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शुगर में कौन सी दाल नहीं खानी चाहिए और कौन सी दालें खा सकते हैं? जान लें
खराब लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से डायबिटीज का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। आजकल युवाओं में डायबिटीज जैसी समस्या सबसे ज्यादा सामने आ रही है। बढ़ता मोटापा भी डायबिटीज के बड़ी वजह है। जिन लोगों को शुगर हो जाता है वो हर चीज बड़ा सोच-समझकर डाइट में शामिल करते हैं। डायबिटीज के मरीज को खासतौर से डाइट का ख्याल रखने की सलाह दी जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो खानपान में बरती गई लापरवाही की वजह से ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) तेजी से बढ़ता है। इससे कई बार गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है। डायबिटीज के मरीज को दाल भी सोच समझकर खानी चाहिए। आइये जानते हैं शुगर में कौन सी दाल नहीं खानी चाहिए?
डायबिटीज में कौन सी दाल नहीं खानी चाहिए?
सामान्य से ज्यादा ब्लड शुगर होना डायबिटीज की बीमारी है। इसे लाइफस्टाइल डिजीज कहते हैं क्योंकि एक बार डायबिटीज होने पर इसे खत्म नहीं किया जा सकता, आप इसे सिर्फ मैनेज कर सकते हैं। डाइट और लाइफस्टाइल में सुधार करके डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो डायबिटीज के मरीजों को उड़द की दाल (urad dal) खाने से बचना चाहिए। खासतौर से ज्यादा घी या बटर में बनी दाल मखनी खाने से परहेज करें।
डायबिटीज में कौन सी दाल खानी चाहिए
दाल प्रोटीन का बड़ा सोर्स है इसलिए आप रोजाना 1 कटोरी दाल जरूर खाएं। आप उड़द की दाल छोड़कर अन्य दालें जैसे मूंग, अरहर और चने की दाल खा सकते हैं। दाल खाने से प्रोटीन के अलावा फोलेट, जिंक, आयरन और कई जरूरी विटामिन मिलते हैं। जो फायदेमंद होते हैं।
डायबिटीज को कैसे करें कंट्रोल
डायबिटीज को कंट्रोल करना काफी आसान है। इसके लिए लाइफस्टाइल को बदलने की जरूरत है। रोजाना कम से कम 1 घंटे वॉक करें। खान में फाइबर से भरपूर चीजों को शामिल करें। डाइट में हरी सब्जियां और मल्टीग्रेन आटे की रोटियों को शामिल करें। रोजाना कोई न कोई व्यायाम जरूर करें। इससे आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहेगा।
विश्व मत्स्य दिवस पर विशेष संम्पादकीयः
छत्तीसगढ़ में मछली पालन को नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में विष्णुदेव साय सरकार
एमसीबी/ छत्तीसगढ़ जो भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 4.14 प्रतिशत हिस्सा है, जलवायु और जल संसाधनों के कारण मछली पालन के लिए उपयुक्त है। राज्य में 43 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित है। राज्य को तीन हिस्सों में बांटा गया है: उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र, मध्य मैदानी क्षेत्र और बस्तर पठार। महानदी, इंद्रावती और सहायक नदियां मछली पालन के लिए आधार बनाती हैं। छत्तीसगढ़ में 2.10 लाख लोग मछली पालन से जुड़े हैं। 1,27,269 ग्रामीण तालाब और 1,770 सिंचाई जलाशयों में से 92 प्रतिशत जलक्षेत्र मत्स्य पालन में उपयोग हो रहा है। 2023-24 तक 418.07 करोड़ मत्स्य बीज का उत्पादन हुआ, जबकि 2024-25 का लक्ष्य 546 करोड़ है। जिसमें विशेष उपलब्धि 2007-08 में 1.39 लाख टन मत्स्य उत्पादन 2022-23 में 7.30 लाख टन हो गया। 2.20 लाख लोग मछली पालन में लगे हैं। आधुनिक तकनीक, जैसे केज कल्चर और बड़े फिंगरलिंग का उपयोग कर के उत्पादन को बढ़ा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में मछली पालन का क्षेत्र जो कभी केवल पारंपरिक व्यवसाय के रूप में देखा जाता था, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की दूरदृष्टि के कारण अब राज्य की आर्थिक और सामाजिक समृद्धि का केंद्र बन रहा है। विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने मछुआरों और मछली किसानों के योगदान को सराहा और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह दिन छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मछली पालन के महत्व को रेखांकित करता है और इस क्षेत्र के विकास की संभावनाओं को प्रदर्शित करता हैं। छत्तीसगढ़ की नदियां, तालाब और जलाशय मछली पालन के लिए अत्यधिक उपयुक्त हैं। राज्य का मछुआरा समुदाय और मछली किसान इस क्षेत्र की रीढ़ हैं। उनकी आजीविका इस व्यवसाय पर निर्भर है, और वे राज्य के खाद्य और पोषण सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल और मछुआरों के लिए विशेष योजनाएं
