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जुलाई के पहले हफ्ते में इस दिन है प्रदोष व्रत, सही तिथि के साथ ही जान लें पूजा और रुद्राभिषेक का शुभ मुहूर्त
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प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। हर माह में शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन शिव आराधना से भक्तों को शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जुलाई के पहले हफ्ते में भी प्रदोष व्रत रखा जाएगा, आइए जानते हैं व्रत की तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त।
प्रदोष व्रत तिथि
जुलाई में आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 जुलाई को है। त्रयोदशी तिथि 3 जुलाई को सुबह 7 बजकर 10 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानि, 4 जुलाई को लगभग सुबह 6 बजे तक रहेगी। इसलिए 3 तारीख को ही त्रयोदशी का व्रत रखा जाना शुभ माना जा रहा है, क्योंकि शाम के समय त्रयोदशी तिथि इसी दिन है। प्रदोष व्रत में शाम के समय ही शिव पूजन किया जाना मंगलकारी होता है।
पूजा और रुद्राभिषेक का शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत में शाम के समय भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है। अगर आप प्रदोष व्रत रख रहे हैं तो 3 तारीख को शाम के समय आपको पूजा 7 बजकर 25 मिनट से रात्रि 9 बजकर 25 मिनट के बीच करनी चाहिए। रुद्राभिषेक आप सुबह 8 से 11 के बीच कर सकते हैं। पूरे विधि-विधान से अगर आप इस दिन व्रत रखते हैं और शिव आराधना करते हैं तो आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। आइए अब जानते हैं कि प्रदोष व्रत का महत्व क्या है।
प्रदोष व्रत का महत्व
अगर आप प्रदोष व्रत रखते हैं तो महादेव की कृपा आप पर हमेशा बनी रहती है। माना जाता है कि जो भक्त प्रदोष व्रत निरंतर रखता है उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है और अंत समय में मोक्ष की प्राप्ति होती है। सिर्फ यही नहीं प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति भी होती है, सत्य का ज्ञान प्रदोष व्रत रखने वालों को होता है। इस दिन शिव आराधना के साथ ही अगर आप ध्यान भी करते हैं तो आपके बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है। मानसिक शांति और पारिवारिक खुशियां देने वाला भी इस व्रत को माना जाता है। अगर आपके वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी चली आ रही है, विवाह नहीं हो पा रहा है या संतान पक्ष को लेकर चिंताएं हैं तो यह व्रत आपके लिए बहुत शुभ फल देने वाला साबित हो सकता है। भगवान वैवाहिक जीवन से लेकर संतान पक्ष तक की सभी समस्याओं को दूर कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत के दिन इन मंत्रों का जप करने से मिलेगी मानसिक शांति
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
- ऊं पषुप्ताय नमः
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आषाढ़ अमावस्या है बेहद खास, पितरों को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से दें तर्पण, जीवन में आएगी खुशहाली
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आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि 5 जुलाई 2024 को है। इस तिथि पर स्नान-दान के साथ पितरों को तर्पण देना भी बहुत शुभ माना जाता है। हालांकि पितरों का तर्पण आपको सही विधि से इस दिन करना चाहिए। विधि-विधान पूर्वक अगर आप तर्पण करते हैं तो पितरों के आशीर्वाद से आपके जीवन की सभी दुख-विपदाएं दूर हो सकती हैं।
आषाढ़ अमावस्या पर पितृ तर्पण की विधि
पितरों का तर्पण करने के लिए आपको आषाढ़ अमावस्या के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
इसके बाद स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र आपको धारण करने चाहिए।
संभव हो तो इस दिन किसी नदी के किनारे पितरों को तर्पण दें। ऐसा संभव नहीं है तो अपने घर की बालकनी या छत में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके, जल की कुछ बूंदें अपने हाथों में डालें और साथ ही पुष्प, अक्षत हाथ में रखकर सबसे पहले पितरों का आवाहन करें। इसके बाद एक पात्र में जल लेकर पितरों का तर्पण करना शुरू करें।
‘ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम’ मंत्र का जप करते हुए आप पितरों का तर्पण कर सकते हैं।
पितरों का स्मरण भी आपको तर्पण देते समय अवश्य करना चाहिए।
पितरों को अर्पित किए जाने वाले जल में आपको कुश, तिल, फूल इत्यादि मिश्रित करने चाहिए।
तर्पण करने के बाद दाहिने हाथ से जमीन को छूकर आशीर्वाद लें, अगर नदी में तर्पण कर रहे हैं तो नदी के जल को छुएं।
पितरों के निमित्त इस दिन आपको अन्न, जल, वस्त्र इत्यादि का दान सामर्थ्य अनुसार करना चाहिए, साथ ही ब्राह्माणों को भोजन कराना भी इस दिन पुण्य फलदायी माना गया है। माना जाता है कि अमावस्या के दिन किया गया दान आपके पितरों को प्रसन्न करता है। साथ ही उनके आशीर्वाद से आपके जीवन में भी खुशहाली आती है।
अगर दान करने में समर्थ न हों तो इस दिन कुत्तों या कोओं को कुछ न कुछ जरूर खिलाएं।
इस सरल विधि से भी अगर आप अपने पितरों का तर्पण अमावस्या के दिन कर देते हैं तो आपके जीवन में खुशियां आती हैं। धन-धान्य की आपको प्राप्ति होती है।
अमावस्या के दिन पितृ तर्पण के लाभ
अपने पितृ देवताओं को अगर आप तर्पण देना चाहते हैं, तो इसके लिए सबसे सही समय सुबह का ही माना जाता है। सूर्योदय के बाद 9 बजे तक आप तर्पण कार्य, दान-पुण्य कर सकते हैं। सही समय पर श्रद्धापूर्वक अगर आप पितरों का तर्पण करते हैं तो आपके जीवन की बड़े से बड़ी परेशानी दूर हो सकती है। इसके साथ ही जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष है वो भी इसके बुरे प्रभाव से बच सकते हैं। पितरों का तर्पण करने से मानसिक और शारीरिक बदलाव आपको देखने को मिल सकते हैं। पितृ देवताओं का आशीर्वाद आपको करियर और आर्थिक मोर्चे पर भी सफलता दिलाता है।
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गुप्त नवरात्रि में 9 दिन मातारानी को लगाएं अलग-अलग भोग…
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4 जुलाई 2024:- गुप्त नवरात्रि का त्योहार 6 जुलाई से देश भर में मनाया जाएगा. माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी. इस दौरान जितना पूजा का महत्व होता है उतना ही भोग का ही महत्व होता है. माना जाता है कि अगर देवी देवताओं को रुचि के अनुसार भोग लगाया जाए तो देवी देवताएं बेहद प्रसन्न होते हैं और जातक की मनोकामनाएं जल्द पूर्ण करते हैं. नवरात्रि की नौ देवियां को अलग-अलग नौ शक्तियों का प्रतीक माना जाता है. अगर आप भी अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कराना चाहते हैं तो 9 दिनों तक अलग अलग भोग लगाएं. गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और सड़क विशेष मंत्र तंत्र का प्रयोग करते हैं. जिससे जातक देवी की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकें. हालांकि आम लोग भी माता दुर्गा की पूजा आराधना करते हैं. पूजा पाठ में भोग का भी खास महत्व होता है. देवी देवताओं को उनकी रुचि के अनुसार अवश्य भोग लगाना चाहिए.
