान के लिए आधे दर्जन से अधिक बार नोटिस जारी किए गए है साथ ही एक बार स्टेडियम कुर्क तक करने की कार्यवाही की तैयारी की गई परंतु ज़िम्मेदार अधिकारी अपनी ज़िम्मेदारी एक दूसरे के ऊपर बता कर पल्ला झाड़ते हुए दिखाई देते है।

जनरेटर के भरोसे मैच

बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य क्रिकेट संघ के अनुरोध पर एक अस्थायी कनेक्शन स्थापित किया गया था, लेकिन यह केवल दर्शक दीर्घा और बॉक्स को कवर करता है। आज मैच के दौरान फ्लडलाइट को जलाने के लिए जनरेटर का इस्तेमाल की जरुरत होगी।

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देश-विदेश

सुप्रीम कोर्ट से पंजाब सरकार को बड़ा झटका, BSF के अधिकार क्षेत्र बढ़ाने को सही ठहराया

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शुक्रवार के दिन पंजाब सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा सीमा सुरक्षा बल के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाए जाने के फैसले को सही ठहराया है। कोर्ट ने कहा है कि बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने के फैसले से पंजाब पुलिस की शक्तियों पर अतिक्रमण नहीं हुआ है। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र और पंजाब सरकार यानी दोनों पक्षों से साथ बैठकर विचार-विमर्श करने की भी सलाह दी है।

क्या है मामला?

दरअसल, केंद्र सरकार ने साल 2021 में बीएसफ के अधिकार क्षेत्र को  15 किलोमीटर से बढ़ाकर अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर दूर तक करने का फैसला किया था। बता दें कि बीएसएफ अधिकारियों और जवानों को सीमावर्ती इलाकों में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी की कार्रवाई करने का प्रावधान हैं। सरकार के इस फैसले का उस वक्त पंजाब और पश्चिम बंगाल की सरकार ने  विरोध किया था।

क्या बोली कोर्ट?

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि केंद्र सरकार के फैसले से पंजाब पुलिस की शक्तियों पर अतिक्रमण नहीं हुआ है। कोर्ट ने ये भी कहा कि पंजाब पुलिस से जांच का अधिकार नहीं लिया गया है। कोर्ट ने केंद्र की ओर से पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और पंजाब सरकार का पक्ष रख रहे वकील शादान फरासत से साथ में बैठकर संयुक्त रूप से उन मुद्दों पर निर्णय करने को कहा जिन पर पीठ को फैसला करना है।

अब आगे क्या होगा?

कोर्ट के निर्देश के अनुसार, दोनों पक्ष आपस में विचार-विमर्श करेंगे ताकि अगली तारीख से पहले इन मुद्दों को निपटाया जा सके। कोर्ट ने कहा है कि पंजाब के महाधिवक्ता इस बैठक में भाग ले सकते हैं। मुख्य न्यायधिश ने कहा मामले पर प्रथम दृष्टया कहा कि ऐसे समवर्ती अधिकार हैं जिनका इस्तेमाल बीएसएफ और राज्य पुलिस दोनों कर सकते हैं।

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दुनिया में एक जगह ऐसी, जहां लोग सीटियों के ​जरिए करते हैं बातचीत, वजह कर देगी हैरान

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दुनिया में कई भाषाएं हैं। इन भाषाओं और बोलियों के जरिए लोग एक दूसरे से बात करते हैं। लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा कि दुनिया में एक ऐसी जगह है, जहां लोग बातचीत नहीं, सीटी बजाकर सीटियों के जरिए ही बात करते हैं। सीटियों की यह भाषा काफी प्राचीन है।  इसे कैनरी द्वीप समूह के लोगों ने अब तक जीवित रखा हुआ है। मजे की बात यह है कि सीटी की 4 हजार से अधिक अपनी शब्दावली है। जानिए कहां है ये जगह और सीटियों की इस भाषा से जुड़ी कुछ खास बातें।

4 किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है सीटी की गूंज

स्पेन में स्थित ला गोमेरा के द्वीप समूह में पर लोग सीटी बजाकर एक-दूसरे से बात करते है। यह सदियों पुरानी सिल्बो गोमेरो की प्राचीन भाषा है, जो अभी भी द्वीप पर बड़े पैमाने पर उपयोग की जाती है। कैनरी द्वीप समूह के लोगों ने सीटी बजाने वाले सिल्बो गोमेरो परंपरा को जीवित रखा हुआ है। उन्होंने पाया कि द्वीप के पहाड़ों से गूंजती एक सीटी 4 किलोमीटर दूर तक पहुंच सकती थी।

‘सिल्बो’ सीटी बजाने वाली दुर्लभ भाषाओं में से एक

सिल्बो अब दुनिया की आखिरी 80 सीटी बजाने वाली भाषाओं में से एक है, जो वैज्ञानिकों को मानव मस्तिष्क के बारे में अभूतपूर्व खोज करने में मदद करती है। यह भाषा खासतौर पर ला गोमेरा के छोटे से पहाड़ी द्वीप पर बोली जाती है। इस पहाड़ी द्वीप पर बच्चे दुनिया की सबसे असामान्य भाषाओं में से एक सीटी का इस्तेमाल करके मीलों दूर से एक-दूसरे से बात करते हैं।

‘सिल्बो’ की है 4 हजार शब्दों की अपनी शब्दावली

गोमेरा द्वीप की सीटी बजाने वाली भाषा में 4,000 से अधिक शब्दों की शब्दावली है और इसका उपयोग द्वीप की ऊंची चोटियों और गहरी घाटियों में संदेश भेजने के लिए सिल्बाडोर्स करते हैं। सीटी भाषा वास्तव में अपनी भाषा नहीं है, बल्कि सीटी के माध्यम से किसी भी मौजूदा भाषा को बोलने का एक तरीका है। इसे एल सिल्बो का एक प्रसिद्ध इतिहास माना जाता है।

टोनल भाषा से हुई शुरुआत, चरवाहों के लिए फायदेमंद

ला गोमेरा के मूल निवासी मॉरिटानिया के हिस्से से आए अप्रवासी थे और वे टोनल भाषा बोलते थे। भाषा की साउंड टेक्निक के लिए स्वर इतने महत्वपूर्ण थे कि कोई भी केवल स्वर के साथ सरल वाक्य बोल सकता था।

स्पैनिश अप्रवासियों ने गोमेरन सीटी को अपने मूल स्पैनिश में अपनाया। ये तरीका वहां के चरवाहों और किसानों के लिए बहुत अच्छा रहा है।

कभी लुप्त हो रही थी सीटी की भाषा, स्कूल के कोर्स जोड़ दिया

1990 के दशक में सिल्बो विलुप्त होने के कगार पर था, लेकिन गोमेरवासियों ने इसे सार्वजनिक स्कूल के पाठ्यक्रम में जोड़कर अपनी भाषा को पुनर्जीवित करने के लिए एक ठोस प्रयास किया है। आज 3,000 स्कूली बच्चे इसे सीखने की प्रक्रिया में हैं। सितंबर 2009 के आखिरी दिन यूनेस्को ने संस्कृति की रक्षा के लिए एल सिल्बो को संरक्षित सांस्कृतिक दर्जा दिया।

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