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ज्योतिष

इस दिन लगने जा रहा है साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, इन सौभाग्यशाली राशियों की चमकेगी किस्मत

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सूर्य ग्रहण का वैज्ञानिक महत्व होने के साथ-साथ ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व भी बहुत है। सूर्य ग्रहण का सभी राशियों पर शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ता है। 14 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगने वाला है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर 2023 को कन्या राशि में लगेगा। यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इस सूर्य का प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ेगा। आइए सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर चिराग दारूवाला से जानते हैं कि साल का आखिरी सूर्य ग्रहण सभी राशियों के लिए कैसा रहेगा।

मेष 

इस सूर्य ग्रहण से मन परेशान हो सकता है। वस्त्र आदि के प्रति रुझान बढ़ सकता है। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। आपको अपनी माता का सानिध्य मिलेगा। व्यवसाय में कठिनाई आ सकती है। मेहनत अधिक रहेगी।

वृषभ 

अक्टूबर महीने में पड़ने वाले सूर्य ग्रहण के कारण वृषभ राशि के जातकों के जीवन में कई तरह की परेशानियां आएंगी। इस समय इन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है। वाणी पर संयम रखें, आत्मविश्वास में बाधा आएगी।

मिथुन 

मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्रहण लाभकारी साबित हो सकता है। ऐसे में इस राशि के जातकों का आत्मविश्वास बढ़ेगा। साथ ही एकाग्रता बढ़ने से आपके करियर को बढ़ावा मिलेगा। मन में संतुष्टि का भाव रहेगा। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लोगों को भी सफलता मिल सकती है। धन-संपदा में वृद्धि होगी। कार्यक्षेत्र में आपके काम की सराहना भी हो सकती है।

कर्क 

सूर्य ग्रहण के कारण आत्मविश्वास में कमी आएगी। आत्मसंयमी रहें। अत्यधिक क्रोध से बचें। बातचीत में संतुलन बनाए रखें। स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें। नौकरी में परिवर्तन की संभावना है।

सिंह 

सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य कन्या राशि में गोचर करेगा और ऐसे में इस राशि के लोगों को विशेष लाभ मिल सकता है। लंबे समय से रुके हुए काम एक बार फिर से शुरू हो सकते हैं। इन ग्रहणों के कारण परिवार के प्रति कुछ जिम्मेदारियां बढ़ सकती हैं। प्रेम जीवन और दांपत्य जीवन में खुशियां आएंगी। साथ ही करियर में उन्नति के भी योग बन रहे हैं। आर्थिक लाभ के भी प्रबल योग हैं।

कन्या 

कन्या राशि के जातकों के लिए अक्टूबर में लगने वाला ग्रहण प्रतिकूल परिणाम प्रदान करेगा। आसपास के लोग कई तरह की परेशानियां खड़ी कर सकते हैं। ऐसे में कन्या राशि के जातक को मानसिक और आर्थिक चुनौतियों से गुजरना पड़ सकता है।

तुला

अक्टूबर का महीना तुला राशि वालों के लिए खुशियां ही खुशियां लेकर आ सकता है। सूर्य ग्रहण का सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। आत्मविश्वास बढ़ेगा। इस तरह आप हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकते हैं। सभी लोग आपके काम की तारीफ करेंगे। बिजनेस में भी आपको कोई बड़ी डील मिल सकती है।

वृश्चिक

सूर्य ग्रहण के कारण आप आत्मविश्वास से भरपूर रहेंगे, लेकिन मन बेचैन भी हो सकता है। परिवार से सहयोग मिलेगा. जीवन जीना अव्यवस्थित रहेगा। नौकरी में अधिकारियों का सहयोग मिलेगा। मेहनत अधिक रहेगी।

धनु

सूर्य ग्रहण के कारण आपके मन में उतार-चढ़ाव रहेगा। मन परेशान हो सकता है। अनावश्यक क्रोध और वाद-विवाद से बचें। परिवार के साथ किसी धार्मिक स्थान की यात्रा का प्लान बन सकता है। इस दौरान आप स्वस्थ रह सकते है।

मकर

सूर्य ग्रहण के कारण आपका मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास बढ़ेगा। पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। चिकित्सा संबंधी खर्च बढ़ सकते हैं। शैक्षिक कार्यों को लेकर सतर्क रहें। विघ्न आ सकते हैं।

कुंभ

सूर्य ग्रहण के कारण आपका मन परेशान रहेगा। आत्मविश्वास में कमी रहेगी। अनावश्यक क्रोध और वाद-विवाद से बचें। नौकरी में परिवर्तन की संभावना है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

मीन 

सूर्य ग्रहण के कारण आप काफी आत्मविश्वासी रहेंगे, लेकिन अति उत्साही होने से बचें। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें. नौकरी में अधिकारियों से सामंजस्य बनाकर रखें। अनावश्यक वाद-विवाद से बचें।

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ज्योतिष

गणपति बप्पा की पूजा में जरूर शामिल करें ये 3 चीजें, गणेश जी खुशियों से भर देंगे झोली

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आज से गणपति उत्सव का आरंभ हो चुका है। गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक गणपति उत्सव मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। हर साल गणपति उत्सव को गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव पूरे 10 दिनों तक चलता है। गणेश चतुर्थी के पहले दिन लोग अपने घरों में बप्पा की मूर्ति लाते हैं और विधिपूर्वक पूजा करते हैं। विघ्नहर्ता की कृपा पाने के लिए आज पूजा में इन चीजों को जरूर शामिल करें। गजानन जी को ये चीजें अर्पित करने से घर में सुख-सौभाग्य और समृद्धि बनी रहती है।

