देश-विदेश
इंतजार खत्म! इस देश से आज भारत आएंगे 12 चीते, कूनो पार्क में तैयारियां पूरी, एक महीना रहेंगे क्वारंटीन
देश में आज 12 खास मेहमान आ रहे हैं, ये मेहमान दक्षिण अफ्रीका से आने वाले 12 चीते हैं, जो मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क की शान बनने जा रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका के इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे अहम प्रोजेक्ट बताया। दक्षिण अफ्रीका के पर्यावरण विभाग में बायो डायवर्सिटी के उप महानिदेशक फ्लोरा ने कहा कि यह खुशी का प्रसंग है कि भारत अपने देश में चीतों की संख्या बढ़ाना चाहता है। दोनों देशों के बीच समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर करने में देरी पर उन्होंने कहा कि बहुत सारी औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं। लेकिन हमें खुशी है कि इसे लागू करने में बहुत ज्यादा समय नहीं लगा है। भारत द्वारा चीतों को दक्षिण अफ्रीका वापस भेजने की संभावना पर कहा, ‘आने वाले समय में भारत में चीतों की संख्या बढ़ेगी। तब हम भारत से कुछ चीतों को वापस लेने की बात कह सकते हैं।’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के महानिरीक्षक डॉ. अमित मल्लिक ने दक्षिण अफ्रीका से चीतों से जुड़े इस समझौते को ऐतिहासिक करार दिया । उन्होंने कहा कि यह एक बहुत महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। उन्होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका से आने वाले चीतों के लिए 10 क्वारंटीन बाड़े बनाए गए हैं।
सीएम चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, भूपेंद्र यादव चीतों को करेंगे रिहा
चीतों का दूसरा जत्था शनिवार सुबह एमपी में ग्वालियर वायु सेना के अड्डे पर पहुंचेगा। इसके बाद उन्हें भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों द्वारा लगभग 165 किमी दूर श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क पहुंचाया जाएगा। फिर क्वारंटीन बाड़ों में रखा जाएगा। चीता परियोजना प्रमुख एसपी यादव ने बताया कि भारतीय वायुसेना का विमान आज सुबह करीब 10 बजे ग्वालियर हवाई अड्डे पर पहुंचेगा। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, नरेंद्र सिंह तोमर और मुख्यमंत्री एसएस चौहान कूनो नेशनल पार्क में चीतों को रिहा करेंगे।
कूनो नेशनल पार्क के निदेशक उत्तम शर्मा ने कहा कि दक्षिण अफ्रीकी चीतों के लिए 10 क्वारंटीन बाड़े बनाए गए हैं। तैयारियां पूरी कर ली हैं। अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत 1 महीने तक इन चीतों को कूनो नेशनल पार्क में क्वारंटाइन में रहना होगा।
देश में चीतों को फिर से बसाने की तैयारी
भारत के वन्यजीव संस्थान द्वारा तैयार ‘भारत में चीतों को फिर से बसाने की कार्ययोजना’ के अनुसार करीब 12-14 जंगली चीतों (8 से 10 नर और 4 से 6 मादा) को दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया तथा अन्य अफ्रीकी देशों से मंगाया जाना है। यह संख्या देश में चीतों की संख्या बढ़ाने के लिए उपयुक्त है। कार्यक्रम के तहत शुरुआत में 5 साल के लिए ये चीते आएंगे और बाद में जरूरत पड़ने पर और चीते लाये जा सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से आये 8 चीतों की पहली खेप को गत 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य में छोड़ा था। इनमें 5 मादा और 3 नर चीते थे। पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने पिछले महीने संसद को सूचित किया था कि कूनो में सभी 8 चीतों को अब बड़े परिसर में छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा था कि चीतों में किसी तरह की सेहत संबंधी जटिलता नजर नहीं आई है। देश में 1952 में चीते विलुप्त हो गये थे और 70 साल बाद इस पशु को पिछले साल भारत लाया गया था।
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भारत के अलावा और किन देशों में होती है सूर्य की पूजा, जानें अन्य देशों में क्या है मान्यता?
