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8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस, जानिए लक्षण एवं बचाव

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दुनियाभर में हर साल 8 मई को में वर्ल्ड थैलेसीमिया डे (Thalassemia Day) मनाया जाता है। थैलेसीमिया बच्चों को उनके माता-पिता से मिलने वाला आनुवांशिक रक्त रोग है, इस रोग की पहचान बच्चे में 3 महीने बाद ही हो पाती है। इसको मनाने का सबसे बड़ा लक्ष्य है लोगों को रक्त संबंधित इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करना है।

माता-पिता से अनुवांशिकता के तौर पर मिलने वाली इस बीमारी की विडंबना है कि इसके कारणों का पता लगाकर भी इससे बचा नहीं जा सकता। हंसने-खेलने और मस्ती करने की उम्र में बच्चों को लगातार अस्पतालों के ब्लड बैंक के चक्कर काटने पड़ें तो सोचिए उनका और उनके परिजनों का क्या हाल होगा! लगातार बीमार रहना, सूखता चेहरा, वजन ना बढ़ना और इसी तरह के कई लक्षण बच्चों में थैलेसीमिया रोग होने पर दिखाई देते हैं।

आइए जानें 8 मई को मनाए जाने वाले विश्व थैलेसीमिया दिवस उसके लक्षण और बचाव –

थैलेसीमिया क्या है-

यह एक ऐसा रोग है जो बच्चों में जन्म से ही मौजूद रहता है। तीन माह की उम्र के बाद ही इसकी पहचान होती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसमें बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है, जिसके कारण उसे बार-बार बाहरी खून की जरूरत होती है। खून की कमी से हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है एवं बार-बार खून चढ़ाने के कारण मरीज के शरीर में अतिरिक्त लौह तत्व जमा होने लगता है, जो हृदय में पहुंच कर प्राणघातक साबित होता है।

थैलेसीमिया के लक्षण-

* बार-बार बीमारी होना

* सर्दी, जुकाम बने रहना

* कमजोरी और उदासी रहना

* आयु के अनुसार शारीरिक विकास न होना

* शरीर में पीलापन बना रहना व दांत बाहर की ओर निकल आना

* सांस लेने में तकलीफ होना

* कई तरह के संक्रमण होना

ऐसे कई तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

कैसे करें थैलेसीमिया से बचाव-

* विवाह से पहले महिला-पुरुष की रक्त की जांच कराएं

* गर्भावस्था के दौरान इसकी जांच कराएं

* मरीज का हीमोग्लोबिन 11 या 12 बनाए रखने की कोशिश करें

* समय पर दवाइयां लें और इलाज पूरा लें।

थैलेसीमिया एक प्रकार का रक्त रोग है। यह दो प्रकार का होता है। यदि पैदा होने वाले बच्चे के माता-पिता दोनों के जींस में माइनर थैलेसीमिया होता है, तो बच्चे में मेजर थैलेसीमिया हो सकता है, जो काफी घातक हो सकता है। पालकों में से एक ही में माइनर थैलेसीमिया होने पर किसी बच्चे को खतरा नहीं होता। अतः जरूरी यह है कि विवाह से पहले महिला-पुरुष दोनों अपनी जांच करा लें।

थैलेसीमिया के बारे में कुछ अहम तथ्य-

थैलेसीमिया पी‍डि़त के इलाज में काफी खून और दवाइयों की जरूरत होती है। इस कारण सभी इसका इलाज नहीं करवा पाते, जिससे 12 से 15 वर्ष की आयु में बच्चों की मौत हो जाती है। सही इलाज करने पर 25 वर्ष व इससे अधिक जीने की उम्मीद होती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, खून की जरूरत भी बढ़ती जाती है। अत: सही समय पर ध्यान रखकर बीमारी की पहचान कर लेना उचित होता है।

अस्थि मंजा ट्रांसप्लांटेशन (एक किस्म का ऑपरेशन) इसमें काफी हद तक फायदेमंद होता है, लेकिन इसका खर्च काफी ज्यादा होता है। देश भर में थैलेसीमिया, सिकल सेल, सिकलथेल, हिमोफेलिया आदि से पीड़ित अधिकांश गरीब बच्चे 8-10 वर्ष से ज्यादा नहीं जी पाते।

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सेहत

सदाबहार के फूलों का रस डायबिटीज का है तगड़ा काट, जानिए कैसे करें इस्तेमाल और क्या होंगे फायदे

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सदाबहार ऐसा पौधा है जिसे आसानी से गमले में उगाया जा सकता है। सदाबहार का मतलब है कि ये पौधा 12 महीने हरा-भरा रहता है और फूल आते हैं। सदाबहार का छोटा सा पौधा आपकी बालकनी और घर की शोभा को कई गुना बढ़ा देता है, लेकिन क्या आप जानते हैं सदाबहार के फूलों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है। बाबा रामदेव की मानें तो सदाबहार के पौधे का रस पीने से डायबिटीज जैसी बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है। जानिए शुगर को खत्म करने के लिए कैसे करें सदाबहार का इस्तेमाल?

