हेल्दी लाइफ
Skin Problems से हैं परेशान? तो होली खेलने से पहले जान लें क्या हो सकती है दिक्कत
नई दिल्ली: होली रंगों का त्योहार है. ऐसे में लोग एक दूसरे को हम अबीर और गुलाल लगाते हैं और इस पर्व को और खुशनुमा बनाते हैं. लेकिन जो लोग अपनी त्वचा की समस्याओं (Skin Problems) से परेशान हैं वो होली के रंगों से थोड़ा सा बच कर रहें. इससे परेशानी और बढ़ सकती है. अब सवाल ये है कि स्किन की ऐसी कौन सी प्रॉबलम्स हैं जिन्हें होली के रंग (Holi Festival) और बढ़ा सकते हैं.
होली के रंंगों से होने वाली स्किन प्रॉब्लम्स
1. फंगल इन्फेक्शन
किसी शख्स की स्किन पर फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infection) की प्रॉब्लम है तो ऐसे में लक्षण के रूप में त्वचा में खुजली की समस्या होना, लाल चकत्ते हो जाना, जलन महसूस करना आदि नजर आ सकते हैं. ऐसे में बता दें कि इन लोगों को होली खेलने से बचना चाहिए. वरना फंगल इन्फेक्शन की समस्या और बढ़ सकती है.
2. दाद
जब किसी व्यक्ति को दाद (Shingles) की समस्या होती है तो उस व्यक्ति को भी होली खेलने से बचना चाहिए. दाद हर्पीज जोस्टर (Herpes Zoster) कहलाता है जो कि संक्रमण के कारण होता है. ऐसे में यह समस्या तेजी से फैल सकती है. होली खेलने से दाद की समस्या और बढ़ सकती है.
3. एक्जिमा
जब किसी व्यक्ति को एक्जिमा (Eczema) की समस्या होती है तो लक्षणों के रूप में त्वचा में तेज खुजली, लालिमा, सूजन, त्वचा में दरार आदि लक्षण दिखाई दे सकते हैं. ऐसे में एक्जिमा के लक्षण दिखाई देने पर भी व्यक्ति को होली के रंगों से दूर रहना चाहिए. वरना यह समस्या और बढ़ सकती है
.4. सोरायसिस
सोरायसिस (Psoriasis) की समस्या होने पर भी व्यक्ति को होली के रंगों से थोड़ा बच के रहना चाहिए. सोरायसिस की समस्या के दौरान व्यक्ति को खुजली पपड़ीदार त्वचा आदि का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में होली के रंग इस समस्या को और बढ़ा सकते हैं
सेहत
भारतीय महिलाओं में क्यों बढ़ रही पीसीओडी बीमारी की समस्या…
देश में कई बीमारियों का दायरा बढ़ रहा है. कैंसर, हार्ट डिजीज और पेट की बीमारियों के मरीजों के ग्राफ में हर नए साल के साथ इजाफा हो रहा है. इन बीमारियों के बीच एक ऐसी बीमारी भी है जो भारत में बहुत तेजी से अपने पांव पसार रही है, लेकिन इसकी तरफ ध्यान कम दिया जा रहा है. यहां हम महिलाओं मे होने वाली PCOD यानी पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज की बात कर रहे हैं. देश में बीते एक दशक में इस बीमारी से जूझ रही महिलाओं की संख्या बढ़ रही है. 16 साल से लेकर 40 साल की उम्र तक की महिलाएं भी इसका शिकार हो रही हैं. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, भारत में हर पांच में से एक (20%) महिला पीसीओएस से पीड़ित है. ये बीमारी बांझपन का एक बड़ा कारण बन रही है. द लैंसट की 2021 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, पीसीओडी का इलाज न होने से 15 से 20 फीसदी महिलाएं एंडोमेट्रियल कैंसर का शिकार हो सकती हैं. इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये बीमारी कितनी खतरनाक है, हालांकि भारत में अधिकतर महिलाएं इस डिजीज को लेकर जागरूक नहीं हैं. इस कारण ये बीमारी कई मामलों में गंभीर रूप ले लेती है और महिलाएं बांझपन का शिकार हो जाती है. यहां ये जानना बहुत जरूरी है कि भारत में पीसीओडी की बीमारी क्यों इतनी तेजी से बढ़ रही है? महिलाएं इससे कैसे बच सकती हैं और इसका इलाज किस तरह हो सकता है.
