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भगवान शिव के इस मंदिर मे लगातार बढ़ रही है नंदी महाराज की मूर्ति, जानें क्या है मान्यता?

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भारत में बहुत से प्राचीन मंदिर है. जिनमें से कुछ मंदिर ऐसे भी जहां होने वाली घटनाओं को देखकर लोग अपने दांतों तले उंगली दबा लेते हैं. यह सभी मंदिर अपने रहस्यों और चमत्कारों के चलते दुनिया भर में जाने जाते है. भारत में एक शिव मंदिर ऐसा भी है. जहां स्थिति नंदी जी की मूर्ति लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इस मूर्ति के बढ़ते आकार के रहस्य का आज तक कोई भी पता नहीं लगा पाया है. इसके अलावा मूर्ति के बढ़ते आकार को लेकर लोगों के बीच बहुत की मान्यताएं भी प्रचलित हैं.

कहां है ये मंदिर:- भगवान शिव का ये रहस्यमयी मंदिर हैदराबाद से 308 किमी और विजयवाड़ा से 359 किमी दूर आंध्र प्रदेश के कुरनूल में स्थित इस मंदिर का नाम है श्री यांगती उमा महेश्वर मंदिर. इस मंदिर का निर्माण वैष्णव परंपराओं के अनुसार किया गया है. इसे 15वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के संगम वंश के राजा हरिहर बुक्का राय के द्वारा बनवाया गया था. यह प्राचीन काल के पल्लव, चोल, चालुक्य और विजयनगर शासकों की परंपराओं को दर्शाता है.

बढ़ती है नंदी जी मूर्ति:- वैसे को भगवान शिव के सभी मंदिरों में नंदी जी की मूर्ति स्थिति होती है. लेकिन यहां स्थिति नंदी की मूर्ति बहुत ही खास और चमत्कारी हैं. जिसके बारे में सिर्फ लोगों का ही नहीं बल्कि वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां स्थित मूर्ति का आकार हर 20 साल में करीब एक इंच बढ़ता है. जिसकी वजह से एक-एक कर मंदिर के खंभों को हटाना पड़ रहा है. इसके साथ ही कहा जाता है कि कलयुग के अंत तक यह मूर्ति एक विशाल रूप लेकर जीवित हो जाएगी और उस दिन महाप्रलय आएगा जिसके बाद कलयुग का अंत हो जाएगा.

मंदिर का इतिहास:- इस मंदिर की स्थापना को लेकर भी एक कथा प्रचलित हैं. कहा जाता है कि इस शिव मंदिर की स्थापना अगस्त्य ऋषि ने की थी. वह यहां पर भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर बनवाना चाहते थे, लेकिन स्थापना के दौरान मूर्ति का अंगूठा टूट गया. जिसके बाद अगस्त ऋषि ने भगवान शिव की आराधना की जिसके बाद भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि यह स्थान कैलाश की तरह दिखता है, इसलिए यहां उनका मंदिर बनाना ही सही है.

श्राप के कारण नहीं दिखते कौए:- इस मंदिर में कभी भी कौए नजर नहीं आते है. कहा जाता है कि ऐसा ऋषि अगस्त्य के श्राप के कारण है. कथा के अनुसार, जब अगस्त्य ऋषि तप कर रहे थे, तब कौए उन्हें परेशान कर रहे थे. नाराज होकर ऋषि ने उन्हें श्राप दिया कि वे यहां कभी नहीं आ सकेंगे.

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