सेहत
सब्जी और सलाद को तो आपने खूब सजाया हरी धनिया से, अब जान भी लें इसे खाने के फायदे
हरी धनिया खाने के फायदे: हरी धनिया हम लोग अपने खाने में खूब इस्तेमाल करते हैं। लेकिन, कभी आपने सोचा है कि सेहत के लिए ये कितना फायदेमंद हो सकता है? दरअसल, 100 ग्राम हरी धनिया में 31 कैलोरी होते हैं। इसके अलावा इसमें 4 ग्राम प्रोटीन, 0.7 ग्राम फैट, 146 एमजी कैल्शियम और विटामिन ए और सी होता है। इसके अलावा इसमें कुछ एंजाइम्स होते हैं जो कि मेटाबोलिज्म को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा भी हरी धनिया के कई फायदे हैं। जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
इन 4 कारणों से खाएं हरी धनिया-
1. एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर
हरी धनिया, एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है जो कि शरीर में सूजन को कम करने में मददगार है। ये हमारे सेल्स और टिशूज को राहत दिलाता है और दर्द को कम करता है। इतना ही ये शरीर के कई अंगों की सूजन को कम कर सकता है।
2. गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा देता है
हरी धनिया, गुड कोलेस्ट्रॉल को कम करने और धमनियों को हेल्दी रखने में मददगार है। ये उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो कि दिल की समस्याओं से गुजर रहे हैं। इसके अलावा ये उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जो कि बैड कोलेस्ट्रॉल से जूझ रहे हैं।
3. ब्लोटिंग से बचाता है
ब्लोटिंग की समस्या में, हरी धनिया का सेवन कई प्रकार से फायदेमंद है। इसमें कुछ ऐसे एंजाइम्स होते हैं जो कि भूख कंट्रोल करने और पेट की गतिविधियों को सही करने में मदद करते हैं। इसके अलावा इसके एंजाइम्स खाना पचाने में मददगार हैं, जिससे ब्लोटिंग की समस्या नहीं होती।
4. एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर
एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर हरी धनिया इम्यूनिटी बूस्ट करने के साथ एंग्जायटी की समस्या को कम करने में मददगार है। ये ब्रेन बूस्टर है, साथ ही ये याददाश्त बढ़ाने में मददगार है। तो, इन तमाम कारणों से आपको हरी धनिया का सेवन करना चाहिए।
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सिर्फ फायदा ही नहीं, नुकसान भी पहुंचा सकता है हल्दी वाला दूध, इन लोगों को नहीं पीना चाहिए
हल्दी वाला दूध पीकर ज्यादातर लोग अपनी ओवरऑल हेल्थ को काफी हद तक इम्प्रूव कर सकते हैं। लेकिन कुछ लोगों के लिए हल्दी वाला दूध नुकसानदायक साबित हो सकता है। लोग दादी-नानी के जमाने से हल्दी वाले दूध को सेहत के लिए वरदान मानते हैं। हालांकि, ज्यादा हल्दी वाला दूध पीने से आपकी सेहत पर पॉजिटिव असर की जगह नेगेटिव असर भी पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि किन लोगों को हल्दी वाला दूध पीने से बचना चाहिए।
गट हेल्थ पर पड़ सकता है बुरा असर
जिन लोगों को गैस या फिर ब्लोटिंग जैसी पेट से जुड़ी समस्या रहती है, उन्हें हल्दी वाले दूध को अपनी डाइट का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए। हल्दी वाले दूध में पाए जाने वाले तत्व आपकी इस समस्या को बढ़ाने का काम कर सकते हैं। इसके अलावा डायबिटीज जैसी साइलेंट किलर बीमारी के मरीजों को भी डॉक्टर की सलाह लिए बिना हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहिए।
ब्लड प्रेशर के पेशेंट्स
अगर आपको अक्सर लो ब्लड प्रेशर रहता है, तो आपके लिए हल्दी वाला दूध काफी ज्यादा हानिकारक साबित हो सकता है। हल्दी वाला दूध ब्लड प्रेशर को और ज्यादा लो कर सकता है। इसके अलावा अगर आपको दूध से एलर्जी है, तो भी आपको हल्दी वाले दूध को अपने डाइट प्लान में शामिल करने से बचना चाहिए वरना आपकी सेहत को लेने के देने भी पड़ सकते हैं।
गौर करने वाली बात
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बरसाती मौसम में भी हल्दी वाला दूध पीने से बचना चाहिए। आयुर्वेद के मुताबिक हल्दी वाला दूध आपके लिए तभी फायदेमंद साबित हो सकता है, जब आप इसका सेवन लिमिट में रहकर करें। दरअसल, किसी भी चीज को जरूरत से ज्यादा मात्रा में कंज्यूम करने से आपकी सेहत बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है।
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Lung Cancer के जोखिम को कम करने के लिए करना होगा ये काम…