सदाबहार के फूल और पत्ते दोनों ही औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। डायबिटीज के मरीज इसका जूस निकालकर पी सकते हैं। आप सदाबहार के 3-4 पत्ते या 5-6 फूलों को ऐसे ही चबाकर भी खा सकते हैं। इससे शरीर में जमा टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं और ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

डायबिटीज में ऐसे करें सदाबहार का इस्तेमाल

डायबिटीज के मरीज 1 छोटा खीरा, 1 छोटा करेला, 1 छोटा टमाटर मिक्सी में पीस लें। आप इसके साथ सदाबहार के 6-7 फूल और 3-4 नीम के पत्ते भी डाल लें। सदाबहार के फूल न मिलें तो आप पत्तों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सारी चीजों को मिलाकर पीस लें और फिर इसका जूस निकालकर छान लें। इस जूस का सेवन करने से डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

सदाबहार के फूल और पत्तों का पाउडर 

आप चाहें तो सदाबहार के पत्तों को या फिर फूलों को सुखाकर भी उपयोग कर सकते हैं। इन पत्तों को पीसकर चूर्ण बना लें और फिर इसे जूस में मिलाकर या ऐसे ही पानी के साथ 1 चम्मच चूर्ण खा लें। इससे डायबिटीज के मरीज को काफी फायदा मिलेगा।

सदाबहार के फायदे

सदाबहार के पत्ते और फूल वात दोष को कम करते हैं। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन को कम करते हैं। सदाबहार के पत्तों में एल्कलॉइड गुण होते हैं जो बढ़े हुए ब्लड शुगर को कम करने में मदद करते हैं। गले की खराश दूर करने और ततैया के काटने में भी सदाबहार के फूलों का रस फायदेमंद साबित होता है।

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सेहत

सुबह अजवाइन की चाय पीने से दूर रहेंगी ये बीमारी

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सुबह ज्यादातर लोग दूध वाली चाय के साथ दिन की शुरुआत करते हैं। जो सेहत के लिहाज से ठीक नहीं है। सुबह दूध वाली चाय की जगह आप अजवाइन की चाय पीएं। इससे तेजी से वजन होगा और शरीर को कई दूसरे फायदे भी मिलेंगे। अजवाइन की चाय पीने से पेट और पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर होंगी। अजवाइन में भरपूर एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। इसके साथ ही फाइबर, पोटेशियम और विटामिन भी मिलते हैं। आइये जानते हैं अजवाइन की चाय क्या फायदा करती है?

सुबह अजवाइन की चाय पीने के फायदे

  1. वजन घटाए- अजवाइन की चाय मोटे लोगों को जरूर पीनी चाहिए। सुबह अजवाइन की चाय पीने से लटकती हुई तोंद अंदर होने लगेगी। मोटापा से जूझ रहे लोगों को दूध की चाय नहीं बल्कि अजवाइन की चाय पीनी चाहिए। इससे मेटाबॉलिज्म तेज होता है और वजन कम होता है। महीने भर में ही इस चाय से वजन में फर्क नजर आने लगेगा।
  2. गैस में राहत- जिन लोगों को गैस और एसिडिटी की समस्या रहती है उन्हें सुबह अजवाइन वाली चाय पीनी चाहिए। अजवाइन की चाय पीने से गैस की समस्या में आराम मिलता है। अजवाइन में पाए जाने वाले पोषक तत्व पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं। कब्ज की समस्या में भी आराम मिलता है।
  3. पीरियड्स के दर्द में राहत- अगर आपको पेट में दर्द है फिर वो चाहे ठंड के कारण हो या फिर पीरियड्स के कारण, अजवाइन की चाय फायदेमंद साबित होती है। पीरियड्स के दौरान दिन में 1-2 कप अजवाइन वाली चाय जरूर पीनी चाहिए। इससे दर्द में आराम मिलेगा।
  4. अस्थमा में फायदेमंद- अजवाइन की चाय पीने से अस्थमा के मरीज को फायदा होता है। अजवाइन की तासीर गर्म होती है जो अस्थमा के मरीज के लिए दवा का काम करती है। अस्थमा में दूध और दूध की चाय से सुबह बचना चाहिए। अजवाइन की चाय इन लोगों को फायदा करती है।
  5. तनाव घटाए- जिन लोगों को लगातार तनाव बना रहता है उन्हें सुबह 1 कप अजवाइन की चाय जरूर पीनी चाहिए। अजवाइन की चाय पीने से तनाव दूर होता है। इस चाय को पीने से थकान दूर होती है और शरीर को एनर्जी मिलती है।

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सेहत

निमोनिया और वजन कम करने में रामबाण है ये फल..

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इंद्रायण का फल ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है, जिसके इस्तेमाल से शरीर पर चौंकाने वाले फायदे होते हैं. यह वजन को कम करने, शुगर जैसी गंभीर समस्या को ठीक करने, निमोनिया जैसी गंभीर समस्या को ठीक करने और पीरियड्स की अनियमित को दूर करने में मदद करता है. यह मूत्र संबंधी सभी समस्याओं को ठीक करने में काफी असरदार साबित होता है. बागपत में आयुर्वेदिक चिकित्सा डॉक्टर सरफराज अहमद ने बताया कि इंद्रायण का फल एक ऐसी चमत्कारी औषधि है, जो आसानी से किसी भी मार्केट में उपलब्ध होती है. यह शरीर को स्वस्थ बनाने में भूमिका निभाती है. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में होने वाली डायबिटीज और बढ़ने वाले वजन को कम करने में काफी मददगार साबित होती आई है. डायबिटीज को ठीक करने के साथ वजन को भी कम करने में अहम भूमिका निभाती है. वहीं बच्चों में अत्याधिक मात्रा में होने वाले निमोनिया को भी आसानी से ठीक कर देती है.

इंद्रायण का इस्तेमाल कैसे करें
महिलाओं में पीरियड्स के दौरान अनियमितता दूर करने में यह औषधि बहुत लाभदायक होती है. यह तेजी से महिलाओं को फायदा पहुंचाती है. वहीं इसका उपयोग पुरुषों में होने वाले मूत्र संबंधित रोगों को ठीक करने में किया जाता है. इसका इस्तेमाल भी आसानी से किया जाता है. इसका इस्तेमाल दूध और पानी के साथ किया जा सकता है. इसके उपयोग से शरीर पर कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता. फिर भी इसका उपयोग चिकित्सक की देखरेख और सही मात्रा में करना चाहिए.

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