जशपुर : छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कुनकुरी में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है. रोजरी का महारानी चर्च की स्थापना 1962 में की गई थी. इसके बाद से ही मसीही लोगों की यहां हर साल क्रिस्मस पर काफी बड़ी संख्या होने के कारण यहां एक सप्ताह पहले से ही जगह-जगह क्रिसमस की धूम दिखाई देने लगती है. जिले के कुनकुरी के अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के संस्थानों में क्रिसमस के मौके पर होने वाली विशेष प्रार्थना जारी है. क्रिसमस से पहले ही यहां चरनी तैयार कर फूल और रंग बिरंगे लाइट की सजावट शुरू हो गई है.
देश-विदेश से आते हैं लोग
जशपुर जिले के कुनकुरी स्थित ‘रोजरी का महारानी महागिरजाघर’ जशपुर ही नहीं, बल्कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और ईसाई धर्मावलंबियों के आस्था का बड़ा केंद्र है. इस चर्च के निर्माण की परिकल्पना बिशप स्तानिसलाश ने बेल्जियम के प्रसिद्ध वास्तुकार कार्डिनल जेएम कार्सि एसजे की मदद से की थी. इसे बनाने में करीब 17 साल लगे हैं. कुनकुरी चर्च की नींव 1962 में रखी गई थी. उस समय कुनकुरी धर्मप्रांत के बिशप स्टानिसलास लकड़ा थे.
इसलिए खास है महारानी महागिरजाघर
इस विशालकाय भवन को एक ही बीम के सहारे खड़ा करने के लिए नींव को विशेष रूप से डिजाइन किया गया. सिर्फ इस काम में दो साल लग गए. नींव तैयार होने के बाद भवन का निर्माण 13 सालों में पूरा हुआ था. महागिरजाघर में सात अंक का विशेष महत्व है. यहां सात छत और सात दरवाजे हैं. यह जीवन के सात संस्कारों का प्रतीक माना जाता है.
मांदर की सुनाई देती थाप…
क्रिसमस के अवसर पर यहां पर प्रभु यीशु मसीह को याद किया जाता है और उनके जन्म संस्कार का उत्सव मनाया जाता है. कुनकुरी स्थित महा गिरजाघर के साथ विभिन्न कस्बे और दूरस्थ ग्रामीण इलाकों मे इन दिनों क्रिसमस त्यौहार की खुशी में मांदर की थाप पर आदिवासियों की पारंपरिक वेशभूषा में उनके नृत्य का नजारा देखने को मिलने लगा है. आपको बता दें कि 10 हजार से अधिक लोगों की एक साथ बैठने क्षमता वाले इस चर्च में क्रिसमस पर इससे कहीं अधिक लोगों की भीड़ जुटती रही है. क्रिसमस के दौरान यहां आयोजित समारोह में हर साल देश-विदेश से चार से पांच लाख लोग पहुंचते है.