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सेहत

गर्मियों में गुड़ का शरबत पीने के और भी कई फायदे हैं,

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गुड़ का शरबत गर्मियों में पेट के लिए कई प्रकार से फायदेमंद माना जाता है. गजब की बात का ये है कि इसे बनाना बेहद आसान है और आप इसे बनाकर अपने फ्रिज में स्टोर भी कर सकते हैं। दरअसल गुड़ का शरबत पीना, शरीर में तापमान को बैलेंस करने का एक तरीका हो सकता है. इसके अलावा गर्मियों में पेट की समस्या भी ज्यादा बढ़ जाती है, जिसमें कि इस शरबत का सेवन कई प्रकार से फायदेमंद है. साथ ही गर्मियों में गुड़ का शरबत पीने के और भी कई फायदे हैं, पर उससे पहले गुड़ का शरबत बनाने की विधि जानते हैं.

गुड़ का शरबत बनाने की विधि

गुड़ का शरबत बनाने के लिए एक जग में पानी लीजिए. अब इसमें गुड़ को भिगोकर अच्छी तरह मिलाएं. जब गुड़ घुल जाए तो इसे छलनी से छान लें. कोशिश करें कि दो बार छान लें. अब इसमें तुलसी के बीज को 5 मिनट के लिए भिगोकर रख दें. भीगे और फूले हुए तुलसी के बीजों को मिला लें. अब ऊपर से नींबू का रस मिला लें. अब ऊपर से पुदीने की पत्तियों को पीस कर मिला लें, फिर इसे बर्फ डालकर पिएं.

खून की कमी होती है दूर

शरीर में खून की कमी होने पर अगर आप गुड़ के शरबत का सेवन करते हैं, तो यह फायदेमंद होता है, क्योंकि गुड़ के शरबत में मौजूद आयरन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है, जिससे हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है.

वजन घटाने के लिए असरदार

चीनी के लिए तुलना में गुड़ में कम कैलोरी होती है. यह आपको केवल वजन का प्रबंधन करने में मदद नहीं करता है, बल्कि आपके ब्लड शुगर के स्तर को भी बैलेंस रखता है. गुड़ ब्लड शुगर के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है और टाइप -2 मधुमेह वाले लोगों के लिए कारगर तरीके से काम करता है.

लिवर डिटॉक्स में मददगार है गुड़ का शरबत

लंच और डिनर के बाद गुड़ का शरबत पीने से पाचन एंजाइम सक्रिय होकर कब्ज से बचाव होता है पर खास बात ये है कि ये लिवर को डिटॉक्स करता है और शरीर को साफ करता है. इसके अलावा इसका पोटेशियम शरीर में हाइड्रेशन बढ़ाने और मांसपेशियों के निर्माण को बढ़ावा देने में मददगार है. इस तरह ये शरबत शरीर के लिए कई प्रकार से फायदेमंद है.

त्वचा के लिए फायदेमंद

गुड़ के शरबत का सेवन स्वास्थ्य के साथ-साथ त्वचा (Skin) के लिए भी फायदेमंद होता है, क्योंकि इसके सेवन से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और शरीर डिटॉक्स होता है, जिससे त्वचा से जुड़ी समस्याएं दूर होती है और त्वचा स्वस्थ रहती है.

गैस्ट्रिक मुद्दों को कम कर सकता है

आंत की सफाई की बात करें, तो ये कई मायनों में आपके लिए फायदेमंद है. दैनिक आधार पर भोजन में गुड़ खाने से आपको गैस और कब्ज जैसी समस्याओं से निपटने में मदद मिलती है.

 

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देश-विदेश

CID फेम दिनेश फड़नीश का मल्टिपल ऑर्गन फेलियर से हुई मौत, जानें कितनी खतरनाक है यह बीमारी?

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टीवी के हिट शो CID में फ्रेडरिक्स की भूमिका निभाकर फेमस होने वाले एक्टर दिनेश फडनीस का कल रात चार दिसंबर रात करीब 12 बजे निधन हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिनेश की हालत गंभीर थी और वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। वह मल्टीपल ऑर्गन फेलियर की समस्या से जूझ रहे थे। मल्टीपल ऑर्गन फेलियर की वजह से इन दिनों बहुत लोगों की जानें जा रही हैं। कितना खतरनाक होता मल्टीपल ऑर्गन फेलियर? क्या है इसके लक्षण और बचाव के उपाय चलिए इस लेख के ज़रिए हम आपको बताते हैं।

क्या होता है मल्टीपल ऑर्गन फेलियर?

