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2 या 3 फरवरी, कब है बसंत पंचमी जानें तारीख, पूजा विधि और खास उपाय..

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वाराणसी : वैदिक पंचांग के सबसे शुभ दिनों में से एक है बंसत पंचमी है. बंसत पंचमी का त्योहार विद्या की देवी मां सरस्वती को समर्पित होता है . हर साल यह पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इसे सरस्वती पूजा के नाम से भी जानते हैं. इस दिन मां सरस्वती की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की जाती है. आइए जानते हैं कि बंसत पंचमी पर मां सरस्वती के पूजा की सही विधि क्या है और किन-किन चीजों को चढ़ाने से उनका आशीर्वाद मिलता है.

काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि बंसत पंचमी की सुबह- सुबह स्नान के बाद एक चौकी पर पिला वस्त्र बिछाकर माता सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए. उसके बाद मां सरस्वती को पीला वस्त्र, पीला फूल और पीली मिठाई जरूर अर्पित करें .इसके अलावा उन्हें सरसों के फूल और धान की बाली अर्पित करनी चाहिए.

बसंत पंचमी के दिन करें ये उपाय
जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर है उन्हें बंसत पंचमी के दिन माता सरस्वती के तस्वीर या प्रतिमा के सामने अपनी किताब रखकर उसकी पूजा करनी चाहिए और माता सरस्वती से ज्ञान और बुद्धि की कामना करनी चाहिए. इससे विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है.

कब है बसंत पंचमी?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार माघ शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि की शुरुआत 2 फरवरी को सुबह 11 बजकर 54 मिनट से हो रही है. जो अगले दिन यानी 3 फरवरी को सुबह 9 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार बंसत पंचमी का महापर्व 3 फरवरी के दिन मनाया जाएगा. इसको लेकर किसी को कोई भ्रम पालने की जरूरत नहीं है.

बसंत पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार 3 फरवरी को सुबह 7 बजकर 10 मिनट से लेकर 9 बजकर 30 मिनट तक का समय माता सरस्वती के पूजा के लिए बेहद खास है. इसके अलावा सुबह 10 बजकर 2 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट का समय भी सबसे शुभ है.

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