सिडनी: भारत में छठ पूजा की धूम है। इस दौरान महिलाएं और पुरुष उगते और डूबते सूर्य की पूजा-उपासना करते हैं। भारत के अलावा कई देश और भी हैं, जहां सूर्य की पूजा और उपासना की जाती है। मगर ऐसा क्यों है, दूसरे देशों में सूर्य की पूजा के पीछे क्या तर्क है? आइये इस विषय में आपको विस्तार से बताते हैं।
दरअसल सूर्य सहस्राब्दियों से मनुष्यों के लिए प्रकाश का विश्वसनीय स्रोत रहा है। सूर्य हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक है। शायद यही कारण है कि प्राचीन धर्मों जैसे कि मिस्र, यूनान, मध्य पूर्व, भारत, एशिया और मध्य और दक्षिण अमेरिका में सूर्य की पूजा होती प्राचीन समय से होती आ रही है। प्रारंभिक धर्म भी अक्सर उपचार से जुड़े होते थे। बीमार लोग मदद के लिए पादरी, ओझा या झाड़-फूंक करने वालों की ओर रुख करते थे। पुराने समय में लोग सूर्य का उपयोग उपचार के लिए भी करते थे, लेकिन यह शायद वैसा न हो जैसा आप सोचते हैं।
क्या सूरज की रोशनी से ठीक होती हैं बीमारियां
कहा जाता है कि प्राचीन लोग मानते थे कि सूरज की रोशनी ही बीमारी को ठीक कर सकती है। मगर आज के समय में इस बात के ज़्यादा सबूत हैं कि वे ठीक होने के लिए सूरज की गर्मी का इस्तेमाल करते थे। एबर्स पेपीरस ईसा पूर्व 1500 साल के आसपास का प्राचीन मिस्र का चिकित्सा ‘स्क्रॉल’ है। इसमें ‘‘नसों को लचीला बनाने’’ के लिए मरहम बनाने की विधि दी गई है। यह मरहम शराब, प्याज, कालिख, फल और पेड़ के अर्क लोबान और लोहबान से बनाया गया था। इसे लगाने के बाद, व्यक्ति को ‘‘सूर्य के प्रकाश में रखा जाता था।’’ उदाहरण के लिए, खांसी के इलाज के लिए अन्य नुस्खों में विभिन्न सामग्री को एक बर्तन में डालकर धूप में रखना शामिल था। यही तकनीक चिकित्सा लेखन में भी है जिसका श्रेय यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स को दिया जाता है, जिनका काल लगभग 450-380 ईसा पूर्व माना जाता है।
कई बीमारियों को ठीक कर सकती है सूर्य की रोशनी
विदेशें में यह माना जाता रहा है कि सूर्य की रोशनी कई बीमारियों को ठीक कर सकती है। लगभग 150 ई.में आधुनिक तुर्की में सक्रिय रहे चिकित्सक एरेटियस ने लिखा था कि सूर्य का प्रकाश सुस्ती सहित कई बीमारियों को ठीक कर सकता था। इसमें वह बीमारी भी है जिसे हम आज अवसाद के रूप में पहचानते हैं। सुस्ती मिटाने का अर्थ है प्रकाश में लेटना, सूर्य की किरणों के संपर्क में आना तथा अपेक्षाकृत गर्म स्थान में रहना। इस्लामी विद्वान इब्न सिना (980-1037 ई.) ने धूप सेंकने के स्वास्थ्य प्रभावों का वर्णन किया (उस समय जब हम त्वचा कैंसर से इसके जुड़े होने के बारे में नहीं जानते थे)।
अस्थमा और हिस्टीरिया के इलाज में भी सूर्य की रोशनी मददगार
‘द कैनन ऑफ मेडिसिन’ पुस्तक एक में उन्होंने कहा कि सूर्य की गर्मी पेट फूलने और अस्थमा से लेकर हिस्टीरिया तक हर तरह की बीमारी में मदद करती है। उन्होंने यह भी कहा कि सूर्य का प्रकाश ‘‘मस्तिष्क को सक्रिय करता है’’ और ‘‘गर्भाशय को साफ करने’’ के लिए फायदेमंद है। कभी-कभी विज्ञान और जादू में फर्क करना मुश्किल होता है। अब तक बताए गए इलाज के सभी तरीके सूर्य की रोशनी के बजाय उसकी गर्मी पर ज्यादा निर्भर करते हैं। लेकिन रोशनी से इलाज के बारे में क्या? वैज्ञानिक सर आइजैक न्यूटन (1642-1727) जानते थे कि आप सूरज की रोशनी को रंगों के इंद्रधनुषी स्पेक्ट्रम में ‘‘विभाजित’’ कर सकते हैं। इस और कई अन्य खोजों ने अगले 200 वर्षों में उपचार के बारे में विचारों को मौलिक रूप से बदल दिया। लेकिन जैसे-जैसे नए विचार सामने आते गए, कभी-कभी विज्ञान और जादू के बीच फर्क करना मुश्किल हो गया।
सूरज की रोशनी बैक्टीरिया, वायरस की दुश्मन
