भक्ति आराधना
*नव वर्ष 2020 में 10 जनवरी को मनेगी शाकंभरी जयंती, नवरात्रि के दिनों में जपें ये खास 4 मंत्र*

3 जनवरी से शाकंभरी नवरात्रि प्रारंभ हो रही है, जो 10 जनवरी तक जारी रहेगी। पौष शुक्ल पूर्णिमा के दिन मां शाकंभरी जयंती मनाई जाएगी। शाकंभरी नवरात्रि के 9 दिनों में नीचे लिखे मंत्रों का जाप करके मां दुर्गा की आराधना करके कोई भी साधक पूरा जीवन सुख से बिता सकता है।
जीवन में धन और धान्य से परिपूर्ण रहने के लिए नवरात्रि के दिनों में इन मंत्रों का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। अगर आप नौ दिन साधना नहीं कर सकें तो कोई बात नहीं कम से शाकंभरी जयंती के दिन निम्न मंत्रों का जाप 108 बार अवश्य करें।
पढ़ें देवी के मंत्र-
* ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति माहेश्वरि अन्नपूर्णे स्वाहा।।’
* ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति अन्नपूर्णे नम:।।’
* ‘ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य: सुतान्वित:।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।’
इन मंत्रों को बतौर अनुष्ठान 10 हजार, 1.25 लाख जप कर दशांस हवन, तर्पण, मार्जन व ब्राह्मण भोजन कराएं। नित्य 1 माला जपें। हवन सामग्री में तिल, जौ, अक्षत, घृत, मधु, ईख, बिल्वपत्र, शकर, पंचमेवा, इलायची आदि लें। समिधा, आम, बेल या जो उपलब्ध हो, उनसे हवन पूर्ण करके आप सुखदायी जीवन का लाभ उठा सकते हैं।
पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार देवी शाकंभरी आदिशक्ति दुर्गा के अवतारों में एक हैं। दुर्गा के सभी अवतारों में से रक्तदंतिका, भीमा, भ्रामरी, शाकंभरी प्रसिद्ध हैं। दुर्गा सप्तशती के मूर्ति रहस्य में देवी शाकंभरी के स्वरूप का वर्णन निम्न मंत्र के अनुसार इस प्रकार किया गया है-
मंत्र- शाकंभरी नीलवर्णानीलोत्पलविलोचना।
मुष्टिंशिलीमुखापूर्णकमलंकमलालया।।
अर्थात- मां देवी शाकंभरी का वर्ण नीला है, नील कमल के सदृश ही इनके नेत्र हैं। ये पद्मासना हैं अर्थात् कमल पुष्प पर ही विराजती हैं। इनकी एक मुट्ठी में कमल का फूल रहता है और दूसरी मुट्ठी बाणों से भरी रहती है।

भक्ति आराधना
शिर्डी जाने वालों के लिए खुशखबर, अब रोज 25000 श्रद्धालु कर करेंगे सांईंबाबा के दर्शन

शिर्डी। अहमदनगर जिला प्रशासन ने प्रसिद्ध शिर्डी मंदिर में जाकर पास लेने वाले 10,000 श्रद्धालुओं को प्रतिदिन सांईंबाबा के दर्शन करने की मंजूरी देने का फैसला किया है। जिला प्रशासन ने 6 अक्टूबर को ऑनलाइन माध्यम से पास लेने वाले 15,000 श्रद्धालुओं को हर दिन दर्शन करने की अनुमति दी थी।
कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आने के मद्देनजर प्राधिकारियों को वहीं जाकर पास लेने वाले और अधिक श्रद्धालुओं को दर्शन करने की अनुमति देने का प्रस्ताव मिला। ऑनलाइन माध्यम से 15,000 श्रद्धालुओं को पास जारी किए जा रहे हैं, इसका मतलब है कि अब कुल 25,000 श्रद्धालु हर दिन साईबाबा के दर्शन कर सकते हैं।
अहमदनगर जिलाधीश राजेंद्र भोंसले द्वारा जारी एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, ‘बैठक में लिए गए फैसले के अनुसार सांईंबाबा मंदिर ट्रस्ट ने कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए प्रतिदिन वहीं जाकर पास लेने वाले 10,000 श्रद्धालुओं को दर्शन की मंजूरी दी है।’
उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी से पहले हर दिन लाखों श्रद्धालु शिरडी आते थे।
खबरे छत्तीसगढ़
गणेश चतुर्थी आज: भगवान श्री गणेश जी की घर-घर में होगी स्थापना ,इस शुभ मुहूर्त में स्थापित करें भगवान गणेश की मूर्ति

