हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि का बहुत महत्व माना गया है. इसमें भी मौनी अमावस्या अति विशेष मानी गई है. मौनी अमावस्या पर पितरों के लिए अनुष्ठान किया जाता है. जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु की तिथि की जानकारी नहीं है, वो इस दिन अपने पितरों का पिंडदान कर सकते हैं. मौनी अमावस्या पर पितरों के पिंडदान और तर्पण से उन्हें मुक्ति मिल जाती है. साथ ही पितर बैकुंठ धाम चले जाते हैं.
इस साल कब है मौनी अमावस्या
इस साल मौनी अमावस्या 29 जनवरी को है. हालांकि हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मौनी अमावस्या की तिथि की शुरुआत 28 जनवरी की शाम 7 बजकर 37 मिनट पर हो जाएगी. मौनी अमावस्या की ये तिथि अगले दिन 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगी. इसलिए मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी.
मौनी अमावस्या का महत्व
मौनी अमावस्या पर पितरों के पिंडदान और तर्पण के साथ-साथ दान भी किया जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में मौनी अमावस्या पर दान करने का भी बहुत महत्व बताया गया है. मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या पर स्नान के साथ दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या पर दान के लिए सबसे अच्छा समय ब्रह्म मुहूर्त का माना जाता है. मौनी अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी. ये मुहूर्त सुबह 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. मौनी अमावस्या पर व्रत भी किया जाता है. मौनी अमावस्या का व्रत करने से आत्मसंयम, शांति और मोक्ष प्राप्त होता है. शास्त्रों में कहा गया है कि मौनी अमावस्या के व्रत करने से समाज में मान-सम्मान बढ़ता है.
मौन व्रत क्यों रखा जाता है?
मौनी अमावस्या पर मौन व्रत भी रखा जाता है. इस दिन लोग आत्मसंयम और मानसिक शांति के लिए मौन व्रत करते हैं. साधु संत इस दिन मौन व्रत रखते हैं, क्योंकि मौन मन को कंट्रोल में रखने और ध्यान में एकाग्रता का सबसे सशक्त माध्यम है. शास्त्रों के अनुसार, मौन व्रत से व्यक्ति अध्याकत्मिक उन्नति प्राप्त करता है.
इस साल की मौनी अमावस्या बहुत ही विशेष
भगवान सूर्य इस समय मकर राशि में गोचर कर रहे हैं. वहीं 29 तारीख को चंद्रमा भी मकर राशि में गोचर करेंगे. गुरू पंचंम भाव में विराजामान हैं. ऐसे में एक उत्तम स्थिति बन रही है. इस दिन सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है. महाकुंभ में इस दिन अमृत स्नान किया जाएगा. इस वजह से इस साल की मौनी अमावस्या बहुत विशेष रहेगी.