आस्था
सावन के चौथे सोमवार के दिन इन चीजों से करें शिवलिंग का अभिषेक, भोलेनाथ की कृपा से चमक उठेगी किस्मत
12 अगस्त को सावन का चौथा सोमवार है। सावन महीने के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन व्रत कर भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में हर प्रकार के सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन जो कुंवारी कन्याएं व्रत रखती हैं उन्हें सुयोग्य और मनचाहा वर मिलता है। साथ ही उनका दांपत्य जीवन भगवान शिव और माता गौरी की तरह होता है। सावन सोमवार के दिन शिवलिंग की जलाभिषेक का भी विशेष महत्व है। तो इस दिन महादेव का इन चीजों से अभिषेक जरूर करें।
गंगाजल और चंदन
सावन के चौथे सोमवार के दिन गंगाजल में चंदन मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को चंदन मिला गंगाजल अर्पित करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही मंगल दोष से मुक्ति मिलती है और विवाह में आ रही सभी बाधाएं भी दूर होती हैं।
बेलपत्र और जल
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक लोटा जल और बेलपत्र ही काफी होता है। इसलिए सावन सोमवार के दिन भोलेनाथ को बेलपत्र और जल अर्पित करें। ऐसा करने से उमापति महादेव भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं और उनके सभी दुख हर लेते हैं।
गन्ने का रस
सावन सोमवार के दिन शिवलिंग का गन्ने के रस से अभिषेक करें। भगवान शिव शंकर की कृपा से आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। महादेव को गन्ने का रस अर्पित करने से करियर और बिजनेस में तरक्की मिलती है।
सावन सोमवार के दिन शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें
चाहते हैं कि आपकी सभी मनचाही मुराद पूरी हो तो सावन सोमवार के दिन भगवान शिव को कच्चा दूध, गंगाजल, आक के फूल, बेलपत्र, धतूरा, चंदन, भांग, शहद और गन्ने का रस जरूर चढ़ाएं।
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इस बार नवरात्रि में माता दुर्गा की क्या है सवारी? जानें इसका प्रभाव शुभ होगा या अशुभ?
नवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दौरान 9 दिनों तक भक्त माता के नौ रूपों की पूजा करते हैं। साल 2024 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्तूबर से होने जा रही है। हर बार माता अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं, और माता के वाहन के अनुसार कुछ न कुछ प्रभाव भी देश-दुनिया पर देखने को मिलता है। ऐसे में आज हम आपको बताने वाले हैं कि 3 अक्तूबर 2024 से शुरू होने वाले नवरात्रि पर्व के दौरान माता किस वाहन पर सवार होकर आएंगी, और इसका क्या प्रभाव देखने को मिल सकता है।
शारदीय नवरात्रि 2024
इस साल शारदीय नवरात्रि 3 अक्तूबर से शुरू होंगी। पहले दिन घट स्थापना के साथ ही माता शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। नवरात्रि का समापन 11 अक्तूबर के दिन होगा। 12 अक्तूबर को दुर्गा विसर्जन और विजयदशमी मनाई जाएगी।
क्या है माता की सवारी?