रायपुर ।भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से दस दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत आज 10 सितंबर से हो रही है 10 दिवसीय गणेश उत्सव 19 सितंबर तक मनाया जायेगा। गणेश उत्सव के पहले दिन श्री गणेश जी की घर में स्थापना की जाती है और पूरे दस दिनों तक उनकी विधि-विधान से पूजा करके आखिरी दिन गणेश विसर्जन किया जाता है।
आपको बता दें कि उत्सव दस दिनों तक मनाया जाता है, लेकिन ये लोगों की श्रद्धा पर निर्भर करता है कि वो गणपति जी को कितने दिनों के लिए अपने घर लाते हैं। कई लोग एक दिन, तीन दिन, पांच दिन या सात दिनों के लिये भी गणपति जी को घर पर लाते हैं।
गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमा का बहुत ही महत्व है श्री गणेश भगवान की कृपा से इन दस दिनों के दौरान आपकी मनचाही सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। गणपति जी आपकी हर समस्या का समाधान निकालने के लिये आपके साथ ही मौजूद होंगे। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा और स्थापना विधि के बारे में।
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 9 सितंबर रात 12 बजकर 18 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 10 सितंबर रात 9 बजकर 57 मिनट तक
मध्यान्ह पूजन मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 3 मिनट से दोपहर 1 बजकर 33 मिनट पर
वर्जित चंद्रदर्शन का समय –सुबह 9 बजकर 12 मिनट से शाम 8 बजकर 53 मिनट तक
भगवान गणेश की स्थापना का शुभ मुहूर्त
10 सितंबर 2021 को दोपहर 12 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे के बीच गणेश स्थापना के लिये अच्छा मुहूर्त है।
बन रहे हैं ये संयोग
10 सितंबर को शाम 5 बजकर 43 मिनट तक ब्रह्म योग रहेगा। इसके अलावा 9 सितंबर दोपहर 2 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 10 सितंबर दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाला रवि योग रहेगा। इसके साथ ही दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक चित्रा नक्षत्र रहेगा
पूजन सामग्री
पूजा के लिए चौकी, लाल कपड़ा, भगवान गणेश की प्रतिमा, जल का कलश, पंचामृत, रोली, अक्षत, कलावा, लाल कपड़ा, जनेऊ, गंगाजल, सुपारी, इलाइची, बतासा, नारियल, चांदी का वर्क, लौंग, पान, पंचमेवा, घी, कपूर, धूप, दीपक, पुष्प, भोग का समान आदि एकत्र कर लें।
भगवान गणेश की स्थापना विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करे लें। गणपति का स्मरण करते हुए पूजा की पूरी तैयारी कर लें। इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करें। एक कोरे कलश में जल भरकर उसमें सुपारी डालें और उसे कोरे कपड़े से बांधना चाहिए। इसके बाद सही दिशा में चौकी स्थापित करके उसमें लाल रंग का कपड़ा बिछा दें। स्थापना से पहले गणपति को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद गंगाजल से स्नान कराकर चौकी में जयकारे लगाते हुए स्थापित करें। इसके साथ रिद्धि-सिद्धि के रूप में प्रतिमा के दोनों ओर एक-एक सुपारी भी रख दें।
भगवान गणेश की पूजा विधि
स्थापना के बाद गणपति को फूल की मदद से जल अर्पित करे। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाए। इसके बाद लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची और कोई मिठाई रखकर अर्पित कर दें। नारियल और भोग में मोदक अर्पित करें। षोडशोपचार के साथ उनका पूजन करें। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्ती से भगवान गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
या फिर
ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।
दिन में 3 बार लगाएं भोग
अगर आपने अपने घर पर भगवान गणपति की मूर्ति स्थापित की हैं तो उनका ख्याल बिल्कुल घर के सदस्य की तरह रखना होगा, इसलिए गणपति को दिन में 3 बार भोग लगाना अनिवार्य है। गणपति बप्पा को रोजाना मोदक का भोग जरूर लगाना चाहिए। आप चाहे तो मोतीचूर या बेसन के लड्डू से भी भोग लगा सकते हैं।
इस बार गणेश चतुर्थी चित्रा नक्षत्र में आ रही है। इस दिन चंद्र तुला राशि में शुक्र साथ रहेगा। सूर्य अपनी राशि सिंह में, बुध अपनी राशि कन्या में, शनि अपनी राशि मकर में और शुक्र अपनी राशि तुला में रहेगा। ये चार ग्रह अपनी-अपनी राशि में रहेंगे। गुरु कुंभ राशि में रहेगा। इस राशि में दो बड़े ग्रह गुरु और शनि वक्री हैं।
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक 2021 से 59 साल पहले 3 सितंबर 1962 को गणेश चतुर्थी चित्रा नक्षत्र से शुरू हुई थी। उस समय भी चंद्र शुक्र के साथ तुला राशि में था। सूर्य, बुध, शुक्र और शनि, ये चारों ग्रह अपनी-अपनी राशि में स्थित थे। इस वर्ष भी ऐसे ही ग्रह योग होने से सभी राशियों के लिए समय अनुकूल रहेगा।
मेष- इस राशि को कई लाभ प्राप्त होंगे और सभी प्रकार की अनुकूलता रहेगी। खुशियों की प्राप्ति होगी और संतान से प्रसन्न्ता मिलेगी।
वृषभ- विवादों में विजय मिलेगी। गणेशजी की सेवा करने से रुका कार्य पूरा होगा। मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा।
मिथुन- घर-बाहर सभी ओर सम्मान प्राप्त होगा। जिम्मेदारियों में वृद्धि होगी और धन की प्राप्ति सुगम होगी। जोखिमपूर्ण कार्य नहीं करें।
कर्क- आधुनिक सुख-सुविधाएं प्राप्त करेंगे और किसी बड़े काम के बन जाने से हर्ष प्राप्त होगा। विवाह प्रस्ताव मिलेंगे।
सिंह- सोचे हुए काम बनेगें और विशेष उपलब्धियों की प्राप्ति होगी। विदेश जाने की इच्छा रखने वालों को सफलता मिलेगी।
कन्या- खोए हुए धन और नुकसान की पूर्ति संभव है। धार्मिक यात्रा का योग बनेगा और किसी बड़े आय देने वाले काम की स्थापना होगी।
तुला- यह राशि अपने खराब दौर से गुजर रही थी, लेकिन अब अच्छे समय की ओर जा रही है। प्रसन्नतादायक समाचार की प्राप्ति होगी एवं संतान सुख मिलेगा।
वृश्चिक- गणेशजी के जाते समय कोई बड़ी खुशखबरी प्राप्त होगी। जमीन संबंधी लाभ होने की संभावना है। धन की समस्या भी दूर होगी।
धनु- नुकसान पहुंचाने वालों को खोजने में सफल होंगे और शत्रुओं का नाश करने में सफल होंगे। जीवन साथी से प्रसन्नता प्राप्त होगी एवं सम्मान मिलेगा।
मकर- यह समय अच्छा रहेगा एवं कीर्ती में वृद्धि होगी। नए वस्त्र आभूषणों की प्राप्ति होगी। योजनाएं सफल होंगी।
कुंभ- शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी और संतान भी अनुकूल रहेगी। यात्रा में तकलीफ हो सकती है। धार्मिक कार्य करने का मौका मिलेगा।
मीन- गणेश जी और लक्ष्मी जी की विशेष प्रसन्नता प्राप्त हो सकती है। किसी भूमि के सौदे को हल्के से न लें और सही दिशा में कार्य करने पर निश्चित लाभ मिलेगा।
भक्ति आराधना
10 सितंबर, गणेश चतुर्थी पर इस शुभ मुहूर्त में करें गणपति स्थापना

