
रिपोर्टर मुन्ना पांडेय,सरगुजा लखनपुर:ब्लाक क्षेत्र के ग्राम अमगसी में एक पालतू गाय ने प्लास्टिक में बंद नुकीले कांटी का सेवन कर लिया जिससे उसकी जान चली गई। सर्जरी के बाद भी नहीं बचाया जा सका।
पशु चिकित्सक डॉ सफदर ख़ान ने बताया बृज दास निवासी अमगसी की एक 7 वर्षीय गाय प्लास्टिक सहित प्लास्टिक में बंद लोहे की किल निगल जिसके कारण गाय की मौत हो गई। दरअसल बृज दास की गाय पिछले 10 दिनो से खाना छोड़कर शांत रहती थी। गाय के आगे दोनो पैरो के बीच भाग मे तथा जांघ मे सूजन होने लगा था। तथा नाक से खून भी आने लगी थी। बृज दास ने इसकी सुचना पशु चिकित्सालय लखनपुर को दिया। गाय की हालत की खबर मिलते ही पशु चिकित्सक डॉक्टर सफदर खान अपने अन्य स्टाफ के साथ 24 मार्च को गाय को देखने पहुंचे। जांच से अनुमान लगाया कि पेट मे कोई नुकीली चीज हो सकता है जिसके कारण गाय के सीने मे पानी भर गया है,। ईलाज शुरू करते हुए सीने की पानी को पाईप से निकाला गया। अगले दिन 25 मार्च को पुरे सामाग्री के साथ गाय के पेट का सर्जरी किया गया जिसमे पेट से लगभग 4 किलो प्लास्टिक तथा एक नुकीला कील (काटी) निकाला गया।
कील के कारण गाय के दिल तथा फेफड़े को काफी नुकसान हुआ था जिससे सांस लेने मे काफी कठिनाई हो रही थी । सर्जरी कार्य जैसे ही मुकम्मल हुआ गाय ने दम तोड़ दिया।
इस प्रकार से पशु चिकित्सक के अथक प्रयास के बाद भी भी एक बेजुबान पशु की जान नही बचाई जा सकी। डॉक्टर सफदर खान (पशु सर्जन, लखनपुर)
का मानना है कि धरती में प्लास्टिक प्रदुषण मनुष्य, तथा पशुओ के लिए अभिशाप बन गया है। मनुष्य अपनी सहुलियत के लिए इसका उपयोग तो करता है लेकिन उपयोग के बाद अपने घर के बेकार बचे चीजो को उसमे भरकर बाहर खुले में फेक देते है, बाद मे बेजुबान गाय बैल बिछड़े प्लास्टिक के साथ फेंके गए खतरनाक चीजो का सेवन कर जाते है, यही प्लास्टिक पेट मे इकठ्ठा होकर भर जाता है । गाय-बैल को जुगाली करने में कष्ट होता है पशु खाना पीना छोड़ देता है, कमजोर होने लगता है और प्लास्टिक का नुकीला चीज पेट को छेद कर पालतू पशुओं के अंगो को नुकसान करता है, बाद में मौत का कारण बन जाता है। प्लास्टिक के कारण गाय-बैल बड़े पशु तथा बकरी प्रजाति की मौत समय से पहले हो जाती है जिसके कारण पशुपालक को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग शहर के साथ साथ गांव मे बहुतायत होने लगा है जो कि चिंता का विषय है। शासन द्वारा बंद कराने प्रयास के बाद भी प्लास्टिक कैरी बैग का चलन खत्म नहीं हो सका है।