नवरात्रि के दौरान माता की सवारी वार के अनुसार तय होती है। अगर नवरात्रि की शरुआत रविवार और सोमवार से होती है तो माता की सवारी हाथी होती है। मंगल और शनि के दिन नवरात्रि की शुरुआत हो रही हो तो माता की सवारी घोड़ा होता है। वहीं गुरु और शुक्रवार को अगर नवरात्रि की शुरुआत हो तो माता की सवारी डोली या पालकी होती है। साल 2024 में नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार के दिन हो रही है, इसलिए माता की सवारी डोली होगी। आइए अब जान लेते हैं कि जब माता डोली पर सवार होकर आती हैं, तो इसका देश-दुनिया पर क्या प्रभाव देखने को मिलता है।
डोली पर सवार होकर आएंगी माता, ऐसा होगा प्रभाव
धर्म के जानकार मानते हैं कि, माता दुर्गा नवरात्रि के दौरान जब भी डोली या पालकी पर सवार होकर आती हैं तो इसे अच्छा संकेत नहीं माना जाता। माता का डोली पर सवार होकर आना देश-दुनिया में कई मुश्किल स्थितियों को पैदा कर सकता है। इसकी वजह से देश-दुनिया में आंदोलन हो सकता है। लोगों की सेहत में भी गिरावट देखने को मिलती है, और किसी तरह की महामारी फैलने का भी खतरा रहता है। माता जब डोली पर सवार आकर आती हैं तो, अराजकता की स्थिति बन सकती है और किसी वजह से हिंसा भी हो सकती है।
साथ ही मतभेदों के कारण लोगों को पारिवारिक जीवन में भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए डोली पर सवार होकर आयी माता का नवरात्रि के दौरान पूरे विधि-विधान से भक्तों को पूजन करना चाहिए। इससे कई मुश्किल स्थितियों से आप बचकर निकल सकते हैं।
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किसी कार्य की शुरुआत से पहले क्यों की जाती है भगवान गणेश की पूजा?
भगवान गणेश को हिंदू धर्म में प्रथम देव माना जाता है. उनकी पूजा-अर्चना से सारे कष्ट दूर होते हैं. भगवान गणेश हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवों में से एक हैं. गणेश चतुर्थी के मौके पर देशभर में भगवान गणेश की पूजा होती है और खासतौर पर उनके जन्म के रूप में इस त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन भगवान गणेश हिंदू धर्म के ऐसे भगवान हैं जिनकी पूजा सबसे ज्यादा होती है. किसी भी काम को शुरू करने से पहले लोग भगवान गणेश का नाम लेते हैं और उनकी पूजा करते हैं. उन्हें हिंदू धर्म में भाग्य का देवता भी कहा जाता है. बता रहे हैं कि आखिर वो कौन सी कथा है जिस आधार पर भगवान गणेश हिंदू धर्म के प्रथम देव हैं.
क्यों सबसे पहले पूजे जाते हैं भगवान गणेश?
पौराणिक मान्यताओं की मानें तो सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. एक बार की बात है. सभी देवी-देवता ही आपस में भिड़ गए कि आखिर सबसे पहले किसकी पूजा की जानी चाहिए. आपस में देवताओं को इस तरह भिड़ता देख वहां पर नारद जी प्रकट हुए. उन्होंने सभी देवताओं को सलाह दी कि इस सवाल के समाधान के लिए वे शिव जी के पास जाएं. सभी देवता इसके बाद शिव जी के पास गए और उनके सामने ये सवाल रखा. बहुत सोचने के बाद शिव जी ने भी सभी के सामने एक प्रतियोगिता रखी. इस प्रतियोगिता का आधार यही था कि जो भी इसे जीतेगा वही सबसे पहले पूजे जाने का अधिकारी होगा.
क्या थी प्रतियोगिता और कौन जीता?
शिव जी ने कहा कि सभी देवी-देवताओं को अपने-अपने वाहन से पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाना होगा. जो भी सबसे पहले पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर वापिस आ जाएगा उसे सबसे पहले पूजा जाएगा. सभी देवी-देवता इसके बाद अपना-अपना वाहन लेकर ब्रह्मांड यात्रा पर निकल गए. लेकिन इस दौरान वहां पर मौजूद गणेश जी दुविधा में पड़ गए और सोच-विचार करने लग गए. दरअसल भगवान गणेश की सवारी चूहा है और चूहा बहुत छोटा होता है. साथ ही वो धीमे भी चलता है. ऐसे में भगवान गणेश को लगा कि इस सवारी के साथ वे ब्रह्मांड की यात्रा सबसे पहले कैसे कर पाएंगे. ये लगभग असंभव सा था.
कौन है हिंदू धर्म के प्रथम देवता?
