Home छत्तीसगढ़ जिंदगी का सबसे कठिन काम है रिश्ते को तोड़ना : प्रवीण ऋषि

जिंदगी का सबसे कठिन काम है रिश्ते को तोड़ना : प्रवीण ऋषि

0

रायपुर (विश्व परिवार)। हम दूसरों को दुःख क्यों देते है? दूसरों को परेशान क्यों करते है? हम परेशान करना नहीं चाहते, दुखी नहीं करना चाहते, लेकिन हम करते हैं। हम यह इसलिए करते हैं क्योंकि हमारे अंदर नर्क की स्मृति है। नर्क के संस्कार है, जो सक्रिय होते हैं। कर्म ग्रन्थ में उल्लेख है कि अंदर में नर्क गति की संयोजना पड़ी हुई है (यह पांचवे कर्म ग्रन्थ का विषय है), अंदर में सत्ता पड़ी हुई है। उक्त बातें उपाध्याय प्रवर ने सोमवार को धर्मसभा में कहीं। रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने इसी जानकारी दी । लालगंगा पटवा भवन में चल रही महावीर गाथा के 57वें दिन उपाध्याय प्रवर ने कहा कि आपने पाप को तो छोड़ दिया है, लेकिन पाप से अपना रिश्ता नहीं तोड़ा है। हम नर्क से आ गए हैं, और वहां वापस जाना भी नहीं चाहते हैं, लेकिन नर्क के साथ का रिश्ता बना हुआ है, उसकी स्मृति है। अगर शराबी को शराब पीने से मन करें तो क्या वह छोड़ देगा? अगर उसे शराब की याद न आये, तो वह पियेगा? शराबी का अगर शराब से रिश्ता टूट जाएगा तो वह उसे याद नहीं करेगा, और भूल जाएगा। उन्होंने कहा कि जिंदगी में सबसे कठिन काम कोई है तो वो है रिश्ता तोड़ना। अगर आपको तोड़ना है तो नर्क के साथ का रिश्ता तोड़ें। हम सभी के अंदर नर्क की स्मृति है, नर्क के संस्कार हैं और इस स्मृति को समाप्त करने का कार्य केवल दो व्यक्ति कर सकते हैं, एक माँ और दूसर समर्थ गुरु। जो तुम्हारे भूतकाल को विलोपित कर दे। जैसे भगवान महावीर ने चंडकौशिक के गुस्से की स्मृति समाप्त कर दी थी, और स्मृति समाप्त होते ही कितनी चीटियां उसे काट रही थीं, लेकिन उसे गुस्सा नहीं आया। 84 लाख योनियों का रिश्ता तोड़ते है तब सिद्धगति का रिश्ता खुलता है। अगर इन योनियों में से किसी के साथ भी रिश्ता बना रहा तो मोक्ष के द्वार नहीं खुलते। किसी का पाप छुड़ाना हो तो उसके अंदर से पाप की स्मृति को समाप्त करना होगा। प्रवीण ऋषि ने कहा कि दुःख की स्मृति आदमी को दुखी करती है, दुःख नहीं। स्मृति को समाप्त करने का काम केवल एक माँ और गुरु भगवंत ही कर सकते हैं। 

तपस्वी तीर्थेश मुनि का पारणा रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि आज तपस्वी तीर्थेश मुनि का पारणा था। उन्होंने वर्धमान आयंबिल तप शुरू किया था। 2 साल होने आ रहे हैं। इस तप में लेटना, आड़ा आसान वर्जित है। दोपहर 12 से 2 बजे तक धूप में बैठना। उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि और धर्मसभा में उपस्थित श्रद्धालुओं ने तपस्या की अनुमोदना की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here