जर्मन रहस्यवादी और दार्शनिक जैकब लॉरबर (1800-1864) का मानना था कि सूरज की रोशनी लगभग हर चीज का सबसे अच्छा इलाज है। उनकी 1851 की किताब ‘द हीलिंग पॉवर ऑफ सनलाइट’ 1997 में भी छपी थी। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधारक फ्लोरेंस नाइटिंगेल (1820-1910) भी सूर्य के प्रकाश की शक्ति में विश्वास करती थीं। अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘नोट्स ऑन नर्सिंग’ में उन्होंने अपने रोगियों के बारे में कहा: ताजी हवा की जरूरत के बाद उन्हें प्रकाश की ज़रूरत होती है न केवल प्रकाश बल्कि सीधी धूप। नाइटिंगेल का यह भी मानना था कि सूरज की रोशनी बैक्टीरिया और वायरस का प्राकृतिक दुश्मन है। ऐसा लगता है कि वह कम से कम आंशिक रूप से सही हैं। सूरज की रोशनी कुछ बैक्टीरिया और वायरस को मार सकती है।
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सोना हुआ सस्ता, चांदी की कीमत भी ₹2900 घटी, जानें आज का भाव
राष्ट्रीय राजधानी में सोने और चांदी की कीमतों में बड़ी गिरावट आई। सोना 1,650 रुपये की गिरावट के साथ 80,000 रुपये के स्तर से नीचे आ गया। चांदी भी 2,900 रुपये प्रति किलो सस्ती हो गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के मुताबिक, सोने का भाव आज 1,650 रुपये गिरकर 79,500 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया। पिछले दिन इसका भाव 81,150 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। पीटीआई की खबर के मुताबिक, चांदी भी 2,900 रुपये गिरकर 93,800 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। बुधवार को इसका भाव 96,700 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर रहा था।
कीमतों में इन वजहों से आई गिरावट
खबर के मुताबिक, व्यापारियों ने कहा कि कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण विदेशों में कमजोर रुख के बीच स्थानीय आभूषण विक्रेताओं की सुस्त मांग है। औद्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं की तरफ से कमजोर उठान के कारण चांदी की कीमत भी गिर गई है। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के मुताबिक, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत भी 1,650 रुपये गिरकर 79,100 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गई। पिछले सत्र में यह 80,750 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
कैसा रहा वायदा बाजार
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर वायदा कारोबार में दिसंबर डिलीवरी के लिए सोने के अनुबंध 76,655 रुपये प्रति 10 ग्राम पर स्थिर कारोबार कर रहे हैं। हालांकि, दिसंबर डिलीवरी के लिए चांदी के अनुबंध 9 रुपये या 0.01 फीसदी गिरकर 90,811 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहे थे। कॉमेक्स गोल्ड वायदा 1.90 डॉलर प्रति औंस या 0.07 प्रतिशत गिरकर एशियाई बाजार में 2,674.40 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। वैश्विक बाजारों में, चांदी 0.24 प्रतिशत गिरकर 31.26 डॉलर प्रति औंस पर आ गई।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एलकेपी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च एनालिस्ट (कमोडिटी एंड करेंसी) जतिन त्रिवेदी ने कहा कि सोने में स्थिर से लेकर सीमित दायरे में कारोबार हुआ, क्योंकि बाजार प्रतिभागी आज रात फेडरल रिजर्व (फेड) की बैठक के नतीजों का इंतजार कर रहे थे, जिसमें 0.25 फीसदी ब्याज दर में कटौती की उम्मीद है। इधर, एचडीएफसी सिक्योरिटीज में कमोडिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक सौमिल गांधी का कहना है कि ट्रंप के व्यापार उत्साह और पूंजी प्रवाह के बिटकॉइन और इक्विटी बाजारों जैसी जोखिमपूर्ण एसेट्स की तरफ शिफ्ट होने के बीच सुरक्षित-आश्रय प्रवाह कम होने से सोने की कीमतों में गिरावट आई।