क्यों तेजी से बढ़ रही पीसीओडी की बीमारी
इस बारे में सफदरजंग हॉस्पिटल में ऑन्को गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सलोनी चड्ढा ने जानकारी दी है. डॉ सलोनी बताती हैं कि पीसीओडी डिजीज होने का कोई एक खास कारण नहीं है. बिगड़ा हुआ लाइफस्टाइल, मेंटल स्ट्रेस, खानपान की गलत आदतें, धूम्रपान और शराब का सेवन इस डिजीज के होने के बड़े रिस्क फैक्टर हैं. बीते कुछ सालों से महिलाओं का लाइफस्टाइल खराब हो रहा है. सोने और जागने का समय निर्धारित नहीं है. लगातार बिगड़ रहा लाइफस्टाइल पीसीओडी होने का कारण बन रहा है. कुछ मामलों में ये बीमारी जेनेटिक कारणों से भी हो सकती है. यानी एक से दूसरी पीढ़ी में जा सकती है, डॉ सलोनी बताती हैं कि पीसीओडी की बीमारी 16 से 18 साल की उम्र से लेकर 30 साल की उम्र के बाद भी हो सकती है. इसकी वजह से महिलाओं के शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है. पुरुष हार्मोन बढ़ जाते हैं. इससे कई तरह की समस्याएं आने लगती हैं. चेहरे पर बाल आने लगते हैं. शरीर के कई अन्य अंगों पर ज्यादा बाल उगने लगते हैं. पीरियड्स आने का पैटर्न भी खराब हो जाता है. समय पर पीरियड्स नहीं आते हैं.
क्या-क्या और दूसरी परेशानियां होती हैं
पीसीओडी की वजह से ओवरी में छोटे- छोटे सिस्ट यानी की गांठ बनने लगती हैं. इन सिस्ट की वजह से गर्भधारण करना मुश्किल होता है. यही कारण है कि पीसीओडी बांझपन का भी कारण बन जाती है. इस डिजीज के कारण महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस भी होता है. इस वजह से उनकी सेल्स इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाती है. जब सेल्स इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाती हैं, तो शरीर में इंसुलिन की मांग बढ़ जाती है. इसकी पूर्ति के लिए पैनक्रियाज अधिक इंसुलिन बनाता है. अतिरिक्त इंसुलिन बनने की वजह से मोटापे से संबंधित समस्या होने लगती है. मोटापा बढ़ने से स्लीप एप्निया की समस्या होने का रिस्क रहता है. इस स्थिति के कारण रात के दौरान सांस लेने में बार-बार रुकावट आती है, जिससे नींद में बाधा आती है. स्लीप एपनिया उन महिलाओं में अधिक आम है जो अधिक वजन वाली हैं, खासकर अगर उन्हें पीसीओएस भी है. जिन महिलाओं में मोटापा और पीसीओडी दोनों हैं, उनमें स्लीप एपनिया का जोखिम उन महिलाओं की तुलना में 5 से 10 गुना अधिक है, जिनको पीसीओडी नहीं है. इस बीमारी की वजह से हुआ हार्मोनल इंबैलेंस और अनचाहे बालों के बढ़ने जैसे लक्षण महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर खराब असर डालते हैं. इससे महिलाएं एंग्जाइटी और डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं.
पीसीओडी का इलाज क्या है
नई दिल्ली के एम्स में प्रोफेसर डॉ रीमा दादा बताती हैं कि दवाओं और सर्जरी के माध्यम से इस बीमारी को ट्रीट किया जाता है. इसके अलावा डॉक्टर आपको लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने की सलाह देते हैं. साथ ही खानपान का रूटीन भी तय करते हैं. इसके लिए डाइट में हरे फल और सब्जियों को शामिल करने के लिए कहा जाता है. खानपान में फाइबर की मात्रा को बढ़ाने की सलाह दी जाती है. वजन को मेंटेन रखने के लिए एक्सरसाइज करने के लिए कहा जाता है. इसके साथ ही रोग योग करने की सलाह भी दी जाती है. योग के जरिए पोसीओडी की बीमारी को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है. योग करने से काफी फायदा मिलता है. एम्स मे पीसओडी से पीड़ित कई महिलाओं को योग के जरिए इस बीमारी से बचाने का काम किया गया है. योग करने से मोटापा भी कंट्रोल में रहता है और मानसिक तनाव भी कम होता है. कपालभाति और सूर्य नमस्कार जैसे प्राणायाम इसमें काफी फायदेमंद साबित होते हैं.