मुख्यमंत्री साय की सरकार ने मछली पालन के क्षेत्र में सुधार और विकास के लिए व्यापक रणनीति अपनाई है। छोटे और सीमांत मछली किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए विशेष ऋण योजनाएं शुरू की गई हैं। इसके साथ ही उन्नत प्रौद्योगिकी और आधुनिक उपकरणों का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। महिलाओं और युवाओं को मछली पालन में भागीदारी के लिए प्रेरित करते हुए सामुदायिक तालाबों के माध्यम से उनके लिए नए अवसर उत्पन्न किए गए हैं।
केंद्र सरकार की योजनाओं का राज्य के विकास में योगदान
केंद्र सरकार की योजनाओं ने छत्तीसगढ़ में मछली पालन के क्षेत्र को नई ऊर्जा प्रदान की है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत राज्य में जल संसाधनों के बेहतर उपयोग, मछली उत्पादन में वृद्धि और मछुआरा समुदाय की आय में सुधार के लिए कई परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं। नीली क्रांति योजना के अंतर्गत टिकाऊ मछली पालन और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए मछुआरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और नीली क्रांति का प्रभाव
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का उद्देश्य मछली पालन को प्रोत्साहित करते हुए किसानों और मछुआरों की आजीविका को सुदृढ़ बनाना है। छत्तीसगढ़ में इस योजना के तहत आधुनिक कोल्ड स्टोरेज, मछली बाजार और परिवहन सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। नीली क्रांति योजना ने मछली पालन में नवाचार और प्रौद्योगिकी आधारित दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया है। इसका प्रभाव न केवल उत्पादन में वृद्धि के रूप में देखा गया है, बल्कि राज्य के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी छत्तीसगढ़ की उपस्थिति को मजबूत किया है।
मछुआरा समुदाय के लिए कौशल विकास और प्रशिक्षण का महत्व
मछली किसानों और मछुआरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण और कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्नत तकनीकों, जैसे बायोफ्लॉक मछली पालन और रीसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयासों से मछली किसानों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचने में मदद मिल रही है, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।
छत्तीसगढ़ में मछली उत्पादन का बढ़ता दायरा
छत्तीसगढ़ मछली उत्पादन में न केवल राज्य की जरूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपने उत्पादों की पहचान बना रहा है। राज्य सरकार का लक्ष्य छत्तीसगढ़ को भारत का मछली पालन केंद्र बनाना है, और इसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य की मछली पालन क्षमता का उपयोग करते हुए किसानों और मछुआरों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी अवसर पैदा किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में राज्य सरकार टिकाऊ मछली पालन की दिशा में भी काम कर रही है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और जल संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने के लिए विशेष योजनाएं तैयार की गई हैं। जैव विविधता को संरक्षित करते हुए पर्यावरण-अनुकूल मछली पालन प्रथाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने मछुआरा समुदाय की मेहनत और योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि मछली पालन राज्य की आर्थिक रीढ़ है, और इसे सशक्त बनाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने मछुआरों को आश्वासन दिया कि केंद्र और राज्य सरकार उनके साथ हैं और उनकी आजीविका को बेहतर बनाने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और केंद्र सरकार की योजनाओं का समन्वय छत्तीसगढ़ को मछली पालन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, नीली क्रांति और अन्य योजनाओं के माध्यम से राज्य में मछली पालन का एक सुनियोजित और संगठित विकास हो रहा है। मुख्यमंत्री साय की दूरदृष्टि और केंद्र सरकार के सहयोग से छत्तीसगढ़ मछली पालन का राष्ट्रीय केंद्र बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।
विश्व डायबिटीज दिवस पर आयोजित एनसीडी कैंप में 37,783 लोगों का हुआ स्वास्थ्य परीक्षण