देवियों को लगाएं अलग अलग भोग
आषाढ़ के गुप्त नवरात्रि में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए काली देवी की पूजा की जाती है. इसमें घी से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा आराधना की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए त्रिपुरा सुंदरी की पूजा की जाती है. इस दिन पंचामृत का भोग लगाएं.
चौथे दिन कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए भुनेश्वरी देवी की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन मालपुआ का भोग लगाएं.
पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए माता छिन्नमस्तिका की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन केले का भोग लगाएं.
छठे दिन मां कात्यायनी देवी की पूजा आराधना की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए माता त्रिपुरा देवी की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए माता धूमावती देवी की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन मीठे पानी का भोग लगाएं.
आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए माता बगलामुखी देवी की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन नारियल के लड्डू का भोग लगाएं.
नौवे दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए मातंगी देवी की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन केसर का भोग लगाएं.
अंतिम दिन माता कमला की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन खीर, पूरी, हलवा का भोग लगाएं.
गुप्त नवरात्रि न सिर्फ तांत्रिक साधनाओं के लिए बल्कि, आम भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होती है. आम भक्त 9 दिनों तक माता देवी के नौ रूपों की पूजा कर भोग लगा सकते हैं.
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देवशयनी एकादशी व्रत जुलाई में किस दिन है? जान लें सही तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व
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देवशयनी एकादशी के दिन जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु चार महीनों के लिए निद्रा में चले जाते हैं। इन चार महीनों की अवधि को चातुर्मास के नाम से भी जाना जाता है, यही वजह है कि चतुर्मास की शुरुआत भी देवशयनी एकादशी के दिन से ही होती है। ऐसे में देवशयनी एकादशी के दिन को भगवान विष्णु की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि जुलाई के महीने में देवशयनी एकादशी किस दिन है, इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त कब होगा और इस एकादशी का महत्व क्या है।
देवशयनी एकादशी तिथि और पूजा मुहूर्त
हिंदू पचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी का पावन व्रत रखा जाता है। साल 2024 में यह तिथि 17 जुलाई को है। हालांकि एकादशी तिथि का आरंभ 16 जुलाई की रात को 8 बजकर 32 मिनट से हो जाएगा और 17 जुलाई को रात 9 बजकर 2 मिनट तक एकादशी तिथि रहेगी। इसीलिए उदयातिथि को ध्यान में रखते हुए एकादशी का व्रत 17 जुलाई को रखा जाना ही शुभ रहेगा। देवशयनी एकादशी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 35 मिनट से शुरू होगा। इसके बाद सुबह 11 बजे तक आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना कर सकते हैं।
देवशयनी एकादशी का महत्व
यह एकादशी अत्यंत शुभ मानी गई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने और विष्णु जी की पूजा करने से अनजाने में किए गए पापों से भी आपको मुक्ति मिल जाती है। साथ ही इस व्रत को रखने से अंत समय में आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु की कृपा से आपकी सभी मनोकामनाएं इस व्रत को रखने से पूरी हो सकती है। इसके साथ ही आरोग्य और धन-धान्य की भी प्राप्ति होती है। देवशयनी एकादशी के दिन इन चीजों का दान करना शुभ
- इस दिन आप अन्न और जल का दान करके सुखद परिणाम जीवन में प्राप्त कर सकते हैं। माना जाता है कि इन चीजों का दान करने से भगवान विष्णु की अनुकंपा आप पर बरसती है।
- देवशयनी एकादशी के दिन जरूरतमंद लोगों को उनके जरूरत का सामान और धन का दान करने से आपके जीवन में सुखद बदलाव देखने को मिलते हैं।
- इस दिन आम, खरबूजा, तरबूज आदि का दान करना भी अतिशुभ होता है।
- भगवान विष्णु को पीला रंग अति प्रिय है इसलिए पीले रंग के वस्त्र, केला आदि चीजें दान करके आप विष्णु कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
- अगर संभव हो तो इस दिन ब्रह्माणों को किसी मंदिर में बुलाकर उन्हें भोजन करवाएं। ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ ही आपको पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
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