सेहत
*सेहत की कई समस्याओं से निजात दिलाती है अजवाइन, आजमाएं 6 घरेलू नुस्खे*
घर की रसोई में रखा अजवाइन सेहत की कई समस्याओं से निजात दिलाने में कारगर हो सकता है। आइए, जानते हैं अजवाइन के 6 घरेलू नुस्खे –
1 सर्दी, गर्मी के प्रभाव के कारण गला बैठ जाता है। इससे निजात पाने के लिए बेर के पत्तों और अजवाइन को पानी में उबालें, फिर उस पानी को छानकर उससे गरारे करें, इससे लाभ होता है।
2 आधे सिर में दर्द होने पर एक चम्मच अजवायन आधा लीटर पानी में डालकर उबालें। पानी को छानकर रखें एवं दिन में दो-तीन बार थोड़ा-थोड़ा लेते रहने से काफी लाभ होगा।
3 सरसों के तेल में अजवायन डालकर अच्छी तरह गरम करें। इससे जोड़ों की मालिश करने पर जोड़ों के दर्द में आराम होता है।
4 खीरे के रस में अजवायन पीसकर चेहरे की झाइयों पर लगाने से फायदा होता है।
5 चोट लगने पर नीले-लाल दाग पड़ने पर अजवायन एवं हल्दी की पुल्टिस चोट पर बांधने पर दर्द व सूजन कम होती है।
6 मुख से दुर्गंध आने पर थोड़ी सी अजवायन को पानी में उबालकर रख लें, फिर इस पानी से दिन में दो-तीन बार कुल्ला करने पर दो-तीन दिन में दुर्गंध खत्म हो जाती है।
सेहत
स्वाद में कड़वा लेकिन गुणों की खान है करेला, इन रोज-रोज की बीमारियों की करता है छुट्टी
स्वाद में कड़वा जहर जैसा लगने वाला करेला सेहत के लिए वरदान से कम नहीं है। कुछ लोगों को करेला खाना बिल्कुल पसंद नहीं होता है। क्योंकि इसका स्वाद कड़वा होता है। आपको बता दें जितना कड़वा करेला स्वाद में होता है शरीर के लिए उतना ही ज्यादेमंद है। दरअसल करेला में ऐसे पोषक तत्त्व पाए जाते हैं जो डायबिटीज और कई दूसरी बीमारियों में असरदार काम करते हैं। भले ही सब्जी के रूप में करेला आपको पसंद न हो लेकिन इसे दवा समझकर ही अपनी डाइट में शामिल कर लें। आचार्य बालकृष्ण की मानें तो करेले का उपयोग सिर्फ खाने में ही नहीं बल्कि लगाने में भी किया जाता है। आइये जानते हैं करेला कौन सी बीमारियों में फायदा करता है और इसका सेवन कैसे करें?
करेला कौन सी बीमारियों में फायदा करता है?
डैंड्रफ दूर- कुछ लोगों को डैंड्रफ यानि रूसी की समस्या रहती है। उनके लिए करेला का रस फायदेमंद हो सकता है। डैंड्रफ हटाने के लिए आप करेले के जूस का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए करेले के पत्तों का रस निकालकर बालों पर लगा लें। आप इस जूस में थोड़ी हल्की मिलाकर उपयोग करें डैंड्रफ से छुटकारा मिल जाएगा।
सिरदर्द में आराम- अगर आपको हमेशा सिरदर्द की परेशानी होती है तो आप करेले की पत्तियों को पीस कर इसका रल सिर में लगाएं। इस रस को अपने माथे पर लगा लें और सिर पर मालिश जैसी कर लें। काफी राहत मिलेगी।
मुंह के छाले दूर करे- अक्सर गर्मियों में मुंह में छाले हो जाते हैं। जिससे खाने पीने में परेशानी होती है। ऐसे में आप कई तरह के नुस्खों का उपयोग करते है, लेकिन उनका कोई खास आराम नहीं मिलता है। आप एक बार करेले का रस छालों पर लगा लें। इससे काफी फायदा मिलेगा। रस लगाने के बाद लार को बाहर निकलने दें और कुछ देर मुंह खोलकर लटकाए रखें। छाले 1 दिन में ही ठीक हो जाएंगे।
पथरी दूर करे- करेले का जूस पीने से पथरी के मरीज को आराम मिलता है। जिन लोगों को पथरी की परेशानी है, उन्हें करेले का रस जरूर पीना चाहिए। इससे पथरी को नेचुरली निकालने में मदद मिलती है।
घुटनों के दर्द में फायदेमंद- जिन लोगों को अक्सर घुटनों में दर्द होता रहता है। ऐसे लोग भी करेला का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए कच्चे करेले को आग में भून लें। अब करेला को मसल लें और रुई में लपेट कर घुटने में बांध लें। इससे जोड़ों और घुटने के दर्द में काफी आराम मिलेगा।
सेहत
सिर्फ फायदा ही नहीं, नुकसान भी पहुंचा सकता है हल्दी वाला दूध, इन लोगों को नहीं पीना चाहिए