जब आपके शरीर के दो या उससे ज्यादा अंग एक साथ काम करना बंद कर देते हैं, तब ऐसी अवस्था को मल्टीपल ऑर्गन फेलियर कहा जाता है। ऐसी अवस्था में मरीज को तुरंत हॉस्पिटल लेकर जाना चाहिए। मेडिकल की भाषा में मल्टीपल ऑर्गन फेलियर को मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन सिंड्रोम कहते हैं।

कितने कारणों से होता है मल्टीपल ऑर्गन फेलियर?

मल्टीपल ऑर्गन फेलियर की एक नहीं बल्कि कई वजहें हो सकती हैं। इस समस्या में शरीर के कई अंगों को एक साथ नुकसान होता है। यह बीमारी आपके बॉडी के कई अंगों को एक साथ प्रभवित कर सकता है। इस समस्या में दिल, किडनी, लीवर, फेफड़े और नर्वस सिस्टम पर सबसे ज़्यादा असर पड़ता है।

ये हैं मल्टीपल ऑर्गन फेलियर के लक्षण

  • ब्लड सर्कुलेशन सही तरीके से नहीं होता
  • शरीर में ब्लड क्लॉट बनना
  • शरीर ठंड महसूस होना।
  • मांसपेशियों में दर्द शुरू हो जाना।
  • दिनभर पेशाब न आना।
  • सांस लेने में ज्यादा परेशानी होना।
  • त्वचा पीला पड़ना

मल्टीपल ऑर्गन फेलियर का इलाज

अपनी सेहत को लेकर अलर्ट रहें। अगर आपको सांस से जुड़ी परेशानी हो रही है या फिर ब्लड क्लॉटेज़ दिख रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। अगर समय रहते इसके लक्षण पहचान कर जांच करा लिया जाए तो इस बीमारी से अपना बचाव किया जा सकता है।

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सेहत

शरीर में दिखें ये लक्षण तो समझें कमजोर हो गई हैं हड्डियां, ज़रा सी लापरवाही पड़ सकती है भारी

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एक सेहतमंद शरीर के लिए सबसे ज़रूरी है आपकी हड्डियों का मजबूत होना। शरीर हेल्दी तभी होगा जब आप अंदर से मजबूत होंगे। शरीर को मजबूती देने में आपकी हड्डियां अहम भूमिका निभाती हैं। इस मौसम में ज़्यादातर लोगों को हड्डियों में दर्द और तकलीफ होती है। लेकिन अगर यह समस्या आपको हर मौसम में परेशान कर रही है तो ये बेहद चिंताजनक है। बढ़ती उम्र के साथ हड्डियां कमजोर होने लगती हैं लेकिन आजकल के खानपान और खराब लाइफस्टाइल की वजह से लोगों की हड्डियां कमजोर हो रही हैं। हड्डियों के कमजोर होने पर आपका शरीर कई तरह के संकेत देने लगता है। चलिए आपको बताते हैं हड्डियों के कमजोर होने पर आपकी बॉडी कैसे रियेक्ट करती है और किस तरह के संकेत देती है।

  • पीठ के नीचे वाले हिस्से में दर्द होना: अगर आपके पीठ के नीचले हिस्से में लगातार दर्द होता है, इसे भूलकर भी नजरअंदाज न करें। यह कमजोर हड्डियों का संकेत हो सकता है। शरीर में कैल्शियम, विटामिन-डी और कई पोषक तत्वों की कमी के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे दर्द की समस्या होती है। पीठ दर्द ऑस्टियोपोरोसिस के सबसे आम लक्षणों में से एक है।
  • फ्रैक्चर होना: अक्सर आपने देखा होगा कि कई लोगों को हल्के चोट लगने पर भी फ्रैक्चर हो जाता है। यह कमजोर हड्डियों का संकेत है, जिससे हड्डियों को नुकसान होता है। ऐसे में कलाई, रीढ़ और कूल्हे का फ्रैक्चर सबसे जल्दी होता है।
  • मसल्स में अक्सर दर्द होना: शरीर में कैल्शियम, पोटैशियम और विटामिन-डी के कारण मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द की समस्या होती है। अगर समय पर इलाज न हो, तो हड्डियां काफी कमजोर हो सकती हैं। हड्डियों की मजबूती के लिए आपको डाइट पर भी ध्यान देना जरूरी है।
  • शरीर झुक जाता है: कई बार कमजोर हड्डियों के कारण रीढ़ की हड्डी  झुक जाती है। अगर आप लगातार गलत पोजिशन में भी बैठते हैं, तो शरीर झुक जाता है।
  • उठने बैठने में समस्या: अगर आपको अक्सर खड़े होने में परेशानी होती है या पैरों में दर्द की समस्या होती है, तो मांसपेशियां कमजोर होने का संकेत हो सकता है।