सोने के लिए बाजार के दृष्टिकोण पर, व्यापारियों ने कहा कि कीमती धातु का भविष्य का आंदोलन फेड की टिप्पणी और उसके बाद के दर निर्णयों पर निर्भर करेगा। हालांकि दरों में कमी का अनुमान है, लेकिन इन कटौतियों की गति और सीमा पीली धातु की अपील के लिए महत्वपूर्ण होगी।
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हिंदू को माला व भाला साथ रखना चाहिए, बाबा बागेश्वर का बड़ा बयान, वक्फ बोर्ड बंद करने की मांग
भीलवाड़ाः शहर के कुमुद विहार में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कथा वाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उर्फ बाबा बागेश्वर ने गुरुवार को कहा कि देश के प्रत्येक हिंदू को माला व भाला साथ रखना चाहिए। आरएसएस चीफ मोहन भागवत के एक बयान पर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि रक्षा करने की सभी को आवश्यकता है। यह केवल संघ का ही दायित्व नहीं है। भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार भी है।
उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृति, परिवार की रक्षा करना है। इसके लिए सरकार हमें शस्त्र लाइसेंस भी देती हैं। संघ के साथ प्रत्येक भारतीय सनातन हिंदुओं को माला व भाला दोनों रखने की आवश्यकता है। जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक में कहा कि संतों की रक्षा के लिए स्वयंसेवक बैठे हैं। वह बहुत अच्छी बात है। मैं मोहन भागवत के बयान का स्वागत करता हूं।
वक्फ बोर्ड बंद करने की मांग
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उर्फ बाबा बागेश्वर ने कहा कि देश में वक्फ बोर्ड है तो सनातन बोर्ड क्यों नहीं होना चाहिए। क्या हम वोट नहीं देते हैं। सनातन बोर्ड का इसलिए गठन होना चाहिए। क्योंकि वक्फ बोर्ड बनाकर कोई कहते हैं कि देश की संसद व मंदिर वक्फ बोर्ड की जमीन पर है। कल के दिन हमारे मकान भी वक्फ बोर्ड ले लेगा। देश में वक्फ बोर्ड बंद हो या सनातन बोर्ड का गठन हो।
देश में धर्म के नाम पर राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण
बंटोगे तो कटोगे के नारे को लेकर पंडित धीरेंद्र के शास्त्री ने कहा कि इस बयान को देने वाले व्यक्ति ने राजनीति के नाते कहा है तो मैं किसी राजनेता के बयान पर टिप्पणी नहीं करता। अगर संत धर्म व आध्यात्म के नाते बयान दिया है तो बहुत सुंदर कहा है। यही हमारा ध्येय है। इसके लिए 4 जुलाई को हमने घोषणा की थी कि इस देश में जात-पात, ऊंच-नीच व भेदभाव मिटाने के लिए पैदल यात्रा निकालेंगे। यह 160 किलोमीटर की यात्रा होगी। वर्तमान में यह जात-पात ऊंच-नीच मिटाने को लिए संकल्प दिलाया जाएगा। धर्म से राजनीति चलती है। राजनीति से धर्म नहीं चलता है।
बाबा बागेश्वर ने कहा कि राजनीति में धर्म नहीं है तो समझ लो राजनीति अंधी है। मैं एक बात स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूं कि राजनीति में धर्म का उपयोग वोट बैंक के लिए नहीं किया जाना चाहिए। यह सबसे बड़ा देश का दुर्भाग्य है कि राजनीति मे धर्म का प्रयोग इस देश का राजनेता अपनी रोटियां सेकने के लिए करते हैं।
बंद हो धर्मांतरण
हिंदुओं की बहन बेटियों को लेकर कहां की अगर हमारी बहन बेटियों को छेड़ता है। हम तो छोड़ेंगे नहीं क्योंकि यह 2024 वाला जगा हुआ हिंदू है। 2010 वाला हिंदू नहीं। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने उदयपुर कन्हैयालाल हत्याकांड सहित भीलवाड़ा में सांप्रदायिक घटनाओं का भी जिक्र किया।
शास्त्री ने कहा कि धर्मांतरण व सनातन की बात करना इस देश में तलवार की धार पर चलना है। यह तो पता है कि यह प्रायोजित तरीके से निपटाएंगे लेकिन हम कुछ करके जाएंगे। देश में कोई मौलवी, पादरी गंदा काम करता है तो उनके मजहब के लोग बिल्कुल मुंह नहीं खोलते हैं। लोग सनातन धर्म के गुरुओं में गुण देखने के बजाय अवगुण देखते हैं।
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