हल्दी वाला दूध पीकर ज्यादातर लोग अपनी ओवरऑल हेल्थ को काफी हद तक इम्प्रूव कर सकते हैं। लेकिन कुछ लोगों के लिए हल्दी वाला दूध नुकसानदायक साबित हो सकता है। लोग दादी-नानी के जमाने से हल्दी वाले दूध को सेहत के लिए वरदान मानते हैं। हालांकि, ज्यादा हल्दी वाला दूध पीने से आपकी सेहत पर पॉजिटिव असर की जगह नेगेटिव असर भी पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि किन लोगों को हल्दी वाला दूध पीने से बचना चाहिए।
गट हेल्थ पर पड़ सकता है बुरा असर
जिन लोगों को गैस या फिर ब्लोटिंग जैसी पेट से जुड़ी समस्या रहती है, उन्हें हल्दी वाले दूध को अपनी डाइट का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए। हल्दी वाले दूध में पाए जाने वाले तत्व आपकी इस समस्या को बढ़ाने का काम कर सकते हैं। इसके अलावा डायबिटीज जैसी साइलेंट किलर बीमारी के मरीजों को भी डॉक्टर की सलाह लिए बिना हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहिए।
ब्लड प्रेशर के पेशेंट्स
अगर आपको अक्सर लो ब्लड प्रेशर रहता है, तो आपके लिए हल्दी वाला दूध काफी ज्यादा हानिकारक साबित हो सकता है। हल्दी वाला दूध ब्लड प्रेशर को और ज्यादा लो कर सकता है। इसके अलावा अगर आपको दूध से एलर्जी है, तो भी आपको हल्दी वाले दूध को अपने डाइट प्लान में शामिल करने से बचना चाहिए वरना आपकी सेहत को लेने के देने भी पड़ सकते हैं।
गौर करने वाली बात
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बरसाती मौसम में भी हल्दी वाला दूध पीने से बचना चाहिए। आयुर्वेद के मुताबिक हल्दी वाला दूध आपके लिए तभी फायदेमंद साबित हो सकता है, जब आप इसका सेवन लिमिट में रहकर करें। दरअसल, किसी भी चीज को जरूरत से ज्यादा मात्रा में कंज्यूम करने से आपकी सेहत बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है।
सेहत
Lung Cancer के जोखिम को कम करने के लिए करना होगा ये काम…
धूम्रपान और तंबाकू प्रोडक्शन का उपयोग फेफड़ों के कैंसर का मुख्य कारण है. रिसर्च के अनुसार, भारत में 2021 में तंबाकू के कारण लगभग 10 लाख मौतें हुईं. इनमें से 80 प्रतिशत मौतें धूम्रपान के कारण हुईं, जबकि 21 प्रतिशत सेकेंड हैंड धुएं के कारण. हाल ही में एक अध्ययन में सामने आया है कि यदि 2006 से 2010 के बीच जन्मे लोगों पर तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाई जाए, तो अगले 70 वर्षों में लगभग 12 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है. इस अध्ययन के अनुसार, तंबाकू के सेवन को समाप्त करने से लंग्स कैंसर से होने वाली मौतों को 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. स्पेन के सैंटियागो डे कंपोस्टेला यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर 2050 तक दुनिया भर में धूम्रपान की बिक्री को 5 प्रतिशत भी कम किया जाए, तो पुरुषों की जीवनकाल में 1 वर्ष और महिलाओं में 0.2 वर्ष बढ़ जाएगी इससे ग्लोबली औसत उम्र 73.6 से बढ़कर 78.3 वर्ष हो जाएगी
सेहत पर प्रभाव
यदि पिछले वर्ष तंबाकू का सेवन पूरी तरह समाप्त कर दिया गया होता, तो 2050 में पुरुषों की उम्र 1.5 वर्ष और महिलाओं की 0.4 वर्ष बढ़ सकती थी. यह न केवल जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाएगा, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दबाव कम करेगा. तंबाकू के सेवन को समाप्त करने से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है. यह न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा, बल्कि समाज के स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा. हमें इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. रिसर्च में यह भी बताया गया है कि 2050 में 21 प्रतिशत पुरुष और 4 प्रतिशत महिलाएं धूम्रपान करेंगी. युवा पीढ़ी, जो अभी 13 से 18 वर्ष की आयु में है, पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है. इस आयु वर्ग में तंबाकू उत्पादों की खरीदने की कानूनी उम्र 18 वर्ष है, इसलिए उन्हें जागरूक करना बेहद जरूरी है.
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