एमसीबी/ जिले में विश्व डायबिटीज दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वस्थ्य जीवनशैली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विशेष एनसीडी कैंप का आयोजन किया गया। कलेक्टर डी. राहुल वेंकट के निर्देशानुसार और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं जिला कार्यक्रम प्रबंधक के मार्गदर्शन में जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों के अंतर्गत विभिन्न स्थानों पर यह कैंप आयोजित किया गया। इसी कड़ी में कलेक्ट्रेट परिसर में कैम्प का आयोजन किया गया। जिसमें कलेक्ट्रेट कार्यालय 109 अधिकारी-कर्मचारियों का बीपी एवं शुगर की जांच की गई। जिसमें संभावित बीवी के 37 लोग, मधुमेह के संभावित 6 लोग तथा 69 लोग सामान्य पाये गय। जिले में आयोजित कैंपों में 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का ब्लड प्रेशर (बीपी) और ब्लड शुगर की जांच की गई। इसके साथ ही अन्य विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारियों का भी स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इसके लिए जिले में कुल 160 टीमों का गठन किया गया था, जिन्होंने दूरस्थ क्षेत्रों से लेकर शहरी इलाकों तक व्यापक रूप से इस कैंप का संचालन किया। यह विशेष शिविर 20 नवंबर को आयोजित किया गया था, इस शिविर में जिले भर में 37,783 लोगों का ब्लड प्रेशर और शुगर का परीक्षण किया गया। इनमें से 3,178 लोगों में बीपी और 2,273 लोगों में शुगर की संभावित समस्या का पता लगाया गया। चिन्हित लोगों को समय पर उपचार प्रदान करने के उद्देश्य से यह पहल की गई थी।
इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और मितानिन बहनों का विशेष योगदान रहा, जिन्होंने आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। यह अभियान न केवल स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान में सहायक रहा बल्कि जिले में स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
मुख्यमंत्री के गृह जिला एवं विधानसभा क्षेत्र कुनकुरी में भ्रष्टाचार एवं गबन का प्रमाणित मामला उजागर बीआरसीसी श्री विपिन अम्बष्ट ने डकार ली पूरी राशि।
*कोमल ग्वाला अमन पथ ब्यूरो चीफ जशपुर*
खबर मुख्यमंत्री के गृह जिले एवं विधान सभा क्षेत्र कुनकुरी का है। विदित हो कि सत्र 2018- 19 में खनिज न्यास निधि मद से कुनकुरी को आम जनताओ के लिए लाइब्रेरी हेतु नवीन भवन निर्माण के लिए 10 लाख एवं पुस्तक क्रय हेतु 5 लाख रुपए की स्वीकृति मिली थी जिसका निर्माण शासकीय कन्या उमावि कुनकुरी परिषर में किया जाना प्रस्तावित था। निर्माण एजेंसी शाला समिति को बनाया गया था। किन्तु बीआरसीसी श्री विपिन अम्बष्ट द्वारा भ्रष्टाचार एवं गबन करने के लिए कार्य स्थल एवं कार्य एजेंसी दोनों को ही परिवर्तन कर नवीन भवन निर्माण किये बिना पूरी राशि डकार ली गई। जबकि कलेक्टर महोदय के शर्तों के मुताबिक किसी भी स्थिति में निर्माण स्थल एवं कार्य एजेंसी को परिवर्तन नहीं करने संबंधी दिशा निर्देश जारी किया गया थाए जिसको बीआरसीसी श्री विपिन अम्बष्ट ने ठेंगा दिखाते हुए खुलकर भ्रष्टाचार किया है। खबर तब खुलकर सामने आई जब एक सामाजिक कार्यकर्ता श्री मनोज कुमार यादव खेल मैदान कुनकुरी ने सूचना के अधिकार के तहत् संबंधित संस्था से जानकारी मांगी। संबंधित संस्था के वर्तमान प्रधान पाठक ने किसी भी प्रकार के नये भवन के निर्माण से संबंधित जानकारी से लिखित में अभिज्ञता जाहिर की है। जबकि शाला के खाते में शासकीय राशि अंतरित की गई है। जिसका आहरण भी किया गया है। उक्त पुस्तकालय भवन से संबंधित कोई भी दस्तावेज शाला में उपलब्ध नहीं है की जानकारी वर्तमान प्रधान पाठक द्वारा लिखित में दिया गया है। चौंकाने वाली बात तो तब पता चला जब शाला के तात्कालीन प्रधान पाठक से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत् जानकारी चाही गई उन्होने लिखित में बयान दिया है कि बीआरसीसी कुनकुरी श्री विपिन अम्बष्ट अपने कार्यालय में मुझे एवं कोषाध्यक्ष को बुलाकर यह कहा गया कि आपके शाला के बैंक खाते में कुछ शासकीय राशि डाला गया हैए जो विभागीय है। जिसको आहरण करने के लिए पासबुक एवं निकासी पर्ची जिसमें राशि अंकित किये बिना सील व हस्ताक्षर कराकर रख लिया गया था। इसके संबंध में कब- कब कितनी राशि आहरित किया गया है मुझे कुछ भी जानकारी नहीं है। प्रधान पाठक द्वारा लिखित में बताया गया है और यह भी बताया गया है कि नवीन भवन निर्माण संबंध में मेरे कार्याकाल में कोई कार्यादेश या कोई भी दस्तावेज मुझे उपलब्ध नहीं कराया गया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा है कि अपने अधिकारी रसूख का रूतबा दिखाकर श्री विपिन अम्बष्ट द्वारा राशि आहरण किया गया है।
आवेदक ने बकायदा लिखित में शिकायत कलेक्टर जन दर्शन में किया है एवं प्रतिलिपि माननीय मुख्य मंत्री छ.ग. शासन, डीपीआई लोक शिक्षण संचनालय, विशेष सचिव एवं निर्देशक एमआरडी खनिज न्यास विभाग रायपुर, कमिश्नर व संयुक्त संचालक शिक्षा अम्बिकापुर को किया हैए उच्च स्तरीय अंतर विभागीय निष्पक्ष जांच की मांग की है।
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