इसके बाद भगवान गणेश ने एक तरकीब निकाली. उन्होंने पास खड़े अपने माता-पिता, शिव-पार्वती जी का 7 बार परिक्रमा किया और उनके सामने आकर खड़े हो गए. जब बाद में सभी देवी-देवता ब्रह्मांड की परिक्रमा कर के वापिस लौटे तो वहां पर पहले से ही गणेश जी मौजूद थे. गणेश जी को वहां पर देखकर सभी हैरान रह गए. सभी को लगा कि भगवान गणेश चूहे की सवारी से कैसे ब्रह्मांड की यात्रा इतनी जल्दी कर पाए. तब शिव जी ने गणेश भगवान को विजयी घोषित करते हुए बताया कि इस संसार में माता-पिता को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. उनसे ऊपर किसी का दर्जा नहीं है. ऐसे में माता-पिता की परिक्रमा करना साक्षात ब्रह्मांड की परिक्रमा के समान है. तभी से किसी भी भगवान से पहले गणेज जी का नाम आता है और वे हिंदू धर्म के प्रथम देव हैं.
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राधा अष्टमी पर बन रहे ये 2 शुभ योग, पूजा की थाली में जरूर रखें ये वस्तुएं
राधा अष्टमी हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन राधा रानी का जन्म हुआ था। इसीलिए राधा अष्टमी के मौके पर भक्त पूजा आराधना करते हैं और राधा मां से सुख समृद्धि की कामना करते हैं। साल 2024 राधा अष्टमी 11 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन दो शुभ योग भी हैं, इन शुभ योगों में राधा रानी की पूजा करने से, कुछ विशेष वस्तुओं का उन्हें भोग लगाने से, और पूजा की थाली में उनकी प्रिय वस्तुओं को रखने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
राधा अष्टमी 2024
पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 सितंबर को लगभग 11 बजकर 10 मिनट पर हो जाएगी। अष्टमी तिथि 11 सितंबर को 11 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि की मान्यता के अनुसार राधा अष्टमी का व्रत 11 सितंबर को रखा जाना ही शुभ माना जाएगा। आइए अब जानते हैं इस दिन के शुभ योगों के बारे में।
राधा अष्टमी पर रहेंगे ये शुभ योग
राधा अष्टमी के दिन प्रीति योग सुबह 11 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। इसके साथ ही इस दिन रवि योग सुबह 9 बजकर 22 मिनट से शुरू होगा और अगले दिन तक रहेगा। इस दिन सुबह के समय मूल नक्षत्र होगा और उसके बाद मूल नक्षत्र लग जाएगा।
पूजा की थाली में जरूर रखें ये वस्तुएं
राधा रानी की पूजा के दौरान पूजा की थाली में कुछ विशेष वस्तुओं को अवश्य रखना चाहिए। माना जाता है कि, इन चीजों को पूजा में थाली में अगर आप रखते हैं तो राधा रानी आपकी सभी मनोकामनाओं को पूरी कर सकती हैं। खासकर राधा अष्टमी के दिन विधिवत रूप से राधा जी की पूजा करने वालों को तो थाली में इन चीजों को अवश्य शामिल करना चाहिए, इनके बिना राधा जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। ये चीजें हैं- फूल, इत्र, चंदन, नए वस्त्र, फल, मिष्ठान, सुगंधित फूलों से बनी माला, आभूषण, सिंदूर, धूप-दीप, अक्षत और पूजन सामग्री। इसके साथ ही राधा रानी को भोग लगाने के लिए आपको मालपुए, रबड़ी आदि भी थाली में रखनी चाहिए।
मान्यताओं के अनुसार अगर आप इन चीजों को राधा रानी की पूजा की थाली में शामिल करती हैं, तो वो अति प्रसन्न होती है। इन वस्तुएं के साथ राधा जी की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। साथ ही आपके जीवन में जो परेशानियां चली आ रही थीं उनका भी अंत हो जाता है। राधा जी की विधिवत पूजा करने से भगवान कृष्ण भी बेहद प्रसन्न होते हैं, और उनका आशीर्वाद भी आपको प्राप्त होता है।
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