भगवान गणेश को चढ़ाएं ये चीजें

गणेश चतुर्थी की पूजा में बप्पा को मोदक, चावल की खीर और फल जरूर अर्पित करें। इन 3 चीजों को भगवान गणेश को चढ़ाने से भक्तों को बुद्धि, ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा गणपति बप्पा को बूंदी के लड्डू और बेसन की बर्फी का भोग लगाना भी बिल्कुल न भूलें। वहीं गणपति जी की पूजा में सिंदूर, दुर्वा, गुड़हल, गेंदा के फूल और नारियल भी अवश्य अर्पित करें। इन चीजों को गणेश जी को चढ़ाने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

गणेश जी मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त

गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा, जबकि इसका समापन दोपहर 1 बजकर 34 मिनट पर होगा। इसी मुहूर्त में गणपति जी मूर्ति को अपने घर में स्थापित करें। कहते हैं कि जिस घर में बप्पा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है वहां से सभी तरह के दुख-दर्द और संकट दूर हो जाते हैं। उस घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।

 

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आस्था

हरतालिका तीज व्रत का पारण कब किया जाएगा? जानें टाइमिंग और व्रत खोलने का सही नियम

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हरतालिका तीज के दिन अपने पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं। तीज का यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। कहते हैं कि जो भी विवाहित महिलाएं हरतालिका का व्रत रखती हैं उन्हें अखंड सौभाग्य के साथ सुखी और खुशहाल दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है। हरतालिका तीज का व्रत कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं। मान्यता है कि तीज का व्रत करने से अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्योदय से लेकर रात को प्रदोष काल में पूजा करने का विधान है। तो चलिए जानते हैं कि हरतालिका तीज व्रत का पारण कब क्या किया जाएगा।

हरतालिका तीज 2024 पारण का समय और नियम

हरतालिका तीज व्रत का पारण दूसरे दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। व्रती महिलाएं 7 सितंबर 2024 को सूर्योदय के बाद यानि सुबह 6 बजकर 14 मिनट के बाद तीज का व्रत खोल सकती हैं। हरतालिका तीज व्रत का पारण करते समय इन बातों का भी जरूर ध्यान रखें। सूर्योदय से पहले स्नान-आदि कर साफ कपड़े पहन लें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें। इसके बाद प्रसाद अर्पित करें। अब जल पिएं और प्रसाद को ग्रहण को ग्रहण कर तीज का व्रत खोलें। ध्यान रहें कि हरतालिका तीज का व्रत लहसुन-प्याज और नमक वाले खाने से न खोलें।

हरतालिका तीज व्रत 2024 पूजा शुभ मुहूर्त 

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ- 5 सितंबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त- 6 सितंबर 2024 को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर

प्रातःकाल हरतालिका पूजा शुभ मुहूर्त- 6 सितंबर 2024 को सुबह 6 बजकर 2 मिनट से सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक

हरतालिका तीज प्रदोश काल मुहूर्त- 6 सितंबर को शाम 6 बजकर 36 मिनट से शाम 6 बजकर 59 मिनट तक

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ज्योतिष

Hartalika Teej 2024: आज हर​तालिका तीज के दिन इस विधि से करें पूजा, मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

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आज सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखेंगी। यह व्रत निर्जला रखा जाता है और इसमें भगवान शिव-माता पार्वती की पूजा का विधान है। आज के दिन उपवास रखने और विधिपूर्वक पूजा अर्चना करने से अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है। वहीं जो कुंवारी कन्याएं तीज का व्रत रखती हैं उन्हें मनचाहा जीवनसाथी की प्राप्ति होगी। बता दें कि हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है।

हरतालिका तीज व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार,, माता पार्वती ने मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था। वह हमेशा भगवान शिव की तपस्या और ध्यान में लीन रहती थीं। पुत्री की यह हालत देखकर राजा हिमाचल को चिंता होने लगी। इस संबंध में उन्होंने नारदजी से बात की फिर उनके कहने पर उन्‍होंने अपनी पुत्री उमा का विवाह भगवान विष्‍णु से कराने का निश्चय किया। पार्वतीजी, विष्‍णुजी से विवाह नहीं करना चाहती थीं। पार्वतीजी के मन की बात जानकर उनकी सखियां उन्‍हें लेकर घने जंगल में चली गईं। वहां पार्वती जी ने कठोर तप और शिवजी की उपासना की। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन माता पार्वती ने रेत या मिट्टी से शिवलिंग बनाकर शिवजी की स्तुति की।  माता पार्वती तब तक कठिन तपस्या करती रही जब तक शिवजी ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं किया। कहते हैं कि मां पार्वती की तपस्या देखने के बाद भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिया और पत्नी की रूप में पार्वती जी को स्वीकार किया। कहते हैं कि तभी से भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरतालिका तीज व्रत करने की परंपरा शुरू हुई।

भगवान शिव का मंत्र- 

  • ओम नम: शिवाय
  • ओम महेश्वराय नमः
  • ओम पशुपतये नमः

माता पार्वती का मंत्र

  • ओम पार्वत्यै नमः
  • ओम उमाये नमः
  • या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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