कोरिया 09 जनवरी, 2025 : प्रदेश के सुदूर कोरिया जिला विगत एक वर्ष में कुपोषण उन्मूलन में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।
जिला और राज्य स्तर पर कुपोषण की स्थिति
दिसंबर 2023 में, कोरिया जिले में गम्भीर बौनापन 8.49 प्रतिशत, मध्यम बौनापन 13.32 प्रतिशत था जबकि राज्य में 12.49 प्रतिशत तथा 18.39 प्रतिशत दर्ज किया गया। दुर्बलता के मामलों में मध्यम दुर्बलता 8.64 प्रतिशत और गंभीर दुर्बलता 2.18 प्रतिशत थी, वहीं प्रदेश में गम्भीर दुर्बलता का प्रतिशत 2.18 था, मध्यम दुर्बलता 7.20 प्रतिशत रहा। अल्प वजन के मामले में मध्यम कुपोषण 11.13 प्रतिशत जबकि राज्य में मध्यम कुपोषण 12.63 प्रतिशत इसी तरह जिले में गंभीर कुपोषण 2.18 प्रतिशत था, इस दौरान राज्य में 2.87 प्रतिशत था।
जिला कलेक्टर श्रीमती चन्दन त्रिपाठी ने इस सम्बंध में महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका को लगातार दिशा-निर्देश देते रहे। जिला प्रशासन के समर्पित प्रयासों, विभिन्न योजनाओं एवं जनभागीदारी और समन्वित रणनीति के तहत किए गए कार्यों की वजह से कुपोषण दर में बेतहाशा सुधार देखने को मिला। दिसंबर 2024 में जिले में मध्यम दुर्बलता 3.99 प्रतिशत थी, जबकि राज्य में 5.29 प्रतिशत और गंभीर दुर्बलता 0.79 प्रतिशत हो गई, जबकि राज्य में 1.61 प्रतिशत थीं। गम्भीर बौनापन जिले में 5.9 प्रतिशत, 12.15 प्रतिशत मध्यम बौनापन के दर दर्ज किया गया जबकि राज्य में 7.32 प्रतिशत थी। इसी तरह, अल्प वजन के मामले में मध्यम कुपोषण 9.19 प्रतिशत और गंभीर कुपोषण 1.67 प्रतिशत तक कम हो गया जबकि राज्य में मध्यम कुपोषण की दर 11.12 प्रतिशत और गम्भीर कुपोषण की दर 2.19 प्रतिशत रही।
उपलब्धि के पीछे की रणनीतियाँ
कोरिया जिले ने कुपोषण उन्मूलन के लिए विभिन्न योजनाओं और नवाचारों को अपनाया गया। मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना के तहत कुपोषित बच्चों को पूरक पोषण आहार, पोषण पुनर्वास केंद्रों की सुविधाएँ और सुपोषण चौपाल के माध्यम से जागरूकता प्रदान की गई। कुपोषण की चक्र में सर्वप्रथम किशोरी बालिकाओं को पौष्टिक आहार लेने हेतु लगातार शिविर आयोजित किए गए तथा गर्भवती महिलाओं को गर्म व पौष्टिक भोजन एएनसी जांच (गर्भावस्था के दौरान, मां और बच्चे के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए एएनसी प्रोफ़ाइल टेस्ट किया जाता है ताकि गर्भावस्था के शुरुआती चरण में किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या दोष का पता कर उपचार किया जा सके)। 100 प्रतिशत करने पर लगातार काम किया गया। कुपोषित बच्चों को सप्ताह में छह उबले अंडे और गर्म भोजन उपलब्ध कराया गया। पोषण ट्रैकर के माध्यम से कुपोषण स्तर का सतत् मूल्यांकन और निगरानी की गई। आंगनबाड़ी केंद्रों और हितग्राहियों के घरों में पोषण वाटिका विकसित की गई। मुनगा (ड्रमस्टिक) के पौधे लगाने और उपयोग को प्रोत्साहित किया गया। अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान और उनके पोषण स्तर की साप्ताहिक समीक्षा की गई। नियमित खानपान और भूख का आकलन कर दवाइयाँ, परामर्श और पोषण पुनर्वास केंद्रों में उपचार प्रदान किया गया। ग्राम सभाओं में पोषण को एक अनिवार्य एजेंडा के रूप में शामिल किया गया।
सही नीतियों, सामुदायिक सहभागिता और प्रशासनिक प्रयासों से कुपोषण की समस्यायों का समाधान संभव
कलेक्टर श्रीमती चन्दन त्रिपाठी ने कहा कि कोरिया जिले की यह उपलब्धि दर्शाती है कि सही नीतियों, सामुदायिक सहभागिता और प्रशासनिक प्रयासों के माध्यम से कुपोषण जैसी जटिल समस्यायों का समाधान संभव है। उन्होंने कहा कि कुपोषण वर्तमान ही नहीं बल्कि नई पीढ़ी के लिए भी खतरनाक है। इस जिले से कुपोषण को जड़ से खत्म करना है तब-तक इस दिशा पर लगातार कार्य किया जाएगा। इस सुदूर जिले को कुपोषण मुक्त बनाने की दिशा सबकी भागीदारी आवश्यक है ताकि जिले के हर बच्चा स्वस्थ और सुपोषित जीवन जी सके।
सुपोषण की दिशा में नवाचार
एक कदम आगे बढ़ते हुए हुए कलेक्टर चन्दन त्रिपाठी ने जन्म के समय कम वजन की समस्या को गम्भीरता से लेते हुए जिले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में गर्भवती व शिशुवती महिलाओं के साथ-साथ बच्चों को रागी, मूंगफली, तिल, गुड़ से निर्मित लड्डू भी दिया जा रहा ताकि स्वस्थ रहें, वजन बढ़े और खून की कमी भी न हो।