सेहत
कैल्शियम की कमी होने पर रोज 1 चम्मच खाएं ये 2 तरह के बीज, सुधर जाएगी पूरी सेहत
आजकल शरीर में विटामिन और मिनरल्स की कमी सबसे ज्यादा होने लगी है। मार्केट में मिलने वाले पैकेटबंद दूध से शरीर को सारे पोषक तत्व सही तरीके से नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में शरीर में कैल्शियम की कमी हो सकती है। कैल्शियम की कमी से हड्डियां और दांत कमजोर हो जाते हैं। जब कैल्शियम की मात्रा ज्यादा कम हो जाती है तो स्ट्रेस और डिप्रेशन भी हो सकता है। कैल्शियम की जरूरत बाल रूखे, नाखूनों और हड्डियों कमजोर होने लगती हैं। कुछ लोगों को पैरों और कमर में भी तेज दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन, थकान रहने लगती है। ज्यादातर लोग कैल्शियम की कमी दूर करने के लिए डेयरी प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल करते हैं। लेकिन आज हम आपको ऐसे 2 सीड्स बता रहे हैं जो शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा कर सकते हैं।
कैल्शियम से भरपूर सीड्स
खसखस (Poppy Seeds)- शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए खसखस का इस्तेमाल करें। खसखस के बीज जिन्हें पॉपी सीड्स कहते हैं ये आरयर और कैल्शियम जैसे मिनरल्स का भंडार है। इसमें कॉपर और जिंक की मात्रा भी पाई जाती है। ये सारे मिनरल हड्डियों को ताकतवर बनाने का काम करते हैं। गर्मियों में खसखस शरीर को ठंडा रखने में भी मदद करता है। फाइबर से भरपूर खसखस के बीज को आप दूध में भिगोकर भी खा सकते हैं।
चिया सीड्स (Chia Seeds)- डाइट में सीड्स शामिल करने की सलाह डॉक्टर भी देते हैं। वजन घटाने के लिए फेमस चिया सीड्स विटामिन और मिनरल्स से भरे होते हैं। अगर आप 1-2 चम्मच चिया सीड्स रोज खाते हैं तो करीब 180 मिलीग्राम कैल्शियम शरीर को मिल जाता है। चिया सीड्स में कैल्शियम के अलावा ओमेगा-3 और फाइबर भी होता है। चिया के बीजों में बोरॉना भी होता है जो शरीर में कैल्शियम, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम के सही तरीके से अब्जॉर्ब करने में सहायता करता है। आप चिया सीड्स को पानी में भिगोकर, स्मूदी, दही या दलिया में मिक्स करके खा सकते हैं।
सेहत
अब चाल देखकर पता चल जाएगा, कि आप रात में कितनी देर सोए हैं, ऐसे होगी पहचान
इंसान चेहरा देखकर बता सकते हैं कि आप रात में कैसी नींद सोए हैं। अक्सर चेहरे की ताजगी और आंखों को देखकर लोग पूछ लेते हैं कि क्या रात में ठीक से सोए नहीं हैं, लेकिन अब AI आपकी चाल-ढ़ाल को देखकर बता देगा कि आप रात में कितनी देर सोए हैं। जी हां वर्जीनिया की जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी में हुए एक रिसर्च में दावा किया गया है कि एआई आपकी चाल देखकर नींद के घंटे बता देगा। इस रिसर्च के लिए सेंटर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
AI चाल देखकर बता देगा रात में कितनी देर सोए हैं?
इस रिसर्च में 24 साल के करीब 123 लोगों को शामिल किया गया था। इन लोगों के शरीर में मोशन सेंसर लगाया गया था। सेंसर का डेटा AI लर्निंग एल्गोरिदम को भेजा गया जिसे करीब 100 अलग अलग चालों के बारे में एजुकेट किया जा चुका था।
रिसर्च में इस तरह की गई पहचान
इस अध्ययन में कहा गया है कि अगर चलते वक्त व्यक्ति के कूल्हे ज्यादा हिल रहे हैं। अगर व्यक्ति का शरीर ज्यादा झुका हुआ सा लग रहा है या फिर चलते वक्त जमीन पर उसके कदम एक समान नहीं पड़ रहे हैं तो समझ लें कि ऐसे व्यक्ति की पर्याप्त नींद नहीं हो पाई है। कम सोने वाले लोगों की चाल में सामान्य लोगों से काफी बदलाव देखे गए। ऐसे लोगों के कदम काफी थके हुए उठ रहे थे। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जोल मार्टिन के नेतृत्व में इस रिसर्च को पूरा किया गया और इसकी रिपोर्ट को जर्नल स्लीप साइंस में प्रकाशित किया गया है।
रात में कम नींद ली है कैसे पहचानें
अगर रात में भरपूर और अच्छी नींद नहीं ली है तो आपका चेहरा ये साफ बता देता है। लोग चेहरे की ताजगी देखकर आपके सोने के घंटे बता सकते हैं। जो लोग कम सोते हैं वो सुबह उठकर भी अलसाए से रहते हैं। ऐसे लोगों को खूब उबासी आती हैं। स्वभाव में चिड़चिड़ापन बना रहता है। नींद कम आने पर दिनभर आलस छाया रहता है। थकान बनी रहती है और किसी भी चीज में ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी होने लगती है।
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