रायपुर : पुलिस को साइबर ठगी के मामले में बड़ी सफलता मिली है। रेंज साइबर थाना की टीम ने साइबर ठगों के दो मनी हैंडलरों को गिरफ्तार किया है। दोनों करीब 6 माह पहले रायपुर आए थे। यहां फर्जी कंपनी बनाकर साइबर ठगों के पैसों को विदेशी करेंसी में बदलकर उनके बताए विदेशी कंपनियों में ट्रांसफर करते थे। इसके बाद साइबर ठग उन राशियों को निकाल लेते थे। इनमें से ज्यादातर राशि सेक्सटॉर्शन, शेयर ट्रेडिंग जैसे ऑनलाइन फ्रॉड के पैसे हैं।
पुलिस दोनों आरोपियों से पूछताछ कर रही है। दरअसल दोनों आरोपी मनी हैंडलर के तौर पर काम कर रहे थे। दोनों का क्लू पुलिस को आमानाका इलाके में रहने वाले रिटायर्ड डॉक्टर प्रकाश गुप्ता के केस से मिला। डॉक्टर से शेयर बाजार में निवेश के नाम पर 11 लाख रुपए की ठगी की थी।
पुलिस के मुताबिक सरस्वती नगर इलाके के कोटा में रहने वाले पवन कुमार सिंह और गगन दीप ने फ्रिज टैक सोल एवं जीपी इंटरप्राइजेस ने से दो फर्जी कंपनियां बनाई थी। इन कंपनियों के नाम से अलग-अलग बैंकों में 30 प्लेटिनम बैंक खाते खोले गए।
इन बैंक खातों में साइबर ठग ठगी के पैसों को ट्रांसफर करते थे। उन पैसों को पवन कुमार और गगन दीप यूएस डॉलर में बदलकर चीन और थाईलैंड की अलग-अलग कंपनियों में ट्रांसफर कर देते थे। वहां से यह रकम साइबर ठग ले लेते थे।
175 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन डिटेल
175 करोड़ के ट्रांजेक्शन का डिटेलआरोपियों ने प्लेटिनम बैंक खातों की मदद से अब तक 102.4 करोड़ रुपए को हांगकांग की 4 कंपनी हाइपरलिंक इंफोसिस्टम लिमिटेड, ब्लू ऑर्किड ग्लोबल, कंसाई इंटरनेशनल लिमिटेड और एमएस मॉर्निंग कंपनी तथा थाईलैंड की 4 कंपनी एनआरआई सिस्टम टेक्नो, परसौल प्रोसेस एंड टेक्नोलॉजी, ग्लोबल विजार्ड टेक्नोलॉजी, डाटा आर्ट टेक्नोलॉजी में भेज चुके हैं।
175 करोड़ के ट्रांजेक्शन का डिटेलआरोपियों ने प्लेटिनम बैंक खातों की मदद से अब तक 102.4 करोड़ रुपए को हांगकांग की 4 कंपनी हाइपरलिंक इंफोसिस्टम लिमिटेड, ब्लू ऑर्किड ग्लोबल, कंसाई इंटरनेशनल लिमिटेड और एमएस मॉर्निंग कंपनी तथा थाईलैंड की 4 कंपनी एनआरआई सिस्टम टेक्नो, परसौल प्रोसेस एंड टेक्नोलॉजी, ग्लोबल विजार्ड टेक्नोलॉजी, डाटा आर्ट टेक्नोलॉजी में भेज चुके हैं।
पुलिस को इसके दस्तावेज मिले हैं। इसके अलावा 175 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन डिटेल मिला है। आरोपियों से 41 बैंक अकाउंट, डेबिट कार्ड, चेक बुक, कंप्यूटर, लैपटॉप, पेन ड्राइव, मोबाइल, डॉलर परचेस इनवॉइस, वन टाइम पासकोड डिवाइस, यूपीआई स्कैनर और अलग-अलग एड्रेस के आधार कार्ड जब्त हुए हैं।
इस तरह के फ्रॉड से मिले थे पैसे
दोनों आरोपी दिल्ली के रहने वाले हैं। करीब 6 माह पहले रायपुर पहुंचे। कोटा में किराए के मकान में रहने लगे। इसके बाद रायपुर का पता देकर अपना आधार कार्ड बनवा लिया। इसी से दो कंपनियां बनाकर उसके नाम से बैंक खाते खुलवा लिए। प्रारंभिक जांच में आरोपियों ने हांगकांग में जिन कंपनियों में पैसा ट्रांसफर किया है। जांच टीम को पता चला है कि अधिकांश डिजिटल अरेस्ट, शेयर ट्रेडिंग और अन्य साइबर फ्रॉड के मामलों से जुड़ी आईपी एड्रेस उन्हीं कंपनियों से जुड़े हैं। आरोपियों के विरुद्ध पश्चिम बंगाल, पंजाब, आंध्रप्रदेश, तमिलनाड़ू, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में रिपोर्ट दर्ज हैं।
दोनों आरोपी दिल्ली के रहने वाले हैं। करीब 6 माह पहले रायपुर पहुंचे। कोटा में किराए के मकान में रहने लगे। इसके बाद रायपुर का पता देकर अपना आधार कार्ड बनवा लिया। इसी से दो कंपनियां बनाकर उसके नाम से बैंक खाते खुलवा लिए। प्रारंभिक जांच में आरोपियों ने हांगकांग में जिन कंपनियों में पैसा ट्रांसफर किया है। जांच टीम को पता चला है कि अधिकांश डिजिटल अरेस्ट, शेयर ट्रेडिंग और अन्य साइबर फ्रॉड के मामलों से जुड़ी आईपी एड्रेस उन्हीं कंपनियों से जुड़े हैं। आरोपियों के विरुद्ध पश्चिम बंगाल, पंजाब, आंध्रप्रदेश, तमिलनाड़ू, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में रिपोर्ट दर्ज हैं।