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सामने आया परमबीर सिंह का ‘कसाब’ कनेक्शन, 26/11 हमले को लेकर हुआ बड़ा खुलासा

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मुंबई: मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह को मुंबई अदालत द्वारा भगोड़ा घोषित किए जाने के बाद आज (नवंबर 25, 2021) उन्हें कांदीवली में क्राइम ब्रांच यूनिट 11 में देखा गया। 231 दिन तक मुंबई से नदारद रहने वाले परमबीर आज गोरेगाँव वसूली मामले में चल रही जाँच में शामिल होने पहुँचे थे। बता दें कि ये पहली दफा नहीं है, जब संकट आने पर परमबीर को इस तरह छिपते देखा गया। 26/11 को हुए मुंबई हमलों के समय भी उन पर आतंकियों का मुकाबला करने से मना करने का आरोप लगा था।

अब 2008 में हुए उसी हमले को लेकर महाराष्ट्र के रिटायर्ड ACP शमशेर खान पठान ने भी सिंह पर संगीन इल्जाम लगाए हैं। पठान ने मुंबई पुलिस आयुक्त को लिखे गए पत्र में कहा है कि 26/11 के बाद कसाब के पास से बरामद फोन को परमबीर सिंह ने अपने पास रख लिया था, जिसे उन्होंने कभी जाँच अधिकारियों को नहीं सौंपा। कसाब के उस फोन से पाकिस्तान और भारत के हैंडलर्स का पता चल सकता था। कथित रूप से इसी फ़ोन पर कसाब को उसके आका पाकिस्तान से ऑर्डर दे रहे थे। पठान ने बताया 26/11 को वो पाईधूनी पुलिस स्टेशन में थे और उनके बैचमेट एनआर माली बतौर सीनियर इंस्पेक्टर डीबी मार्ग पुलिस थाने में पदस्थ थे। उन्होंने लिखा कि 26/11 के दिन अजमल आमिर कसाब को गिरगाँव चौपाटी इलाके से गिरफ्तार किया गया था। ऐसे में उन्होंने अपने साथी एनआर माली के साथ फोन पर बात की। इस दौरान उन्हें पता चला कि कसाब के पास एक फोन बरामद हुआ है, जो पहले कॉन्स्टेबल कांबले के पास था और बाद में परमबीर सिंह ने कांबले से ले लिया।

पूर्व ACP के अनुसार, इस मामले में उनकी माली से चर्चा आगे भी होती रही। तभी उन्हें पता चला कि परमबीर सिंह ने केस के जाँच अधिकारी को फोन नहीं सौंपा है। माली ने शमशेर को ये भी बताया था कि उन्होंने दक्षिण क्षेत्र के कमिश्नर वेंकटेशम से मुलाकात की थी और उस फोन के संबंध में बताया था, मगर इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब माली, परमबीर के पास गए तो वे उन पर बरस पड़े और कहा कि इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है।

बता दें कि शमशेर खान पठान से पहले परमबीर सिंह पर तत्कालीन पुलिस कमिश्नर हसन गफूर ने भी आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि 26/11 आतंकी हमले के वक़्त परमबीर सिंह समेत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने आतंकवादियों से मुकाबला करने से साफ़ मना कर दिया था। गफूर ने कहा था कि कानून-व्यवस्था के संयुक्त आयुक्त केएल प्रसाद, क्राइम ब्रांच के अतिरिक्त आयुक्त देवेन भारती, दक्षिणी क्षेत्र के अतिरिक्त आयुक्त के वेंकटेशम और आतंकवाद-रोधी दस्ते के अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह मुंबई आतंकी हमले के दौरान अपनी ड्यूटी निभाने में नाकाम रहे थे।

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Gautam Adani के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट और प्रत्यर्पण की हो सकती है कोशिश, जानिए क्या कह रहे US अटॉर्नी

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गौतम अडानी और सात अन्य के खिलाफ करोड़ों डॉलर के रिश्वतखोरी मामले में अमेरिका द्वारा दीवानी व आपराधिक आरोप दायर किए गये हैं। न्यूयॉर्क के एक प्रमुख वकील का कहना है कि मामला काफी आगे बढ़ सकता है और इसके बाद गिरफ्तारी वारंट और यहां तक ​​कि प्रत्यर्पण के प्रयास भी हो सकते हैं। अमेरिकी न्याय विभाग ने गौतम अडानी तथा उनके भतीजे सागर अडानी सहित सात अन्य पर महंगी सौर ऊर्जा खरीदने के लिए आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, इसमें अधिकारियों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है।

प्रत्यर्पण की हो सकती है कोशिश

इन परियोजनाओं से समूह को 20 साल में दो अरब डॉलर से अधिक लाभ होने का अनुमान है। हालांकि, अडानी समूह ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोप ‘निराधार’ हैं और समूह ‘सभी कानूनों का अनुपालन करता है।’ भारतीय-अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने पीटीआई से कहा, “अमेरिकी अटॉर्नी ब्रायन पीस को अडानी और सात अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने और उन देशों में मामला आगे बढ़ाने का अधिकार है, जहां वे रहते हैं।” उन्होंने कहा, “अगर उस देश के पास, जैसा कि भारत के पास है, प्रत्यर्पण संधि है, तो संप्रभु राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय अनुबंध के अनुसार, निवासी राष्ट्र को अमेरिका द्वारा प्रत्यर्पित व्यक्ति को सौंपना चाहिए। एक प्रक्रिया है जिसका निवासी राष्ट्र को अपने कानूनों के अनुरूप पालन करना चाहिए।”