प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन 10 दिवसीय गणेशोत्सव पर्व मनाया जाता है। यह दिन श्री गणेश चतुर्थी के नाम से प्रचलित है। इस दिन श्री गणेश जी की प्रतिमा घर लाने और 10 दिनों तक उनका विधि-विधान से पूजन करने की परंपरा है। इस वर्ष 10 सितंबर 2021, शुक्रवार को यह पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन चित्रा नक्षत्र रहेगा और ब्रह्म योग रहेगा।
चतुर्थी तिथि का प्रारंभ गुरुवार, 9 सितंबर 2021 को रात 12:17 से होकर शुक्रवार, 10 सितंबर 2021 रात्रि 10:00 बजे तक चतुर्थी तिथि रहेगी। इस दिन पाताल लोक की भद्रा रहेगी, जिसका समय सुबह 11:08 मिनट से रात 9:57 मिनट तक होगा। वैसे तो भद्रा काल को शुभ कार्य के लिए अशुभ माना जाता है, किंतु श्री गणेश का एक अन्य नाम विघ्नविनाशक भी है, अत: भद्रा की वजह से गणेश स्थापना प्रभावित नहीं होगी।
इस बार श्री गणेश जी की स्थापना चित्रा नक्षत्र के ब्रह्म योग में होगी और चित्रा नक्षत्र दोपहर 12:58 मिनट तक रहेगा। उसके बाद स्वाती नक्षत्र प्रारंभ होगा। इस दिन रवि योग भी रहेगा, जिसका समय सुबह 6:01 मिनट से लेकर दोपहर 12:58 मिनट तक रहेगा। यह संयोग सुख-समृद्धि और सौभाग्य देने वाला साबित होगा।
आइए जानें किस शुभ मुहूर्त में करें गणेश स्थापना कि जीवन मंगलमयी हो जाएं-
गणेश चतुर्थी स्थापना के सबसे शुभ मुहूर्त-
* रवि योग- सुबह 6:01 से दोपहर 12:58 मिनट तक रहेगा।
* अमृत काल- प्रात: 06:58 से सुबह 08:28 मिनट तक रहेगा।
* अभिजीत मुहूर्त- प्रातः 11:30 से दोपहर 12:20 मिनट तक रहेगा।
* विजय मुहूर्त- दोपहर 01:59 से 02:49 मिनट तक रहेगा।
* गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:55 से 06:19 मिनट तक रहेगा।
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त- प्रातः 11:03 से दोपहर 01:32 बजे तक रहेगा।
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