Home लाइफ सरसों का तेल हुआ बैन, जानिए क्यों हुआ ऐसा ?

सरसों का तेल हुआ बैन, जानिए क्यों हुआ ऐसा ?

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भारत में सरसों के तेल का प्रयोग रसोई में एक अनिवार्य तत्व की तरह होता है। चाहे वह सब्जी बनाने के लिए हो, नॉन-वेज पकाने के लिए या फिर विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में छौंक लगाने के लिए, सरसों का तेल हर भारतीय घर में पाया जाता है। यह तेल अपनी खास तीखी मिट्टी की खुशबू और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है।

हाल ही में यह तेल एक नई वजह से चर्चा में है—संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में सरसों के तेल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अगर आप भी सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं तो जानना जरूरी है कि इसके पीछे का कारण क्या है।

सरसों के तेल पर बैन का कारण

संयुक्त राज्य अमेरिका में सरसों के तेल पर बैन लगाने का मुख्य कारण इसके उच्च इरुसिक एसिड स्तर को बताया जा रहा है। यह एक प्रकार का मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड है जो सरसों के तेल में पाया जाता है। हालांकि इरुसिक एसिड की थोड़ी मात्रा को सुरक्षित माना जाता है, लेकिन यदि इसे अधिक मात्रा में लिया जाए तो यह दिल और शरीर के अन्य अंगों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

फूड सेफ्टी एक्सपर्ट्स का कहना है कि इरुसिक एसिड की अधिक मात्रा से दिल की बीमारियों के खतरे में वृद्धि हो सकती है। यह एसिड शरीर में त्वचा, फेफड़े और अन्य अंगों पर भी बुरा असर डाल सकता है। चूहों पर किए गए प्रयोगों से यह बात सामने आई थी कि जब बड़ी मात्रा में इरुसिक एसिड दिया गया, तो यह उनके दिल की सेहत के लिए हानिकारक साबित हुआ।

क्या है इरुसिक एसिड और क्यों है यह खतरे का कारण?

इरुसिक एसिड एक प्रकार का फैटी एसिड होता है, जो सरसों के तेल के साथ-साथ अन्य कुछ वनस्पति तेलों में भी पाया जाता है। यह मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है, जिसका सेवन अधिक मात्रा में दिल की बीमारियों को बढ़ा सकता है।

इस एसिड के प्रभाव पर विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययन हुए हैं, जिसमें चूहों पर किए गए प्रयोगों में इसके दिल पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को देखा गया है। हालांकि, मानवों पर इसके प्रभाव पर अभी तक कोई निर्णायक निष्कर्ष नहीं आया है, लेकिन फिर भी यह खतरे के संकेत के रूप में लिया जा रहा है।

अमेरिका में सरसों के तेल का उपयोग

अमेरिका में सरसों के तेल का इस्तेमाल बहुत सीमित है। वहां भारतीय किराना स्टोर्स में सरसों का तेल बेचा जाता है, लेकिन इन पर यह चेतावनी जरूर होती है कि यह तेल केवल बाहरी प्रयोग के लिए है, यानी इसका उपयोग खाने में नहीं करना चाहिए। हालांकि, भारतीय समुदाय के लोग अमेरिका में भी सरसों के तेल का प्रयोग करते आ रहे हैं और इसे अपने पारंपरिक व्यंजनों में इस्तेमाल करते हैं।

क्या सरसों का तेल पूरी तरह से हानिकारक है?

अमेरिका में सरसों के तेल पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह तेल पूरी तरह से हानिकारक है। भारतीय संस्कृति में वर्षों से सरसों का तेल इस्तेमाल हो रहा है, और अधिकांश लोग इसे अपनी रसोई का अभिन्न हिस्सा मानते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि इरुसिक एसिड की कम मात्रा में उपयोग करना कोई समस्या नहीं है, लेकिन यदि इसका सेवन अत्यधिक मात्रा में किया जाए तो यह स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। सरसों के तेल का सामान्य उपयोग दिल के स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन यह तेल उपयुक्त मात्रा में और सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए।

भारत में सरसों का तेल न केवल स्वाद को बढ़ाने के लिए, बल्कि इसे एक हेल्दी विकल्प माना जाता है। यह तेल पारंपरिक व्यंजनों में स्वाद और सुगंध का बेहतरीन मिश्रण होता है। इस तेल में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड की अच्छी खासी मात्रा होती है, जो दिल के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। इसके अलावा यह तेल शरीर के रक्त संचार को बेहतर बनाने, सूजन कम करने और त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकता है।

एक्सपर्ट की सलाह

विशेषज्ञों का मानना है कि सरसों के तेल का सही तरीके से और सीमित मात्रा में उपयोग किया जाए तो यह पूरी तरह से सुरक्षित है। हालांकि सरसों के तेल का सेवन लगातार अधिक मात्रा में नहीं किया जाना चाहिए। खाद्य विशेषज्ञ कृष अशोक का कहना है कि कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों पर अंध विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति की शारीरिक स्थिति और चयापचय अलग होते हैं।

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