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सेहत

अचानक शरीर में महसूस हों ये 5 बदलाव, हार्ट अटैक का है खतरा, नजरअंदाज करना होगा जानलेवा

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किसी भी बीमारी के शरीर में पनपने से पहले हमारा शरीर संकेत देने लगता है। हालांकि कई बार हम इन इशारों को नजरअंदाज कर देते हैं। हार्ट से जुड़ी समस्या होने पर भी शरीर कई तरह के संकेत देता है। हार्ट अटैक आने से पहले शरीर में कुछ लक्षण नजर आने लगते हैं। जिन्हें इग्नोर करना जानलेवा साबित हो सकता है। पिछले कुछ सालों में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हार्ट अटैक के खतरे को दूर करने के लिए सिर्फ डाइट और लाइफस्टाइल में सुधार ही जरूरी नहीं है, आपको हार्ट अटैक के लक्षणों की पहचान करना भी आना चाहिए। आपको हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए। अगर अचानक आपके शरीर में कुछ बदलाव महसूस होने लगे तो इन पर ध्यान जरूर दें। आज हम आपको हार्ट अटैक या हार्ट से जुड़ी बीमारी के शुरूआती लक्षण बता रहे हैं जिन पर आपको ध्यान देना जरूरी है।

हार्ट अटैक आने से पहले शरीर में दिखने वाला लक्षण (Pre Heart Attack Symptoms)

  1. सांस में बदलाव (Change in breathing)- अगर आपको अचानक से अपने सांस लेने के पैटर्न में कुछ बदलाव महसूस हो तो ये चिंताजनक बात हो सकती है। शरीर में हार्ट से जुड़ी समस्या होने पर सांस की दिक्कत हो सकती है। हार्ट अटैक आने से ठीक पहले सांस लेने में परेशानी होने लगती है। सांस फूलने लगती है और कई बार सांसें तेज हो सकती हैं। अगर ऐसा महसूस हो तो डॉक्टर से सलाह लें.
  2. बहुत तेज पसीना आना (Increased sweating)- अगर आपको बैठे-बैठे तेज पसीना आ रहा है तो ये शरीर में कई बीमारियों का संकेत हो सकता है। हार्ट अटैक आने से पहले भी तेज पसीना आने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। खासतौर से रात में सोते-सोते पसीना आने लगे तो इसके बारे में डॉक्टर से सलाह लें। इसे इग्नोर करने की गलती न करें।
  3. बायां हिस्से में कमजोरी (Weakening the left side of body)- अगर आपको अपने शरीर के बाएं हिस्से में कमजोरी महसूस हो। जैसे हाथ में दर्द, कंधे और जबड़े में कमजोरी महसूसहो तो ये खतरनाक हो सकता है। हार्ट जब ठीक से काम नहीं करता तो ऐसी परेशानी हो सकती है। हार्ट की समस्या होने पर कई दिन पहले भी शरीर ऐसे संकेत देने लगता है। इन लक्षण को लेकर डॉक्टर से बात करें।
  4. जल्दी थकान महसूस होना (Get tired easily)- अगर आप बिना किसी फिजिकल एक्टिविटी के भी बहुत थकान महसूस कर रहे हैं तो ये परेशानी वाली बात हो सकती है। हार्ट के मरीज को शरीर में थकान और कमजोरी महसूस होती है। कई बार जरा सा काम करने पर ही सांस फूलने लगती है।
  5. पाचन धीमा हो जाना (Digestion slowing down)- हार्ट से जुड़ी परेशानी होने पर पाचन पर भी असर पड़ता है। अगर आप सही डाइट ले रहे हैं और लाइफस्टाइल भी ठीक है, लेकिन पाचन ठीक नहीं है तो ये परेशानी की बात है। हार्ट संबंधी बीमारी होने पर भी ऐसा हो सकती है। इसलिए लंबे समय तक इस समस्या को नज़रअंदाज न करें।

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