दुर्लभ परिस्थितियों में होता है प्रत्यर्पण

बत्रा ने कहा कि प्रत्यर्पण “अत्यंत दुर्लभ परिस्थितियों में” होता है, जैसा कि चिली के पूर्व राष्ट्रपति ऑगस्टो पिनोशे के मामले में हुआ था। ब्रिटेन ने उन्हें केवल मानवीय आधार पर प्रत्यर्पित नहीं किया। उन्होंने कहा, “अडानी और सात अन्य लोगों से जुड़े इस मामले में पिनोशे की मिसाल लागू होते देखना मुश्किल है।” भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि पर 1997 में हस्ताक्षर किए गए थे। न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी पीस ने 62 वर्षीय अडानी, उनके भतीजे अडानी ग्रीन एनर्जी के डायरेक्टर सागर अडानी तथा कंपनी के पूर्व सीईओ विनीत एस जैन के खिलाफ पांच-अनुसूचित आपराधिक अभियोग की घोषणा की है।

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झारखंड: JMM ने किया जीत का दावा, संभावित सीटों की लिस्ट भी जारी की

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झारखंड में विधानसभा चुनाव 2024 के लिए वोटिंग संपन्न हो चुकी है। भाजपा के नेतृत्व वाले NDA ने चुनाव में जीत का दावा किया है तो वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाली महागठबंधन ने भी विधानसभा चुनाव में जीत का दावा किया है। जेएमएम ने तो शुक्रवार को राज्य में उन विधानसभा सीटों की लिस्ट भी जारी कर दी है जहां उसे उम्मीद है कि महागठबंधन के प्रत्याशियों को जीत हासिल होगी।

कितनी सीटों पर जीत का दावा?

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने लिस्ट जारी करते हुए दावा किया है कि झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव महागठबंधन 81 में से 59 सीटें जीतेगा। उन्होंने कहा है कि राज्य के 24 में से 11 जिलों में एनडीए का खाता नहीं खुलेगा। बाकी बचे राज्य के 13 जिलों में भी एनडीए को एक-एक सीट पर कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा। सुप्रीयो भट्टाचार्य लिस्ट जारी करते हुए ये दावा किया है।

एनडीए की सरकार बनेगी- शिवराज

वहीं, दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री और झारखंड चुनाव में भाजपा के प्रभारी शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को दावा किया है कि भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन झारखंड में अगली सरकार बनायेगा। शिवराज ने दावा किया कि झारखंड में लोग बदलाव चाहते हैं। शिवराज ने हेमंत सोरेन की सरकार पर भ्रष्टाचार, बिगड़ती कानून-व्यवस्था और बढ़ती घुसपैठ से राज्य को बर्बाद करने का आरोप लगाया।

51+ सीटें जीतेंगे- बाबूलाल मरांडी

झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की धनवार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा है। चुनाव के बाद बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी और एनडीए आगे हैं। बाबूलाल मरांडी ने आगे ये भी दावा किया कि बीजेपी और एनडीए 51+ सीटें जीतकर सरकार बनाएगी। मरांडी ने कहा कि विपक्षी दलों को पता चल गया है कि वे बुरी तरह हारने वाले हैं।

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Ayushman Bharat: इस डॉक्यूमेंट के बिना 70+ वाले सीनियर सिटीजन नहीं कर सकते अप्लाई, जानें डिटेल

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वरिष्ठ नागरिकों के लिए बहुप्रतीक्षित आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत हो चुकी है। इस योजना के तहत वरिष्ठ नागरिक 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज के लिए पात्र होंगे। भारत सरकार की इस स्कीम से करीब 4.5 करोड़ परिवारों के 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को सहायता मिलने की उम्मीद है। अगर किसी परिवार में इस योजना के लिए पात्र एक से अधिक वरिष्ठ नागरिक हैं, तो 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा उनके बीच साझा किया जाएगा, यानी कवरेज प्रति परिवार के आधार पर होगा। इस योजना के तहत

आयुष्मान भारत PMJAY

आयुष्मान भारत योजना या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 70 वर्ष या उससे अधिक उम्र के सभी वरिष्ठ नागरिक, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, 5 लाख रुपये तक के फ्री मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए पात्र हैं। इस योजना के तहत 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी पात्र वरिष्ठ नागरिकों को एक अलग आयुष्मान कार्ड जारी किया जाएगा। यह कार्ड सार्वभौमिक है और इसमें कोई आय सीमा नहीं है, चाहे वह गरीब हो या मध्यम वर्ग या उच्च वर्ग।

इस डॉक्यूमेंट के बिना नहीं बनेगा कार्ड

आयुष्मान भारत योजना के तहत रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 70 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक के पास आधार होना जरूरी है। पात्र वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयुष्मान कार्ड के नामांकन और जारी करने के लिए आधार-बेस्ड ई-केवाईसी जरूरी है। इसके बिना वरिष्ठ नागरिक यह कार्ड नहीं बनवा पाएंगे। 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के लाभार्थी नामांकन के पहले दिन से ही इलाज कराना शुरू कर सकते हैं। किसी भी बीमारी या उपचार के लिए कोई प्रतीक्षा अवधि नहीं है, इसलिए कवरेज तुरंत शुरू हो जाता है।

क्या है एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

इस स्पेशल स्कीम के लिए पात्रता का एकमात्र मानदंड है कि व्यक्ति की आयु 70 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। उम्र आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि के मुताबिक तय किया जाता है, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। वरिष्ठ नागरिक योजना में नामांकन के लिए आधार एकमात्र जरूरी दस्तावेज है। 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी पात्र वरिष्ठ नागरिकों को एक अलग आयुष्मान कार्ड जारी किया जाएगा।

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