धूम्रपान और तंबाकू प्रोडक्शन का उपयोग फेफड़ों के कैंसर का मुख्य कारण है. रिसर्च के अनुसार, भारत में 2021 में तंबाकू के कारण लगभग 10 लाख मौतें हुईं. इनमें से 80 प्रतिशत मौतें धूम्रपान के कारण हुईं, जबकि 21 प्रतिशत सेकेंड हैंड धुएं के कारण. हाल ही में एक अध्ययन में सामने आया है कि यदि 2006 से 2010 के बीच जन्मे लोगों पर तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाई जाए, तो अगले 70 वर्षों में लगभग 12 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है. इस अध्ययन के अनुसार, तंबाकू के सेवन को समाप्त करने से लंग्स कैंसर से होने वाली मौतों को 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. स्पेन के सैंटियागो डे कंपोस्टेला यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर 2050 तक दुनिया भर में धूम्रपान की बिक्री को 5 प्रतिशत भी कम किया जाए, तो पुरुषों की जीवनकाल में 1 वर्ष और महिलाओं में 0.2 वर्ष बढ़ जाएगी इससे ग्लोबली औसत उम्र 73.6 से बढ़कर 78.3 वर्ष हो जाएगी
सेहत पर प्रभाव
यदि पिछले वर्ष तंबाकू का सेवन पूरी तरह समाप्त कर दिया गया होता, तो 2050 में पुरुषों की उम्र 1.5 वर्ष और महिलाओं की 0.4 वर्ष बढ़ सकती थी. यह न केवल जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाएगा, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दबाव कम करेगा. तंबाकू के सेवन को समाप्त करने से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है. यह न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा, बल्कि समाज के स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा. हमें इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. रिसर्च में यह भी बताया गया है कि 2050 में 21 प्रतिशत पुरुष और 4 प्रतिशत महिलाएं धूम्रपान करेंगी. युवा पीढ़ी, जो अभी 13 से 18 वर्ष की आयु में है, पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है. इस आयु वर्ग में तंबाकू उत्पादों की खरीदने की कानूनी उम्र 18 वर्ष है, इसलिए उन्हें जागरूक करना बेहद जरूरी है.
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रतन टाटा को थी ये गंभीर बीमारी, धीरे-धीरे सारे अंग काम करना कर देते हैं बंद, जान लें लक्षण और बचाव
टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा की मौत से पूरे देश में गम का माहौल है। रतन टाटा सिर्फ एक बिजनेसमैन ही नहीं थे बल्कि एक शानदार शख्सियत थे। देश के हर घर में टाटा का नमक, दाल या कार कुछ न कुछ तो आपको मिल ही जाएगा। रतन टाटा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने हमेशा भारत के लोगों की जरूरतों के हिसाब से व्यापार किया। रतन टाटा की तबियत पिछले कुछ दिनों से ठीक नहीं थी। मुंबई के जाने माने ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। रतन टाटा को लो बीपी की बीमारी थी। जिसकी वजह से उनकी तबियत बिगड़ने लगी थी। हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. शारुख अस्पी गोलवाला की निगरानी में उनका इलाज चल रहा था।
डॉक्टर्स की लाख कोशिशों के बाद भी रतन टाटा की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। उम्र के साथ उभरने वाली समस्याओं ने स्थिति को और मुश्किल बना दिया था। मिली जानकारी के मुताबिक रतन टाटा लो ब्लड प्रेशर की वजह से हाइपोटेंशन से पीड़ित थे। जिसकी वजह से उनके शरीर के कई अंगों ने धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया था। उन्हें डिहाइड्रेशन की समस्या भी होने लगी थी। बुजुर्गों के लिए ये गंभीर समस्या बन जाती है।
लो बीपी कितना खतरनाक है?
अगर आपका ब्लड प्रेशर 90/60 से कम होता है तो डॉक्टर इसे लो बीपी मानते हैं। उम्र बढ़ने के साथ लो बीपी और हाई बीपी दोनों में जोखिम बढ़ जाता है। लो बीपी होने पर वृद्ध लोगों में हार्ट, दिमाग और दूसरे अंगों में रक्त के प्रवाह कम होने लगता है। अचानक से बीपी लो होने पर दिमाग में खून और ऑक्सीजन की सप्लाई कम होने लगती है। ऐसे में चक्कर आना, सिर चकराना और कभी-कभी बेहोशी जैसी समस्या हो सकती है।
लो ब्लड प्रेशर का इलाज क्या है?
जिन लोगों को लो बीपी की समस्या रहती है उन्हें बिना देरी किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा खान-पान और लाइफस्टाइल में भी कुछ जरूरी बदलाव करने चाहिए।
- ज्यादा नमक वाली चीजें खाएं
- खूब सारा लिक्विड पीएं
- शराब और सिरगेट से दूर रहें
- वायर बीमारियों में ज्यादा तरल पदार्थ लें
- नियमित रूप से व्यायाम करें
- बैठने और टेलने के बाद उठें तो सावधान रहें
- सीधे खड़े होने से पहले पैरों और टखनों थोड़ा स्ट्रेच करें
- बिस्तर से तुरंत खने होने से पहले सहारा लें
- सोते वक्त अपने सिरहाने को ऊंचा रखें
- भारी सामान उठाने से बचें
- शौचालय में जोर लगाने से बचें
- लंबे समय तक बिना हिले डुले खड़े होने से बचें
- ज्यादा देर तक गर्म पानी के संपर्क में न रहें
- कम मात्रा में और जल्दी-जल्दी खाना खाएं
- कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करें
- खाने के बाद आराम जरूर करें
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